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राहुल गांधी को राहत देने वाले जज गवई के पिता-भाई कांग्रेसी

राहुल गांधी को राहत देने वाले जज गवई के पिता-भाई कांग्रेसी

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नैतिकता का हनन या न्याय की जीत राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट के सुप्रीम ब्रम्हास्त्र से करेंगे मोदी का शिकार =================== आचार्य विष्णु हरि सरस्वती राहुल गांधी की राहत पर प्रश्न चिन्ह भी लगे हैं, कोई न्याय कह रहा है तो कोई नैतिकता का प्रश्न भी उठा रहा है। लोकतंत्र में सबको अपने-अपने विचार रखने की आजादी है। फिलहाल कांग्रेस को संजीवनी तो जरूर मिली हुई है, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के ब्रम्हास्त्र पर सवार होकर राहुल गांधी मोदी का राजनीतिक और चुनावी शिकार करेंगे? इस मिले अवसर का राहुल गांधी कितना लाभ उठायेंगे?राहुल गांधी को मोदी सरनेम वाले प्रकरण पर राहत देने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज बीआर गवई की परिवारिक पृष्ठभूमि कांग्रेसी रही है। गवई ने खुद कहा था कि उनके पिता कांग्रेसी थे, उनके पिता का कांग्रेस से लगाव सर्वश्रेष्ठ था, उनके भाई आज भी कांग्रेसी हैं। गवई के भाई कांग्र्रेस के स...
बढ़ते तापमान की गिरफ्त में उत्तरी गोलार्ध, बढ़ रहा गर्मी, लू और दावाग्नि का जोखिम

बढ़ते तापमान की गिरफ्त में उत्तरी गोलार्ध, बढ़ रहा गर्मी, लू और दावाग्नि का जोखिम

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बढ़ते तापमान के चलते अमेरिका से लेकर चीन तक पूरा उत्तरी गोलार्ध भीषण गर्मी और लू की चपेट में है। वहीं भारत, जापान, दक्षिण कोरिया ने बाढ़ के कहर का सामना किया By Lalit Maurya  बढ़ते तापमान के साथ धधकते जंगल, फोटो: आईस्टॉक अमेरिका से लेकर चीन तक पूरा उत्तरी गोलार्ध इन दिनों भीषण गर्मी और लू की चपेट में है। इसकी वजह से न केवल लोगों का स्वास्थ्य बल्कि पर्यावरण भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। इस बाबत विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने सोमवार को जानकारी साझा करते हुए लिखा है कि उत्तरी गोलार्ध का बड़ा हिस्सा भीषण गर्मी और लू की चपेट में है। इसकी वजह से भारी विनाश हुआ है, अनेक लोग हताहत हुए हैं, जबकि हजारो को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है। बढ़ते तापमान का असर न केवल धरती पर बल्कि समुद्रों को भी निशाना बना रहा है। गौरतलब है कि गत सप्ताह डब्ल...
राष्ट्र-चिंतन चीन की कब्र खोद रही है बीआरआई

राष्ट्र-चिंतन चीन की कब्र खोद रही है बीआरआई

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==================== आचार्य विष्णु हरि सरस्वती कहते हैं कि कुंआ कोई दूसरे लिए नहीं खोदता है, अपने लिए खोदता है, चीन ने एक ऐसा कुंआ खोदा था जिसमें डूबो कर भारत और अमेरिका को मारना चाहता था और भारत व अमेरिका की आर्थिक प्रगति के विस्तार को रोकना चाहता था, विध्वंस करना चाहता था, इतना ही नहीं बल्कि कूटनीति के क्षेत्र में वैश्विक वर्चस्व को स्थापित करना चाहता था। ऐसी अंहकार भरी और साजिश पूर्ण योजना के लिए बहुत बडे-बडे हथकंडे अपनाये गये थे, झूठ का बीजारोपन हुआ था, लालच दिखाया गया था, रातोरात आर्थिक शक्ति बनने का सपना दिखाया गया था। चीनी हथकंडे और लालच तथा साजिश में बहुत सारे देश शामिल हो गये, बहुत सारे देश अपनी अस्मिता और स्वतंत्रता की कीमत पर भी शामिल हो गये, यह देखने की कोशिश भी नहीं हुुई कि इस चीनी हथकंडे का कोई दुष्परिणाम भी हो सकता है, भविष्य में आर्थिक विध्वंस का कारण बनेगी, विकास को...
सांसदों और विधायकों के लिए ‘नो वर्क- नो पे’ की नीति लागू की जाए

