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न्यू इंडिया’ को ‘स्वस्थ भारत’ में बदलेंगे आयुर्वेद और योग।

न्यू इंडिया’ को ‘स्वस्थ भारत’ में बदलेंगे आयुर्वेद और योग।

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आयुर्वेद और योग ने प्राचीन भारतीय विज्ञान के रूप में 5000 साल पहले अपनी यात्रा शुरू की थी। जबकि सिद्ध दक्षिण भारत में लोकप्रिय दवाओं की प्राचीन प्रणालियों में से एक है, यूनानी, चिकित्सा की पारंपरिक प्रणाली की उत्पत्ति प्राचीन ग्रीस में हुई है। आयुष अपने नागरिकों के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल और चिकित्सा देखभाल प्रदान करके 'न्यू इंडिया' के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। 'न्यू इंडिया' को 'स्वस्थ भारत' भी होना चाहिए, जहां उसकी अपनी पारंपरिक प्रणालियां महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें। ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन जामनगर, गुजरात दुनिया भर में पारंपरिक चिकित्सा के लिए पहला और एकमात्र वैश्विक चौकी केंद्र होगा। -प्रियंका सौरभ आयुष उन चिकित्सा प्रणालियों का संक्षिप्त रूप है जिनका भारत में अभ्यास किया जा रहा है जैसे आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यू...
दक्षिण अफ्रीका चुनावों मेंभारतवंशियों ने गाड़े झंडे

दक्षिण अफ्रीका चुनावों मेंभारतवंशियों ने गाड़े झंडे

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आर.के. सिन्हा भारत के लोकसभा चुनावों के नतीजे बीती 4 जून को आए और दक्षिण अफ्रीका के उससे मात्र दो दिन पहले 2 जून को। दोनों देशों में मिली-जुली सरकारें बन गई हैं। दक्षिण अफ्रीका से भारत सिर्फ इसलिए ही अपने को भावनात्मक रूप से जोड़कर नहीं देखता है, क्योंकि वहां लगभग 21 सालों तक गांधी जी रहे। वहां रहकर उन्होंने भारतवंशियों और बहुसंख्यक अश्वेत आबादी के हक में लड़ाई लड़ी। दक्षिण अफ्रीका भारत के लिए इसलिए भी विशेष है, क्योंकि वहां पर करीब 15-16 लाख भारतवंशी बसे हुए हैं। संसार के शायद ही किसी अन्य देश में इतने भारतवंशी हों। दक्षिण अफ्रीका में भारत मूल के लोग जीवन के हर क्षेत्र में अपनी ठोस उपस्थिति दर्जा करा रहे हैं। दक्षिण अफ़्रीका की संसद के लिए हुए हालिया चुनाव में भारतीय मूल के बहुत से उम्मीदवार विभिन्न राजनीतिक दलों से अपना भाग्य आ...
भीषण गर्मी से खुला काम करने वाले मजदूरों को सबसे ज्यादा नुकसान क्यों ?

भीषण गर्मी से खुला काम करने वाले मजदूरों को सबसे ज्यादा नुकसान क्यों ?

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भारत में हाल ही में आई भीषण गर्मी से डेली वर्कर्स, विशेषकर डिलीवरी कर्मियों, ईंट-भट्ठों पर काम करने वालों और दिहाड़ीदार मजदूरों के लिए कामकाजी परिस्थितियां गंभीर हो गई हैं। भीषण गर्मी ने खुला काम करने वाले  वर्कर्स के लिए कठोर कार्य स्थितियों और उनके सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर किया है। इस भीषण गर्मी में कई लोग खुले वातावरण और गर्म मौसम में काम करने के लिए मजबूर हैं। अगर वे काम नहीं करेंगे, तो उनके घर खाना नहीं पकेगा। यह उनके जीवन-यापन का एकमात्र साधन है। ऐसे  लोग अक्सर काफी गरीबी में जीने के लिए विवश होते हैं। साफ पानी जैसी आधारभूत सुविधाओं से वंचित झुग्गियों के घर टिन या तारपोलिन की छतों के नीचे तपती गर्मी झेलते हैं। चूंकि ये काम ज्यादातर खुले वातावरण में ही करने पड़ते हैं, तो भीषण गर्मी में इन लोगों के बीमार पड़ने का खतरा भी ज्यादा रहता है।इनकी ज...
भारतीय रेल: मंत्रि जी कृपया ध्यान दें!

