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घुसपैठिये व उनके सहयोगी_शत्रु व देशद्रोही घोषित हो !

घुसपैठिये व उनके सहयोगी_शत्रु व देशद्रोही घोषित हो !

Today News, राष्ट्रीय
★पिछले दिनों समाचार पत्रों से पुनः यह ज्ञात हुआ है कि रोहिंग्या मुस्लिम घुसपैठियों को जम्मू में बसा कर वहां के जनसंख्या संतुलन (डेमोग्राफी) को बिगाड़ कर देश को निरंतर आहत किया जा रहा है। वर्षों से बंग्लादेशी व अब म्यांमार के घुसपैठियों ने हमारे देश में अपराध व आतंक को बढ़ाने में अपनी जिहादी मानसिकता का ही परिचय दिया है। बार-बार वर्षों से ऐसे समाचार पढ़ कर ह्रदय अत्यंत आक्रोशित हो उठता है। चिंतन करना होगा कि दशकों से बंग्ला देश के करोड़ों घुसपैठिये (अवैध नागरिक) हमारी भूमि पर बसने के उपरांत भी उनका घुसपैठ करने का सिलसिला अभी भी जारी होने से उत्साहित होकर कुछ वर्षों से म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमान भी भारत में ही घुसपैठ करके अपने को सुरक्षित समझने लगे हैं, क्यों?  ★ऐसे घुसपैठियों को शत्रु व उनके सहयोगियों को देशद्रोही घोषित किया जाना अब आवश्यक हो गया है। यह भी ध्यान देना होगा कि सर्वोच्च न्या...
क्यों जरूरी है पुलिस हिरासत में सबकी जान सुरक्षित रहना

क्यों जरूरी है पुलिस हिरासत में सबकी जान सुरक्षित रहना

राष्ट्रीय, समाचार
आखिरकार अब एक उम्मीद पैदा तो हुई है कि देश में पुलिस हिरासत में होने वाली मौतों पर लगाम लग सकेगी। यह उम्मीद इसलिए पैदा हुई है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक ताजा अति महत्वपूर्ण निर्णय में पुलिस सीबीआई, राष्ट्रीय जांच एजेंसी, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो वगैरह को इस बाबत एक अहम निर्देश दिए हैं। केन्द्र और राज्य सरकारों को दिए निर्देश में साफ कहा गया है कि सभी थानों में सभी जगह अब सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। इसके साथ ही ये भी सुनिश्चित किया जाए कि सीसीटीवी कैंमरे रात के माहौल को भी कायदे से रिकॉर्ड कर रहे हों। भारत में पुलिस और दूसरी जांच एजेंसियों की जांच के दौरान आरोपियों के साथ मारपीट के परिणाम स्वरुप मारे जाने के बढ़ते मामलों के बाद सुप्रीम कोर्ट को उपर्युक्त सख्त फैसला लेना पड़ा।  निश्चित रूप से पुलिस हिरासत में होने वाली संदिग्ध मौतों को किसी भी स्थिति में मानवीय और सही नहीं माना जा सकत...
बदलती आर्थिकी, इंजीनियरिंग और नौकरियां

बदलती आर्थिकी, इंजीनियरिंग और नौकरियां

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देश की आर्थिकी करवट बदल रही है,कोविड के दुष्काल  में गिरावट के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के फिर से उठ खडे़ होने के संकेत मिल रहे है।  आर्थिकी की करवट सही दिशा में  है या नहीं इसका अंदाजा इस बात से भी लग जाएगा कि देश के कॉलेजों व यूनिवर्सिटियों में प्लेसमेंट कैसे होंगे और युवा इंजीनियरों व एमबीए डिग्री धारियों को कैसी नौकरियां मिलेंगी? देश के उच्च शिक्षा संस्थानों में सारे काम अब धीरे-धीरे शुरू हो रहे हैं। अभी तक पठन-पाठन का काम ऑनलाइन किया जा रहा था, किंतु अब कैंपसों में विद्यार्थियों के लौटने का इंतजार किया जा रहा है। उधर, देश के शीर्षस्थ इंजीनियरिंग एवं प्रबंध संस्थानों में प्लेसमेंट की हलचल शुरू हो चुकी है। यह एक अच्छी खबर है कि १  दिसंबर, २०२० से पुराने आईआईटी संस्थानों में वर्चुअल ढंग से प्लेसमेंट का दौर शुरू हो चुका है। पहले की तरह कंपनियों के प्रतिनिधि विद्यार्थियों के इंटरव्यू व चयन...
एमएसपी की जगह किसान को अगर अपनी फसल का मनमाना दाम चाहिए तो उनको ये काम करने पड़ेंगे

