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विश्लेषण

क्या आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) से कुछ बदलाव होगा ?

क्या आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) से कुछ बदलाव होगा ?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, साहित्य संवाद
सारे देश आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) की चर्चा हो रही है। मौजूदा लहर इसकी परीक्षा की घड़ी है। जब भी कोई तकनीकी लहर पहली बार आती है तो हममें से कुछ लोग इसकी तारीफ करने लगते हैं जबकि कुछ लोग यह सोचने लगते हैं कि आखिर ये लोग इन बातों में अपना और हमारा समय क्यों खराब कर रहे हैं। उसके बाद जब वह तकनीकी लहर जोर पकड़ जाती है तो हममें से विचारशील लोगों के मन में एक तरह की चिंता घर करने लगती है। एआई से जुड़ी तकनीकी लहर (चैटजीपीटी उसका एक आरंभिक उदाहरण है) की बात करें तो इस समय वह दूसरे चरण में है जहां विचारक और नीति निर्माता नीतिगत निर्देश देने और विशेषज्ञ समितियां गठित करने में व्यस्त हैं।ताजा मामला अमेरिका का है जहां कुछ दिन पहले राष्ट्रपति जो बाइडन ने ऐसा ही एक निर्देश दिया। चूंकि यह निर्देश अमेरिका से आया था यानी एक ऐसे देश से जिसे तकनीकी लहरों को अपनाने में अग्रणी माना जाता है, इसलिए उसे ...
चाणक्य के अर्थशास्त्र में राज्य की व्यवस्था एवं स्वरूप

चाणक्य के अर्थशास्त्र में राज्य की व्यवस्था एवं स्वरूप

EXCLUSIVE NEWS, आर्थिक, विश्लेषण
- प्रो. रामेश्वर मिश्र पंकजमहामति चाणक्य ने अपने महान ग्रंथ ‘अर्थशास्त्रम्’ राज्य के कर्तव्य और राज्य की शक्तियों तथा स्वरूप पर प्रकाश डाला है। परन्तु सबसे पहले यूरोपीय राजनीतिशास्त्रियों के सन्दर्भ में यह तथ्य सदा स्मरण रखना चाहिये कि भारत का कोई भी धर्मज्ञ विद्वान या राजशास्त्रप्रणेता कभी भी यह दावा नहीं करता कि वह इस विषय पर कोई नितांत नवीन बात कह रहा है। वह सदा आधारभूत शास्त्रों के प्रमाण देते हुये तथा पूर्व आचार्यों के मत श्रद्धापूर्वक उपस्थित करते हुये उसमें अपनी व्याख्या अथवा अपनी कोई नवीन उद्भावना इस विनय के साथ प्रस्तुत करता है कि वह परम्परा का ही पोषण कर रहा है और स्वधर्म का पालन कर रहा है। अतः भारत या विश्व के किसी भी विश्वविद्यालय में चाणक्य सहित किसी भी भारतीय राजशास्त्र प्रणेता को पढ़ना और पढ़ाना तब तक अप्रामाणिक है, जब तक सनातन धर्म के आधारभूत तत्वों की भारतीय शास्त्रों...
रंगत खोते हमारे सामाजिक त्यौहार।

रंगत खोते हमारे सामाजिक त्यौहार।

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, संस्कृति और अध्यात्म, साहित्य संवाद
बाजारीकरण ने सारी व्यवस्थाएं बदल कर रख दी है। हमारे उत्सव-त्योहार भी इससे अछूते नहीं रहे। शायद इसीलिए प्रमुख त्योहार अपनी रंगत खोते जा रहे हैं और लगता है कि त्योहार सिर्फ औपचारिकताएं निभाने के लिए मनाये जाते हैं। किसी के पास फुरसत ही नहीं है कि इन प्रमुख त्योहारों के दिन लोगों के दुख दर्द पूछ सकें। सब धन कमाने की होड़ में लगे हैं। गंदी हो चली राजनीति ने भी त्योहारों का मजा किरकिरा कर दिया है। हम सैकड़ों साल गुलाम रहे। लेकिन हमारे बुजुर्गों ने इन त्योहारों की रंगत कभी फीकी नहीं पड़ने दी। आज इस अर्थ युग में सब कुछ बदल गया है। कहते थे कि त्योहार के दिन न कोई छोटा। और न कोई बड़ा। सब बराबर। लेकिन अब रंग प्रदर्शन भर रह गये हैं और मिलन मात्र औपचारिकता। हम त्योहार के दिन भी हम अपनो से, समाज से पूरी तरह नहीं जुड़ पाते। जिससे मिठाइयों का स्वाद कसैला हो गया है। बात तो हम पूरी धरा का अंधेरा दूर क...
एर्नाकुलम विस्फोट एक चेतावनी है

