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Lot of people, specially the so called Modernites and Secularists allege that Hindus have always been defeated by every invader and as a Nation are weaklings and are afraid of Islam, which has ruled over India during entire modern history. I am trying to give my take in the matter and request readers to KINDLY do comment, whichever way they feel like, so as to initiate a debate on the subject. Hindus are not, we’re not and never will be afraid of Islamists. Only we react slowly and when we react, violence is the last resort. India was first invaded in the year 700 AD, attracted by its vast wealth. They were resisted throughout. In the year 1000 AD, Salar Masood, from Arabia, ( who was considered a Devine person by them), along with a vast army consisting of at least one man from each hou...
मौलिक भारत संस्था द्वारा नोयडा, ग्रेटर नोएडा एवं यमुना एक्सप्रेस वे वे प्राधिकरणों में अभी भी चल रही व पूर्व की अनियमितताओं व अराजकता के संदर्भ में शिकायत व प्रभावी कार्यवाही हेत्तु मांग पत्र

मौलिक भारत संस्था द्वारा नोयडा, ग्रेटर नोएडा एवं यमुना एक्सप्रेस वे वे प्राधिकरणों में अभी भी चल रही व पूर्व की अनियमितताओं व अराजकता के संदर्भ में शिकायत व प्रभावी कार्यवाही हेत्तु मांग पत्र

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                                                                                                  प्रेस विज्ञप्ति प्रतिष्ठित संस्था मौलिक भारत ने दिनांक 24/ 01/2021 को   प्रतिवेदन  मीडिया को जारी किया जो संस्था ने नोयडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरणों में पिछले दो दशकों से चल रही लूट के खेल को विस्तार से उजागर करते  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को  शिकायत व प्रभावी कार्यवाही हेत्तु मांग पत्र  भेजी गयीं है।  विस्तृत  प्रतिवेदन पर संस्था की ओर से महासचिव अनुज अग्रवाल व केंद्रीय कार्यकारणी के बरिष्ठ सदस्यों महेश सक्सेना (अध्यक्ष , नोयडा लोक मंच),  संजय शर्मा , अनिल गर्ग,  ने हस्ताक्षर किए।  संस्था का आरोप है कि पिछले लगभग चार वर्षों के कार्यकाल में भी आपकी सरकार के अथक प्रयासों के बाद भी तीनो  प्राधिकरणों की कार्यशेली में  किंचित बदलाव भी नहीं आया  यद्यपि अनियम...
भारत-नेपालः सार्थक संवाद

भारत-नेपालः सार्थक संवाद

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नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली की यह दिल्ली-यात्रा हुई तो इसलिए है कि दोनों राष्ट्रों के संयुक्त आयोग की सालाना बैठक होनी थी लेकिन यह यात्रा बहुत सामयिक और सार्थक रही है। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने परस्पर सड़कें बनाने, रेल लाइन डालने, व्यापार बढ़ाने, कुछ नए निर्माण-कार्य करने आदि मसलों पर सहमति दी लेकिन इन निरापद मामलों के अलावा जो सबसे पेंचदार मामला दोनों देशों के बीच आजकल चल रहा है, उस पर भी दोनों विदेश मंत्रियों ने बात की है। नवंबर 2020 में शुरु हुए सीमांत-क्षेत्र के लिपुलेख-कालापानी-लिंपियाधुरा के सीमा-विवाद के कारण दोनों देशों के बीच काफी कहा-सुनी हो गई थी। भारतीय विदेश मंत्रालय इस मामले को इस वार्ता के दौरान शायद ज्यादा तूल देना नहीं चाहता था। इसीलिए उसने अपनी विज्ञप्ति में इस पर हुई चर्चा का कोई संकेत नहीं दिया लेकिन नेपाली विदेश मंत्रालय ने उस चर्चा का साफ़-साफ़ जिक्र किया...
नई शिक्षा नीति: उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव प्रारंभ

