Shadow

राष्ट्रीय

सब क्रिएटर बन गये तो दर्शक कौन

सब क्रिएटर बन गये तो दर्शक कौन

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
याद कीजिए,वर्ष 1995 में जब इंटरनेट की शुरुआत हुई या 1990 के दशक के अंत में गूगल सर्च या 2005 में यूट्यूब के साथ स्ट्रीमिंग वीडियो आया तब बहुत सी बातें इतनी स्पष्ट और आम नहीं थीं।यहां तक कि जब सोशल मीडिया जैसे कि फेसबुक (2004) और ट्विटर (2006 में अब एक्स) ने दस्तक दी थी तब भी चीजें इतनी स्पष्ट नहीं थीं। इसका सार यह है कि अब यह वैश्विक मीडिया अर्थव्यवस्था के कारोबारी और रचनात्मक दोनों हिस्सों को प्रभावित कर रहा है। इन सभी बदलावों में से दो बड़े बदलाव अब स्पष्ट रूप से दिख रहे हैं। पहला- कलाकारों और दर्शकों को अलग करने वाली सभी बाधाओं को खत्म करना है। जब भी कोई फिल्म रिलीज होती है या कोई शो आता है तब एक्स या इंस्टाग्राम पर आपको जबरदस्त तरीके से मीम, कमेंट, समीक्षाएं देखने को मिलती हैं। अधिकांशतः आम लोग यह बताने में बहुत खुशी महसूस करते हैं कि उन्हें किसी किताब, नाटक या कलाकृति में क्या...
International Conference on eimagining Smart Libraries

International Conference on eimagining Smart Libraries

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, प्रेस विज्ञप्ति, राष्ट्रीय
A two-day international conference on ‘Reimagining Smart Libraries’ was organised by IILMUniversity and HLA, powered by the Library Professionals Foundation, on May 10–11, 2024, atIILM University, Gurugram, Haryana, India. The main objective of the conference was to providea platform for participants from companies, business organisations, academicians, researchscholars, and students to discuss emerging technologies, innovation, and knowledge creation inlight of the challenges of converting things and reimagining smart libraries.The conference started with the welcome of dignitaries and invited all the dignitaries for thelighting of lamps and Saraswati Vandana as a pious beginning.The two-day sangam of intellectuals to do the manthan for reimagination of libraries startedwith the inaugura...
हाशिये पर जाती बहुजन समाज पार्टी

हाशिये पर जाती बहुजन समाज पार्टी

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
आर.के. सिन्हा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपनी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक के पद से हटा दिया है। छह महीने पहले ही उन्होंने आकाश को धूमधाम से अपना उत्तराधिकारी  भी घोषित किया था।  उन्होंने कहा कि आकाश तब तक उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी नहीं बन सकते ,  जब तक वे "पूरी तरह परिपक्व" नहीं हो जाते। आकाश आनंद बीते उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के शुरुआती दो चरणों में बसपा के प्रचार अभियान का मुख्य चेहरा थे। उनके भाषणों में भाजपा और समाजवादी पार्टी (सपा) पर तीखे हमले किए गए थे। अप्रैल में सीतापुर में एक चुनावी रैली के दौरान कथित रूप से आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने के लिए उनके खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया था। मायावती को लगता है कि ये भाषण पार्टी द्वारा निर्धारित नियमों और नीतियों से भटक गए थे। मायावती के इस तरह के अचानक फैसले पहले...
विवाह की गरिमा का अर्थ

विवाह की गरिमा का अर्थ

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
विवाह की गरिमा का अर्थ आधुनिक और प्रगतिशील होने का दम्भ भरने वाले भारतीय समाज के एक बड़े धड़े को देश की शीर्ष अदालत ने आईना दिखाया है। देश की शीर्ष अदालत को विवाह जैसे बेहद व्यक्तिगत मामले में परामर्श देना पड़ा है, तो इसका अभिप्राय यही है कि इसके मूल स्वरूप से तेजी से खिलवाड़ हो रहा है। अदालत को सख्त लहजे में यहां तक कहना पड़ा कि विवाह यदि सप्तपदी यानी फेरे जैसे उचित संस्कार और जरूरी समारोह के बिना होता है तो वह अमान्य ही होगा। निश्चित रूप से अदालत ने यह बताने का प्रयास किया कि इन जरूरी परंपराओं के निर्वहन से ही विवाह की पवित्रता और कानूनी जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। हाल के वर्षों में विवाह समारोहों के आयोजन में पैसे के फूहड़ प्रदर्शन व तमाम तरह के आडंबरों को तो प्राथमिकता दी जा रही है, लेकिन परंपरागत हिंदू विवाह के तौर-तरीकों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। आज से कुछ दशक...
सिर्फ हिन्दुओं की जातियों की  चर्चा करने वाले कौन?

