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मातृभाषा सांस्कृतिक और भावात्मक एकता का माध्यम

मातृभाषा सांस्कृतिक और भावात्मक एकता का माध्यम

EXCLUSIVE NEWS, राष्ट्रीय, सामाजिक
अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस- 21 फरवरी, 2023 पर विशेष-ः ललित गर्ग :-दुनिया भर में भाषा की सांस्कृतिक परंपराओं के बारे में पूरी जागरूकता विकसित करने, उसकी समझ और संवाद के आधार पर एकजुटता को प्रेरित करते हुए मातृभाषा को बढ़ावा देने के लिये यूनेस्को द्वारा हर वर्ष 21 फरवरी को विश्व मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है कि विश्व में भाषाई एवं सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषिता को बढ़ावा देना। यूनेस्को द्वारा अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की घोषणा से बांग्लादेश के भाषा आन्दोलन दिवस को अन्तरराष्ट्रीय स्वीकृति मिली, जो बांग्लादेश में सन् 1952 से मनाया जाता रहा है। बांग्लादेश में इस दिन एक राष्ट्रीय अवकाश होता है। 2008 को अन्तरराष्ट्रीय भाषा वर्ष घोषित करते हुए, संयुक्त राष्ट्र आम सभा ने अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के महत्व को फिर दोहराया है। 2023 के अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा द...
कांग्रेस क्या करे तो बचे ?

कांग्रेस क्या करे तो बचे ?

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डॉ. वेदप्रताप वैदिक कांग्रेस पार्टी का वृहद अधिवेशन रायपुर में होने जा रहा है। इसमें कांग्रेस कमेटी के 1800 सदस्य और लगभग 15 हजार प्रतिनिधि भाग लेंगे। इस अधिवेशन में 2024 के आम चुनाव की रणनीति तय होगी। इस रणनीति का पहला बिंदु यही है कि कांग्रेस और बाकी सभी विरोधी दल एक होकर भाजपा का विरोध करें, जैसा कि 1967 के आम चुनाव में डाॅ. राममनोहर लोहिया की पहल पर हुआ था। उस समय सभी कांग्रेस-विरोधी दल एक हो गए थे। न तो नेताओं की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं आड़े आईं और न ही विचारधारा की बाधाएँ खड़ी हुईं। इस एकता को कुछ राज्यों में सफलता जरूर मिल गई लेकिन वे सरकारें कितने दिन टिकीं। यह अनुभव 1977 में भी हुआ, जब आपात्काल के बाद मोरारजी देसाई और चरणसिंह की सरकारें बनीं। इससे भी कटु हादसा हुआ, विश्वनाथ प्रतापसिंह और चंद्रशेखर की सरकारों के दिनों में। विरोधी दलों की इस अस्वाभाविक एकता के दुष्परिणाम इतने ...
राजनीति के मूल प्रवाह से अनभिज्ञ छुटभैयों की टिप्पणियाँ

राजनीति के मूल प्रवाह से अनभिज्ञ छुटभैयों की टिप्पणियाँ

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-प्रो. रामेश्वर मिश्र पंकजसोवियत संघ से लेनिन और स्तालिन की बकवास की दयनीय नकल कर स्वयं को बौद्धिक मान बैठे छुटभैये राजनीति को विचारधाराओं की लड़ाई माने रहते हैं। ऐसे बहुत से रोचक जीव हैं जो कम्युनिस्ट या सोशलिस्ट रहने के दौरान अथवा संघ के स्वयंसेवक रहने के दौरान वैचारिक मतवादों की दुनिया मंे जीते रहे हैं। उनके लिये वैचारिक शुद्धता का आग्रह उतना ही महत्वपूर्ण है जितना अध्यात्मिक शुद्धता का आग्रह साधना के मार्ग में महत्वपूर्ण होता है। ऐसे लोग पहले तो भाजपा को हिन्दुत्व की पार्टी मान बैठे, जबकि भाजपा ने कभी भी ऐसी कोई घोषणा नहीं की। परन्तु घोषणा न करने को उसकी बहुत बड़ी रणनीति मानते रहे और अब हिन्दुत्व से विचलित भाजपा शासन को देखकर इतने बौखलाये रहते हैं कि उनके क्षोभ का लाभ कांग्रेस उठा ले तो उठा ले या राष्ट्र की विरोधी शक्तियाँ लाभ उठा लें तो उठा लें। उनकी अपनी एक दुनिया है। परन्तु राजनीति...
सनातन बोर्ड क्यों?

सनातन बोर्ड क्यों?

