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विश्लेषण

27 सितंबर को ‘विश्व पर्यटन दिवस’ है। हालांकि

27 सितंबर को ‘विश्व पर्यटन दिवस’ है। हालांकि

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
भारत अपना राष्ट्रीय पर्यटन दिवस 25 जनवरी को मनाता है। जानकारी देना चाहूंगा कि विश्व पर्यटन दिवस के दिन आज बहुत से देशों में अलग-अलग गतिविधियां, कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। मेले तक लगाये जाते हैं। पर्यटन किसी भी देश के विकास का साक्षी बनता है इसलिए हमें यह चाहिए कि हम विभिन्न पर्यटन स्थलों का विकास करके, उनका संरक्षण करके लोगों के आपसी संपर्क को बढ़ा कर मित्रता व आपसी सहयोग व सद्भाव को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दें। जानकारी देना चाहूंगा कि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का बड़ा योगदान होता है। पर्यटन स्थलों पर देश-विदेश से आने वाले विभिन्न पर्यटक विभिन्न परिवहन साधनों से लेकर होटल, रेस्तरां और पर्यटन स्थलों के टिकट पर व्यय करते हैं और देश को बड़ी आय या इनकम होती है। वास्तव में विदेशी पर्यटकों को अपने देश में आकर्षित करने और पर्यटन के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर वर्ष विश्व ...
घरेलू वित्तीय बचत घट गई है, जनाब !

घरेलू वित्तीय बचत घट गई है, जनाब !

EXCLUSIVE NEWS, आर्थिक, विश्लेषण
देश के रिज़र्व बैंक अर्थात् भारतीय रिजर्व बैंक ने घरेलू वित्तीय बचत के जो आंकड़े पेश किए हैं, उन्होंने अर्थशास्त्र के विद्वानों को चौंका दिया है और इनका मध्यम अवधि की वृद्धि पर गहरा असर हो सकता है। आंकड़ों से पता चलता है कि विशुद्ध घरेलू वित्तीय बचत 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के 5.1 प्रतिशत के बराबर ही रह गई, जो कई दशकों में इसका सबसे कम स्तर है। पिछले वर्ष यह 7.2 प्रतिशत थी। वित्तीय बचत में ऐसी गिरावट की कई वजह हो सकती हैं। चूंकि बचत में कुल मिलाकर गिरावट हुई है इसलिए संभव है कि महामारी के दौरान जिन परिवारों की आय को झटका लगा था उनकी आय पूरी तरह पटरी पर नहीं लौट पाई हो। इससिए हो सकता है कि अर्थव्यवस्था में सुधार कंपनियों के मुनाफे की वजह से दिखा हो, जिसमें पिछली कई तिमाहियों से अच्छी बढ़त रही है। एक और कारण यह भी हो सकता है कि निरंतर बढ़ती महंगाई के कारण परिवार बच...
ओबीसी के नाम पर बेवक़ूफ़ बंनाने का ड्रामा

ओबीसी के नाम पर बेवक़ूफ़ बंनाने का ड्रामा

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
आंकड़ों का अध्यन करें तो हम पाएंगे कि देश के कुल केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अन्य पिछड़ा वर्ग में केवल 5 उप-कुलपति है। अगर रजिस्ट्रार देखें तो पिछड़े समाज के तीन हैं। देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर की तय सीटों की मात्र 4.5 प्रतिशत ही भरी गई हैं। अमूमन यही स्थिति एसोसिएट और असिस्टेंट प्रोफेसर में भी है। सीटों के खाली रहने के साथ-साथ ओबीसी के साथ क्रीमीलेयर का घटिया खेल खेलकर उनको कहीं का भी नहीं छोड़ा जा रहा है जिसकी वजह से उनकी जाति का सर्टिफिकेट तक छिना जा रहा है। छह या आठ लाख की मामूली सीमा से ओबीसी का हक़ मारकर आने वाली पीढ़ियों को पंगु बनाया जा रहा है जबकि अन्य आरक्षित वर्गों में न तो कोई क्रीमीलेयर है न कोई और बाध्यता? जिसकी वजह से इन वर्गों के बड़े-बड़े अफसरों के बच्चे भी पीढ़ियों तक आरक्षण का फायदा उठा पाएंगे। बड़े समाज को पीछे छोड़ हम अपने देश को सशक्त नहीं कर सकते। क्...
ये भारत क्यों छोड़ रहे हैं ?

ये भारत क्यों छोड़ रहे हैं ?

