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<strong>राजनीतिक चंदे की पारदर्शी व्यवस्था बनाना जरूरी</strong>

राजनीतिक चंदे की पारदर्शी व्यवस्था बनाना जरूरी

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- ललित गर्ग- वर्ष 2024 के आम चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आते जा रहे हैं,राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे का मुद्दा एक बार फिर गरमा रहा है। लोकतंत्र की एक बड़ी विसंगति या कहे समस्या उस धन को लेकर है, जो चुपचाप, बिना किसी लिखा-पढ़ी के दलों, नेताओं और उम्मीदवारों को पहुंचाया जाता है, यानी वह काला धन, जिससे देश के बड़े राजनीतिक आयोजन चलते हैं राजनैतिक रैलियां, सभाएं, चुनाव प्रचार होता है। उम्मीदवारों के साथ-साथ मतदाताओं को लुभाने एवं उन्हें प्रलोभन देने में इस धन का उपयोग होता है। जब से चुनावी बॉन्ड से राजनीतिक दलों को चंदा देने का प्रचलन शुरु हुआ है, राजनीतिक दलों को इससे मिलने वाली राशि में काफी इजाफा हुआ है। देश के सात राष्ट्रीय और चौबीस क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की ओर से सार्वजनिक किए गए आमदनी के ब्योरे से यह खुलासा हुआ है। एडीआर द्वारा किए गए इस ब्योरे के विश्लेषण से पता चला है कि वर्ष 2017-1...
क्यों पतियों को बीवी ‘नो-जॉब’ पसंद है ?

क्यों पतियों को बीवी ‘नो-जॉब’ पसंद है ?

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 इस पुरूष प्रधान समाज में महिलाओं को घर के अंदर समेटने का तरीका है उन्हें नौकरी न करने देना। पितृसत्ता के गुलाम लोगों को लगता है कि नौकरी करने अगर बहू घर के बाहर जाएगी, उसके हाथ में पैसे होंगे तो वो घर वालों को कुछ समझेगी नहीं। इसके पीछे की भावना होती है कि लड़की इंडिपेंडेंट होगी। वो अपने लिए खुद फैसले लेंगी और इससे उसपर उनका अधिकार कम होगा। लड़कियों और बहुओं को घर की इज्ज़त का नाम देकर घर में उनका जमकर शोषण किया जाता है। कई पुरुषों में यह सोच हावी है कि महिलाएं नौकरी करेंगी तो उनकी मोबिलिटी अधिक होगी, संपर्क अधिक बढ़ेगा। घर से बाहर निकल कर बाहर के पुरुषों से बात करेंगी। यह उन्हें बर्दाश्त नहीं होता है। पुरुषों को लगता है कि नौकरी करने पर महिलाएं उन पर आश्रित नहीं रहेंगी। वो खुद फैसले ले सकेंगी, उनकी चलेगी नहीं। इसलिए वो नौकरीपेशा महिलाओं को नहीं पसंद करते। -डॉ सत्यवान सौरभ ...
वैश्विकबाजारीशक्तियां सनातन भारतीय संस्कृति को प्रभावित करने का प्रयास कर रही हैं

वैश्विकबाजारीशक्तियां सनातन भारतीय संस्कृति को प्रभावित करने का प्रयास कर रही हैं

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सनातन भारतीय संस्कारों के अनुसार भारत में कुटुंब को एक महत्वपूर्ण इकाई के रूप में स्वीकार किया गया है एवं भारत में संयुक्त परिवार इसकी परिणती के रूप में दिखाई देते है। परंतु, पश्चिमी आर्थिक दर्शन में संयुक्त परिवार लगभग नहीं के बराबर ही दिखाई देते हैं एवं विकसित देशों में सामान्यतः बच्चों के 18 वर्ष की आयु प्राप्त करते ही, वे अपना अलग परिवार बसा लेते हैं तथा अपने माता पिता से अलग मकान लेकर रहने लगते हैं। इस चलन के पीछे संभवत आर्थिक पक्ष इस प्रकार जुड़ा हुआ है कि जितने अधिक परिवार होंगे उतने ही अधिक मकानों की आवश्यकता होगी, कारों की आवश्यकता होगी, टीवी की आवश्यकता होगी, फ्रिज की आवश्यकता होगी, आदि। लगभग समस्त उत्पादों की आवश्यकता इससे बढ़ेगी जो अंततः मांग में वृद्धि के रूप में दिखाई देगी एवं इससे इन वस्तुओं का उत्पादन बढ़ेगा। ज्यादा वस्तुएं  बिकने से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की लाभप्रदता में...
अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में लोहा मनवा रहा इसरो !

अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में लोहा मनवा रहा इसरो !

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हाल ही में 14 जुलाई का दिन इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने चंद्रयान- 3 को सफलतापूर्वक लांच कर दिया। इसरो के सभी वैज्ञानिकों को इसके लिए सर्वप्रथम हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। जानकारी देना चाहूंगा कि शुक्रवार की दोपहर यानी कि 14 जुलाई 2023 को 2 बजकर 35 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन सेंटर से इस मिशन के तहत चंद्रयान -3 को लांच कर दिया गया। भारत ऐसा देश है जिसने बहुत कम लागत और बहुत कम समय में यह कर दिखाया है कि उसके अंतरिक्ष कार्यक्रम किसी भी विकसित देश से कतई कमतर नहीं हैं। वास्तव में, दुनिया के जिन भी देशों ने अब तक चंद्रमा पर जो भी अन्वेषण कार्य किया है, वे अब तक उस तरह की उपलब्धि हासिल नहीं कर पाए हैं जो चंद्रयान अभियानों के दौरान भारत ने अर्जित की है। यह हमें गौरवान्वित करता है। यहां पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि इस ...
फ्रांस-भारत की दोस्ती से दुनिया की बेहतरी

फ्रांस-भारत की दोस्ती से दुनिया की बेहतरी

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ललित गर्ग- भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विदेश यात्राएं नये भारत-सशक्त भारत की इबारत लिखने के अमिट आलेख हैं। उनके नेतृत्व में उभरता नया भारत विकसित एवं विकासशील देशों के बीच सेतु बन रहा है। हाल ही में अमेरीका एवं मिस्र की ऐतिहासिक एवं सफल यात्राओं के बाद मोदी फ्रांस की दो दिवसीय यात्रा पर हैं। इस वर्ष भारत और फ्रांस के बीच राजनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं और मोदी का यह फ्रांस दौरा काफी अहम है। पिछले 25 वर्षों में दोनों देशों के बीच कई द्विपक्षीय समझौते हुए हैं लेकिन इस बार होने वाले समझौतों से दोस्ती का नया दौर शुरू होगा। भारत की विदेशों में बढ़ती साख को इस यात्रा से एक नई ऊंचाई मिलेगी। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भारतीय प्रधानमंत्री मोदी को फ्रांस के सर्वोच्च सम्मान ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर से सम्मानित किया। मोदी बैस्टिल दिवस परेड में मुख्य अतिथि...
गरीबी उन्मूलन एवं आर्थिक उन्नति के सुखद संकेत

गरीबी उन्मूलन एवं आर्थिक उन्नति के सुखद संकेत

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- ललित गर्ग-आजादी के अमृत काल में सशक्त भारत एवं विकसित भारत को निर्मित करते हुए गरीबमुक्त भारत के संकल्प को भी आकार देने के शुभ संकेत मिलने लगे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं उनकी सरकार ने वर्ष 2047 के आजादी के शताब्दी समारोह के लिये जो योजनाएं एवं लक्ष्य तय किये हैं, उनमें गरीबी उन्मूलन के लिये भी व्यापक योजनाएं बनायी गयी है। इससे पूर्व मं बनायी मोदी सरकार की योजनाओं के गरीबी उन्मूलन के चमत्कारी परिणाम आये हैं। हाल ही में जारी संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम व ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक अध्ययन रिपोर्ट में यह बताया गया कि पिछले पंद्रह वर्षों में भारत 41.5 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा के ऊपर उठाने में कामयाब हुआ है। निस्संदेह, यह खबर भारतीय अर्थव्यवस्था की सुखद तस्वीर पेश करती है। एक और दूसरी सुखद आर्थिक संकेत देने वाली खबर यह आयी है कि मशहूर वित्तीय एजेंसी गोल्डमेन सैक्स के अनुसार भार...
<strong>सावन यानी शिव को रिझाने का समय</strong>