सिर्फ हिन्दुओं की जातियों की  चर्चा करने वाले कौन?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
सिर्फ हिन्दुओं की जातियों की  चर्चा करने वाले कौन? आर.के. सिन्हा हर बार की तरह इस लोकसभा चुनाव में भी अपने को राजनीति का विद्वान बताने वाले ज्ञानियों ने किस संसदीय क्षेत्र में किसके हक में बयार बह रही है , इस विषय पर लिखना-बताना शुरू कर दिया है। वे अपना विश्लेषण रखते हुए बताते हैं कि वहां ( उस संसदीय क्षेत्र में ) इतने फीसद क्षत्रिय, ब्राह्मण, दलित, पिछड़े, अति पिछड़े, यादव वगैरह हैं। यहां तक तो सब ठीक है। पर जातियों का गणित बताने वाले मुसलमानों, सिखों, ईसाइयों की जातियों पर मौन ही रहते हैं। उन्हें जातियों के कोढ़ के बारे में सिर्फ हिन्दुओं की ही चर्चा करनी होती है। उन्हें लगता है कि मानों जातियां सिर्फ हिन्दू धर्म में ही हैं। जैसे कि बाकी धर्मावलंबी  किसी जात-पात में यकीन नहीं करते। इससे एक बात बहुत साफ हो जानी चाहिए हमारे &nbs...
लोकसभा चुनाव में मुद्दों को नया विमर्श दें

लोकसभा चुनाव में मुद्दों को नया विमर्श दें

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
- ललित गर्ग - लोकसभा चुनावों के प्रचार अभियान में एक आवाज बहुत धीमी पर एक वजन और पीड़ा के साथ सुनने को मिल रही है कि इस चुनाव को येन-केन-प्रकारेण जीतने के सभी जायज एवं नाजायक प्रयोग हो रहे हैं, लेकिन नैतिकता, मूल्य एवं आदर्श की बात कहीं भी सुनाई नहीं दे रही है। देश का राजनीतिक भविष्य तय करने वाले इन चुनावों में एक और विडम्बना देखने को मिल रही है कि राष्ट्र विकास के मुद्दों एवं आजादी के अमृतकाल को अमृतमय बनाने की कोई चर्चा नहीं है। देश को दिशा देने एवं कोई नया विमर्श खड़ा करने का नेताओं के पास अभाव है, जो अपने-आप में एक त्रासदी है। मतदाताओं की लोकतंत्र के महाकुंभ में भागीदारी का घटना भी एक चिन्ता का सबब है। जबकि किसी भी राष्ट्र के जीवन में चुनाव सबसे महत्त्वपूर्ण घटना होती है। यह एक यज्ञ होता है। लोकतंत्र प्रणाली का सबसे मजबूत पैर होता है।विभिन्न राजनीतिक दल आरक्षण का मुद्दा खड़ा करके ज...
<strong><em><u>क्यों श्रेष्ठ कॉलेज खोलें गांवों में स्कूल</u></em></strong>

क्यों श्रेष्ठ कॉलेज खोलें गांवों में स्कूल

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
क्यों श्रेष्ठ कॉलेज खोलें गांवों में स्कूल या  क्यों चौ. छोटू राम- सीएफ एंड्रूज के कॉलेज का स्कूल खोलना खास आर.के. सिन्हा कभी विचार कीजिए कि किसी स्कूल या कॉलेज को किस आधार पर श्रेष्ठ कहा जाना चाहिए?  बेशक, इसका एकमात्र पैमाना यही हो सकता है कि उस शिक्षण संस्थान ने अपने विद्यार्थियों को इस तरह के संस्कार दिए जिसके चलते उन्होंने आगे चलकर बेहतर नागरिक बनकर देश और समाज की सेवा की। इसका एक पैमाना यह भी हो सकता है कि क्या उसने ( शिक्षण संस्थान) ने अपना विस्तार किया ? विस्तार से मतलब है कि क्या उसने अपनी कोई अन्य शाखा भी खोली और वहां का शिक्षण भी श्रेष्ठ और स्तरीय रहा । बेशक, इस मोर्चे पर दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज का नाम लेना होगा। सेंट स्टीफंस कॉलेज को गांधी जी के परम सहयोगी दीनबंधु सी.एफ.एंड्रूज की संस्था दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी ने स्थापित किया था।...
ईवीएम की बची इज़्ज़त