एमएसपी की जगह किसान को अगर अपनी फसल का मनमाना दाम चाहिए तो उनको ये काम करने पड़ेंगे

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१) सामान्यतः देश को जितनी आवश्यकता है उससे दोगुना अनाज उगाया जा रहा है। ऐसे में अनाज गोदामों में सड़ता है व शराब बनाने वाली कम्पनियाँ उनको सस्ते में ख़रीद लेती हैं। बेहतर हो कि किसान कम मात्रा में उगाए किंतु अच्छी गुणवत्ता का अनाज उगाए व ज़ेविक कृषि की ओर बढ़े तो उसको अपनी फसल के दाम मनचाहे मिलने शुरू हो जाएँगे। क्योंकि ऐसे अनाज की माँग अधिक होगी व आपूर्ति काम तो दाम बढ़ेंगे। २) किसान देश में मांसाहार पर प्रतिबंध लगाने अथवा सीमित करने की माँग करे क्योंकि इसके कारण लोग अनाज कम खाते हैं व किसान का अनाज सस्ते में बिकता है। मांसाहार पर प्रतिबंध लगने से अनाज की माँग बढ़ जाएगी व दाम भी। ३) किसान नक़दी फसलें, फल व सब्ज़ी का उत्पादन बढ़ाए जो उसको अतिरिक्त आमदनी करवाएँगे। इसके साथ ही पूर्व की तरह गाय , भेंस आदि दूध देने वाले पशुओं का पालन पुन शुरू करें जो उनकी सेहत भी सुधरेगा और आमदनी भी। ४) छोट...
भारत-चीनः खुश-खबर

भारत-चीनः खुश-खबर

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भारत-चीन तनाव खत्म होने के संकेत मिलने लगे हैं। अभी दोनों तरफ की सेनाओं ने पीछे हटना शुरु नहीं किया है लेकिन दोनों इस बात पर सहमत हो गई हैं कि मार्च-अप्रैल में वे जहां थीं, वहीं वापस चली जाएंगी। उनका वापस जाना भी आज-कल में ही शुरु होनेवाला है। तीन दिन में 30-30 प्रतिशत सैनिक हटेंगे। जितने उनके हटेंगे, उतने ही हमारे भी हटेंगे। उन्होंने पिछले चार-छह माह में लद्दाख सीमांत पर हजारों नए सैनिक डटा दिए हैं। चीन ने तोपों, टैंकों और जहाजों का भी इंतजाम कर लिया है लेकिन चीनी फौजियों को लद्दाख की ठंड ने परेशान करके रख दिया है। 15000 फुट की ऊंचाई पर महिनों तक टिके रहना खतरे से खाली नहीं है। भारतीय फौजी तो पहले से ही अभ्यस्त हैं। आठ बार के लंबे संवाद के बाद दोनों तरफ के जनरलों के बीच यह जो सहमति हुई है, उसके पीछे दो बड़े कारण और भी हैं। एक तो चीनी कंपनियों पर लगे भारतीय प्रतिबंधों और व्यापारिक बहिष्कार ...
BJP win in Bihar is defeat of pseudo-secularism – Era of alliance-politics seems ending

BJP win in Bihar is defeat of pseudo-secularism – Era of alliance-politics seems ending

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Election-results of Bihar state-assembly and by-elections for some other state-assemblies further establish that voters are now afraid of return of pseudo-secular politics while despite anti-incumbency factor, BJP led the poll-victory in all states where elections were held. It was purely BJP win and not that of NDA in Bihar when BJP emerged as a a big brother with 74 seats while its ally JDU got just 43 seats even though both the allies got almost equal share of seats to be contested in pre-poll alliance. It is definite that BJP could have got even more than total tally of alliance at 125 seats if it would have contested alone. BJP had already bitter experience of pre-poll alliance in Maharashtra where the party though being the largest single party was deceived by its ally just for be...
विहार चुनाव परिणाम: दूरगामी संदेश

