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चुनाव के समय खंडित न हो भाईचारे का भाव

चुनाव के समय खंडित न हो भाईचारे का भाव

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चुनाव के समय खंडित न हो भाईचारे का भाव  चुनाव में कुछ लोगों द्वारा इसे आपसी साख का प्रश्न बना लिया जाता है जो धीरे-धीरे जहर का रूप ले लेता है। बढ़ती प्रतिद्धंद्विता रिश्तों का क़त्ल करने लगती है। अगर कोई ऐसे समय साथ न दे तो मित्र भी दुश्मन लगने लग जाते है। मगर यह हमारी भूल है। कोई भी चुनाव आखरी नहीं होता है। और रिश्तों से बढ़कर तो कतई नहीं। हम पद पाने की होड़ में ये भूल जाते है कि हमसे पहले भी चुनाव हुए है और आगे भी होंगे। इसलिए कुछ वोटों के लिए परिवार के लोगों, मित्रों, सगे-सम्बन्धियों, पड़ोसियों और अन्य से दुश्मनी के भाव से पेश आना सही नहीं है। क्योंकि चुनाव की रात ढलते ही हमें अपने आगे के दिन इन्ही लोगों के साथ व्यतीत करने है। -प्रियंका सौरभ 'एकता' और 'भाईचारा' किसी प्रगतिशील समाज की मूलभूत ज़रूरत है। लेकिन सामाज विभिन्न जातियों और समुदायों में बंटा हुआ है, कई बार ये वजहे...
एक कमरे के मंदिर से शुरू हुआ था दुबई का ‘हिंदू टेंपल’

एक कमरे के मंदिर से शुरू हुआ था दुबई का ‘हिंदू टेंपल’

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एक कमरे के मंदिर से शुरू हुआ था दुबई का ‘हिंदू टेंपल’ *रजनीश कपूर कहते हैं कि एक बड़ी उपलब्धि कि शुरुआत छोटी सी पहल से ही होती है। दुबई का जेबेल अली इलाक़ा हाल ही में सुर्ख़ियों में था। दुनिया भर के हिंदुओं के लिए यह एक गर्व की बात है कि मुस्लिम बाहुल्य संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी दुबई में राम नवमी के दिन एक विशाल हिंदू मंदिर का लोकार्पण हुआ। इस विशाल हिंदू टेंपल की शुरुआत एक छोटे से कमरे से हुई थी। आज वही छोटा से कमरे वाला मंदिर 70 हज़ार वर्ग फ़ीट का एक विशाल मंदिर बन गया है। इस मंदिर को शांति, सद्भाव और सहिष्णुता के एक मजबूत संदेश के तौर पर भी देखा जा रहा है। 1958 में बने इस एक कमरे के मंदिर को गुरु दरबार सिंधी मंदिर के नाम से जाना जाता था। इस मंदिर की स्थापना रामचन्द्रन सवलानी और विक्योमल श्रॉफ़ ने की थी। ज्यों-ज्यों दुबई में बसे हिंदुओं को इस मंदिर के बारे में पता चला तब से वे ब...
राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने देश में राष्ट्रीयता का भाव जगाया

राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने देश में राष्ट्रीयता का भाव जगाया

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12 अक्टोबर 2022 - राजमाता विजयाराजे सिंधिया के जन्मदिवस पर विशेष लेख    राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने देश में राष्ट्रीयता का भाव जगाया    राष्ट्र भक्ति के जज्बे एवं आध्यात्म में रची बसी राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने राजघराने की आराम भरी जिंदगी को न अपनाकर समाजसेवा की कठिन राह को अपना जीवन जीने के लिए चुना था। इस दृष्टि से आप इंदौर की महारानी अहिल्यादेवी होलकर के समकक्ष मानी जाती हैं। वैसे भी, भारतीय संस्कृति का पालन करते हुए अपनी राज्य सत्ता को जनता के हित में सफलतापूर्वक चलाने के सिलसिले में भारत का इतिहास कई सफल नेत्रियों एवं महारानियों से भरा पड़ा है। इसी कड़ी में ग्वालियर राजघराने की राजमाता विजयाराजे सिंधिया का नाम भी बहुत गर्व के साथ लिया जाता है। देश के खंडकाल एवं परिस्थितियों के अंतर्गत आपको ग्वालियर राज्य पर सीधे सीधे महारानी के रूप में राज करने का अवसर तो प्राप्त नहीं हुआ परं...
पहचानिये,अपने मोबाईल की आइएमइआइ संख्या*

