
महिला-माओवादियों द्वारा सुरक्षाकर्मियों की हत्या के बाद गुप्तांगों का काटा जाना (पोस्ट केवल बस्तर के संदर्भ में) :
जिन गतिविधियों को आप क्रांति के प्रति अपनी रूमानियत के तहत, आदिवासियों की प्रतिक्रिया समझते हुए माओवादियों के समर्थक बनते हैं वह माओवादियों के लिए विशुद्ध रूप से युद्ध की रणनीति होती है।
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मेरी व आपकी असहमति -
आप मानते हैं कि महिला माओवादियों ने बदले की कार्यवाही के लिए सिपाहियों के गुप्तांग काटे।
मैं कहता हूं कि यह माओवादियों की युद्ध रणनीति है, जनदबाव विकसित करने की। गुप्तांग जानबूझकर काटे गए ताकि आप यह गुणा-गणित लगाते रहें कि यह बदले की कार्यवाही है। आपकी सहानुभूति प्राप्त हो, साथ ही आपके दिलोदिमाग में यह बैठ जाए कि सुरक्षा बल आदिवासी महिलाओं के साथ बलात्कार करते हैं।
जिसने कई दशक तक भ्रष्टाचार करते हुए ग्रांट पाते हुए NGO चलाई हो, आदिवासी क्षेत्रों में विकास के नाम पर वर्षों तक करोड़ों रुपए की ग्राँट पाई हो। आप उसे आदिवासी मुद्दों को समझने के लिए अपनी समझ व तथ्यों का स्रोत मानते...