विहार चुनाव परिणाम: दूरगामी संदेश

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और मोदी ने बदल दिया बिहार! अब नीतीश पीछे और भाजपा आगे। यानि देर सबेर भाजपा का ही मुख्यमंत्री बनना तय। मगर इन परिणामों के इससे कहीं ज्यादा दूरगामी परिणाम हैं- १) विहार चुनाव परिणामों ने कोरोना संकट के कारण हिल रहे ब्रांड मोदी को फिर से स्थापित कर दिया। यह मोदी के कार्यों व करोना से निबटने की उनकी रणनीति पर जनता का जनमत है और वे अब निर्विवाद रूप से विजयी हैं। इसका असर देश की राजनीति, सहयोगियों, सरकार , नोकरशाही, न्यायपालिका, पार्टी व मीडिया पर मोदी की पकड़ फिर से मक़बूत होने की दिशा में पड़ेगा। २) एनडीए से ज़्यादा भाजपा की यह जीत अब पूरे देश में भाजपा के ग्राफ़ को बड़ाएगी और बिहार के साथ साथ बंगाल, तमिलनाडु व केरल तक में इसका असर दिखेगा। बंगाल में तो ममता दीदी की नींद उड़नी तय है। अन्य राज्यों के उपचुनावों विशेषकर मध्यप्रदेश व गुजरात में भी भाजपा के आगे रहने से देश में राजनीतिक स्थिरता...
HOW WOULD “FIGHTERS FOR FREE MEDIA” REACT TO REPUBLIC  T V  EPISODE   ?

HOW WOULD “FIGHTERS FOR FREE MEDIA” REACT TO REPUBLIC T V EPISODE ?

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Many people would have been surprised and shocked to hear the Mumbai Police Commissioner calling the media and telling  that Republic TV has falsified the TRP rating.  Given the various problems Mumbai is facing  now in addition to the ongoing COVID 19 crisis, is this matter so important for the Mumbai police commissioner to   make an announcement about this  “trivial issue”, spending his valuable time? Many in the would know that the TRP ratings are made on the basis of sample surveyS and  there are many occasions in the past , when the results of the TRP survey have been criticized by one media or the other.   It is a sample survey and sample surveys could always be of doubtful conclusion.  It is like a pre poll survey , which different agencies do  and provide different conclusions, ...
किसानों की यह कैसी लड़ाई जिसे किसानों का ही समर्थन नहीं ?

किसानों की यह कैसी लड़ाई जिसे किसानों का ही समर्थन नहीं ?

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ऐसा पहली बार नहीं है कि सरकार द्वारा लाए गए किसी कानून का विरोध कांग्रेस देश की सड़कों पर कर रही है। विपक्ष का ताजा विरोध वर्तमान सरकार द्वारा किसानों से संबंधित दशकों पुराने कानूनों में संशोधन करके बनाए गए तीन नए कानूनों को लेकर है। देखा जाए तो ब्रिटिश शासन काल से लेकर आज़ादी के बाद आज तक हमारे देश की आधी से ज्यादा आबादी कृषि पर निर्भर होने के बावजूद हमारे देश में किसानों की हालत दयनीय है। कर्ज़ में डूबे किसानों की आत्महत्या के आंकड़े खुद इस तथ्य की सच्चाई बयाँ करते हैं। किसानों की इस दयनीय हालात से देश पर सबसे अधिक समय तक सत्ता में रहने का गौरव प्राप्त करने वाली कांग्रेस अनजान हो ऐसा भी नहीं है। यही कारण है कि वो कांग्रेस जब 70 सालों बाद देश से अपने लिए वोट मांगती है तो सरकार बनने के 100 दिनों के भीतर किसानों की कर्जमाफी का वादा करती है। यह अलग खोज का विषय है कि जिन राज्यों में वो ...
मध्य एशिया बनने जा रहा है तीसरे विश्व युद्ध का पहला मैदान

मध्य एशिया बनने जा रहा है तीसरे विश्व युद्ध का पहला मैदान

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  ईसाईयत (आर्मीनिया) पर इस्लाम ( अजरबेजान) का हमला हो चुका है। आर्मीनिया के साथ इसराइल, अमेरिका फ़्रांस, ब्रिटेन व भारत आदि नाटो देश हैं तो अजरबेजान के साथ इस्लामिक जगत का स्वयंभू ख़लीफ़ा तुर्की,पाकिस्तान ईरान, उत्तरी कोरिया व चीन जैसी ताक़तें हैं। प्रथम विश्वयुद्ध (१९१४-१८)के बाद ४० देशों में बंटे ख़लीफ़ा ऐ इस्लाम तुर्की ( ऑटमन गणराज्य) को मित्र देशों ने युद्धोपरांत संधि के अंतर्गत सौ साल तक अपमानजनक संधि से बांधकर रखा हुआ था , जो अब पूरी होने जा रही है। इसीलिय मध्य एशिया में उबाल है।कोई बड़ी बात नहीं कि यह चिंगारी यूरोप को भी लपेट ले।विश्व के सबसे बड़े युद्ध क्षेत्र में हो रही यह लड़ाई चंद दिनो के अंदर विश्व युद्ध की शुरुआत मानी जाएगी। इस क्षेत्र में इसराइल बहुत आक्रामक हो ही चुका है और अपने दुश्मन चीन समर्थक इस्लामिक देशी को निशाना बना ही रहा है। अमेरिका पहल पर यूएई से संधि ...