पहचानिये,अपने मोबाईल की आइएमइआइ संख्या*

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पहचानिये,अपने मोबाईल की आइएमइआइ संख्या* अब भारत में ५ जी की सेवा शुरू हो गई है |इन्टरनेट के अन्य उपयोग के साथ मोबाईल उपभोक्ताओं की संख्या भी बढ़ेगी | अन्य उपकरणों की तुलना में आज मोबाइल फोन हमारी बड़ी जरूरत बन चुका है| सामान्य संवाद से लेकर पैसे के लेन-देन तथा व्यक्तिगत सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए हम जिस चीज का इस्तेमाल करते हैं, वो मोबाईल फोन ही होता है,लेकिन फोन चोरी होना, उसकी मूल पहचान संख्या का फर्जी होना, फोन के साथ छेड़छाड़ होना, मोबाइल की कालाबाजारी आदि कुछ ऐसी समस्याएं हैं, जिनसे आम उपभोक्ता भी पीड़ित है तथा इनसे मोबाइल उद्योग के विकास में भी बाधा आ रही है| हाल ही में इनके समाधान के लिए केंद्र सरकार ने नये दिशानिर्देश जारी किये हैं| अब देश में निर्मित और विदेशों से आयातित हर फोन की मूल पहचान संख्या (आइएमइआइ) को नकली डिवाइस रोकने के लिए बने पोर्टल पर पंजीकृत करना अनिवार्य हो ग...
आपातकाल के खिलाफ बिगुल फूंकने वाले – लोकनायक जयप्रकाश नारायण

आपातकाल के खिलाफ बिगुल फूंकने वाले – लोकनायक जयप्रकाश नारायण

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11 अक्टूबर (जन्म जयंती ) पर विशेष - आपातकाल के खिलाफ बिगुल फूंकने वाले - लोकनायक जयप्रकाश नारायण मृत्युंजय दीक्षित भारतीय लोकतंत्र के महानायक जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सारन जिले के सिताबदियारा गांव में हुआ था। उनका जन्म ऐसे समय में हुआ था जब देश विदेशी सत्ता के आधीन था और स्वतंत्रता के लिए छटपटा रहा था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा सारन और पटना जिले में हुई थी । वे विद्यार्थी जीवन से ही स्वतंत्रता के प्रेमी थे जब पटना में उन्होने बिहार विद्यापीठ में उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश लिया तभी से वे स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने लगे थे। तत्कालीन बिहार विद्यापीठ की स्थापना डा. राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गयी थी। वे 1922 में उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चले गये। जहां उन्होंने 1922 से 1929 तक कैलिफोर्निया तथा विसकांसन विश्वविद्यालय में अध्ययन किया। वहां पर अपने खर्चे को पूरा व नियं...
ज़ीनिक्स शोध: दवा-प्रतिरोधक टीबी का इलाज बेहतर हुआ संभव

ज़ीनिक्स शोध: दवा-प्रतिरोधक टीबी का इलाज बेहतर हुआ संभव

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ज़ीनिक्स शोध: दवा-प्रतिरोधक टीबी का इलाज बेहतर हुआ संभव शोभा शुक्ला - सीएनएस पिछले माह प्रकाशित "ज़ीनिक्स" (ZeNix) शोध के नतीजों ने यह सिद्ध कर दिया है कि दवा प्रतिरोधक टीबी का इलाज सिर्फ 6 महीने में हो सकता है (वर्तमान में अक्सर जिसमें 20-24 महीने या अधिक लगते थे), और इलाज की सफलता दर 40% - 50% से बढ़ कर 93% तक हो सकती है। इससे भी ज़्यादा ज़रूरी तथ्य यह है कि इस नए शोध में इस्तेमाल हुई दवाओं के कारण विषाक्तता बहुत कम हुई है। दवा-प्रतिरोधक टीबी क्या है? जब टीबी कीटाणु (बैक्टीरिया) किसी दवा से प्रतिरोधक हो जाता है तो वह दवा उसको मार नहीं पाती। ऐसी दवा-प्रतिरोधक टीबी के इलाज के लिए अन्य दवा का उपयोग किया जाता है जिसके प्रति वह कीटाणु प्रतिरोधक नहीं है। पर दवाएँ सीमित हैं इसीलिए दवा प्रतिरोधक टीबी का इलाज मुश्किल, लम्बा (2 साल तक या अधिक अवधि का), और जटिल हो जाता है, और इलाज के परिण...
प्रधानमंत्री ने कुल्लू दशहरा समारोह में भाग लिया

प्रधानमंत्री ने कुल्लू दशहरा समारोह में भाग लिया

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प्रधानमंत्री ने कुल्लू दशहरा समारोह में भाग लिया प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज हिमाचल प्रदेश के कुल्लू के ढालपुर मैदान में कुल्लू दशहरा समारोह में भाग लिया। प्रधानमंत्री के आगमन पर उनका स्वागत सम्मान किया गया। इसके बाद भगवान रघुनाथजी के आगमन के साथ रथयात्रा की शुरुआत हुई। इस मौके पर प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए भारी भीड़ उमड़ी। मुख्य आकर्षण के रूप में प्रधानमंत्री लाखों अन्य भक्तों के साथ पैदल चले और भगवान रघुनाथजी को नमन किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों को हाथ जोड़कर बधाई दी और ऐतिहासिक कुल्लू दशहरा समारोह में देवताओं की भव्य सभा के साथ-साथ दिव्य रथयात्रा के साक्षी बने। यह एक ऐतिहासिक अवसर था, क्योंकि कुल्लू दशहरा समारोह में पहली बार भारत का कोई प्रधानमंत्री भाग ले रहे थे। अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा महोत्सव 5 से 11 अक्टूबर, 2022 तक कुल्लू के ढालपुर म...
सैन्य नर्सिंग सेवा का 97वां स्थापना दिवस मनाया गया