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Why Sanatan Board? लंबे अरसे से हिंदू मठ मंदिरों के सरकारी अधिग्रहण पर सवाल उठते आ रहे हैं !पूछा जाता है कि सरकार केवल हिंदू मंदिरों पर ही नियंत्रण क्यों करती है , मस्जिदों और चर्च पर क्यों नहीं ? देश में हिंदू मठ मंदिरों की संख्या अनुमानतः 10 लाख है , जिनमें से 4 लाख 30 हजार मंदिरों का विभिन्न सरकारों ने अधिकरण किया हुआ है !दूसरी ओर इस्लामिक धर्मस्थलों पर नियंत्रण के लिए मुस्लिम वक्फ बोर्ड बना हुआ है , जिस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है !क्रिश्चियन इदारों पर भी बाहरी नियंत्रण की कोई आधिकारिक दखल नहीं है ! कल मध्य प्रदेश की महिला सांसद साध्वी प्रज्ञा ने मुस्लिम वक्फ बोर्ड की तर्ज पर हिंदू मठ मंदिरों के लिए सनातन बोर्ड की मांग की , जिसकी सारी व्यवस्था मठ मंदिर सनातन बोर्ड द्वारा की जाए , सरकार द्वारा नहीं । लाखों मंदिरों का दान में आया करोड़ों रुपया हर महीने सरकार ले जाती है , म...
मातृभाषा पर गर्व करें

मातृभाषा पर गर्व करें

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21 फरवरी अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर विशेषडॉ. सौरभ मालवीयमातृभाषा का अर्थ है मातृ की भाषा अर्थात वह भाषा जो बालक अपनी माता से सीखता है। बाल्यकाल से ही मातृभाषा में बोलने और सुनने के कारण व्यक्ति अपनी भाषा में निपुण हो जाता है। मातृभाषा किसी भी व्यक्ति की पहचान होती है। मातृभाषा का जीवन में अत्यंत महत्व होता है। कोई भी व्यक्ति अपनी मातृभाषा में अपने विचारों को सरलता से व्यक्त करने में सक्षम होता है, क्योंकि व्यक्तिसदैव अपनी मातृभाषा में ही विचार करता है। इसलिए उसे अपनी मातृभाषा में कोई भी विषय समझने में सुगमता होती है, जबकि किसी अन्य भाषा में उसे कठिनाई का सामनाकरना पड़ता है। मातृभाषा व्यक्ति के सर्वांगीण विकास की आधारशिला है वह व्यक्ति को उसकी संस्कृति से जोड़नेमें सक्षम होती है। मातृभाषा द्वारा व्यक्ति को अपनी मूल संस्कृति एवं संस्कारों का ज्ञान होता है। मातृभाषा द्वारा व्यक्ति अपने ...
संघ विचार-परिवार के वैचारिक अधिष्ठान की नींव – श्री गुरूजी

संघ विचार-परिवार के वैचारिक अधिष्ठान की नींव – श्री गुरूजी

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के धुर-से-धुर विरोधी एवं आलोचक भी कदाचित इस बात को स्वीकार करेंगें कि संघ विचार-परिवार जिस सुदृढ़ वैचारिक अधिष्ठान पर खड़ा है उसके मूल में माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर उपाख्य श्री गुरूजी के विचार ही बीज रूप में विद्यमान हैं। संघ का स्थूल-शरीरिक ढाँचा यदि डॉक्टर हेडगेवार की देन है तो उसकी आत्मा उसके द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरूजी के द्वारा रची-गढ़ी गई है। उनका वास्तविक आकलन-मूल्यांकन होना अभी शेष है, क्योंकि संघ-विचार परिवार के विस्तार और व्याप्ति का क्रम आज भी लगातार जारी है। किसी भी नेतृत्व का मूल्यांकन तात्कालिकता से अधिक उसकी दूरदर्शिता पर केंद्रित होता है। यह उदार मन से आकलित करने का विषय है कि एक ही स्थापना-वर्ष के बावजूद क्या कारण हैं कि तीन-तीन प्रतिबंधों को झेलकर भी संघ विचार-परिवार विशाल वटवृक्ष की भाँति संपूर्ण भारतवर्ष में फैलता गया, उसकी जड़ें और मज़बूत एव...
भारत के कारोबार में बड़े घरानों का दबदबा

