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करियर प्लस एजुकेशन सोसायटी का रजत जयंती समारोह- भारतीय शिक्षा के स्वदेशीकरण का समय

करियर प्लस एजुकेशन सोसायटी का रजत जयंती समारोह- भारतीय शिक्षा के स्वदेशीकरण का समय

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प्रेस विज्ञप्ति करियर प्लस एजुकेशनल सोसायटी का रजत जयंती समारोह भारतीय शिक्षा के स्वदेशीकरण का समय करियर प्लस एजुकेशन सोसाइटी का रजत जयंती समारोह 6 अगस्त 2022 को शांगरी-ला होटल में मनाया गया। इस अवसर पर भारत में उच्च शिक्षा के वर्तमान और भविष्य के बारे में गहन चर्चा और विचार-मंथन हुए। शिक्षा क्षेत्रों के अग्रणी लोगों, कद्दावर राजनेताओं, सरकारी अधिकारियों और सार्वजनिक जीवन की हस्तियों ने उच्च शिक्षा के भविष्य के बारे में अपने विचार साझे किए। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई जिसके पश्चात राष्ट्रगान और गणेश वंदना किए गए। अपने शुभारंभ भाषण में करियर प्लस सोसाइटी के प्रबंध निदेशक अनुज अग्रवाल ने सभी मेहमानों का स्वागत किया और करियर प्लस एजुकेशन सोसाइटी का संक्षिप्त परिचय दिया। उन्होंने निरंतर सहायता और समर्थन के लिए केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन...
Silver Jubilee Celebration of Career Plus Educational Society-It is time for indigenization of Indian Education

Silver Jubilee Celebration of Career Plus Educational Society-It is time for indigenization of Indian Education

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Press Release Silver Jubilee Celebration of Career Plus Educational Society It is time for indigenization of Indian Education Silver Jubilee Celebration of Career Plus Education Society at The Hotel Shangri-La on 6 August 2022 witnessed discussions and brainstorming regarding present and future of higher education in India. Pioneers of education system, veteran politicians, government officials and public life personalities expressed themselves about future course of higher education. The event commenced with lamp lighting which was followed by National Anthem and Ganesh Vandna. In his inaugural address Anuj Agarwal and Niraj Kushwaha, Managing Director, Career Plus Group welcomed all the guests and gave brief introduction of Career Plus Education Society. He expressed gratitude t...
हर घर तिरंगा अभियान और देशभक्ति के मायने

हर घर तिरंगा अभियान और देशभक्ति के मायने

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हर घर तिरंगा अभियान और देशभक्ति के मायने नागरिकों के सुरक्षित और समृद्धशाली जीवन के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है; उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा और समृद्धी का होना। इसलिए क्या आपको हर घर तिरंगा फहराने के साथ-साथ हर घर रोज़गार की आवश्यकता ज़्यादा नहीं लग रही है ? आज  आज़ादी के 75 साल बाद भी देश के नौजवान बेरोजागरी के चलते आत्महत्या करने को मजबूर है।  हम सभी देश वासी हर घर तिरंगा लहरायेंगे, लेकिन इस स्वतंत्रता दिवस पर हमें लाल किले से ये आवाज़ भी तो सुनाई दे कि देश के हर नागरिक को समान शिक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा, रोजगार गारंटी दी जाएगी। यही तो सच्चा राष्ट्रवाद है। -प्रियंका 'सौरभ' हर घर तिरंगा आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत एक अभियान है। यह अभियान लोगों को भारत की आजादी के 75वें वर्ष में तिरंगा घर लाने और इसे फहराने के लिए प्रोत्साहित करता है। नागरिकों और तिरंगे के बीच संबंध हमेशा से...
आजीविका मिशन से बढ़ा महिलाओं का स्वावलंबन

आजीविका मिशन से बढ़ा महिलाओं का स्वावलंबन

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आजीविका मिशन से बढ़ा महिलाओं का स्वावलंबन राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का काम किया है।  स्वयं सहायता समूहों की महिलाएँ न केवल अपने अधिकार के लिए जागरूक हो रही हैं, बल्कि अन्य महिलाओं को उनका हक़ दिलाने और उनकी समस्याएँ सुलझाने के लिए भी प्रयास कर रहीं हैं। गाँवों में महिला सशक्तिकरण का यह अद्भुत उदाहरण है। हरियाणा के भिवानी जिले के सिवानी ब्लॉक के आजीविका मिशन प्रोग्राम मैनेजर जगबीर रमेश सिंहमार का कहना है कि गरीबों में गरीबी से बाहर आने की तीव्र इच्छा होती है, और उनमें जन्मजात क्षमताएं होती हैं इसलिए गरीबों की जन्मजात क्षमताओं को उजागर करने के लिए सामाजिक लामबंदी और गरीबों की मजबूत संस्थाओं का निर्माण महत्वपूर्ण है। सामाजिक लामबंदी, संस्था निर्माण और सशक्तिकरण प्रक्रिया को प्रेरित करने के लिए आजीविका मिशन समर्पित और संवेदनशील संरचना है। -प्रियंका 'सौरभ...
एड्स उन्मूलन कैसे होगा यदि सरकारें अमीर देशों पर निर्भर रहेंगी?

