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ग्लोबल वर्मिंग : विकसित देशों का रवैया ठीक नहीं

ग्लोबल वर्मिंग : विकसित देशों का रवैया ठीक नहीं

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
विश्व के तमाम देश लगातार ग्लोबल वार्मिंग से मानवता पर मंडराते संकट को दूर करने के लिये संयुक्त अरब अमीरात में एकजुट हुए । दुबई में आयोजित संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के 28वें सम्मेलन से फिर पूरी दुनिया की आस जगी है। दुनिया टकटकी लगाए बैठी है कि कॉप-28 सम्मेलन से धरती को बचाने के लिये कुछ ठोस निर्णय लिए जाएंगे। बीत रहे साल में मौसम के चरम के चलते तापमान वृद्धि, अलनीनो प्रभाव से बढ़ता समुद्री तापमान, अंटार्कटिका में तेजी से बर्फ के पिघलने, बाढ़, अतिवृष्टि, अनावृष्टि और चक्रवातों के जो भयावह परिणाम सामने आए, वो बता रहे हैं कि यदि अब निर्णायक फैसले न हुए तो धरती को बचाना मुश्किल हो जाएगा। अब तक के तमाम पर्यावरण सम्मेलनों में वायदे तो बड़े-बड़े हुए हैं लेकिन ठोस काम इस दिशा में नहीं हो पाया है। खासकर विकसित देशों के अड़ियल रवैये से इस दिशा में आशाजनक प्रगति नहीं हो पायी है। जबकि ...
कांग्रेस पार्टी को कैसे समझें 3

कांग्रेस पार्टी को कैसे समझें 3

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- प्रो. रामेश्वर मिश्र पंकज1784 ईस्वी आते-आते ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा भारत से कमाये जा रहे व्यापारिक मुनाफे और लूट के माल की चर्चा इंग्लैंड में फैलने लगी। क्योंकि बंगाल के केवल तीन जिलों की केवल लगान वसूली के बड़े हिस्से को राजा के खजाने में जमा न करके उसे लंदन ले जाने पर वहाँ के स्टॉक मार्केट में तूफान आ गया और भारत के सोने-चांदी तथा धन-दौलत की चर्चा होने लगी। इसलिये इंग्लैंड की संसद ने जो तब तक केवल राजपरिवार और जागीरदारों तथा बड़े पादरियों की महासभा थी, वयस्क मताधिकार से चुनी गई संसद नहीं थी (वह तो 20वीं शताब्दी ईस्वी के मध्य तक ही बन पाई), इसलिये कंपनी के मुनाफे पर इंग्लैंड के राजन्य वर्ग की नजर रहने लगी। तब उसने भारतीय वीर समुदायों को अपने व्यापार के रक्षक दल के रूप में भर्ती करने की प्रेरणा दी। इस रक्षक दल का नाम रखा गया - रॉयल बेंगाल आर्मी, इसमें संपूर्ण वर्तमान उत्तरप्रदेश (मु...
टहनियों तक जाये बिना सर्वोत्तम फल नहीं मिलेगा।

टहनियों तक जाये बिना सर्वोत्तम फल नहीं मिलेगा।

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“मंजिल मिल ही जाएगी भटकते हुए ही सही, गुमराह तो वो हैं जो घर से निकले ही नहीं।” लोग नई चीजें हासिल करने के बजाय आसान चीजों में लग जाते हैं। लोग नई चीजों का आविष्कार करने या अपना खुद का स्टार्टअप बनाने के बजाय और सुरक्षित नौकरियों में चले जाते हैं। इसके अलावा, डर से आत्मविश्वास और अपने ऊपर भरोसे की कमी भी हो सकती है। जो व्यक्ति लगातार डर के साथ जी रहे हैं, वे अपनी क्षमताओं पर संदेह करते हैं और जोखिम लेने के साथ आने वाली चुनौतियों के लिए खुद को तैयार नहीं पाते हैं। सिडनी बॉक्सिंग डे टेस्ट में सचिन तेंदुलकर पहली पारी में अपनी कम क्षमता के कारण नहीं बल्कि ऑफ स्टंप के बाहर की गेंद के डर के कारण आउट हुए। अगली पारी में उन्होंने किसी भी ऑफ स्टंप से बाहर की गेंद को न खेलने का जोखिम उठाने के लिए मानसिक रूप से तैयारी की और इसके परिणामस्वरूप ऐतिहासिक दोहरा शतक बनाया। -प्रियंका सौरभ 13वीं...
<strong>क्यों इतनी घुमक्कड़ी करने लगे हिन्दुस्तानी</strong>

