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अत्यधिक ऑनलाइन गेमिंग बच्चों की शिक्षा और सोच पर डाल रही हानिकारक प्रभाव।

अत्यधिक ऑनलाइन गेमिंग बच्चों की शिक्षा और सोच पर डाल रही हानिकारक प्रभाव।

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अत्यधिक ऑनलाइन गेमिंग बच्चों की शिक्षा और सोच पर डाल रही हानिकारक प्रभाव। सरकार बच्चों के लिए ऑनलाइन गेमिंग घंटे को विनियमित कर सकती है। उदाहरण के लिए, हाल ही में, चीन ने 18 साल से कम उम्र के गेमर्स को प्रति सप्ताह केवल तीन घंटे ऑनलाइन गेम तक सीमित कर दिया। -सत्यवान 'सौरभ' हाल ही में सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करने और उसकी देखरेख के लिए एक मंत्रालय की पहचान करने के लिए एक समिति के गठन की घोषणा की है। बदलते तकनीकी दौर में आज अधिक से अधिक राज्य ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र में कुछ आदेश लाने के लिए कानून ला रहे हैं। हाल ही में, राजस्थान सरकार ने ऑनलाइन गेम, विशेष रूप से फंतासी खेलों को विनियमित करने के लिए एक मसौदा विधेयक लाया। इससे पहले, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों ने भी ऑनलाइन गेम पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून पारित किए थे। हालांकि, उन्हें राज्य उच्च न्...
डॉ. मुखर्जी राष्ट्रवाद के सच्चे महानायक

डॉ. मुखर्जी राष्ट्रवाद के सच्चे महानायक

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डॉ॰ श्यामाप्रसाद मुखर्जी जन्म जयन्ती-6 जुलाई 2022 पर विशेषडॉ. मुखर्जी राष्ट्रवाद के सच्चे महानायक-ललित गर्ग-भारतीय इतिहास में ऐसे अनेक चैतन्य महापुरुषों ने देश की माटी को प्रणम्य बनाने एवं कालखंड को अमरता प्रदान करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इन्हीं कीर्तिवान महान पुरुषों में भारत केसरी डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का नाम सश्रद्धा एवं गर्व से लिया जाता है। भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 में कलकत्ता में हुआ था। वे बैरिस्टर और शिक्षाविद थे तो कुशल समाज-राष्ट्र निर्माता भी थे। उन्होंने पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में उद्योग और आपूर्ति मंत्री के रूप में कार्य किया। हालांकि, नेहरू-लियाकत समझौते के विरोध में मुखर्जी ने नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मदद से उन्होंने 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की। 1980...
सुविधा से ज्यादा जरूरी है सुरक्षा की सड़कें

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सुविधा से ज्यादा जरूरी है सुरक्षा की सड़कें  - ललित गर्ग-भारत का सड़क यातायात तमाम विकास की उपलब्धियों एवं प्रयत्नों के असुरक्षित एवं जानलेवा बना हुआ है, सुविधा की खूनी एवं हादसे की सड़कें नित-नयी त्रासदियों की गवाह बन रही है। दुनिया की जानी-मानी पत्रिका ‘द लांसेट’ में इस मसले पर केंद्रित एक अध्ययन में बताया गया है कि भारत में सड़क सुरक्षा के उपायों में सुधार लाकर हर साल तीस हजार से ज्यादा लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है। अध्ययन के मुताबिक, खुनी सड़कों एवं त्रासद दुर्घटनाओं के मुख्य कारण हैं- वाहनों की बेलगाम या तेज रफ्तार, शराब पीकर गाड़ी चलाना, हेलमेट नहीं पहनना और सीट बेल्ट का इस्तेमाल नहीं करना शामिल हैं। भले ही हर सड़क दुर्घटना को केन्द्र एवं राज्य सरकारें दुर्भाग्यपूर्ण बताती है, उस पर दुख व्यक्त करती है, मुआवजे का ऐलान भी करती है लेकिन बड़ा प्रश्न है कि एक्सीडेंट रोकने के गंभीर उपाय अब तक ...
मुर्मू के बहाने आदिवासी विकास का मर्म