एड्स उन्मूलन कैसे होगा यदि सरकारें अमीर देशों पर निर्भर रहेंगी?

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एड्स उन्मूलन कैसे होगा यदि सरकारें अमीर देशों पर निर्भर रहेंगी? बॉबी रमाकांत - सीएनएस इस बात में कोई संशय नहीं है कि स्वास्थ्य-चिकित्सा क्षेत्र में तमाम नवीनतम तकनीकी, जैसे कि वैक्सीन, जाँच प्रणाली, दवाएँ, आदि अमीर देशों में विकसित हुए हैं। 4 दशकों से अधिक हो गए हैं जब एचआईवी से संक्रमित पहले व्यक्ति की पुष्टि हुई थी। यदि मूल्यांकन करें तो एचआईवी से प्रभावित समुदाय के निरंतर संघर्ष करने की हिम्मत, और विकासशील देशों (जैसे कि भारत) की जेनेरिक दवाएँ, टीके आदि को बनाने की क्षमता न होती, तो क्या दवाएँ सैंकड़ों गुणा सस्ती हुई होती और ग़रीब देशों तक पहुँची होतीं? आज भी, अमीर देशों में दवाएँ, भारत की तुलना में, सैंकड़ों गुणा महँगी हैं। अमीर देशों पर निर्भर रहते तो कैसे लगभग 3 करोड़ लोगों को जीवनरक्षक एंटीरेट्रोवाइरल दवाएँ मिल रही होतीं? गौर करें कि इनमें से अधिकांश लोग जो एचआईवी के साथ जीवित ह...
पर्यावरण का संकट एवं द्रौपदी मुर्मू का संकल्प

पर्यावरण का संकट एवं द्रौपदी मुर्मू का संकल्प

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पर्यावरण का संकट एवं द्रौपदी मुर्मू का संकल्प -ः ललित गर्ग :- भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप मंे देश के सर्वाेच्च पद पर, प्रथम नागरिक के आसन पर एक व्यक्ति नहीं, निष्पक्षता और नैतिकता, पर्यावरण एवं प्रकृति, जमीन एवं जनजातीयता के मूल्य आसीन हुए हैं। आजाद भारत में पैदा होकर आजादी के अमृत महोत्सव की बेला में एक ऐसा व्यक्तित्व द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति के आसन पर विराजमान हुई है, जिससे पूरा देश गर्व एवं गौरव का अनुभव कर रहा है। उनके शपथ ग्रहण के साथ देश के जनजाति और वनवासी समुदाय का सिर जिस तरह गर्व से ऊंचा उठा है, वह भारतीय राष्ट्र की नई ताकत और भारतीय राजनीति के नए विस्तार की ओर इशारा करता है। निश्चित ही आदिवासी समुदाय का राष्ट्र की मूलधारा में विस्तार होगा। शपथ ग्रहण के बाद अपने पहले संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने आजादी के अमृत महोत्सव को याद किया, जिसे हम कुछ ही दिनों में मनाने वाले है...
“या तो मैं तिरंगा फहराकर वापस आऊंगा, या फिर उसमें लिपटकर वापस आऊंगा”

“या तो मैं तिरंगा फहराकर वापस आऊंगा, या फिर उसमें लिपटकर वापस आऊंगा”

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“या तो मैं तिरंगा फहराकर वापस आऊंगा, या फिर उसमें लिपटकर वापस आऊंगा" कारगिल युद्ध में भारतीय सैनिकों के प्रयासों और बलिदानों को याद करने के लिए हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है। यह दिन कारगिल युद्ध 1999 के शहीदों को समर्पित है। कारगिल विजय दिवस कारगिल युद्ध में भारतीय सेना की जीत का प्रतीक है। हमने 527 साहसी आत्माओं को खो दिया, और युद्ध में 1363 सैनिक घायल हो गए। उन बहादुर बलिदानों की उपेक्षा कौन कर सकता है? आइए उनके धैर्य को याद करें और उनके आभारी रहें.-सत्यवान 'सौरभ' कारगिल युद्ध में सैनिकों द्वारा किए गए बलिदान को याद करने के लिए हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। भारतीय सेना के एक मिशन 'ऑपरेशन विजय' ने भारत के लिए अंतिम सफलता हासिल की। कारगिल विजय दिवस प्रत्येक भारतीय द्वारा हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है। यह दिन कारगिल युद्ध 1999 के शहीदों को सम...
उत्तर प्रदेश को अशांत करने का षड्यंत्र?