क्यों इतनी घुमक्कड़ी करने लगे हिन्दुस्तानी

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आर.के. सिन्हा आप देश के किसी भी हवाई अड्डे या रेलवे स्टेशन पर चले जाएं, आपको वहां पर एक जैसा नजारा ही देखने में आएगा। उधर आने जाने वाले मुसाफिरों की भीड़ नजर आएगी। लगता है कि सारा देश ही घूमने के मूड में है। जैसे ही दफ्तरों में दो-तीन दिन के एक साथ अवकाश आते हैं तो लोग उन छुट्टियों में  कुछ और छुट्टियों को जोड़कर किसी पर्यटक स्थल के लिए निकल जाते हैं।   उन्हें समद्री तट से लेकर पहाड़ और अभयारण्यों से लेकर धार्मिक स्थल तक सबकुछ ही पसंद आ रहे हैं। एक बात और कि भारतीय सिर्फ देश के अंदर ही घूमकर संतुष्ट नहीं हैं। उन्हें देश से बाहर जाना भी अच्छा खासा रास आ रहा है। बुकिंग डॉट कॉम के एक निष्कर्ष के अनुसार, पिछले साल यानी 2022 में करीब दो करोड़ हिन्दुस्तानी देश से बाहर घुमक्कड़ी के लिए निकले। यह कोई छोटा-मोटा आंकड़ा नहीं है। भारतीय लंदन, पेरिस, दक्ष...
क्रिकेट की ये दीवानगी कहाँ ले जायेगी ?

क्रिकेट की ये दीवानगी कहाँ ले जायेगी ?

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-विनीत नारायण23 साल के राहुल ने कोलकाता में आत्महत्या कर ली। वो क्रिकेट के विश्व कप में भारतीय टीम की हार का सदमाबर्दाश्त नहीं कर सका। ये तो एक उदाहरण है। देश के अन्य हिस्सों में दूसरे नौजवानों ने हार के सदमे को कैसे झेलाइसका पूरा विवरण उपलब्ध नहीं है। यह सही है कि अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में अपने देश की टीम के साथदेशवासियों की भावनाएँ जुड़ी होती हैं और इसलिए जब परिणाम आशा के विपरीत आते हैं तो उस खेल के चाहनेवाले हताश हो जाते हैं। खेलों में हार जीत को लेकर अक्सर प्रशंसकों के बीच हाथापाई या हिंसा भी हो जाती है।इसके उदाहरण हैं, दक्षिणी अमरीका के देश जहां फुटबॉल के मैच अक्सर हिंसक झड़पों में बदल जाते हैं। यूरोप औरअमरीका में भी लोकप्रिय खेलों के प्रशंसकों के बीच ऐसी वारदातें होती रहती हैं।अंतर्राष्ट्रीय खेलों में इसकी संभावना कम रहती है क्योंकि वहाँ खेलने वाली टीमों में जो बाहर से आती...
विकसित देशों में भी जलवायु बदलाव ?

विकसित देशों में भी जलवायु बदलाव ?

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वर्तमान काल जलवायु आपातकाल कहा जा रहा हैं। दिल्ली सम्मेलन में भी गुटेरेस गत नौ सितम्बर, 2023 को संयुक्त राष्ट्रसंघ क्लाइमेट व एनवायरन्मेंट सेशन में चेता गये थे कि इस जलवायु आपदाकाल पर तुरंत काम किया जाना चाहिए। वे लगातार कह रहे हैं कि अब और तेल निकालना बंद किया जाना चाहिए। नये तेल उत्पादन के लिये न तो लाइसेंस दिए जाएं और न ही फंडिंग की जानी चाहिए। राष्ट्रसंघ की यूनाइटेड एमिशन गैप रिपोर्ट के अनुसार पेरिस जलवायु समझौता प्रभावी रहे, इसके लिए 23 अरब टन कार्बन डाइआक्साइड की कटौती जरूरी है। अभी विभिन्न देशों के राष्ट्रीय स्तर पर तय सारे उत्सर्जन कटौतियों के शपथों को जोड़ा जाये तो कुल उत्सर्जन कटौती दो से तीन अरब टन की ही आती है। देशों ने अपने-अपने उत्सर्जन कटौती लक्ष्य आखिरी बार 2020 में घोषित किये थे। अब उन्हें यह 2025 में करना है। विकसित देशों में भी जलवायु बदलाव के कारण अप्रत्याशित...
विश्व की सुंदरतम नगरी बनने की ओर अग्रसर अयोध्या

