Shadow

विश्लेषण

बहुत घातक है ये “कृत्रिम मिठास”

बहुत घातक है ये “कृत्रिम मिठास”

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
आज का “प्रतिदिन” चेतावनी है, सरकार से अपेक्षा है और उन सारे लोगों को सलाह है जो मिठास के लिए चीनी के विकल्प के रूप में रासायनिक मिठास ‘शुगर फ्री’ का उपयोगकर रहे हैं। इस कृत्रिम मिठास से उनके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले घातक प्रभावों को लेकर नये सिरे से बहस छिड़ हुई है। कृत्रिम रूप से खाद्य पदार्थों को मीठा करने वाले एस्पार्टेम को कैंसर कारक के रूप में वर्गीकृत तो किया गया है, लेकिन इसके सेवन को लेकर निर्णायक चेतावनी जारी न किये जाने पर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन के पोषण व खाद्य सुरक्षा विभाग के तहत दो समूहों में हजारों वैज्ञानिकों के शोध अध्ययन सामने के बाद कृत्रिम मीठे को कैंसर के कारकों के रूप में वर्गीकृत किया गया था। ये निष्कर्ष सामने आना बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया में भीमकाय कंपनियां कृत्रिम मीठे से बने उत्पादों का खरबों रुपये का कारोबार करती हैं। साथ ही ...
<strong>भरोसा रखें कि आप सफलता का रास्ता ढूंढ लेंगे</strong>

भरोसा रखें कि आप सफलता का रास्ता ढूंढ लेंगे

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
- ललित गर्ग - आप आज जहां हैं, जाहिर है कि अपने काम करने के खास तरीके के कारण हैं। आपका स्वास्थ्य, रुपये-पैसे की स्थिति, रिश्ते और करियर वगैरह सब, आपकी कार्यप्रणाली और निर्णयों का नतीजा हैं। ऐसे में महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि आप जहां हैं, क्या उस पड़ाव पर खुश हैं? अगर आप यूं ही अपनी जिंदगी बिताते रहते हैं, तो क्या नतीजों से आप खुद को संतुष्ट महसूस करेंगे? अगर उत्तर में किंतु, परंतु आता है, तो कुछ बदलाव करने एवं जीवन को सकारात्मक सोच एवं दिशाएं देने की जरूरत का वक्त आ गया है। आज के समय में यह बहुत गंभीर मसला है कि निराशा और अवसाद में डूबे लोग इसी सकारात्मकता और ऊर्जा की तलाश में यहां-वहां फिर रहे हैं। ऐसे में बड़े पैमाने पर सकारात्मकता पढ़ाने वालों की जरूरत और भरमार है, पर इनमें से अधिकतर की सबसे बड़ी समस्या है कि वे चीजों को सतही बनाकर पेश करते हैं। सकारात्मकता का अर्थ है- अपनी योग्यता ...
भारत की आर्थिक प्रगति को कुछ देश प्रभावित करना चाहते हैं

भारत की आर्थिक प्रगति को कुछ देश प्रभावित करना चाहते हैं

BREAKING NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, विश्लेषण
भारतीय सनातन संस्कृति की अपनी कुछ विशेषताएं हैं, जिनके पालन से भारत आर्थिक क्षेत्र में चंहुमुखी विकास करता दिखाई दे रहा है। परंतु, कुछ देश भारत की आर्थिक प्रगति को प्रतिस्पर्धा के नजरिए से देखते हुए इसे पचा नहीं पा रहे हैं क्योंकि आज भारत की विकास दर इन देशों से कहीं आगे निकल गई है जबकि इन देशों की न केवल विकास दर लगातार कम हो रही है बल्कि इन देशों की अर्थव्यवस्थाएं मंदी की चपेट में आती दिखाई दे रही हैं। आज पूरे विश्व में भारतीय सनातन संस्कृति सबसे पुरानी संस्कृति मानी जा रही है, अतः वैश्विक स्तर पर कुछ देश एवं संस्थान मिलाकर भारतीय सनातन संस्कृति पर लगातार प्रहार करते दिखाई दे रहे हैं ताकि न केवल भारत के सामाजिक तानेबाने को छिन्न भिन्न किया जा सके बल्कि भारत की आर्थिक विकास दर को भी प्रभावित किया जा सके। हाल ही में, भारत के मणिपुर एवं हरियाणा जैसे र...
<em>‘पाकिस्तान’ की किस्मत का तारा – खैबर पख्तूनख्वा</em>

