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अविश्वास प्रस्ताव पर राहुल गांधी के भाषण को कैसे देखें

अविश्वास प्रस्ताव पर राहुल गांधी के भाषण को कैसे देखें

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अवधेश कुमारअविश्वास प्रस्ताव के दौरान लोकसभा में राहुल गांधी के भाषण को लेकर कई तरह के विवाद उत्पन्न हुए हैं। इसमें दो राय नहीं कि राहुल के भाषण पर पक्ष - विपक्ष सहित पूरे देश की नजर थी। मार्च में सूरत न्यायालय की सजा के कारण उनकी संसद सदस्य चली गई थी और उच्चतम न्यायालय द्वारा सजा पर रोक लगाये जाने के बाद अविश्वास प्रस्ताव के दौरान ही वे लोकसभा में वापस आए। उनकी वापसी के दिन जिस तरह भाजपा विरोधी दलों ने उनका स्वागत किया वह बता रहा था कि मार्च से अगस्त तक राजनीति में कितना परिवर्तन आ गया है। वस्तुतः जब उनकी संसद सदस्यता गई थी तब भाजपा विरोधी विपक्षी मोर्चा का गठन नहीं हुआ था। 18 जुलाई को बेंगलुरु में विपक्षी मोर्चा आईएनडीआईए के गठन के बाद भाजपा विरोधी विपक्ष की राजनीति की तस्वीर कांग्रेस और राहुल गांधी के संदर्भ में काफी हद तक बदली हुई है । इस कारण यह उम्मीद थी कि राहुल गांधी तथ्यों और तर्...
<strong>भारतीय रिजर्व बैंक ने नहीं बढ़ाई ब्याज दर</strong>

भारतीय रिजर्व बैंक ने नहीं बढ़ाई ब्याज दर

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वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास की तुलना में मुद्रास्फीति को दी जा रही है प्राथमिकताआज विश्व के समस्त देश आर्थिक विकास के एजेंडा पर कम ध्यान देते हुए मुद्रा स्फीति को नियंत्रित करने के प्रयासों पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। हालांकि मुद्रा स्फीति को नियंत्रित करने के लिए आपूर्ति के साधनों में सुधार करने पर पूरा ध्यान होना चाहिए परंतु बाजार में उत्पादों की मांग कम करने के उद्देश्य से समस्त देश केवल ब्याज दरों में लगातार वृद्धि करते पाए जा रहे हैं। ब्याज दरों में लगातार बढ़ौतरी से न केवल वित्त की उपलब्धता पर विपरीत प्रभाव दिखाई देने लगता है बल्कि वित्त की लागत भी बढ़ने लगती है, जिससे बाजार में उत्पादों की मांग कम होने लगती है, उत्पादन गतिविधियों में ठहराव आता है, बैकों की लाभप्रदता पर विपरीत प्रभाव पड़ने लगता है एवं रोजगार के अवसर कम होने लगते हैं। कुल मिलाकर, पूरा आर्थिक चक्र ही विपरीत रूप से प्रभ...
दिल्ली एम्स का कायाकल्प

दिल्ली एम्स का कायाकल्प

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*रजनीश कपूरदेश भर में स्वास्थ्य सेवाओं की कमियों को लेकर हमेशा सवाल उठाए जाते हैं। सरकारें आती-जाती रहती हैं और वेदावा करती हैं कि देश में स्वास्थ्य सेवाएँ बेहतर बनाएँगी। पर अधिकतर राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बेहालहै। स्वास्थ्य मंत्रालयों के पास इन सब के लिये बड़ा बजट भी होता है। परंतु इस दिशा में उस गति से कार्य नहीं होतेजिस गति से होने चाहिये। ज़्यादातर पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है। इसलिए देश भर से मरीज़ इलाज के लिएदिल्ली के एम्स का रुख़ करते हैं। इसी कारण यहाँ पर मरीज़ों की भीड़ लगी रहती है। परंतु आज जिस अनुभव कोआपके साथ साझा कर रहा हूँ, वो आपको अच्छा लगेगा।कुछ दिन पहले दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जाना हुआ। चूँकि मेरा नाता एम्स के साथसन् 1991 से है इसलिए वहाँ के चप्पे-चप्पे से वाक़िफ़ हूँ। परंतु जैसे ही मुझे पता चला कि एम्स की न्यू राजकुमारीअमृत कौर...
संवेदनशील क्षेत्रों में हिंसा का मुकाबला।