मुर्मू के बहाने आदिवासी विकास का मर्म

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मुर्मू के बहाने आदिवासी विकास का मर्म -ः ललित गर्गः- आदिवासी लोगों के मूलभूत अधिकारों (जल, जंगल, जमीन) को बढ़ावा देने और उनकी सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और न्यायिक सुरक्षा के लिए द्रौपदी मुर्मू को राजग का राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जाना एक सराहनीय एवं सूझबूझभरा कदम है। यह प्रशंसनीय एवं सुखद कदम इसलिये है कि आजादी के पचहत्तर वर्षांे के बाद देश के सर्वाेच्च संवैधानिक पद के लिये पहली बार आदिवासी महिला को सत्तारूढ़ दल द्वारा उम्मीदवार बनाया गया है। यदि कुछ असामान्य न हो तो वोटों के गणित के हिसाब से उनका राष्ट्रपति बनना तय है। भले ही मूर्मु को राष्ट्रपति बनाने के राजनीतिक निहितार्थ हो, लेकिन सदियों से वंचित रहे आदिवासी समाज को ऐसा प्रतिनिधित्व देना सराहनीय एवं उनके समग्र विकास की आहट है। सरकारों के विकास के दावों एवं सन्तुलित समाज निर्माण के संकल्प के बावजूद वर्तमान दौर की यह एक बहुत बड़...
देश में हिंसक होते युवा आंदोलन

देश में हिंसक होते युवा आंदोलन

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देश में हिंसक होते युवा आंदोलन ( हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार में भारी बेरोजगारी होने के साथ सरकारी नौकरियों की कमी की वजह से, युवाओं में ज्यादा हताशा और आक्रोश है। लेकिन यह स्थिति पूरे देश की भी है। ग्रुप-डी की नौकरी के लिए करोड़ों लोग अप्लाई कर रहें है। नौकरी के इच्छुक करीब 25 प्रतिशत युवाओं को कोई काम नहीं मिल रहा है। दशकों से स्थिति लगातार बदतर होती जा रही है, खासकर एक ऐसे देश में जहां आधी से अधिक आबादी 25 से कम उम्र की है। भारत को हर महीने एक लाख रोजगार पैदा करने की जरूरत है जबकि इसकी अर्थव्यवस्था कभी भी इस मांग को पूरा करने की स्थिति में नहीं आई।) -सत्यवान 'सौरभ'   गोल्डस्टोन ने लिखा है, "युवाओं ने पूरे इतिहास में राजनीतिक हिंसा में एक प्रमुख भूमिका निभाई है," और एक युवा उभार कुल वयस्क आबादी के सापेक्ष 15 से 24 युवाओं का असामान्य रूप से राजनीतिक संकट से ऐत...
राष्ट्रीय कवि सम्मेलन 2022

राष्ट्रीय कवि सम्मेलन 2022

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राष्ट्रीय कवि सम्मेलन 2022 छोटी काशी के नाम से विख्यात भिवानी जिले की  सम्पूर्ण भारत वर्ष में एक अद्वितीय पहचान है । भिवानी जिले के कण-कण  में समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की झलक देखने को मिलती है । अपनी माटी की इसी  गौरवशाली परम्परा को संजोते हुए “हमारी माटी, हमारी विरासत” के ध्येय के साथ 22 फरवरी,सन 2010 को दिल्ली में भिवानी परिवार  मैत्री संघ की स्थापना हुई । भिवानी परिवार मैत्री संघ , हरियाणा प्रान्त के भिवानी जिले के उन परिवारों का समूह है जो अब दिल्ली एन॰ सी॰ आर॰ के निवासी हैं।  आज भिवानी परिवार  मैत्री संघ की गणना दिल्ली की सर्वाधिक लोकप्रिय और प्रगतिशील सामाजिक एवं पारिवारिक संस्थाओं में की जाती है । भिवानी परिवार मैत्री संघ ने आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम श्रृंखला के समापन एवं आपातकाल की वर्षगांठ के अवसर पर दिल्ली के महाराजा अग्रसेन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मे 26 जून को एक भव्य ...
जुबैर, तुम्हारी गिरफ्तारी गलत है, पर तुम उससे भी ज़्यादा!

जुबैर, तुम्हारी गिरफ्तारी गलत है, पर तुम उससे भी ज़्यादा!

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जुबैर, तुम्हारी गिरफ्तारी गलत है, पर तुम उससे भी ज़्यादा! नीरज बधवार ऑल्ट न्यूज़ के को-फाउंडर मोहम्मद ज़ुबैर की गिरफ्तारी हो गई। उन्हें 2018 में धार्मिक भावनाएं आहत करने वाले एक पोस्ट के लिए गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के बाद एक वर्ग इसे लोकतंत्र पर हमला बता रहा है। इसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन देख रहा है। पर सवाल ये है कि क्या वाकई ऐसा है? क्या मोहम्मद जुबैर पूरी तरह निर्दोष हैं? क्या नुपूर शर्मा पर धार्मिक भावनाएं भड़काने वाले जुबैर ने खुद कभी हिंदुओं की भावनाएं नहीं भड़काई? जो लोग जुबैर की गिरफ्तारी को लोकतंत्र की हत्या बता रहे हैं, वो वाकई लोकतंत्र के समर्थक हैं या फिर ये एक Selective Outrage है? आइए एक-एक इन सवालों का जवाब देने की कोशिश करते हैं। नुपूर शर्मा विवाद से चर्चा में आए देखिए, पहली बात ये कि मेरा मानना है कि धार्मिक भावनाएं भड़काने जैसे मुद्दे पर किसी क...
जम्मू के छात्र ने विकसित किया ओपन सोर्स सैटेलाइट

