कृष्ण होने के मायने
श्रीकृष्ण को समझने की बुद्धि प्रशांत भूषण में नही हो सकती क्योंकि उसको क्या पता कि क्यों कोर्ट में अदालत में शपथ लेते वक्त गीता पर हाथ रखवाते हैं?
रामायण पर क्यों नहीं रखवा लेते?
उपनिषद पर क्यों नहीं रखवा लेते?
बड़ा कारण है।
पता नहीं अदालत को पता है या नहीं,
लेकिन कारण है; कारण बड़ा है।
राम, कितने ही बड़े हों, लेकिन इस मुल्क के चित्त में वे पूर्ण अवतार की तरह नहीं हैं; अंश है उनका अवतार। उपनिषद के ऋषि कितने ही बड़े ज्ञानी हों, लेकिन अवतार नहीं हैं। कृष्ण पूर्ण अवतार हैं। परमात्मा अगर पूरा पृथ्वी पर उतरे, तो करीब-करीब कृष्ण जैसा होगा। इसलिए कृष्ण इस मुल्क के अधिकतम मन को छू पाए हैं; बहुत कारणों से। एक तो पूर्ण अवतार का अर्थ होता है, मल्टी डायमेंशनल, बहुआयामी; जो मनुष्य के समस्त व्यक्तित्व को स्पर्श करता हो। राम वन डायमेंशनल हैं।
हर्बर्ट मारक्यूस ने एक किताब लिखी है, वन डायमेंशनल मैन, एक...