संवेदनशील क्षेत्रों में हिंसा का मुकाबला।

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ऐसे कई उदाहरण हैं जहां विकास कार्यक्रमों और दृष्टिकोणों से हिंसा का मुकाबला करने में सकारात्मक परिणाम मिले हैं। "राजस्थान मदरसा बोर्ड" पहल राज्य में पारंपरिक इस्लामी स्कूलों (मदरसों) के आधुनिकीकरण पर केंद्रित है। धार्मिक अध्ययन के साथ-साथ पाठ्यक्रम में विज्ञान, गणित और अंग्रेजी जैसे विषयों को शामिल करके, इसने छात्रों को अधिक सर्वांगीण शिक्षा प्रदान की। परिणामस्वरूप, छात्र चरमपंथी विचारधाराओं के प्रति कम संवेदनशील हो गए। आंध्र प्रदेश में "सद्भावना" परियोजना का उद्देश्य विविध समुदायों के बीच सामाजिक एकता को बढ़ावा देना है। इसने विभिन्न धार्मिक पृष्ठभूमि के लोगों को सामुदायिक कार्यक्रमों, खेलों और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए एक साथ लाया। इससे समझ बढ़ी, अविश्वास कम हुआ और समुदायों के बीच मजबूत संबंध बनाने में मदद मिली। "उड़ान" कार्यक्रम कश्मीर घाटी में युवाओं को कौशल विकास और नौकरी प्रशि...
9 अगस्त : काॅकोरी काँड और भारत छोड़ो आँदोलन

9 अगस्त : काॅकोरी काँड और भारत छोड़ो आँदोलन

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स्वाधीनता के सूर्योदय के लिये निर्णायक आँदोलन का उद्घोष --रमेश शर्मा भारत के स्वाधीनता आँदोलन 9 अगस्त वह ऐतिहासिक तिथि है जब स्वतंत्रता केलिये निर्णायक संघर्ष का उद्घोष हुआ था । इसलिए इसे अगस्त क्रान्ति कहा जाता है ।स्वाधिनता आँदोलन के इतिहास में यह नौ अगस्त की तिथि दो महत्वपूर्ण स्मृतियों से जुड़ी है । पहली तिथि 9 अगस्त 1925 है इसदिन क्राँतिकारी आँदोलन को गति देने केलिये काॅकोरी रेल्वे स्टेशन पर सरकारी खजाना लूटा गया था । और दूसरी तिथि 9 अगस्त 1942 है जब अहिसंक आँदोलन को निर्णायक स्वरूप देने के लिये अंग्रेजो भारत छोड़ो आँदोलन आरंभ हुआ था । इस आँदोलन का आव्हान गाँधी जी ने किया था पर एक रात पहले ही 8 अगस्त को गाँधी जी सहित सभी कांग्रेस नेता बंदी बना लिये गये थे इसलिए इस आँदोलन में अधिकांश भागीदारी जन सामान्य की थी । जन सामान्य की भागीदारी के कारण ही इस आँदोलन को अगस्त क्राँति नाम मिल...
भाजपा ही नहीं विपक्षी राज्यों में भी हुई हिंसा

भाजपा ही नहीं विपक्षी राज्यों में भी हुई हिंसा

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हिंसा के तरीके और प्रकृति लंबी तैयारियों और प्रशिक्षण का संकेत देते हैंअवधेश कुमार भाजपा शासित दो राज्यों मणिपुर तथा उसके बाद हरियाणा के नूंह और आसपास की भयानक हिंसा ने पूरे देश के सामूहिक मानस को हिला दिया है। एक प्रश्न आम लोग उठा रहे हैं कि आखिर भाजपा के राज्य में ही ऐसी ज्यादा हिंसा क्यों हो रही है? क्या वाकई भाजपा शासित राज्यों में ही ज्यादा हिंसा हो रही है?• भाजपा शासित राज्यों हरियाणा और मणिपुर के अलावा उत्तराखंड, गुजरात ,कर्नाटक, महाराष्ट्र में भी हमने सांप्रदायिक हिंसा की अग्नि जलती हुई देखी है। महाराष्ट्र में औरंगजेब के नाम पर हिंसा हो गई ।• दिल्ली की कानून व्यवस्था गृह मंत्रालय के तहत है। पिछले महीने मुहर्रम के दौरान हिंसा दिखी और अभी भी नागलोई में कई बसें क्षतिग्रस्त अवस्था में पड़ी हुई हैं। पिछले वर्ष हनुमान जयंती शोभा यात्रा के दौरान ऐसी हिंसा हुई कि जहांगीरपुरी मोहल्ला अभ...
मणिपुर हिंसा

मणिपुर हिंसा

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मणिपुर राज्य, हमारे पड़ौसी देश म्यांमार की सीमा से लगा हुआ भारत के उत्तर पूर्व में स्थित एक बहुत ही सुन्दर राज्य है। मणिपुर नाम दो शब्दों के योग से बना है - मणि + पुर, मणि का अर्थ अमूल्य तथा पुर का अर्थ स्थान होता है, अर्थात् मणिपुर का अर्थ है एक ऐसा स्थान जो अमूल्य है। यहाँ की अप्रितम सुन्दरता के कारण ही मणिपुर को ‘भारत का गहना‘ नाम से भी जाना जाता है। यहाँ आयुर्वेदिक औषधियों की प्रचुरता, अथाह शुद्ध जल की उपलब्धता, प्राकृतिक सुन्दरता की असीम कृपा आदि सभी कुछ ईश्वर द्वारा निशुल्क उपलब्ध कराया गया है। जहाँ चहुँ ओर प्राकृतिक संसाधनों का भंडार है, ऐसे प्रदेश में अशान्ति का प्रसार होना सम्पूर्ण भारत देश के लिए अत्यंत दुख का विषय है। दुख इस बात का भी है कि जो निवासी कभी परस्पर भाईचारे के साथ रहते थे, आज वहीं लोग एक-दूसरे को लूट रहे हैं, जला रहे हैं, खून के प्यासे हो गए हैं। हजारों प्रदेश व...
<strong>किसे नामंजूर है यूनिफॉर्म सिविल कोड ?</strong>