BREAKING NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, विश्लेषण, सामाजिक
भारत के सर्वश्रेष्ठ और सबसे मेधावी अब भी विदेशी निगमों में रोजगार को प्राथमिकता दे रहे हैं, तो देश का धनाढ्य वर्ग भी अपनी सरजमीं छोड़ने में पीछे नहीं है। इस साल जून में आई हेनली प्राइवेट वेल्थ माइग्रेशन रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2023 के अंत तक 6500 करोड़पतियों के भारत छोड़ने की संभावना है। ये क्यों भारत छोड़ रहे हैं? हेनली में एक वरिष्ठ पार्टनर घुमा-फिरा कर इसे ‘हाल की और लगातार उथल-पुथल’ बताते हैं। उन्होंने कहा कि महत्त्वपूर्ण बात यह है कि और भी ज्यादा निवेशक सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल तथा जलवायु परिवर्तन के असर के कारण अपने परिवारों को भारत से निकालकर विदेश ले जाने पर विचार कर रहे हैं। ब्रेन-ड्रेन या प्रतिभा पलायन का यह एक पहलू है। पहले सरकारी खर्च पर देश के आला संस्थानों से शिक्षित और योग्य इंजीनियर और प्रबंधन छात्र रोजगार के अवसरों के लिए पश्चिम के देशों ...
14 न्यूज एंकरों का ‘अपराध’ क्या?

14 न्यूज एंकरों का ‘अपराध’ क्या?

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
-बलबीर पुंज बीते सप्ताह विपक्षी गठबंधन (आई.एन.डी.आई.ए.) ने विभिन्न न्यूज चैनलों के 14 टीवी एंकरों का बहिष्कार कर दिया। इस गठजोड़ की मीडिया समिति ने टीवी पत्रकारों के नामों की एक सूची जारी करते हुए उनके कार्यक्रमों में अपना प्रतिनिधि नहीं भेजने का निर्णय किया है। क्या विपक्ष— विशेषकर मोदी विरोधियों का यह आचरण केवल एंकरों के बहिष्कार तक सीमित रहेगा? न्यूज चैनलों के राजस्व का एक हिस्सा उन विज्ञापनों से भी आता है, जो उन्हें विभिन्न सरकारों से मिलते है। इस पृष्ठभूमि में देश के 11 राज्यों में आई.एन.डी.आई.ए घटकों की सरकार है। क्या इनकी सरकारें उन चैनलों के विज्ञापनों को रोकेंगे, उसमें कटौती करेंगे या फिर प्रबंधकों पर कार्रवाई (नौकरी से निकालने सहित) करने का दबाव बनाएंगे, जिनसे यह 14 एंकर जुड़े है? मेरा मत है कि देश को तीन किस्तों में स्वतंत्रता मिली है। 15 अगस्त 1947 को खंडित भारत को राजनी...
बच्चों की रुकी हुई लंबाई को बढ़ाएं योगासन’

बच्चों की रुकी हुई लंबाई को बढ़ाएं योगासन’

TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
अलका सिंहयोग विशेषज्ञ योगासन केवल शारीरिक विकास के लिए ही नहीं होते हैं, बल्कि उनका मानसिक और आध्यात्मिक असर भी होता है। यह शारीरिक कष्टों से से राहत दिलाता है तो वहीं मानसिक दबाव को कम करता है। बच्चों की हाइट न बढ़ना आजकल आम समस्या हो गई है। अगर अच्छे खानपान और कई तरह की एक्सरसाइज करने के बावजूद किसी बच्चे की लम्बाई नहीं बढ़ रही है तो ऐसे में पेरेंट्स का चिंता करना लाजमी है। शुरूआत में बच्चों की लम्बाई पर माता-पिता ध्यान नहीं देते हैं लेकिन जब 15 साल के बाद भी उम्र के हिसाब से बच्चे की लम्बाई नहीं बढ़ती है तो उन्हें चिंता होने लगती है। अगर हर तरह के उपाय करने के बावजूद आपके बच्चे की हाइट नहीं बढ़ रही है तो आप इन तीन योगासन की मदद ले सकते हैं। बच्चों की हाइट बढ़ाने के लिए करें ये योगासन ’ताड़ासन’  ताड़ासन को लंबाई बढ़ाने के लिए रामबाण इलाज कहा जाता है। ये आसन पीठ दर्द, लंब...
<strong>संसद का विशेष सत्र सार्थक बहस का माध्यम बने</strong>