सैन्य नर्सिंग सेवा का 97वां स्थापना दिवस मनाया गया

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सैन्य नर्सिंग सेवा का 97वां स्थापना दिवस मनाया गया साहस, करुणा और देखभाल की श्रेष्ठ व प्रेरक कहानियों को याद करते हुए, सैन्य नर्सिंग सेवा ने 1 अक्टूबर 2022 को अपना 97वां स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर सैन्य नर्सिंग सेवा की अतिरिक्त महानिदेशक मेजर जनरल स्मिता देवरानी ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। कर्तव्य पथ पर सर्वोच्च बलिदान देने वाले चिकित्सा कर्मियों को नमन करते हुए उन्होंने श्रद्धा-सुमन अर्पित किए।   प्रतिबद्धता और समर्पण के एक और वर्ष के आगाज का जिक्र करते हुए दिल्ली कैंट स्थित सैन्य अस्पताल (आरएंडआर) के एमएनएस ऑफिसर्स मेस में एमएनएस अधिकारियों द्वारा फ्लोरेंस नाइटिंगेल शपथ और केक काटने का समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर एमएनएस ऑफिसर्स मेस एएच (आरएंडआर) दिल्ली कैंट में एक मिलन समारोह भी आयोजित किया गया। कार्यक्रम में ...
कांग्रेसः फिर चक्का जाम

कांग्रेसः फिर चक्का जाम

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*कांग्रेसः फिर चक्का जाम* *डॉ. वेदप्रताप वैदिक* मल्लिकार्जुन खड़गे अब कांग्रेस के अध्यक्ष बनेंगे, यह तो तय ही है। यदि अशोक गहलोत बन जाते तो कुछ कहा नहीं जा सकता था कि कांग्रेस का क्या होता? गहलोत को राजस्थान के कांग्रेसी विधायकों के प्रचंड समर्थन ने महानायक का रूप दे दिया था लेकिन गहलोत भी गजब के चतुर नेता हैं, जिन्होंने दिल्ली आकर सोनिया गांधी का गुस्सा ठंडा कर दिया। उन्हें अध्यक्ष की खाई में कूदने से तो मुक्ति मिली ही, उनका मुख्यमंत्री पद अभी तक तो बरकरार ही लग रहा है। अध्यक्ष बनने के बाद खड़गे की भी हिम्मत नहीं पड़ेगी कि वे गहलोत पर हाथ डालें। गहलोत और कांग्रेस के कई असंतुष्ट नेता भी उम्मीदवारी का फार्म भरनेवाले खड़गे के साथ-साथ पहुंच गए। याने समस्त संतुष्ट और असंतुष्ट नेताओं ने अपनी स्वामिभक्ति प्रदर्शित करने में कोई संकोच नहीं किया। यह ठीक है कि शशि थरुर और त्रिपाठी ने भी अध्यक्ष के...
एक घंटे की संघ शाखाओं में लोगों को मातृभूमि के प्रति निःस्वार्थ मूल्यों और कर्तव्य के बारे में पता चलता है – डाॅ मोहन भागवत

एक घंटे की संघ शाखाओं में लोगों को मातृभूमि के प्रति निःस्वार्थ मूल्यों और कर्तव्य के बारे में पता चलता है – डाॅ मोहन भागवत

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एक घंटे की संघ शाखाओं में लोगों को मातृभूमि के प्रति निःस्वार्थ मूल्यों और कर्तव्य के बारे में पता चलता है - डाॅ मोहन भागवत शिलॉंग 25 सितम्बर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने मेघालय की राजधानी शिलॉंग में यू सोसो थाम सभागार में आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया. पारंपरिक खासी जनजाति स्वागत के साथ कार्यक्रम प्रारंभ हुआ, जिसमें सरसंघचालक जी को पारंपरिक पोशाक पहन शामिल हुए. सरसंघचालक जी ने कहा कि हम अनादि काल से एक प्राचीन राष्ट्र हैं, लेकिन अपनी सभ्यता के चिरंतन लक्ष्य और मूल्यों को भूलने के कारण हमने अपनी स्वतंत्रता खोई. हमारी एकात्मता की शक्ति हमारे सदियों पुराने मूल्य में निहित विश्वास है जो आध्यात्मिकता में निहित है. इस देश की सनातन सभ्यता के इन मूल्यों को हमारे देश के बाहर के लोगों ने “हिन्दुत्व” का नाम दिया. हम हिन्दू हैं, लेकिन हिन्दू की कोई विशेष परिभाषा नहीं...