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सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाने वालों का मुंह काला हो गया

सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाने वालों का मुंह काला हो गया

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कल सुबह जब अखबार खोला तो अरुण शौरी का बयान सामने था. उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक पर तंज कसते हुए इसे ‘फर्जिकल स्ट्राइक’ बताया.  वो कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफ़ुद्दीन सोज़ की किताब के विमोचन समारोह में शामिल हुए थे. पहले ही सोज़ विवादों में थे. लेकिन अरुण शौरी के बयान से उन्हें भी पब्लिसिटी मिल गई. वैसे भी, प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ बोल कर कोई भी ऐरा-गैरा सुर्खियों में आ जाता है. लेकिन ‘फर्जिकल स्ट्राइक’ का जुमला सुन कर वाकई दुख हुआ क्योंकि ये सीधे सीधे भारतीय सेना की साख पर हमला था. मैं सोचता रहा कि जब डीजीएमओ और जनरल हुडा का बयान आ चुका है तो सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाने का कोई मतलब नहीं बनता. शौरी जैसे लोगों को कम से कम इतना ध्यान रखना चाहिए था. लेकिन ये कहां पता था कि शाम ढलते ढलते अरुण शौरी ही नहीं, राहुल गांधी, चिंदबरम, लालू, मायावती और केजरीवाल जैसे ...
चुनाव आयोग से मौलिक भारत के गंभीर प्रश्र

चुनाव आयोग से मौलिक भारत के गंभीर प्रश्र

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सेवा में, जन सूचना अधिकारी, भारत निर्वाचन आयोग, अशोक रोड, नयी दिल्ली-110001.   विषय : प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 6 सहपठित धारा 2 (j) (i),(ii), सूचना अधिकार अधिनियम - 2005   संदर्भ : आयकर विभाग द्वारा गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तराखण्ड एवं उत्तर प्रदेश विधान सभा निर्वाचन -2017 एवं (02) अमृतसर लोक सभा चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों द्वारा एफिडेविट (शपथ पत्रों) में घोषित चल एवं अचल सम्पत्तियों की जाँच   महोदय,   ‘मौलिक भारत’ एक गैर-राजनैतिक संगठन है एवं इसके सदस्य नीरज सक्सैना (एडवोकेट), संजीव गुप्ता (इंजीनियर), जगदीश चौहान (एडवोकेट), अनुज अग्रवाल, विक्रम चौधरी, घनश्याम लाल शर्मा, एवं तिलक राम पांडेय भारतवर्ष में चुनाव सुधार, सुशासन, पारदर्शिता एवं के विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थानों की जनता के प्रति जवाबदेही के लिए कार्यरत हैं। &n...
कब सुधरेगी किसानों की दशा

कब सुधरेगी किसानों की दशा

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पिछले दिनों करीब 30,000 किसानों ने लाल झंडे के तले बम्बई मार्च किया। उनकी प्रमुख मांग कर्जा माफ़ी की थी। पर क्या कर्जा माफ़ी ही किसानों की समस्याओं का हल है? आंखिर क्यों आजादी के 70 साल बाद भी किसान बदहाल हैं? सानों की आत्महत्या कुछ सालों से सुर्खियों में रही है। यूं भी उनकी दुर्दशा किसी से छुपी नहीं है। कुछ समय पहले की ही बात है जब किसानों को प्याज एक रुपया डेढ़ रुपया बेचने पर मजबूर होना पड़ा था। लगातार ये खबरें आती रही हैं कि किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य नहीं मिलता है। किसान कर्जे तले दबे हैं व मजबूरी में आत्महत्या कर रहे हैं। पिछले साल मोदी जी ने अपने एक भाषण में 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की बात कही थी। उनके इस भाषण का कथित बुद्धिजीवी अभी तक मजाक बनाते हैं। मीडिया और विपक्षी पार्टी पूछते हैं कि ये कैसे संभव है। अगर किसानों की आय डबल हुई तो महंगाई कितनी बढ़ेगी क्यो...
एक  है हिन्दुत्व  – सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत

एक है हिन्दुत्व – सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत

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रा.स्व.संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा यानी संघ से जुड़ा वर्ष का सबसे बड़ा आयोजन। समाज में संघ कार्य की स्वीकार्यता तेजी से बढ़ रही है।  विविध क्षेत्रों में संघ के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने की उत्कंठा है। 2018 के अवसर पर रेशिम बाग, नागपुर में सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवतने देश के वर्तमान राजनीतिक - सामाजिक परिदृश्य तथा संघ के बढ़ते व्याप के संदर्भ में पाञ्चजन्य के संपादक श्री हितेश शंकर तथा आर्गेनाइजर के संपादक श्री प्रफुल्ल केतकर से विस्तृत बातचीत की। प्रस्तुत हैं विशेष साक्षात्कार के संपादित अंश- प्रश्न : आज संघ कार्य के लिए जो अनुकूलता दिखती है, इसे आप कैसे देखते हैं? उत्तर : संघ के स्वयंसेवक सर्वदूर समाज में जाते हैं। अन्यान्य क्षेत्रों में काम भी करते हैं। संघ की शाखा में भी जाते हैं। समाज में, विभिन्न संगठनों में काम करते हैं। कई ऐसे हैं जो ऐसा कुछ नहीं करते, अपनी घर-गृहस्...
आरक्षण के पैमाने ?

आरक्षण के पैमाने ?

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विगत 2 अप्रैल को सारा देश जलता रहा। कानून में बदलाव के विरोध में तथाकथित दलित संगठनों द्वारा भारत बंद के आहवान के दौरान दीनहीन,असहाय समझे और कहे जाने वाले दलित युवकों के नाम पर राजनीतिक रहनुमाओं द्वारा गुमराह उपद्रवियों ने जमकर तोड़-फोड़ की। उन्होंने जिस मुद्दे पर भारत बंद का आहवान किया था, वह तो सही या गलत कुछ भी हो सकता है जो विवेचना से ही मालूम होगा । उसपर विवाद भी नहीं है। हो सकता है आन्दोलनकारियों को विरोध और आक्रोश की अभिव्यक्ति का अधिकार भी हो, पर उन्हें सरेआम तोड़फोड़, मारपीट, हिंसा,आगजनी करने का तो कोई अधिकार नहीं है। उनके हिंसक बंद के दौरान अनेक निर्दोष लोगों की जानें गईं। नवजात बच्चे एम्बुलेंस में मर गये । कई मरीज अस्पताल पहुँचने के पहले ही स्वर्ग सिधार गये। वे सभी दलित नहीं थे । अगर बात यूपी के मेरठ की हो तो वहां हिंसा के पीछे बीएसपी नेता की साजिश का खुलासा हुआ है। मेरठ की एसएस...

विकसित गाँव: विकसित राष्ट्र अभियान के नए ब्रांड एम्बेसडर

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विकसित गाँव: विकसित राष्ट्र अभियान के नए ब्रांड एम्बेसडर विकसित गाँव : विकसित राष्ट्र अभियान को आगे बढ़ाने के लिए पश्चिमी बंगाल के शिक्षा समूह टेक्नो इंडिया ने बड़ी पहल की। डायलॉग इंडिया एवं मौलिक भारत की संस्तुति पर देश भर के 20 से अधिक राजनीति, सिविल सेवा, उद्योग, व्यापार, साहित्य, पत्रकारिता व समाज सेवा से जुड़ी समाजोन्मुखी व्यक्तित्वों को मानद उपाधि देने की प्रक्रिया शुरू की। आशय यह है कि ये लोग अभियान के ब्रांड एम्बेसडर बन इसे आगे बढ़ाएंगे। इनमें से 9 लोगों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। जिनके नाम निम्न प्रकार है - रमेश विधूड़ी सांसद, रविंद्र पांडे सांसद, श्रीमती रश्मि सिंह आईएएस, सरोज कुमार आईएएस, राघवेंद्र पाल सिंह आईआरएस, राहुल चौधरी निदेशक, सीजी कॉर्प ग्लोबल, आर.के. महतो चेयरमैन जीटीसी ग्रुप, नरेंद्र अग्रवाल निदेशक, डेअरसेल समूह, कवि गजेंद्र सोलंकी व अनुज अग्रवाल, संपादक ड...