भारतीय रेल: मंत्रि जी कृपया ध्यान दें!

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भारतीय रेल: मंत्रि जी कृपया ध्यान दें!रजनीश कपूरशायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसने कभी ना कभी रेल यात्रा न की हो। रेलवे स्टेशन पर सुनाई देने वाली घोषणा कीशुरुआत ‘यात्रीगण कृपया ध्यान दें’ से ही होती है। इसका उद्देश्य सभी मौजूद यात्रियों का ध्यान आकर्षित करना होता है। यहतो हुई एक साधारण बात। परंतु बीते कुछ वर्षों में हो रहे रेल हादसों के बाद से अब इस घोषणा का सीधा सम्बंध भारतीयरेल से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े मंत्रियों और अफ़सरों से है। बढ़ते हुए रेल हादसों के चलते अब भी अगर संबंधित मंत्रीऔर अधिकारी नहीं जागेंगे तो कब जागेंगे?देश की जीवन रेखा माने जाने वाली भारतीय रेल हर ख़ास-ओ-आम आदमी के लिए देश के किसी भी कोने से दूसरे कोने तकयात्रा करने का सस्ता और भरोसेमंद साधन है। हर यात्री को इस बात का भरोसा होता था कि देर-सेवर वो अपने गंतव्य तकपहुँच ही जाएगा। ज्यों-ज्यों देश की आबादी बढ़ी...
सफल भी एवं सक्षम भी होगी मोदी की तीसरी पारी

सफल भी एवं सक्षम भी होगी मोदी की तीसरी पारी

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-ः ललित गर्ग:-एक और इतिहास रचते हुए नरेन्द्र मोदी ने तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। इसके साथ ही वह पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद लगातार तीसरा कार्यकाल हासिल करने वाले पहले प्रधानमंत्री बन गए। यह देश ही नहीं दुनिया के लिए एक अद्भुत एवं विलक्षण राजनीतिक घटना है, क्योंकि दुनिया में बहुत कम शासनाध्यक्षों को यह सौभाग्य प्राप्त हुआ। मोदी के इस तीसरे कार्यकाल पर देश-दुनिया की नजरें इसलिये भी टिकी हैं कि मोदी सरकार 3.0 का अजेंडा पिछली गठबंधन सरकारों से अलग होकर भी सशक्त है। 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को लेकर काम करने वाली इस सरकार में 71 मंत्रियों ने प्रधानमंत्री के साथ शपथ ली। मोदी के करिश्माई नेतृत्व में पिछले दस साल में देश को विकास के कहीं ज्यादा ऊंचे मुकाम पर खड़े करते हुए दुनिया को चौंकाया है। 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से हम पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ब...
कैसे नरेन्द्र मोदी ने जीता देश की जनता का अभूतपूर्व विश्वास

कैसे नरेन्द्र मोदी ने जीता देश की जनता का अभूतपूर्व विश्वास

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आर.के. सिन्हा लोकसभा चुनाव के 4 जून को आने वाले नतीजों से पहले एग्जिट पोल के अनुमान तो आ गए हैं। वे कमोबेश वैसे ही हैं जैसा कि मैंने अपने कई पूर्व के लेखों में लिखा है। उन्होंने बहुत साफ संकेत दे दिया है कि देश में तीसरी बार नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की ही सरकार बनने जा रही है। एग्जिट पोल के अनुमानों से साफ है कि नरेन्द्र मोदी आज देश के एकछत्र नेता बन चुके हैं। अब बड़ा सवाल यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जनता का इतना अभूतपूर्व विश्वास कैसे मिलने लगा है? अगर आप इस सवाल का उत्तर तलाशेंगे तो आपको पता चलेगा कि एक वे अपने वादों को सही ढंग से समय सीमा के अन्दर ही पूरा करते हैं। "मोदी की गारंटी" विभिन्न क्षेत्रों, नागरिकों और योजनाओं में किए गए वादों की एक विस्तृत श्रृंखला को कवर करती है। "मोदी की गारंटी" का अर्थ ही है लोगों के कल्याण के प्रति दृढ़ प्रत...
दहेज की सूची का पंजीकरण

