सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाने वालों का मुंह काला हो गया
कल सुबह जब अखबार खोला तो अरुण शौरी का बयान सामने था. उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक पर तंज कसते हुए इसे ‘फर्जिकल स्ट्राइक’ बताया. वो कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफ़ुद्दीन सोज़ की किताब के विमोचन समारोह में शामिल हुए थे. पहले ही सोज़ विवादों में थे. लेकिन अरुण शौरी के बयान से उन्हें भी पब्लिसिटी मिल गई. वैसे भी, प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ बोल कर कोई भी ऐरा-गैरा सुर्खियों में आ जाता है. लेकिन ‘फर्जिकल स्ट्राइक’ का जुमला सुन कर वाकई दुख हुआ क्योंकि ये सीधे सीधे भारतीय सेना की साख पर हमला था. मैं सोचता रहा कि जब डीजीएमओ और जनरल हुडा का बयान आ चुका है तो सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाने का कोई मतलब नहीं बनता. शौरी जैसे लोगों को कम से कम इतना ध्यान रखना चाहिए था.
लेकिन ये कहां पता था कि शाम ढलते ढलते अरुण शौरी ही नहीं, राहुल गांधी, चिंदबरम, लालू, मायावती और केजरीवाल जैसे ...