संसद का विशेष सत्र सार्थक बहस का माध्यम बने

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-ललित गर्ग- आज संसद में भारतीय संसदीय इतिहास का आठवां विशेष सत्र प्रारंभ हुआ, ऐतिहासिक रूप से देखें तो विशेष सत्र आमतौर पर महत्वपूर्ण विधायी या राष्ट्रीय घटनाओं के उपलक्ष्य में बुलाए गए हैं। संसदीय इतिहास में अब तक संसद के सात विशेष सत्र बुलाए जा चुके हैं जिनमें से तीन बार ऐसे सत्र तब बुलाए गए जब देश ऐतिहासिक उपलब्धियों का जश्न मना रहा था। वहीं दो बार राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए 1977 में तमिलनाडु और नगालैंड में तो 1991 में हरियाणा में विशेष सत्रों का आयोजन किया गया। इस बार 75 साल की संसदीय यात्रा पर चर्चा के लिए मुख्यतः विशेष सत्र बुलाया गये हैं। इस बार का विशेष सत्र संसदीय परम्परा के श्रेष्ठ स्वरूप को उपस्थित करके उसके उत्कर्ष को बढ़ाने और उसे उन्नत-आदर्श बनाने के लिये होना चाहिए, न केवल इस विषय पर गंभीरता से चर्चा होनी चाहिए, बल्कि इस पर चिंतन और मनन भी होना चाहिए। क्योंकि इससे इन्क...
<strong>EFFORTS TOWARDS WORLD PEACE NOT GOING  ANYWHERE</strong>

EFFORTS TOWARDS WORLD PEACE NOT GOING  ANYWHERE

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, संस्कृति और अध्यात्म
N.S.Venkataraman                                                                       Even a cursory glance on human history over the past thousands of years  would highlight that  wars and conflicts , jealousy and greed , lust and   vengeance  had been the order of the day. Of course, there have also been events   of harmony and peace but they have been few and far between and have been more of an exception rather  than rule  and they have been like a flash in the pan.  The great Indian epics  Ramayana and Mahabharatha discuss several characters and a number of such characters have been violent, prone , unethical and quarrelsome.  At the same time, there have also been noble men and women and saints described in the ep...
महंगाई, डायन खाय जात है

महंगाई, डायन खाय जात है

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, विश्लेषण
बढ़ती महंगाई लोगों की जेब पर भारी पड़ रही है, महंगाई के लिए खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति संबंधी चिंताओं के बीच कच्चे तेल की कीमतें पिछले 10 माह के उच्चतम स्तर पर पहुंचने से महंगाई की चुनौती और कठिन हो गई है। ऐसे में सरकार के लिए महंगाई कम करना बड़ा मुद्दा बन गया है। यद्यपि केंद्र सरकार ने 29 अगस्त को घरेलू रसोई गैस सिलेंडर के दाम 200 रुपए घटाकर बड़ी राहत दी है, लेकिन आम आदमी सरकार से खाद्य पदार्थों की कीमतों के साथ-साथ पेट्रोल-डीजल के दामों में कुछ कमी की भी अपेक्षा कर रहा है। हाल ही में 5 सितंबर को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि जुलाई 2023 में जो मुद्रास्फीति सप्लाई चेन के झटकों के कारण ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है, उसे कम करने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के अनुसार जून 2023 में जो खुदरा महंगाई दर 4.87 प्रतिशत थी, वह...
<strong>विश्वकर्मा योजना-ली गई अंततः असहायोंकी सुध</strong>

विश्वकर्मा योजना-ली गई अंततः असहायोंकी सुध

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आर.के. सिन्हा कभी यह भी सोचा जाना चाहिए कि देश के आजाद होने के इतने दशक गुजरने के बाद भी हमने मोची, धोबी, बढ़ई, लोहार, कुम्हार जैसे निचले स्तर पर काम करने वालें कुशल कामगारों के हितों को लेकर कोई व्यापक नीति क्यों नहीं बनाई?  अगर इनके बारे में पहले सोचा जाता तो ये भी देश के विकास का लाभ ले रहे होते। इनकी अनदेखी तो हुई। हां, इतना सुकून किया जा सकता है कि अब इनके बारे में सोचा जा रहा है। अब सरकार इनकी जिंदगी में खुशियां लाने के लिये विश्वकर्मा योजना लेकर आ रही है। इस योजना के ऊपर अगले पांच साल में 13 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आगामी 17 सितंबर को जन्म दिन पर शुरू होने वाली इस योजना के तहत मोची, धोबी, बढ़ई, लोहार कुम्हार आदि को पांच प्रतिशत की दर से एक लाख रुपये और दूसरे चरण में दो लाख रुपये का कर्ज मिल सकेग...