‘पाकिस्तान’ की किस्मत का तारा – खैबर पख्तूनख्वा

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
टुकडे टुकडे पाकिस्तान प्रशांत पोळ पाकिस्तान का, अफगानिस्तान से सटा हुआ राज्य, जिसे आज ‘खैबर पख्तूनख्वा’ कहा जाता हैं, पाकिस्तान की झोली में आया, नेहरु के कारण. यह राज्य, पाकिस्तान की किस्मत का तारा हैं, जिसके कारण अमरीका ने अफगानिस्तान के रुसी सैनिकों से लोहा लेने के लिए, पाकिस्तान पर पैसों की बारिश की थी. तब इसका आधिकारिक नाम ‘खैबर पख्तूनख्वा’ नहीं था. यह North West Frontier Province (NWFP) के नाम से जाना जाता था. पश्तूनों, या पठानों का यह प्रदेश, तब भी मुस्लिम बहुल था. पश्तूनी या ‘हिंदको’ भाषा यहां चलती थी. हमारे चर्चित फ़िल्मी चेहरे, प्राण, राजकपुर, देवानंद आदि उन दिनों ‘हिंदको’ भाषा जानते थे, बोलते थे. इस राज्य का पेशावर यह बड़ा केंद्र था. व्यापार का, शिक्षा का और कुछ हद तक सांस्कृतिक गतिविधियों का भी. इस पूरे क्षेत्र के सर्वमान्य नेता थे, खान अब्दुल गफ्फार खान. एक भारीभरकम...
नार्को आतंकवाद को प्रश्रय दे रहा पाकिस्तान।

नार्को आतंकवाद को प्रश्रय दे रहा पाकिस्तान।

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
काफी समय पहले निर्देशक अभिषेक चौबे की एक फिल्म आई थी -'उड़ता पंजाब।' यह फ़िल्म पंजाब में युवा आबादी द्वारा नशीली दवाओं के दुरुपयोग और उससे जुड़े विभिन्न षड्यंत्रों की बात करती है। आज हमारे देश की युवा पीढ़ी नशे के गिरफ्त में लगातार फंसती चली जा रही है और नशे हमारे समाज, हमारे देश को गर्त की ओर धकेल रहा है। नशे से धन की तो बर्बादी होती ही है, स्वास्थ्य के साथ साथ यह हमारे समाज के ताने-बाने को भी काफी नुकसान पहुंचाता है। पंजाब तो पंजाब, लेकिन अब पंजाब के बाद अब राजस्थान में मादक पदार्थों की तस्करी में वृद्धि से राजस्थान के उड़ता राजस्थान बनने का डर सता रहा है। मीडिया के हवाले से आ रही खबरों से पता चलता है कि सीमावर्ती इलाकों में मादक/नशीले पदार्थों की तस्करी के मामले दिन-ब-दिन बढ़ते ही चले जा रहे हैं। नशीले पदार्थों की बड़ी खेप तस्करों द्वारा हमारे देश में पहुंचाई जा रही है और इसमें पाकिस्त...
दो देशों का अलग-अलग व्यवहार

दो देशों का अलग-अलग व्यवहार

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
अवधेश कुमारभारत और पाकिस्तान से जुड़ी ऐसी कई घटनाएं समय-समय पर हमारे सामने आती हैं जो दोनों देशों के चरित्र को स्पष्ट करती है। भारत की अंजू और पाकिस्तान की सीमा हैदर की घटना ऐसी ही है। पाकिस्तान से आई सीमा हैदर बता रही है कि उसने सचिन के प्यार में ही अपना देश छोड़कर भारत आने का फैसला किया। कह रही है कि मैं हिंदू बन चुकी हूं। उसके पूरे व्यवहार में कहीं भी परिलक्षित नहीं होता कि वह पाकिस्तान की मुस्लिम महिला है। बावजूद हमारे देश की मीडिया और एक बड़े समूह ने अभी तक उसे संदेह से बाहर नहीं निकाला है। उसे आईएसआई की साजिश या मोहरा से लेकर न जाने क्या-क्या साबित करने की कोशिश हुई। हां, बिना वीजा के भारत आने के कारण उसकी गिरफ्तारी हुई। इस समय वह जमानत पर है। सचिन का परिवार साथ नहीं होता तो उसकी जमानत लेने वाला कोई नहीं होता और वह जेल में होती। अब समाचार यह है कि सचिन के परिवार के सामने दिन रात के ...
31 जुलाई 1940 : क्रान्तिकारी ऊधमसिंह का बलिदान