सावन यानी शिव को रिझाने का समय

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आर.के. सिन्हा सावन का पहला सोमवार बीती 10 जुलाई को पूरी आस्था के साथ मनाया गया। देशभर के शिवालयों में सुबह चार बजे से बारह बजे रात्रि तक तमाम भक्त आते रहे। सूरज की पहली किरण फूटने से पहले ही भक्तों  का तांता मंदिरों में लग गया था। शिव का जीवन ही इस बात का प्रतीक है कि प्रकृति से तालमेल स्थापित कर ही जीवन में सुख-शांति, सरलता, सादगी, शौर्य, योग, अध्यात्म सहित कोई भी उपलब्धि हासिल की जा सकती है। आषाढ़ मास से ही वर्षा ऋतु की शुरूआत होती है। श्रावण मास आते-आते चारों तरफ हरियाली छा जाती है। यह सभी के मन को लुभाने वाली होती है। श्रावण मास में प्रकृति का अनुपम सौंदर्य देखते ही बनता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे चारों तरफ बसंत ऋतु ही छाई हुई है। संंसार के प्राणियों में नई उमंग व नव जीवन का प्रसार होने लगता है। प्रकृति की अनुपम छठा को देखकर भ...
लैंगिक समानता : भारत बहुत पीछे है

लैंगिक समानता : भारत बहुत पीछे है

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इंदौर के मेरे कुछ मित्र संसद में लम्बित “महिला आरक्षण बिल” को लेकर चिंतित हैं । वे सेमिनार, प्रकाशन और जाने क्या-क्या कर रहे हैं और गांधीवादी तरीक़े से आगे भी कुछ करना चाहते हैं । मुझे तो लगता है भारत का नज़रिया इस लैंगिक समानता के मुद्दे पर बदल रहा है और महिलाओं के पक्ष में दूर से दूर होता जा रहा है। बानगी के लिए देखिए भारत के कुल राजदूतों में से महज 13 प्रतिशत महिलाएं हैं, जबकि वर्ष 2021 में यह संख्या 17.4 प्रतिशत थी। जाहिर है, इस सन्दर्भ में हम वैश्विक औसत से बहुत दूर हैं और मध्य-पूर्व के देशों के समक्ष खड़े हैं। लैंगिक समानता के हरेक आयाम में भारत दुनिया के सबसे असमान देशों के साथ ही खड़ा रहता है। यूनाइटेड अरब एमिराट्स की संस्था, अनवर गर्गाश डिप्लोमेटिक अकैडमी की रिपोर्ट मेरे सामने है , यह संस्था वीमेन इन डिप्लोमेसी इंडेक्स प्रकाशित करता है। इसके 2023 वीमेन इन डिप्लोमेसी इंडेक्...
राजनीतिक वादे और सुप्रीम कोर्ट की चिंता

राजनीतिक वादे और सुप्रीम कोर्ट की चिंता

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मध्यप्रदेश सहित पाँच राज्य विधानसभा चुनाव की दहलीज़ पर खड़े हैं। इन राज्यों में एक समान नौटंकी शुरू होने जा रही है, वादों की नौटंकी। यह विडंबना ही है कि जनता के हितों की दुहाई देकर सत्ता में आने पर राजनीतिक दलों द्वारा किए गये वादे और प्राथमिकताएं बदल जाती हैं। वे दावे तो आसमान से तारे तोड़ लाने के करते हैं लेकिन जमीनी हकीकत निराशाजनक ही होती है। दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि थोड़े से काम को इस तरह प्रचारित किया जाता है जैसे धरती पर स्वर्ग उतर आया हो। जबकि हकीकत में जनता के करों से अर्जित धन को निर्ममता से प्रचार-प्रसार में उड़ाया जाता है। विकास की प्राथमिकताओं को नजरअंदाज करके सरकारी धन को विज्ञापनों व फिजूलखर्ची में उड़ाने वाली एक राज्य सरकार, दिल्ली सरकार की कारगुजारियों पर शीर्ष अदालत की फटकार को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए। अदालत ने सख्त लहजे में कहा भी कि ऐसा क्यों है कि ...
डाइलॉग इंडिया एकेडेमिया – इंडस्ट्री कांक्लेव एवं इंटरनेशनल एकेडेमिया अवार्ड -2023

डाइलॉग इंडिया एकेडेमिया – इंडस्ट्री कांक्लेव एवं इंटरनेशनल एकेडेमिया अवार्ड -2023

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Dialogue India Academia - Industry Conclave & International Academia Award -2023 Serious dialogue, important suggestions and awards to leading institutions of private higher education and business sector Dialogue India Academia International Award on the basis of ranking of many popular educational institutions of the country for better performance in the field of education by the country's popular magazine Dialogue India and Business Connect in collaboration with PHD Chamber of Commerce and Industry in Delhi's PHD Chamber - Awarded from 2023. Chandigarh University, Amity University, GLA University, Chitkara University, Modi University of Science and Technology, Era Medical College University, Mewar University AKG Engineering College etc. topped the country in various categorie...