एर्नाकुलम विस्फोट एक चेतावनी है

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, समाचार
अवधेश कुमारकिसी आतंकवादी घटना की गंभीरता का मूल्यांकन केवल इस आधार पर नहीं होता कि उसमें कितने लोगों की मौत हुई। केरल में एर्नाकुलम जिले के कलामसेरी के कन्वेंशन सेंटर यानी सम्मेलन केंद्र में हुआ विस्फोट हर दृष्टि से डराने और चिंतित करने वाली घटना है। निस्संदेह , तीन व्यक्तियों की मृत्यु तथा 51 लोगों का घायल होना सुरक्षा एजेंसियों के लिए थोड़ी राहत का विषय है। हालांकि एक व्यक्ति की भी मृत्यु या घायल होना हमारे लिए चिंता का विषय होना चाहिए। यहोवाज विटनेसेस या यहोवा विटनेस समुदाय के तीन दिनों के कार्यक्रम में 2000 के आसपास लोग उपस्थित थे। तीन विस्फोट का मतलब इसकी पहले से पूरी तैयारी की गई थी। यह भी साफ हो गया है कि विस्फोट ईईडी से ही हुआ। अभी यह कहना मुश्किल है कि कोच्चि निवासी डोमिनिक मार्टिन नामक व्यक्ति द्वारा घटना की जिम्मेवारी लेने का सच क्या है। क्या वह अकेले इस विस्फोट में शामिल था या...
रख्यात लेखिका केरेन आर्मस्ट्रांग की पुस्तक है:” The Gospel according to Women “।

रख्यात लेखिका केरेन आर्मस्ट्रांग की पुस्तक है:” The Gospel according to Women “।

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उसमें पृष्ठ 91 -99 में कुछ पादरियों द्वारा लिखी गई पुस्तकों की चर्चा है ।विशेषकर जैकब स्प्रेंगर नामक एक पादरी ने एक पुस्तिका लिखी : Malleus Maleficarum मेल्यूस मलीफीकेरम।जिसका हिंदी अनुवाद होगा "कुकर्मी डायनों की पिटाई ठुकाई के लिए हथोड़ा "। लेखिका केरेन आर्मस्ट्रांग ने कई पृष्ठों में उस पुस्तिका के सारांश दिए हैं। यह पुस्तक कोलॉन यूनिवर्सिटी द्वारा 16वीं शताब्दी ईस्वी में पाठ्यपुस्तक के रूप में पाठ्यक्रम का अंग थी ।इसके 11 संस्करण प्रकाशित हुए।इसके बाद से अनेक पादरियों ने डाइनो को ठिकाने लगाने की विधियों पर अनेक पुस्तक लिखी और परस्पर होड लग गई।स्प्रेंगर ने उक्त पुस्तिका में लिखा कि जो christian स्त्रियां पादरियों और चर्च की आज्ञाकारिणी नहीं होती , वे शैतान की सखी होती है। शैतान की सखी यह स्त्रियां पुरुषों पर सात प्रकार से आक्रमण करती हैं :पहले पुरुषों के मस्तिष्क में असाधारण काम वे...
क्या <em>इजराइल</em> मिट जाएगा?

क्या इजराइल मिट जाएगा?

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
*दरअसल इजराइल की जान पर वही जिहादी आफत है, जो भारत के हिन्दुओं पर पिछले हजार, विशेष कर सौ सालों से है! जैसे विविध इस्लामी दस्तों, संगठनों ने भारत पर बाहर-अंदर से हमले किए हैं, उसी तरह इजराइल के बनते ही उस पर मिस्र, इराक, जोर्डन, लेबनान, सीरिया ने इकट्ठा हमला किया था। पर जो इजराइल को ही दुष्ट दोषी मान कर सारा विमर्श करते हैं, उन्हें याद रहे कि यहूदी लोग इतने शान्त स्वभाव रहे हैं कि खुद मुस्लिम उन्हें कायर कहते थे!* *भारत में सदा की तरह फिलीस्तीन का रोना शुरू हो गया है। जबकि इजराइल के लिए बोलने वाले मुख्यतः सोशल मीडिया में कुछ लोग हैं, जिन के हाथ में कुछ नहीं। सत्ता और संसाधन वाले भारतीय नेता व बौद्धिक फिलीस्तीनियों की मदद को उत्साहित हैं। मोटे तौर पर पूरे विश्व में यही दृश्य है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने तो सारा दोष इजराइल पर ही मढ़ दिया है।* *इस तरह, इजराइल अपनी लड़ाई प्रायः अक...
नए वैश्विक आर्थिक अवसरों को भुनाना होगा

नए वैश्विक आर्थिक अवसरों को भुनाना होगा

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, विश्लेषण
आज जब दुनिया इजराइल-हमास युद्ध, बढ़ती तेल कीमतों और गिरती वैश्विक विकास दर की चुनौतियों का सामना कर रही है, तब विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षणों और रिपोर्टों में भारत की आर्थिकी की आशावादी तस्वीर उभरकर आना सुकूनदेह लगता है। हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने देश के उपभोक्ताओं और कारोबारों के बारे में जो सर्वेक्षण प्रकाशित किया है, उसके निष्कर्षों में कारोबारी और वित्तीय विचार भारत में व्यापक तौर पर आर्थिक विस्तार को लेकर आशाजनक रुख दिखाते हैं। इस सर्वेक्षण में कहा गया है कि देश में खुदरा महंगाई में कमी आ रही है, औद्योगिक उत्पादन बढ़ रहा है, बेरोजगारी में कमी आई है, कर राजस्व में सुधार हुआ है। जहां रोजगार की स्थिति में सुधार हुआ है, वहीं स्वरोजगार को अपनाने वालों की तादाद तेजी से बढ़ी है। बैंक ऋण में अच्छी वृद्धि के मद्देनजर सबसे अधिक वृद्धि खुदरा और व्यक्तिगत ऋण में हुई है।...
डॉक्टरों पर हमला करने वालों को भेजो जेल