जम्मू के छात्र ने विकसित किया ओपन सोर्स सैटेलाइट

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जम्मू के छात्र ने विकसित किया ओपन सोर्स सैटेलाइट नई दिल्ली, 28 जून (इंडिया साइंस वायर): प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्राप्त करने वाले जम्मू के 16 वर्षीय छात्र ओंकार सिंह बत्रा ने भारत का पहले ओपन-सोर्स सैटेलाइट इनक्यूब (InQube) विकसित किया है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उनकी रुचि ने उन्हें बेहद कम उम्र में सैटेलाइट विकसित करने की अनूठी परियोजना शुरू करने के लिए प्रेरित किया। यह 10x10x10 वर्ग सेंटीमीटर आकार का एक बेहद छोटा सैटेलाइट है, जिसका वज़न मात्र एक किलोग्राम है। ओंकार सिंह बताते हैं कि इस उपग्रह का आकार इतना छोटा है कि इसे हथेली में आसानी से रखा जा सकता है। इनक्यूब एक 1U CubeSat है, जिसे ओंकार द्वारा स्थापित एक गैर-लाभकारी अनुसंधान संगठन, पैराडॉक्स सोनिक स्पेस रिसर्च एजेंसी के बैनर तले विकसित किया गया है। ओंकार को उनकी असाधारण प्रतिभा के लिए जाना जाता है, और विज्ञा...
बहुत जरूरी है, खाद्यान्न की बढ़ती कीमत रोकना

बहुत जरूरी है, खाद्यान्न की बढ़ती कीमत रोकना

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बहुत जरूरी है, खाद्यान्न की बढ़ती कीमत रोकना* विश्व में हर क्षण कुछ न कुछ घटता है, सुर्खी बनती है और कुछ समय बाद कोई दूसरी घटना उसके प्रभाव को कम कर देती है | लेकिन,आज भारत के साथ विश्व जिस विषय पर चिंतित है वह वैश्विक खाद्य सुरक्षा है | भारत में कुछ गंभीर खबरों के बीच सबको चिंतित करने वाली अधोरेखित खबर है, जो मध्यवर्ग, खासकर निम्न आयवर्ग के लोगों की परेशानी बढ़ाने वाली है। देश में पिछले पांच दिनों के भीतर चावल के दामों में लगभग १० प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है|गेंहू और आटे के भाव भी तेज हैं | चावल और गेहूं हमारे देश के मुख्य खाद्यान्न हैं और इनकी कीमतों में कोई भी बढ़ोतरी हरेक घर की रसोई के बजट पर असर डालती है। खाने-पीने की चीजों की महंगाई लोगों को सबसे ज्यादा परेशान करती और सरकारों की लोकप्रियता-अलोकप्रियता के निर्धारण में भी इसकी बड़ी भूमिका है। प्याज को लेकर तो सरकार बनाने बिगाड़ने की ...
*इस्लाम की लम्बी सोच*

*इस्लाम की लम्बी सोच*

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*इस्लाम की लम्बी सोच* *कोई भी विचार जो 1400 वर्ष पुराना है, उसे हमें लम्बी सभ्यतागत दृष्टी में ही समझना होगा। जिस प्रकार भारत एक सभ्यतागत राष्ट्र है, उसी प्रकार इस्लाम एक सभ्यतागत शक्ति है और इसे उसी प्रकार से समझा जाना चाहिए। मुसलमान यह कहते हैं कि ‘इस्लाम कभी नहीं हारा’। दुखद बात यह है कि एक देश को छोड़कर यह सच है। लेकिन इसका क्या अर्थ है? कि इस्लामी सेनाएँ कभी नहीं हारी? कि युद्ध के मैदान में शत्रु उनसे कभी नहीं जीते? कि उनके इतिहास में कभी बुरे साल या दशक नहीं आये? नहीं, ऐसा नहीं है।* *पैगंबर मोहम्मद की मृत्यु के पश्चात अरब से बाहर निकलते ही इस्लामी सेनाएं पूर्व में भारत के द्वार पर पहुंच गईं और पश्चिम में स्पेन में यूरोप के दरवाजे खटखटाने लगीं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उस समय के दो महान साम्राज्यों ने लगभग तुरंत ही इस्लाम के सामने घुटने टेक दिए। उस समय के सबसे महान साम्राज्यों में ...