नई शिक्षा नीति: उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव प्रारंभ

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किसान आंदोलन के शोर शराबें के बीच देश की शिक्षा व्यवस्था में हो रहे क्रांतिकारी परिवर्तनों की चर्चा हाशिए पर सिमट गयी है। देश में नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन ने अब गति पकड़ ली है। आगामी संसद सत्र में राष्ट्रीय शिक्षा आयोग का गठन का विधेयक रखा जाने वाला है। 1)  नई शिक्षा नीति के तहत मेडिकल एवं कानून की पढ़ाई छोड़कर उच्च शिक्षा के लिए उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई) का गठन हो रहा है । एचईसीआई के चार स्वतंत्र अंग- राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामकीय परिषद (एनएचईआरसी), मानक निर्धारण के लिए सामान्य शिक्षा परिषद (जीईसी), वित पोषण के लिए उच्चतर शिक्षा अनुदान परिषद (एचईजीसी) और मान्यता के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (एनएसी) हैं। अब तक यूजीसी, एआईसीटीई, एसीटीई जैसे सत्रह नियामक संस्थान इसके अंतर्गत आ जाएँगे। अब  एचईसीआई के नियम सभी सरकारी और निजी शिक्षण संस्थानों मे लागू होंगे। वैज्ञानिक व सामाजिक अनु...
क्या अराजक-सांप्रदायिक शक्तियों को खारिज करेगा प. बंगाल का वोटर

क्या अराजक-सांप्रदायिक शक्तियों को खारिज करेगा प. बंगाल का वोटर

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कोलकता में एक तरह  का डर और बेचैनी का माहौल है। आप किसी चाय की दुकान में खड़े होकर पश्चिम बंगाल के आगामी विधानसभा चुनावों के बारे में किसी स्थानीय बंगबंधु से पूछिए। वह आशंका जताएगा कि चुनावों के  पहले राज्य में भारी हिंसा हो सकती है। भय और आतंक का माहौल बनाया जा सकता है I कोलकता से आपको सारे प्रदेश की मन: स्थिति स्थिति का अंदाजा लग जाता है। जब देश नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती मना रहा है तब यह स्थिति निश्चित रूप से उदास करने वाली है। पश्चिम बंगाल में मई तक विधान सभा चुनाव संपन्न हो जाएंगे। वहां पर मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल जल्दी  ही समाप्त हो रहा है।     क्यों पिछड़ता जा रहा बंगाल देखा जाए तो ममता बनर्जी के दस वर्षों के कार्यकाल के दौरान देश का एक शानदार राज्य पिछड़ता ही रहा। वहां पर बार-बार हिंसा ही होती रही । पश्चिम बंगाल में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का नारा लगाने वालों...
बुरे फंसे डोनाल्ड ट्रंप

बुरे फंसे डोनाल्ड ट्रंप

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जैसी दुर्दशा आज हो रही है, किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति की कभी नहीं हुई। ऐसा नहीं है कि ढाई सौ साल के इतिहास में किसी अमेरिकी राष्ट्रपति पर कभी महाभियोग चला ही नहीं। ट्रंप के पहले तीन राष्ट्रपतियों पर महाभियोग चले हैं। 1865 में एंड्रू जॉनसन पर, 1974 में रिचर्ड निक्सन पर और 1998 में बिल क्लिंटन पर! इन तीनों राष्ट्रपतियों पर जो आरोप लगे थे, उनके मुकाबले ट्रंप पर जो आरोप लगा है, वह अत्यधिक गंभीर है। ट्रंप पर राष्ट्रद्रोह या तख्ता-पलट या बगावत का आरोप लगा है। अमेरिकी संसद (कांग्रेस) के निम्न सदन-- प्रतिनिधि सदन-- ने ट्रंप के विरोध में 205 के मुकाबले 223 वोटों से जो महाभियोग का प्रस्ताव पारित किया है, वह अमेरिकी संविधान, लोकतंत्र की भावना और शांति-भंग के सुनियोजित षड़यंत्र का आरोप ट्रंप पर लगा रहा है। ट्रंप अब अमेरिका के संवैधानिक इतिहास में ऐसे पहले खलनायक क...
कूटनीतिकि षड्यंत्रो के विचित्र खेल

कूटनीतिकि षड्यंत्रो के विचित्र खेल

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भारत में ब दुनिया में खाद्दय पदार्थों के नाम पर जो भी उगाया जा रहा है वह रासायनिक खादों व कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग के कारण धीमा ज़हर ही है। भारत में कृषि सुधार एवं किसान आंदोलन के बहाने सरकार की घेराबंदी में कहीं भी ज़ेविक व मिश्रित कृषि को पुनः शुरू करने की माँग ही नहीं की जा रही ही बल्कि सरकारी मदद व सब्सिडी में अधिक से अधिक हिस्सेदारी की माँग की जा रही है। वास्तव में कृषि सुधारो की जो अच्छी पहल मोदी सरकार ने की है उसके बारे में भ्रम फैलाकर देश में अस्थिरता पैदा करने व सरकार गिराने की कोशिशें की जा रही हैं। पिछले कुछ महीनो में दुनिया बड़े उतार चढ़ावो से गुज़र रही है व शक्ति संतुलन बिगड़ गया है । इस आंदोलन के पीछे यही बदलते कूटनीतिक समीकरण हैं। अब दुनिया ग्लोबल विलेज व एक बाज़ार बन चुकी है । इस बाज़ार पर वर्चस्व के लिए चीन व अमेरिका के बीच पिछले कुछ वर्षों से व्यापार युद्ध चल रहा था ...
राजनीति में प्रतिभाशाली युवाओं की कमी लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी

राजनीति में प्रतिभाशाली युवाओं की कमी लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी

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( वर्तमान समय चिंताजनक स्थिति को दर्शाता है जहाँ युवाओं का राजनीति में भाग गिरता जा रहा है | आज हमारी संसद में 35 वर्ष से कम उम्र के मात्र 20% नेता ही है और उनमे से 70 से 90 प्रतिशत केवल पारिवारिक संबंधों द्वारा ही राजनीति में आये हैं | हार्दिक पटेल और कन्हैया कुमार जैसे युवा सक्रिय राजनीति में बहुत कम हिस्सा लेते हैं | ) एक देश का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि वह कितना युवा है। 15-24 वर्ष के बीच के सभी  युवा, आमतौर पर कॉलेज जाने वाले छात्र होते हैं। उनके करियर विकल्प में इंजीनियर, डॉक्टर, शिक्षक, खेल, रक्षा और कुछ उद्यमी शामिल हैं। विशेष रूप से भारत के संदर्भ में, राजनीति को कैरियर विकल्प के रूप में बहुत कम लिया जाता हैं। इस प्रकार दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को परिभाषित करने और नेतृत्व करने के लिए राजनीति में युवा प्रतिभाशाली दिमागों की भारी कमी है। यह स्थान उन लोगों द्वारा लिया...
अपनी गिरेबान में झांक लें कनाडा के प्रधानमंत्री

अपनी गिरेबान में झांक लें कनाडा के प्रधानमंत्री

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आजकल मुख्य रूप से पंजाब और थोड़े बहुत हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश की  एक भीड़ ने किसानों के आन्दोलन के नाम पर राजधानी दिल्ली में डेरा जमाया हुआ है। इनकी अपनी कुछ मांगें हैं।  इन्हें अपनी बात रखने या मांगें मनवाने के लिए लोकतांत्रिक तरीके से लड़ने का तो पूरा अधिकार प्राप्त है। सरकार भी आंदोलनकारी  किसानों से बात कर रही है। अब इस मामले में कनाडा को  हस्तक्षेप करने का किसने अधिकार दे दिया, यह  समझ से परे है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो किसानों के आंदोलन का समर्थन कर रहे है। किस आधार पर कर रहे हैं? ट्रूडो  कह रहे हैं कि "कनाडा दुनिया में कहीं भी किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकारों की रक्षा के लिए खड़ा रहेगा।" पर ट्रूडो यह क्यों भूल रहे हैं कि उनके देश में भारत विरोधी तत्व खुलकर बोलते खेलते हैं। यदि मोदी जी यह कहना शुरू करें कि विश्व भर में कहीं भी भारत विरोधी आतंकवादी होंगे तो...
रजनीकांत की आध्यात्मिक राजनीति की सुबह

रजनीकांत की आध्यात्मिक राजनीति की सुबह

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सुुविख्यात फिल्मी कलाकार रजनीकांत ने हाल ही में अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने एवं 2021 में तमिलनाडू के विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा करके राजनीति हलकों में हलचल पैदा कर दी है। उनकी इस राजनीतिक पारी की सबसे बड़ी विशेषता यह होगी कि उनकी पार्टी अध्यात्म की राजनीति करते हुए चैंकाने एवं चमत्कृत करने वाले परिणाम लायेंगी। आध्यात्मिक राजनीति के उद्भव का नया इतिहास रचने को तत्पर होते हुए रजनीकांत कोे जनता के सहयोग का पूरा विश्वास है। राजनीति पर अध्यात्म के नियंत्रण की चर्चा अक्सर सुनी जाती रही है, लेकिन इसका प्रायोगिक स्वरूप एवं राजनीति में एक अभिनव क्रांति को घटित होते हुए शीध्र देखने को मिलेगा, यह एक शुकूनभरा अहसास है। सुपर स्टार रजनीकांत के राजनीति में आने की घोषणा ने जहां राजनीति के क्षेत्र में एक नयी सुबह का अहसास कराया वहीं राजनीति को एक नये दौर में ले जाने की संभावनाओं को भी उजागर किया ह...