उत्तर प्रदेश को अशांत करने का षड्यंत्र?

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उत्तर प्रदेश को अशांत करने का षड्यंत्र? मृत्युंजय दीक्षित सावन के पवित्र माह में लाखों की संख्या में शिवभक्त कांवड़िये भोलेनाथ की भक्ति में डूबकर पवित्र कांवड में जल लेकर भगवान शिव पर चढाने जा रहे हैं । सभी प्रसिद्ध व ऐतिहासिक शिव मंदिरों में इनकी भारी भीड़ पहुंच रही है। उत्तरांड के हरिद्वार में ही लाखों शिवभक्त कांवड़िये पहुंच रहे है जो एक अदभुत कीर्तिमान बन रहा है । उत्तर प्रदेश सरकार तथा उत्तराखंड की सरकारों की ओर से कांवड़ यात्रा को ध्यान में रखते हुए अति विशिष्ट प्रबंध किये गये हैं लेकिन यह भीड़ इतनी अधिक है कि यह भी कम लग रहे हैं। वर्ष 2017 से ही योगी अदियानाथ की सरकार कांवड़ यात्रियों की सुविधा का विशेष ध्यान रख रही है और उनकी सुविधा के लिए व्यस्थाएं करती है । उनके भक्ति भाव के सम्मान के लिए उन पर पुष्पवर्षा भी की जाती रही है जो इस बार उत्तराखंड में भी हो रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्...
डिजिटल शासन के नए युग में परास्त होते गरीब

डिजिटल शासन के नए युग में परास्त होते गरीब

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डिजिटल शासन के नए युग में परास्त होते गरीब डिजिटल डिवाइड आबादी के अमीर-गरीब, पुरुष-महिला, शहरी-ग्रामीण आदि क्षेत्रों में बनता है। इस अंतर को कम करने की जरूरत है, तभी ई-गवर्नेंस के लाभों का समान रूप से उपयोग किया जा सकेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में ई-गवर्नेंस की पहल जमीनी हकीकत की पहचान और विश्लेषण करके की जानी चाहिए। प्लेटफॉर्म और ऐप-आधारित समाधान गरीबों को पूरी तरह से सेवाओं से वंचित कर सकते हैं या आगे स्वास्थ्य सेवाओं तक उनकी पहुँच को कम कर सकते हैं। जैसे स्लॉट बुक करना फोन, कंप्यूटर और इंटरनेट के बिना उन लोगों के लिये बहुत कठिन हों सकता है।-प्रियंका 'सौरभ' सम्मान के साथ जीने का अधिकार एक संवैधानिक अनिवार्यता है। हालाँकि, यह आज शासन में डिजिटल पहल की चर्चाओं में शायद ही कभी प्रकट होता है। केंद्रीकृत डेटा डैशबोर्ड नीतियों का आकलन करने, मानवीय गरिमा और अधिकारों तक पहुँचने में जितनी...
मिट्टी से लोहपुरुष गढ़ने वाले गंगाधर तिलक

मिट्टी से लोहपुरुष गढ़ने वाले गंगाधर तिलक

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मिट्टी से लोहपुरुष गढ़ने वाले गंगाधर तिलक-ः ललित गर्ग :-भारत की आजादी के लिये मिट्टी से लोहपुरुषों यानी सशक्त, शक्तिशाली एवं राष्ट्रभक्त इंसानों का निर्माण करने का श्रेय जिस महापुरुष को दिया जाता है, वह लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, जो स्वतंत्रता आंदोलन के समय देश की आशाओं के प्रतीक बने। उनके विचारों और कार्यों ने स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा देने में अग्रिम भूमिका निभाई। उन्होंने ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा’ का नारा देकर लाखों भारतीयों को प्रेरित, संगठित और आन्दोलित किया। तिलक व्यक्ति-प्रबंधन कैसे करते, किस तरह आजादी के लिये हर भारतीय के मन में आन्दोलन की भावना भरते, मनुष्यों को कैसे पहचानते थे और सशक्त-आजाद भारत के लिये बृहत्तर आन्दोलनों के लिये कैसे उनके योगदान को प्राप्त करते थे, वह अपने आपमों विस्मय और अनुकरण का विषय है, उसी का अनुकरण करते हुए प्रधानमंत्री न...