दहेज की सूची का पंजीकरण

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दहेज की सूची का पंजीकरण**********_-राजेश बैरागी-_क्या शादी ब्याह में दिए और लिए जाने वाले उपहार आदि की सूची को पंजीकृत दस्तावेज बना देने से वैवाहिक विवादों पर अंकुश लगाया जा सकता है?शादी ब्याह में उपहार और नकदी के रूप में दिए और वसूले जाने वाले दहेज को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक आदेश से संस्थागत रूप मिल गया है।अब दुल्हा-दुल्हन दोनों पक्षों को लिखित में यह घोषित करना होगा कि उनके बीच कितने और कैसे उपहार आदि का लेन-देन हुआ है।हालांकि अभी यह केवल उन शादी ब्याहों पर लागू होगा जो हिंदू विवाह पंजीयक के यहां पंजीकृत होंगे।जो शादी पंजीकृत नहीं होंगी,उनका क्या होगा? और शादी पंजीकरण के समय प्रस्तुत की जाने वाली सूची क्या वैवाहिक संबंधों में दिए जाने वाले उपहार और नकदी की अंतिम सूची हो सकती है? मैं वर्षों से शादी ब्याह के समय समाज के समक्ष गर्व के साथ पढ़ी जाने वाली दहेज की सूची को दो प्रतियों में...
सब क्रिएटर बन गये तो दर्शक कौन

सब क्रिएटर बन गये तो दर्शक कौन

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याद कीजिए,वर्ष 1995 में जब इंटरनेट की शुरुआत हुई या 1990 के दशक के अंत में गूगल सर्च या 2005 में यूट्यूब के साथ स्ट्रीमिंग वीडियो आया तब बहुत सी बातें इतनी स्पष्ट और आम नहीं थीं।यहां तक कि जब सोशल मीडिया जैसे कि फेसबुक (2004) और ट्विटर (2006 में अब एक्स) ने दस्तक दी थी तब भी चीजें इतनी स्पष्ट नहीं थीं। इसका सार यह है कि अब यह वैश्विक मीडिया अर्थव्यवस्था के कारोबारी और रचनात्मक दोनों हिस्सों को प्रभावित कर रहा है। इन सभी बदलावों में से दो बड़े बदलाव अब स्पष्ट रूप से दिख रहे हैं। पहला- कलाकारों और दर्शकों को अलग करने वाली सभी बाधाओं को खत्म करना है। जब भी कोई फिल्म रिलीज होती है या कोई शो आता है तब एक्स या इंस्टाग्राम पर आपको जबरदस्त तरीके से मीम, कमेंट, समीक्षाएं देखने को मिलती हैं। अधिकांशतः आम लोग यह बताने में बहुत खुशी महसूस करते हैं कि उन्हें किसी किताब, नाटक या कलाकृति में क्या...
International Conference on eimagining Smart Libraries

International Conference on eimagining Smart Libraries

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A two-day international conference on ‘Reimagining Smart Libraries’ was organised by IILMUniversity and HLA, powered by the Library Professionals Foundation, on May 10–11, 2024, atIILM University, Gurugram, Haryana, India. The main objective of the conference was to providea platform for participants from companies, business organisations, academicians, researchscholars, and students to discuss emerging technologies, innovation, and knowledge creation inlight of the challenges of converting things and reimagining smart libraries.The conference started with the welcome of dignitaries and invited all the dignitaries for thelighting of lamps and Saraswati Vandana as a pious beginning.The two-day sangam of intellectuals to do the manthan for reimagination of libraries startedwith the inaugura...
हाशिये पर जाती बहुजन समाज पार्टी

हाशिये पर जाती बहुजन समाज पार्टी

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आर.के. सिन्हा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपनी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक के पद से हटा दिया है। छह महीने पहले ही उन्होंने आकाश को धूमधाम से अपना उत्तराधिकारी  भी घोषित किया था।  उन्होंने कहा कि आकाश तब तक उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी नहीं बन सकते ,  जब तक वे "पूरी तरह परिपक्व" नहीं हो जाते। आकाश आनंद बीते उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के शुरुआती दो चरणों में बसपा के प्रचार अभियान का मुख्य चेहरा थे। उनके भाषणों में भाजपा और समाजवादी पार्टी (सपा) पर तीखे हमले किए गए थे। अप्रैल में सीतापुर में एक चुनावी रैली के दौरान कथित रूप से आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने के लिए उनके खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया था। मायावती को लगता है कि ये भाषण पार्टी द्वारा निर्धारित नियमों और नीतियों से भटक गए थे। मायावती के इस तरह के अचानक फैसले पहले...