New Delhi Book Fair 2018

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नई दिल्ली पुस्तक मेला-2018 मुखर हुआ राष्टï्रवादी विमर्श द्य सोनाली मिश्रा हते हैं रंग बदलता है, किताबों का, मेलों का और रंग बदलता है हवाओं का, विमर्शों का। क्योंकि हर रंग सत्ता को समेटे होता है। वह रंग कुछ भी हो सकता है, वह धारा कोई भी हो सकती है, कभी इधर के चेहरे चमक सकते हैं, तो कभी उधर के। नई दिल्ली में जनवरी में जब पुस्तकों का सबसे बड़ा बाजार सजा, तो राष्ट्रवादी स्वरों की थोड़ी फुसफुसाहट थी। दरअसल यह फुसफुसाहट पिछले वर्ष के पुस्तक मेले में सफलतापूर्वक आयोजित किए गए विमर्शों के आधार पर हो रही फुसफुसाहट थी। इस सरकार के आने के बाद से ही ऐसे विमर्शों के तेज होने की अपेक्षा थी, पर ऐसा न होने से लोग निराश हो रहे थे। पर जनवरी 2018 में आयोजित पुस्तक मेला राष्ट्रवादी वैचारिक मंथन के प्रेमियों के लिए सुखद आश्चर्य के साथ आया। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने इस वर्ष पुस्तक मेले में...

दूध का धुला कौन?

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दूध का धुला कौन? पंकज कुमार झा पनी बात शुरू करूं इससे पहले यह स्पष्ट कह देना चाहता हूं कि अपने लिए न तो चेलमेश्वर समूह कोई भगवान हैं, और न ही दीपक मिश्रा को ही कोई क्लीन चिट देने का अपना कोई इरादा है। सच कहें तो इस लेख का आशय चार जजों द्वारा उठाये गए मूल प्रकरण पर बात करने से है भी नहीं। हम तो इस अप्रत्याशित घटना के बाद फेसबुक पर छा गए समर्थन-विरोध और उसके तरीके के प्रति बात करना चाह रहे हैं। हर मुद्दे की तरह इस मामले में भी प्रेस वार्ता होने के पांच मिनट के भीतर-भीतर भाई लोगों ने जिस तरह अपना-अपना पक्ष तय कर अपनी सारी शब्द क्षमताओं को झोंक दिया, वह हंसाता तो है ही लेकिन, उससे ज्यादा सिहरन पैदा करता है कि हम आखिर कैसे समाज का हिस्सा हैं। हर विषय को व्यक्ति विशेष के पक्ष या विरोध का मामला बना देना, और अपने-अपने काल्पनिक पक्ष के लिए 'मर मिटनाÓ एक ऐसी विडंबना ...

Storm in Supreme Court

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सर्वोच्च न्यायालय में तूफान तस्वीर का दूसरा पक्ष विनीत नारायण सर्वोच्च न्यायालय के इतिहास में पहली बार 4 वरिष्ठतम् न्यायाधीशों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश की कार्य प्रणाली पर संवाददाता सम्मेलन कर न्यायपालिका में हलचल मचा दी। उनका मुख्य आरोप है कि राजनैतिक रूप से संवेदनशील मामलों में उनकी वरिष्ठता को नजरअंदाज कर, मनचाहे तरीके से केसों का आवंटन किया जा रहा है। इस अभूतपूर्व घटना पर देश की न्याय व्यवस्था से जुड़े लोग, राजनैतिक दल और मीडिया अलग-अलग खेमों में बटे हैं। भारत सरकार ने तो इसे न्यायपालिका का अंदरूनी मामला बताकर पल्ला झाड़ लिया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस पर टिप्पणी की है। उधर सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता इस पर खुली बहस की मांग कर रहे है। जबकि उक्त चार न्यायाधीशों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश पर महाअभियोग चलाने की मांग की है। जाहिर है कि बिना तिल क...
Best-Parliamentarian Award formality to please-all policy

Best-Parliamentarian Award formality to please-all policy

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It refers to usual formality of conferring annual honour of Best-Parliamentarian on one of the senior parliamentarians which till now has been either a former or present minister or a leader of an opposition-group as if only floor-leaders or frontbench members are eligible to be honoured with Best Parliamentarian award. So-termed Best Parliamentarians are now selected together for five years from the year 2013 to the year 2017 by including five senior Parliamentarians namely Najma Heptulla (BJP), Hukumdev Narain Yadav (BJP), Gulam Nabi Azad (Congress), Dinesh Trivedi (TMC) and Bhrithari Mahtab (BJD) from four different parties as per please all policy. Same tactics is being adopted earlier by selecting three Best-Parliamentarians together for the years 2007 to 2009 and then from 2010 to 20...