सांसदों और विधायकों के लिए ‘नो वर्क- नो पे’ की नीति लागू की जाए

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केवल राजनेताओं को ही मजा क्यों लेना चाहिए? हम संसद में गतिरोध, व्यवधान देख रहे हैं और यह चलन बढ़ रहा है। राजनेता हमारे पैसे पर सवार हैं, अपना कर्तव्य पूरा नहीं कर रहे हैं, अपने निहित स्वार्थ के लिए संसद का कामकाज बंद कर रहे हैं, उन्हें बर्बाद किए गए समय के लिए पैसे का दावा करने का कोई अधिकार नहीं होना चाहिए। वेतन कटौती के साथ-साथ, उन्हें सत्र के दौरान मिलने वाली सभी सुविधाओं और सुविधाओं के भुगतान के लिए उत्तरदायी बनाया जाना चाहिए। व्यवधान और विवाद करने वालों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। यदि कोई अपने काम में ईमानदार नहीं है, तो उसे भुगतान क्यों किया जाएगा। उन्हें दंडित किया जाना चाहिए। सत्र के दौरान संसद अस्सी दिनों तक चलती है। प्रत्येक दिन मात्र छह घंटे काम होता है। अगर संसद पर होने वाले कुल सालाना खर्च को ध्यान में रखें तो सदन चलाने में हर मिनट का 2.5 लाख रुपए खर्च आता है। किसी भी तरह, प...
ज्ञानवापी मंदिर के बारे मे विस्तृत जानकारी।

ज्ञानवापी मंदिर के बारे मे विस्तृत जानकारी।

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पुराणों के अनुसार, ज्ञानवापी की उत्पत्ति तब हुई थी जब धरती पर गंगाजी नहीं थी तब भगवान शिव ने स्वयं अपने अभिषेक के लिए त्रिशूल चलाकर जल निकाला। यही पर भगवान शिव ने माता पार्वती को ज्ञान दिया। इसीलिए, इसका नाम ज्ञानवापी पड़ा और जहां से जल निकला उसे ज्ञानवापी कुंड कहा गया। ज्ञानवापी का उल्लेख हिंदू धर्म के पुराणों मे मिलता है तो फिर ये मस्जिद के साथ नाम कैसे जुड़ गया?वापी का अर्थ होता है कूप, बावडी़ । ज्ञानवापी का सम्पूर्ण अर्थ है ज्ञान का तालाब। काशी की छः वापियों का उल्लेख पुराणों मे भी मिलता है।पहली वापी: ज्येष्ठा वापी, जिसके बारे मे कहा जाता है की ये काशीपुरा मे थी, अब लुप्त हो गई है।दूसरी वापी: ज्ञानवापी, जो काशी विश्वनाथ मंदिर के उत्तर मे है।तीसरी वापी: कर्कोटक वापी, जो नागकुंआ के नाम से प्रसिद्ध है।चौथी वापी: भद्रवापी, जो भद्रकूप मोहल्ले मे है।पांचवीं वापी: शंखचूड़ा वापी, लुप्त हो...
मुंशी प्रेमचन्द की 144वीं जयन्ती – 31 जुलाई 2023

मुंशी प्रेमचन्द की 144वीं जयन्ती – 31 जुलाई 2023

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कलम को औजार बना लेने वाले प्रेमचन्द- ललित गर्ग- मुंशी प्रेमचंद की साहित्यकार, कहानीकार और उपन्यासकार के रूप में चर्चा इसलिये होती है कि उनकी कहानियां-उपन्यास जीवंत, अद्भुत एवं रोमांचकारी हैं, लेकिन एक बड़ा सच यह भी है कि उनके वास्तविक जीवन की घटनाएं उससे भी अधिक विलक्षण, प्रेरक एवं अविस्मरणीय हैं। वे अपनी जिन्दगी की किताब के किरदारों में कहीं अधिक सशक्त, साहसी, आन्दोलनकारी एवं प्रेरणादायी रहे हैं। बनारस के लमही में 31 जुलाई 1880 को पैदा हुए इस महान् लेखक-कहानीकार-पत्रकार ने अपनी रचनाओं के लिए ब्रिटिश हुकूमत की सजा भी भोगी, लेकिन पीछे नहीं हटे, अपना नाम भी बदला। उनकी पत्रकारिता भी क्रांतिकारी थी, लेकिन उनके पत्रकारीय योगदान को लगभग भूला ही दिया गया है। जंगे-आजादी के दौर में उनकी पत्रकारिता ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध ललकार की पत्रकारिता थी। वे समाज की कुरीतियों एवं आडम्बरों पर प्रहार करते...
नई शिक्षा नीति के तीन वर्ष और उच्च शिक्षा : न्यू नार्मल में एब्नार्मल