भारत के कारोबार में बड़े घरानों का दबदबा

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देश का कारोबार चुनिंदा बड़े घरानों के हाथों में सिमटता जा रहा है। मुकेश अंबानी, कुमार मंगलम बिड़ला और टाटा समेत विभिन्न कारोबारी घरानों द्वारा एक ही राज्य (उत्तर प्रदेश) में 3.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है। ऐसी घोषणाओं से यह लगता है कि आखिर भारत के बड़े कारोबारी घरानों का कितना दबदबा है? यह प्रश्न आम तौर पर पूछा जाने लगा है क्या देश की महत्त्वाकांक्षाएं इन कारोबारी समूहों की सफलताओं पर निर्भर हैं?इसी कड़ी में टाटा के स्वामित्व वाली एयर इंडिया की 470 यात्री विमानों की खरीद के ऑर्डर देने तथा 370 अन्य विमानों की खरीद का विकल्प रखने की घोषणा की है । यह 840 विमानों का संयुक्त आंकड़ा विमानन कंपनियों के 700 विमानों के मौजूदा बेड़े से भी अधिक है। एक आंकड़े के मुताबिक गौतम अदाणी की कंपनियां देश के कुछ सबसे बड़े बंदरगाहों का संचालन करती हैं, जो देश के 30 प्रतिशत अनाज का भंडार...
सोचिये चैटजीपीटी पर; कितने खतरे, कितने अवसर।

सोचिये चैटजीपीटी पर; कितने खतरे, कितने अवसर।

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जब भी कोई नया अविष्कार या तकनीक आती है तो उसको लेकर तमाम संभावनाएं या आशंकाएं जताई जाती है। चैटजीपीटी को लेकर भी इन दिनों बहस छिड़ी हुई है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मानव जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हाल के दिनों में, यूएस-आधारित नवीनतम एआई उपकरणों में से एक, चैटजीपीटी (जनरेटिव प्री-ट्रेन्ड ट्रांसफॉर्मर) ने लोकप्रियता हासिल की। क्योंकि इसने शिक्षा प्रणाली पर इसके प्रभाव और छात्रों के लिए वरदान या अभिशाप पर गहन बहस शुरू कर दी। शिक्षाविदों के अनुसार, इसे छात्रों के नियमित कार्यों को सुव्यवस्थित करने के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग करें, लेकिन निर्भर न हों या इसके गुलाम न बनें, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे सीखने की प्रक्रिया में बाधा आ सकती है। -प्रियंका सौरभ चैटजीपीटी, ओपन एआई का नया चैटबॉट, एक 'संवादात्मक' एआई है जो मानव की तरह ही प्रश्नों का उत्तर देता है। यह (जन...
भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होगी

भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होगी

राष्ट्रीय
पूरे विश्व में सभी देशों का सकल घरेलू उत्पाद कुल मिलाकर लगभग 100 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है। इसमें भारत का हिस्सा मात्र 3.50 प्रतिशत है अर्थात भारत का सकल घरेलू उत्पाद लगभग 3.50 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है। जबकि, पूरे विश्व के 17.5 प्रतिशत से अधिक लोग भारत में निवास करते हैं। जनसंख्या की दृष्टि से तुलना की जाय तो भारत का सकल घरेलू उत्पाद बहुत कम है, जिसे केंद्र सरकार एवं कई राज्य सरकारें मिलकर अब इसे बहुत आगे ले जाने के कार्य में पूरे मनोयोग से कार्य करती दिखाई दे रही हैं। हालांकि, पूरे विश्व में सकल घरेलू उत्पाद के मामले में भारत पांचवे स्थान पर आ गया है एवं अब भारत से आगे केवल अमेरिका, चीन, जापान एवं जर्मनी जैसे देश हैं। परंतु, अधिक जनसंख्या होने के कारण भारत में प्रति व्यक्ति आय अन्य कई देशों की तुलना में बहुत कम है। प्रत्येक भारतीय की औसत आय 2,200 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष है जबकि अमेर...
महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ज्यादा बीमारियां होने की संभावना, जानें कारण

महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ज्यादा बीमारियां होने की संभावना, जानें कारण

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डॉ.गौरव जैनसीनियर कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन,धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल क्या आप जानते हैं कि औरतों की तुलना में मर्द ज्यादातर बीमारियों की चपेट में आते हैं। यदि बुजुर्ग पुरुषों और महिलाओं की तुलना की जाए, तो महिलाओं के बजाए पुरुषों में ज्यादा जीवन जीने की संभावना कम रहती है, क्योंकि उन्हें कई प्रकार की बीमारियां घेर लेती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, साल 2016 में महिलाओं की वैश्विक आबादी की औसत उम्र 72 साल थी। लेकिन लैंगिक आधार पर महिलाओं की औसत उम्र 74 साल दो महीने थी। वहीं, पुरुषों की औसत उम्र 69 साल आठ महीने थी। ह्यूमन मॉर्टेलिटी इंडेक्स के पास इस समय 40 देशों से जुड़े आंकड़े मौजूद हैं। इनमें स्वीडन और फ्रांस जैसे देशों के 1751 और 1816 के आंकड़े शामिल हैं। लेकिन रूस और जापान जैसे देशों के आंकड़े सिर्फ 20 वीं शताब्दी के उपलब्ध हैं। लेकिन इस डेटाबेस में हर साल महिल...