31 जुलाई 1940 : क्रान्तिकारी ऊधमसिंह का बलिदान

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
लंदन जाकर जनरल डायर को गोली मारी थी --रमेश शर्मा क्रान्ति कारी ऊधमसिंह को लंदन में 31 जुलाई 1940 को फांसी दी गई थी । सरदार ऊधमसिंह ने लंदन जाकर उस जनरल डायर को गोली से उड़ा दिया था जिसके आदेश पर जलियाँवाला बाग में निहत्थे लोगों की लाशें बिछा दी गईं थी । ऊधमसिंह उस हत्या कांड के चश्मदीद थे । उनके सामने ही वैशाखी के लिये एकत्र निर्दोष भारतीयों का दमन हुआ था । उन्होंने इसका बदला लेने की ठानी और जीवन भर उसी लक्ष्य पूर्ति में लगे रहे । उन्हे जनरल डायर को मारकर ही चैन मिला ।सरदार ऊधमसिंह का जन्म 26 दिसम्बर 1899 को संगरूर जिले के गाँव सनाम में हुआ था । उनका परिवार काम्बोज के नाम से जाना जाता था । उनके एक बड़े भाई भी थे जिनका नाम मुक्ता सिंह था । परिवार आराम से चल रहा था कि 1907 में किसी बीमारी से माता पिता दोनों की मृत्यु हो गई । बड़े भाई यद्यपि बहुत बड़े न थे फिर उन्होंने ऊधम सिंह को संभा...
क्या भ्रष्टाचार से निपटने में कारगर होगी बेसिक आय?

क्या भ्रष्टाचार से निपटने में कारगर होगी बेसिक आय?

TOP STORIES, घोटाला, विश्लेषण
वर्तमान में, 1000 से अधिक केंद्र और राज्य सरकार की योजनाएं मौजूद हैं, जिनमें से अधिकांश भ्रष्टाचार से भरी हुई हैं। वर्तमान योजनाओं में लीकेज का स्तर अत्यधिक उच्च है और ऐसी योजनाओं का कार्यान्वयन भी ख़राब है। बेसिक आय इस ढेर सारे कार्यक्रमों की जगह ले सकता है, जिससे इससे जुड़ी भ्रष्टता दूर हो सकती है। बेसिक आय सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े नागरिकों की गरीबी और असुरक्षा को दूर करने में मदद करेगा। यह एक गारंटीकृत आय है, जो विषम परिस्थितियों में जीवित रहने के लिए एक आधार के रूप में कार्य करती है एवं आर्थिक और वित्तीय सुरक्षा बनाए रखती है। -प्रियंका सौरभ बेसिक आय किसी देश के सभी नागरिकों को उनकी आय, संसाधनों या रोजगार की स्थिति की परवाह किए बिना एक निश्चित धनराशि प्रदान करने का एक मॉडल है। बेसिक आय का उद्देश्य गरीबी को रोकना या कम करना और नागरिकों के बीच समानता बढ़ाना है। आज बेसिक ...
वर्षा ऋतु – वरदान या अभिशाप

वर्षा ऋतु – वरदान या अभिशाप

TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक, साहित्य संवाद
भारत विभिन्न संस्कृतियों की भांति विभिन्न ऋतुओं से सम्पन्न देश है। यहाँ पर - वर्षा, ग्रीष्म, शरद, हेमंत, शिशिर तथा वसंत (6) प्रमुख ऋतुएं हैं। प्रत्येक ऋतु के आगमन पर जनमानस के हृदय में एक अलग ही आनंद व उत्साह का भाव देखने को मिलता है। ग्रीष्म ऋतु के पश्चात, वर्षा ऋतु के आगमन पर मनुष्य, पेड़-पौधे, पशु -पक्षी, जानवर आदि सभी अत्यधिक उत्साह तथा व्यग्रता से इंतजार करते हैं। वर्षा की जब प्रथम फुहार धरती पर पड़ती है तो, सम्पूर्ण भूमण्डल आनन्द विभोर हो उठता है। नई कोपलों का प्रस्फुटन होता है, खेतों में फसले लहलहाती है, मोर आनन्द के वशीभूत होकर नृत्य करने लगते हैं, प्रेमिका अपने प्रवासी प्रेमी के इंतजार में व्यग्र हो जाती है, वातावरण सुगन्धित हो जाता है। अर्थात् वर्षा ऋतु समस्त प्राणियों के लिए ईश्वर प्रदत्त अनुपम भेंट है।अतीत में ईश्वर द्वारा प्रदत्त प्रकृति, एक अनुपम वरदान स्वरूप थी, परन्तु ...
UNRESOLVED  QUERY ON ORIGIN AND END OF LIFE

UNRESOLVED  QUERY ON ORIGIN AND END OF LIFE

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
N.S.Venkataraman                                                                       Ever since the world happened and humans came into existence ( does anyone know when it was?) , men and women  have been enquiring  as to from where human , animal , bird and other creatures have come into the world and where they would go after their life process. While extraordinary developments have  happened over the last several centuries in science, technology , medicine and other areas, no one has been  able to  explain the origin and end of life with clarity.  Scientists may say that humans and animals happen due to chemical reactions in the womb of the mother and  humans , animals and other creatures  disappear due to the decay of the c...