किसे नामंजूर है यूनिफॉर्म सिविल कोड ?

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आर.के.सिन्हा आप देख ही रहे होंगे कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी “समान नागरिक संहिता” को लागू करने की कोशिशें फिर से शुरू होते ही कठमुल्ला मुसलमान और कई तरह के राष्ट्र विरोधी और अलगाववादी तत्व लामबंद होने लगे हैं वे कहने लगे हैं कि वे इस कानून को कतई स्वीकार नहीं करेंगे।  इसके साथ ही वे भी इसका विरोध कर रहे हैं जो कुछ वर्षों से दलित-मुस्लिम एकता के बड़े पैरोकार होने का दावा करते हैं। अब उन्हें यह कौन बताए कि बाबा साहेब आंबेडकर ने यूनिफोर्म सिविल कोड को देश के लिये निहायत जरूरी बताया था। बाबा साहेब ने 23 नवंबर 1948 को संविधान सभा की बहस में यूनिफोर्म सिविल कोड के हक में जोरदार भाषण दिया था । जो मुसलमान मुस्लिम पर्सनल लॉ के लिए मरने-मारने की बातें कर रहे हैं, उनसे पूछा जाना चाहिए कि उन्हें शरीयत कानून इतना ही प्रिय है तो वे बैंकों से मिलने वाले ब्याज को ...
श्रीराम मंदिर ‘राष्ट्र मंदिर’ शिलान्यास के 03 वर्ष

श्रीराम मंदिर ‘राष्ट्र मंदिर’ शिलान्यास के 03 वर्ष

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प्रणय विक्रम सिंह आज का दिन भारत की आस्था, अस्मिता, स्वाभिमान और गौरव की पुनर्स्थापना का दिवस है। काल के कपाल पर मानव सभ्यता के सांस्कृतिक पुनर्जागरण के कालजयी प्रतीक के रूप में अंकित आज के दिन ही 03 वर्ष पूर्व श्रीरामजन्मस्थान पर भव्य-दिव्य राम मंदिर ‘राष्ट्र मंदिर’ का शिलान्यास हुआ था। यह सामान्य दिवस नहीं है, इसके लिए तो पांच शताब्दियों का अविराम संघर्ष, ‘अहिल्या’ सदृश प्रतीक्षा एवं घायल जटायु के समान आर्तनाद करती सांस्कृतिक चेतना की आहत हुंकार युगों से बांट जोह रही थी। पुत्र रक्त में नहाई हुई धर्मनगरी अयोध्या, आज सकल आस्था के केंद्र प्रभु श्रीरामलला के भव्य-दिव्य मंदिर निर्माण की गतिशीलता से स्वयं के संघर्ष को सुफलित होती देख रही है। आज आस्था के प्रांजल भाव से प्रेरित आत्मोत्सर्ग की अपरिमित भक्त शृंखलाओं की अकथनीय 'त्याग ऋचाएं' राम नगरी अयोध्या के उल्लासित वातावरण में स्प...
तो क्या विकास खाओगे ?

तो क्या विकास खाओगे ?

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क्या आप जानते हैं कि पिछले सात वर्षों में देश में अमरूद का उत्पादन 80 - 90% तक कम हो गया है! क्यों?पिछले तीन वर्ष में गेहूं का उत्पादन 20%, कपास का 30%, चीनी का 10% तक कम उत्पादन हो गया है। इस वर्ष मिर्ची, अदरक ,टमाटर, लीची और आम आधे ही हुए हैं तो सेब बड़ी मात्रा में गल गया है। धान भी 20 - 30 % तक कम होने का अनुमान है। इस कारण पशुओं को मिलने वाला चारा भी कम हो गया और दूध का उत्पादन भी 10 से 15% कम हो चुका है। जरा सोचिए, अगर यही क्रम कुछ और साल चला तो क्या होगा?देश बहुत तेज विकास कर रहा है। विश्व में सबसे तेज। पर जब भूख लगेगी तो क्या आप विकास को खा सकते हो ? कहीं अनाज, फल सब्जियों के कम उत्पादन का कारण तीव्र विकास और उससे उत्पन्न ग्लोबल वार्मिंग तो नहीं?ज़रा सोचिए कहीं अंधे कुँए में तो नहीं धकेले जा रहें हैं आप ? ...