डॉक्टरों पर हमला करने वालों को भेजो जेल

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
आर.के. सिन्हा पिछले दिनों राजधानी में सैकड़ों डॉक्टर राजघाट पर एकत्र हुए। ये वही डॉक्टर हैं, जो जानलेवा कोरोना की दूसरी लहर के समय भगवान के दूत बनकर रोगियों का इलाज कर रहे थे। लेकिन, अब ये डरे-सहमे हुए हैं। इनकी डर की वजह यह है कि इन पर होने वाले हमलों और दुर्व्यवहार के मामलों की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हो रही है । केन्द्र सरकार से यह मांग कर रहे हैं कि वो तुरंत ही कोई सख्त कानून लेकर आए ताकि डॉक्टर बिना किसी भय भाव के काम सकें। फिलहाल तो डॉक्टरों पर हमले लगातार बढ़ते ही चले जा रहे हैं। आप स्वयं गूगल करके देख लें। आपको डॉक्टरों पर हमलों के अनगिनत मामले मिलेंगे। बेशक, डाक्टरों के साथ बदतमीजी या मारपीट करना किसी भी सभ्य समाज में सही नहीं माना जा सकता। इसकी भरपूर निंदा तो होनी ही चाहिए और जो इस तरह की अक्षम्य हरकतें करते हैं, उन्हें कठोर दंड भी मिलना चाहिए। ...
नोएडा सिटीजन फॉर्म

नोएडा सिटीजन फॉर्म

TOP STORIES, प्रेस विज्ञप्ति, विश्लेषण
री प्रशांत त्यागी जी अध्यक्ष सैक्टर 49 नोएडा द्वारा यह मुद्दे नोएडा सिटीजन फॉर्म* की ओर से लिखकर भेजे गए हैं जो फोनरवा चुनाव से संबंधित है। नोएडा शहर की बेहतरीन के लिए यह सभी बिंदु बेमिसाल, इन सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए ही फोनरवा अध्यक्ष और सेक्रेटरी जनरल प्रत्याशी का चुनाव होने चाहिए। यदि नोएडा शहर का समूचा विकास चाहते हैं तो फोनरवा चुनाव के लिए इन सभी बिंदु के मध्य नजर प्रत्याशियों की जवाब दे ही तय होनी चाहिए। *श्री प्रशांत त्यागी द्वारा लिखा गया संकल्प पत्र इस प्रकार है।* फोनरवा चुनाव में भाग ले रहे सभी पैनलों से "नौएडा सिटीजन फोरम" ने अपने घोषणा पत्रों में शामिल किए जाने के लिए सामूहिक रूप से जनहित से संबंधित मांगें की। *नौएडा सिटीजन फोरम**"NOIDA CITIZEN FORUM" (NCF)* FONRWA चुनाव में भाग ले रहे सभी पैनलों से *नौएडा एवं इसके नागरिकों के हित में* निम्नलिखित मांगों...
<strong>बन्दूक-संस्कृति से दागदार होती अमेरिकी छवि</strong>

बन्दूक-संस्कृति से दागदार होती अमेरिकी छवि

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
-ः ललित गर्ग - दुनिया में स्वयं को सभ्य एवं स्वयंभू मानने वाले अमरीका में बढ़ रही ‘बंदूक संस्कृति’ के साथ-साथ लोगों में बढ़ रही असहिष्णुता, हिंसक मनोवृत्ति और आसानी से हथियारों की सहज उपलब्धता का दुष्परिणाम बार-बार होने वाली दुखद घटनाओं के रूप में सामने आना चिन्ताजनक है। अमेरिका में एक हत्यारे ने गोलियां बरसाकर करीब 21 लोगों को मौत की नींद सुला दिया और कई को जख्मी कर दिया है। तीन स्थानों पर गोलीबारी करने के बाद हत्यारा घटनास्थल से भागने में सफल हुआ है। आश्चर्यकारी है कि दुनिया की सबसे दुरस्त एवं सक्षम अमेरिकी पुलिस एक हत्यारे को पकड़ने में इतनी लाचार हो गई कि उसे सहयोग के लिए आम लोगों से अपील करनी पड़ी। हिंसा की बोली बोलने वाला, हिंसा की जमीन में खाद एवं पानी देने वाला, दुनिया में हथियारों की आंधी लाने वाला अमेरिका अब खुद हिंसा का शिकार हो रहा है। अमेरिका की आधुनिक सभ्यता की सबसे बड़ी ...