ईवीएम की बची इज़्ज़त

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
हर चुनाव में नेताओं से ज्यादा EVM की इज्जत दांव पर लगी होती है. हर जीत EVM की कारीगरी बताई जाती है. लोकतंत्र की जीत को EVM की जीत बताया जाता है. EVM को बदनाम किया जाता है. चुनाव दर चुनाव EVM पर परिपक्वता बढ़ने की बजाय शंका और अविश्वास बढ़ाया जाता है. लोकसभा चुनाव में तो लगभग सभी विपक्षी दलों ने बैलेट पेपर की पद्धति से चुनाव कराने की मंशा जाहिर की. कई बड़े नेताओं ने तो इतनी संख्या में निर्दलीय प्रत्याशी उतारने तक की जुगाड़ लगाई, ताकि EVM मशीन की तकनीकी क्षमता समाप्त हो जाए और चुनाव बैलेट पेपर पर हो जाए. देश में शंका का ऐसा वातावरण बनाया गया, कि जैसे EVM के जरिए चुनाव परिणामों को मैनेज किया जाता है. सर्वोच्च न्यायालय में बैलेट पेपर से मतदान के मांग की याचिका डाली गई. EVM और VVPAT पर्चियां का शत प्रतिशत मिलान करने की याचिकाएं पेश की गईं. सर्वोच्च न्यायालय ने बारीकी से EVM की शुद्धता और न...
<strong>क्या कांग्रेस को लड़ने के लिए उम्मीदवार नहीं मिले</strong>

क्या कांग्रेस को लड़ने के लिए उम्मीदवार नहीं मिले

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
आर.के. सिन्हा लोकसभा चुनाव का सारे देश में माहौल बन चुका है और इस दौरान एक बात पर राजनीति की गहरी समझ रखने वाले ज्ञानियों को गौर करना होगा कि कांग्रेस लगभग 330 सीटों पर ही क्यों चुनाव लड़ रही है। 543 सदस्यों वाली लोकसभा में सरकार बनाने का ख्वाब देखनी वाली कांग्रेस के इतने कम सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ी करने की क्या वजह है? क्या उसे कायदे के उम्मीदवार नहीं मिले ?  कांग्रेस ने 1999 के लोकसभा चुनाव में 529 उम्मीदवार उतारे थे। उसके बाद  1998 में 477,1999 में 453, 2004 में 417, 2009 में 440, 2014 में 464 और 2029 में 421 उम्मीद उतारे। इस बार कांग्रेस के उम्मीदवारों की तादाद में पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में भारी गिरावट होने जा रही है। कांग्रेस के नेता लाख तर्क दें कि उनकी पार्टी क्यों कम सीटों पर उम्मीदवारों को उतार रही है, पर सच यही है कि सन...
<strong>वित्तीयवर्ष 2023-24 मेंभारतकाव्यापारघाटा 36 प्रतिशतकमहुआ</strong>

वित्तीयवर्ष 2023-24 मेंभारतकाव्यापारघाटा 36 प्रतिशतकमहुआ

BREAKING NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, राष्ट्रीय
विदेशी व्यापार के क्षेत्र में भारत के लिए एक बहुत अच्छी खबर आई है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान  भारत के व्यापार घाटे में 36 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई है। यह विशेष रूप से भारत में आयात की जाने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं में की गई कमी के चलते सम्भव हो सका है। केंद्र सरकार लगातार पिछले 10 वर्षों से यह प्रयास करती रही है कि भारत न केवल विनिर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बने बल्कि विदेशों से आयात की जाने वाली वस्तुओं का उत्पादन भी भारत में ही प्रारम्भ हो। अब यह सब होता दिखाई दे रहा है क्योंकि भारत के आयात तेजी से कम हो रहे हैं एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, रूस-यूक्रेन युद्ध, इजराईल-हम्मास युद्ध, लाल सागर व्यवधान, पनामा रूट पर दिक्कत के साथ ही वैश्विक स्तर पर मंदी के बावजूद एवं विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं के हिचकोले खाने के बावजूद भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात में मामूली बढ़ौतरी...