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New Delhi Book Fair 2018

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नई दिल्ली पुस्तक मेला-2018 मुखर हुआ राष्टï्रवादी विमर्श द्य सोनाली मिश्रा हते हैं रंग बदलता है, किताबों का, मेलों का और रंग बदलता है हवाओं का, विमर्शों का। क्योंकि हर रंग सत्ता को समेटे होता है। वह रंग कुछ भी हो सकता है, वह धारा कोई भी हो सकती है, कभी इधर के चेहरे चमक सकते हैं, तो कभी उधर के। नई दिल्ली में जनवरी में जब पुस्तकों का सबसे बड़ा बाजार सजा, तो राष्ट्रवादी स्वरों की थोड़ी फुसफुसाहट थी। दरअसल यह फुसफुसाहट पिछले वर्ष के पुस्तक मेले में सफलतापूर्वक आयोजित किए गए विमर्शों के आधार पर हो रही फुसफुसाहट थी। इस सरकार के आने के बाद से ही ऐसे विमर्शों के तेज होने की अपेक्षा थी, पर ऐसा न होने से लोग निराश हो रहे थे। पर जनवरी 2018 में आयोजित पुस्तक मेला राष्ट्रवादी वैचारिक मंथन के प्रेमियों के लिए सुखद आश्चर्य के साथ आया। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने इस वर्ष पुस्तक मेले में...

दूध का धुला कौन?

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दूध का धुला कौन? पंकज कुमार झा पनी बात शुरू करूं इससे पहले यह स्पष्ट कह देना चाहता हूं कि अपने लिए न तो चेलमेश्वर समूह कोई भगवान हैं, और न ही दीपक मिश्रा को ही कोई क्लीन चिट देने का अपना कोई इरादा है। सच कहें तो इस लेख का आशय चार जजों द्वारा उठाये गए मूल प्रकरण पर बात करने से है भी नहीं। हम तो इस अप्रत्याशित घटना के बाद फेसबुक पर छा गए समर्थन-विरोध और उसके तरीके के प्रति बात करना चाह रहे हैं। हर मुद्दे की तरह इस मामले में भी प्रेस वार्ता होने के पांच मिनट के भीतर-भीतर भाई लोगों ने जिस तरह अपना-अपना पक्ष तय कर अपनी सारी शब्द क्षमताओं को झोंक दिया, वह हंसाता तो है ही लेकिन, उससे ज्यादा सिहरन पैदा करता है कि हम आखिर कैसे समाज का हिस्सा हैं। हर विषय को व्यक्ति विशेष के पक्ष या विरोध का मामला बना देना, और अपने-अपने काल्पनिक पक्ष के लिए 'मर मिटनाÓ एक ऐसी विडंबना ...

Storm in Supreme Court

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सर्वोच्च न्यायालय में तूफान तस्वीर का दूसरा पक्ष विनीत नारायण सर्वोच्च न्यायालय के इतिहास में पहली बार 4 वरिष्ठतम् न्यायाधीशों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश की कार्य प्रणाली पर संवाददाता सम्मेलन कर न्यायपालिका में हलचल मचा दी। उनका मुख्य आरोप है कि राजनैतिक रूप से संवेदनशील मामलों में उनकी वरिष्ठता को नजरअंदाज कर, मनचाहे तरीके से केसों का आवंटन किया जा रहा है। इस अभूतपूर्व घटना पर देश की न्याय व्यवस्था से जुड़े लोग, राजनैतिक दल और मीडिया अलग-अलग खेमों में बटे हैं। भारत सरकार ने तो इसे न्यायपालिका का अंदरूनी मामला बताकर पल्ला झाड़ लिया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस पर टिप्पणी की है। उधर सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता इस पर खुली बहस की मांग कर रहे है। जबकि उक्त चार न्यायाधीशों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश पर महाअभियोग चलाने की मांग की है। जाहिर है कि बिना तिल क...
Best-Parliamentarian Award formality to please-all policy

Best-Parliamentarian Award formality to please-all policy

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It refers to usual formality of conferring annual honour of Best-Parliamentarian on one of the senior parliamentarians which till now has been either a former or present minister or a leader of an opposition-group as if only floor-leaders or frontbench members are eligible to be honoured with Best Parliamentarian award. So-termed Best Parliamentarians are now selected together for five years from the year 2013 to the year 2017 by including five senior Parliamentarians namely Najma Heptulla (BJP), Hukumdev Narain Yadav (BJP), Gulam Nabi Azad (Congress), Dinesh Trivedi (TMC) and Bhrithari Mahtab (BJD) from four different parties as per please all policy. Same tactics is being adopted earlier by selecting three Best-Parliamentarians together for the years 2007 to 2009 and then from 2010 to 20...
Appointing new Election Commissioner and Chief Election Commissioner

Appointing new Election Commissioner and Chief Election Commissioner

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It refers to Om Prakash Rawat being appointed as 22nd Chief Election Commissioner after retirement of Achal Kumar Jyoti, and appointment of Ashok Lawasa as Election Commissioner. A Public-Interest-Litigation (PIL) was filed at Supreme Court in July 2015 seeking much-needed and long-awaited reform in selection of Election Commissioners by a collegiums also consisting of Prime Minister and largest opposition party in Lok Sabha. Even the then Chief Election Commissioner Nasim Zaidi also publicly favoured such a system which already exists for selection of Information Commissioners and Vigilance Commissioners. Post of Election Commissioners must be kept totally unbiased by adopting the collegiums-system for selection of Election Commissioners. It is indeed unfortunate ...
Ever-increasing Income Tax dues against world’s richest cricket-body BCCI