विश्व की सुंदरतम नगरी बनने की ओर अग्रसर अयोध्या

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वैश्विक पटल पर छा जाएगी अयोध्यामृत्युंजय दीक्षित500 वर्षों के अथक संघर्ष के पश्चात नौ नवंबर 2020 को माननीय उच्चतम न्यायलय द्वारा अयोध्या पर राम मंदिर के पक्ष में ऐतिहासिक निर्णय देने के बाद, श्रीराम जन्मभूमि पर श्री रामलला के भव्य –दिव्य मंदिर का निर्माण कार्य तीव्र गति से सम्पूर्णता की दिशा में अग्रसर है । मंदिर के भूतल का लगभग 95 प्रतिशत का कार्य पूर्ण हो चुका है तथा आगामी 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कर कमलों से भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन होना भी सुनिश्चित हो गया है।कुछ वर्ष पूर्व तक जो अयोध्या नगरी हिन्दुओं के संघर्ष की धरती थी जो आगामी 22 जनवरी 2024 को सर्व संतोषकारिणी नगरी बनने जा रही है। लंबे संघर्ष के बाद प्रभु श्रीराम लला अपने जन्मभूमि आवास में पधार रहे हैं और प्रत्येक सनातनी यह सोचकर हर्षित और प्रफुल्लित हो रहा है कि अयोध्या में श्रीरामलला के विराजमान ...
जाति जनगणना

जाति जनगणना

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संविधान ने जनगणना की इजाजत दी है या जाति जनगणना की ? यदि जाति जनगणना की अनुमति है तो फिर दो वर्षों से रुकी राष्ट्रीय जनगणना को जाति जनगणना का आकार प्रदान कर दीजिए ? बीजेपी सहित तमाम दल जातपात खेलने के पक्षधर हैं । तो संविधान सम्मत नेशनल सेंसेस को संविधान संशोधन के माध्यम कास्ट सेंसस में क्यूं ना बदल दिया जाए ? सुप्रीमकोर्ट पहले ही दखल देने के मूड में नहीं है । टुकटुक सुनार की एक चोट लुहार की । आरक्षण बढ़ाते जाने से तो अच्छा है कि एक बार में ही खेला हो जाए ? सुप्रीमकोर्ट के 50% से अधिक आरक्षण पर प्रतिबंध को मानता कौन है ? तमिलनाडु में दशकों से 69% आरक्षण चला आ रहा है । अब नीतीश ने 75% की आग लगाई है तो यह आग एक ही बार लग जाए पूरे देश में ? आखिर पहले भी तो बाबा साहेब द्वारा दिए गए 17.5% आरक्षण को मंडल की आग में पकाकर 50% तक ले जाया जा चुका है । तो फिर हो जाए तमाशा , अखाड़ा खुद जाए , लड़ो ...
<strong>क्यों भारत चाहता है बांग्लादेश में शेख हसीना की वापसी</strong>

क्यों भारत चाहता है बांग्लादेश में शेख हसीना की वापसी

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आर.के. सिन्हा पड़ोसी देश बांग्लादेश में 12वां संसदीय चुनाव 7 जनवरी, 2024 को होगा और जाहिर तौर पर भारत की इन चुनावों पर करीबी नजर रहने वाली है। बांग्लादेश में नई संसद के चुनाव की घोषणा के साथ ही स्वाभाविक रूप से राजनीतिक तनाव और उपद्रव भी शुरू हो गए हैं। प्रमुख विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और जमात-ए-इस्लामी ने मांग की है कि चुनाव एक गैर-पार्टी अंतरिम सरकार की निगरानी में हों।  इसके नेता और कार्यकर्ता प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के इस्तीफे की मांग करते हुए सड़कों पर उतर आए हैं। शेख हसीना की  सत्तारूढ़ अवामी लीग ने विपक्ष की मांग को खारिज कर दिया है और कहा है कि चुनाव  शेख हसीना के नेतृत्व में ही होंगे। इस बीच, भारत की तो चाहत होगी कि अगले चुनाव में भी अवामी पार्टी को सफलता मिले। इसमें कोई शक नहीं है कि शेख हसीना भारत के प...
सरकार अब तो दवा नीति बनाईये

सरकार अब तो दवा नीति बनाईये

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कितना बड़ा दुर्भाग्य है कि भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में व्यथित करने वाली यह स्थिति बनी है कि जिन जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को सरकार को प्राथमिकता के आधार पर संवदेनशील ढंग से सुलझाना चाहिए, उन पर कोर्ट को पहल करनी पड़ रही है। ऐसे तमाम मुद्दों के साथ अब ऑनलाइन दवा बिक्री का मुद्दा भी जुड़ गया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को सख्त लहजे में कहा कि सरकार के लिये यह आखिरी मौका है। वह आठ हफ्ते के बीच ऑनलाइन दवा बिक्री नीति बनाए। इस मुद्दे को लंबे समय से लटकाने पर क्षुब्ध कोर्ट ने चेताया कि यदि सरकार ने नीति समय पर नहीं बनायी तो इस विभाग को देख रहे संयुक्त सचिव को आगामी चार मार्च को अदालत में जवाब देने आना पड़ेगा। दिल्ली हाईकोर्ट में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने नाराजगी जतायी कि इस नीति को बनाने के लिये सरकार के पास पर्याप्त ...