नई शिक्षा नीति के तीन वर्ष और उच्च शिक्षा : न्यू नार्मल में एब्नार्मल

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- अनुज अग्रवाल अभी हाल ही में मैं अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी के बारे में अपने परिचित से जानकारी ले रहा था जो वहाँ पढ़ रहा है।अमेरिका की टॉप 20 यूनिवर्सिटी में शामिल लगभग छ: हज़ार एकड़ में फैली इस यूनिवर्सिटी में तीन सौ से अधिक रिसर्च सेंटर व संस्थान हैं जिनमे 67 हज़ार से भी अधिक विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। फ़ीस के अतिरिक्त यूनिवर्सिटी के पास इतने प्रोजेक्ट कारपोरेट सेक्टर व सरकारों से आ जाते हैं कि वह पूर्णत: आत्मनिर्भर है। यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले एक छात्र के अनुसार " Great school with good professors, world class infrastructure , library & labs, fun social life, and lots of school spirit, excellent achievements of our people and for their contributions to society in the pursuit of education, research, and health care.Admission strictly on merit basis. Placement is good and The avera...
28 जुलाई 1891 : सुप्रसिद्ध शिक्षाविद् और समाजसेवी ईश्वर चंद्र विद्यासागर का निधन

28 जुलाई 1891 : सुप्रसिद्ध शिक्षाविद् और समाजसेवी ईश्वर चंद्र विद्यासागर का निधन

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भारतीय शिक्षण परंपरा और नारी सम्मान का अद्भुत अभियान चलाया --रमेश शर्मा उन्नीसवीं शताब्दी का आरंभ अंग्रेजों द्वारा भारतीय शिक्षा, संस्कृति, परंपरा और समाज के मानसिक दमन के अभियान का समय था । गुरुकुल नष्ट कर दिये गये थे, चर्च और वायबिल आधारित शिक्षा आरंभ करदी थी । ऐसे किसी ऐसे व्यक्तित्व की आवश्यकता थी । जो भारतीय समाज में आत्मविश्वास जगाकर अपने स्वत्व से जोड़ने का अभियान छेड़े। यही काम सुप्रसिद्ध शिक्षाविद, समाजसेवी ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने किया ।अंग्रेजों ने भारत की मूल संस्कृति, शिक्षा, समाज व्यवस्था और आर्थिक आत्मनिर्भरता को नष्ट करने में हीशअपनी सत्ता का सुरक्षित भविष्य समझा और इसकी तैयारी 1757 में प्लासी का युद्ध जीतने के साथ ही तैयारी आरंभ कर दी थी और 1773 के बाद चर्च ने भारत के सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और मानसिक दमन के लिये बाकायदा सर्वे किया और 1806 में दिल्ली पर अधिकार कर...
सर्वसेवा संघ: सत्य और झूठ

सर्वसेवा संघ: सत्य और झूठ

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- प्रो. रामेश्वर मिश्र पंकज महात्मा गांधी की मृत्यु के तत्काल बाद गांधी जी के प्रति श्रद्धाभाव रखने वाले और उनके आंदोलन से जुड़े सभी लोगों की एक बैठक हुई जिसमें स्वयं जवाहरलाल नेहरू, यू.एन. ढेबर, आचार्य विनोबा भावे आदि शामिल थे। इसमें गांधीजी की स्मृति में रचनात्मक कार्य जारी रखने के लिये एक गांधी स्मारक निधि के संग्रह का निर्णय लिया गया। वह निधि शासन में विराजमान श्ीार्ष लोगों की प्रेरणा से समाज से संचित हुई और वह एक बड़ी रकम हो गई। उससे गांधी स्मारक निधि एवं गांधी शांति प्रतिष्ठान नामक शोध केन्द्र का संचालन प्रारंभ हुआ। बाद में निधि की देशभर में लगभग 12 प्रमुख शाखायें हो गईं। जो दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई सहित अनेक महत्वपूर्ण नगरांे में हैं। शासन ने सब जगह उनके लिये भूमि एवं भवन सुलभ कराये। जो आज भी चल रहे हैं।इन्हीं लोगों ने निर्णय लिया कि रचनात्मक कार्यकर्ताओं का एक अलग संग...
और बेहतर होते भारत -श्रीलंका संबंध !

और बेहतर होते भारत -श्रीलंका संबंध !

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विश्व के दो प्रमुख देशों अमेरिका और फ्रांस के बाद अब भारत और श्रीलंका के संबंधों में मजबूती देखने को मिल रही है। जानकारी देना चाहूंगा कि आर्थिक संकटों का सामना करने के बाद पिछले दिनों ही श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे 20-21 जुलाई  2023 को दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर भारत आए थे। श्रीलंका के आर्थिक संकट का सामना करने के बाद यह उनकी पहली भारत यात्रा थी। वास्तव में,श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, जिन्होंने बतौर श्रीलंका के राष्ट्रपति अपना एक साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है,की भारत यात्रा से दोनों देशों के संबंध पहले से कहीं और अधिक मजबूत हुए हैं। दरअसल, दोनों देशों ने हाल ही में समग्र आर्थिक और रणनीतिक सहयोग बढ़ाने पर जोर देने के साथ साथ ही अनेक मामलों पर अहम बातचीत की है। विक्रमसिंघे की यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण  रही है क्यों कि विक्रमसिंघे ने चीन न जाकर भा...