Ever-increasing Income Tax dues against world’s richest cricket-body BCCI

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It refers to Income Tax Department revealing about rupees 860.52 crores as tax-dues against richest cricket-body of the world namely Board for Control of Cricket in India (BCCI). Revelation comes after CIC-verdict 05.01.2018 in petition-number CIC/RM/A/2012/000197-BJ wherein CIC passed observations against Income Tax Department for being liberal against BCCI for recovery of tax-dues. Income tax Department during several rounds of hearing had confused about some stay-order against recovery of tax-dues till December 2017. Later it turned out to be stay by Income Tax Department itself. It is shocking and surprising that Income Tax Department gives undue relaxation to such super-rich bodies which spends money minted out of public-craze to liberally to our ultra-rich cricketers...
Coin-minting stopped at all the four mints due to plenty in stock: Reformative measures necessary

Coin-minting stopped at all the four mints due to plenty in stock: Reformative measures necessary

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It refers to Central government stopping minting of coins because of alleged poor demand and storage-problem, meaning thereby not utilizing heavy expenses done on running mints. Undoubtedly supply position of coins now-a-days is satisfactory. But total stopping of coin-minting may again result in shortage of coins causing black-marketing of coin-bags at heavy premiums ranging from 15-20 percent. Instead of stopping coin-minting, steps should be taken to ensure availability of coin-bags of various denominations in all bank-branches (private or public-sector) including in small bank-branches so that shopkeepers may not have excuse to force unwanted items like candies and chocolates in name of non-availability of coins. Shopkeepers have made a practice to force such unwanted items a...
AAP- A Lost Story

AAP- A Lost Story

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आम आदमी पार्टी ने अपनी संभावनाओं को खुद डकार लिया है जावेद अनीस इस देश की राजनीति में बदलाव चाहने वालों के लिये “आम आदमी पार्टी” का सफर निराश करने वाला है हालाकि इसका एक दूसरा पक्ष यह हो सकता है कि अन्ना, अरविन्द और “आप” मंडली के सहारे बदलाव की उम्मीद लगाये लोग जरूरत से ज्यादा मासूम रहे हों. बहरहाल आम आदमी पार्टी उम्मीदों को तोड़ने के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुये एक बार फिर सुर्खियों में है. पार्टी ने राज्यसभा के लिए अपने तीन उम्मीदवारों का ऐलान करते हुए शीर्ष नेता के प्रति वफादारी,धनबल और राजनीति में जाति की महत्ता का भरपूर ध्यान रखा है . आम आदमी पार्टी के गठन को पांच साल बीत चुके हैं और इस दौरान पार्टी के नेतृत्व ने बहुत ही तेजी से पुरानी पार्टियों के राजनीतिक कार्यशैली और पैतरेबाजियों को सीख लिया है. दरअसल आम आदमी पार्टी बाकी सियासी दलों से अलग होने और विकल्प की राजनीति पेश करने...
HIGHWAY HOTEL WITH HINDU NAMES AND CHELIA MUSLIM OWNER ,NOT ALLOWING ANY HINDU HOTEL TO RUN IN COMPITITION.

HIGHWAY HOTEL WITH HINDU NAMES AND CHELIA MUSLIM OWNER ,NOT ALLOWING ANY HINDU HOTEL TO RUN IN COMPITITION.

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एक खतरनाक बिजनेस मोडल का पर्दाफाश ... --------------- . आपको राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात के हाइवे पर तमाम ऐसे होटल मिलेंगे जिनका नाम भाग्योदय, सर्वोदय,अलंकार,तुलसी,सर्वोत्तम आदि हिन्दू नाम वाला होगा | लेकिन इन होटलों की चेन जिसमे हजारो होटल है उन्हें गुजरात के बनासकांठा के रहने वाले "चेलिया मुस्लिम" चलाते है । . इन होटलों में एक भी हिन्दू को नौकरी नही दी जाती.. चेलिया ग्रुप ऑफ़ होटल्स का हेड ऑफिस अहमदाबाद में है । इनका पूरा खरीद सेंट्रलाइज्ड होता है । ये डाइरेक्ट कोल्डड्रिंक, नमकीन आदि बनाने वाली कम्पनीज के साथ बल्क में डील करते है,.. फिर उसे हर एक होटल में सप्लाई करते है । जहाँ तक सम्भव हो ये खरीदारी मुस्लिम से ही करते है । इनके होटल्स में इनवर्टर, बैटरी, आरओ आदि सप्लाई करने वाला भी मुस्लिम ही होता है । . चूँकि ये अपने होटलों का नाम हिन्दू नाम जैसा रखते है और "ओनली वेज" लिखते है...
Logic of VIP cells in prisons like enjoyed by Lalu Prasad Yadav

Logic of VIP cells in prisons like enjoyed by Lalu Prasad Yadav

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It refers to media-reports about RJD supremo Lalu Prasad Yadav having been lodged in Upper Division Cell of Birsa Munda Central Jail (Ranchi) having two wings each having four rooms, with only VIP prisoners privileged of having separate rooms with VIP facilities otherwise not available to normal prisoners. Stay of former Bihar Chief Minister in this jail in the year 2017, is the second one after first spell being in the year 2013. At least there must not be any distinction amongst those having found guilty in respect of prison. Even VIP prisoners most of which are politicians must taste hardships of prison life as borne by normal prisoners also to act as deterrent for others against committing crimes. Privileged VIP life-style in jails is nothing but a relaxing resort for prison-du...