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विश्लेषण

<strong>क्यों तड़प उठी दिल्ली में यमुना नदी</strong>

क्यों तड़प उठी दिल्ली में यमुना नदी

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण, सामाजिक
आर.के. सिन्हा जब भी किसी भी नदी की धारा सूख जाती है, तो लोग उसमें अपना घर बना लेते हैं या तरह-तरह के अतिक्रमण कर लेते हैं और जब बारिश के दिनों में नदी अपने वास्तविक स्वरूप में लौटती है तो कहा जाने लगता है कि देखो,   बाढ़ आ गई। आज जब यमुना अपनी अस्तित्व तो बचाने के लिए अपने पूरे सामर्थ्य के  साथ दिल्ली के लोगों और दिल्ली की गंदगी दोनों से एक साथ लड़ रही है तो दिल्ली भर में हाहाकार मचा हुआ है। सच में, दिल्ली के द्वारा दिए गए कष्ट से ही तड़प उठी है यमुना। दिल्ली को अपनी यमुना को तो हर सूरत में बचाना ही होगा। हालत तो यह बन गई है कि जो यमुना दिल्ली की जीवन रेखा मानी जाती थी, अब उसमें तमाम शहर की गंदगी, गंदे कपड़े,   कबाड़,पॉलिथीन मरे हुए जानवरों फैक्ट्रियों कारखानों से निकलने वाले जहरीले रासायनिक तत्व मिलाए जा रहे हैं। जो यमुना नदी दिल्ली की ...
क्या सीमा हैदर पाकिस्तानी जासूस है?

क्या सीमा हैदर पाकिस्तानी जासूस है?

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-बलबीर पुंज गत 17-18 जुलाई को पाकिस्तान से नेपाल के रास्ते भारत आई सीमा हैदर, उसके प्रेमी सचिन मीणा और सचिन के पिता नेत्रपाल से उत्तरप्रदेश एटीएस ने गहन पूछताछ की। आलेख लिखे जाने तक, तीनों पुलिस की गिरफ्त में है। संदेह है कि 27 वर्षीय सीमा पाकिस्तानी जासूस है, जिसे 22 वर्षीय प्रेमी सचिन और उसके पिता ने अवैध शरण दी। क्या सीमा, पाकिस्तान से भेजी गई प्रशिक्षित जासूस है या फिर जैसा कि दावा किया जा रहा है कि वो कई खतरे उठाकर हुए हजारों मील का सफर करते हुए तीन देशों को पार करके अपनी मोहब्बत को पाने के लिए भारत आई है? सचिन-सीमा की प्रेम कहानी पर संदेह होना— स्वाभाविक है। यह सर्वविदित है कि पाकिस्तान अपनी कुटिल नीति— 'भारत को हजारों घाव देकर मौत के घाट उतारना' के अंतर्गत कई प्रपंचों पर काम कर रहा है। इसमें वह मजहब के नाम पर भारत में कुछ स्थानीय लोगों का सहयोग पाकर जिहादी 'स्लीपर सेल्स' को स...
<strong>Why Delhi, Mumbai, </strong>Bengaluru<strong>  infrastructure is in tatters</strong>

Why Delhi, Mumbai, Bengaluru  infrastructure is in tatters

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 Time to save big cities Vivek Shukla Barely two months before New Delhi has to host a prestigious G-20 summit that would be attended by heads of states of 20 most powerful nations of the world, the national capital is in tatters due to flooding in river Yamuna and heavy rains. If the flood waters have entered the houses of rich and poor, the water logging across the capital has exposed the callous attitude of all those who are supposed to look after the civic affairs of the city. Imagine the flood waters of Yamuna have entered the plush houses of the rich and famous in the Civil Lines area. This place is at a shouting distance from the official residence of Delhi’s Chief Minister Arvind Kejriwal. Even the Managing Director of famous Sadhna TV Rakesh Gupta and his family was ...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा

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फ्रांस भारत साझेदारी ऐतिहासिक दौर मेंअवधेश कुमारफ्रांस की राजधानी पेरिस में राष्ट्रीय दिवस समारोह बस्ताइल दिवस परेड में फ्रांसीसी सैनिकों के साथ भारतीय सेना के तीनों अंगों के 241 सदस्यीय मार्चिंग दस्ते को परेड करते, सैनिक बैंड द्वारा सारे जहां से अच्छा धुन बजाते सुन तथा राफेल विमानों का परेड के दौरान फ्लाईपास्ट का हिस्सा बनता देख समूचे भारत ने गर्व का अनुभव किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने सम्मानित अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था। मैक्रो ने ट्वीट में लिखा विश्व इतिहास में व भविष्य में निर्णायक भूमिका निभाने वाला एक रणनीतिक साझेदार एक मित्र। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट किया कि अपने सदियों पुराने लोकाचार से प्रेरित भारत विश्व को शांतिपूर्ण समृद्धि और टिकाऊ बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध है। एक मजबूत और भरोसेमंद भागीद...
पंचायत चुनाव प्रबंधन- दीदी जरा सीखें योगी से

पंचायत चुनाव प्रबंधन- दीदी जरा सीखें योगी से

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आर.के. सिन्हा यूपी में विगत मई महीने में पंचायत चुनाव हुए और पश्चिम बंगाल में इसी जुलाई में। दोनों ही देश के आबादी और क्षेत्रफल के लिहाज से खास राज्य हैं। पर पंचायत चुनावों के दौरान जहां यूपी में पूर्ण शांति रही, वहीं पश्चिम बंगाल ने हिंसा,आगजनी और निर्मम हत्याएं होती देखीं। राजनीतिक एकाधिकार के लिए पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा की संस्कृति अन्य भारतीय राज्यों की तुलना में कहीं अधिक विद्रूप रूप धारण कर गई है। देखा जा रहा है कि राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़पों की संस्कृति, खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों में हाल के कुछ वर्षों में यहां कुछ ज्यादा ही फली-फूली है। पश्चिम बंगाल में हाल ही में हुए पंचायत चुनाव के दौरान खूब–खराबा हुआ जिसमें तीन दर्जन से अधिक राजनीतिक हत्याएं हुई हैं। इस बात की पुष्टि करता है कि दीदी यानी ममता बनर्जी की सरकार सत्ता की हनक को बरकरार...
क्या टीपू सुल्तान न्यायप्रिय शासक था?

क्या टीपू सुल्तान न्यायप्रिय शासक था?

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४ मई को जिहादी गिद्ध टीपू सुल्तान अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध करते हुए मारा गया था। टीपू सुल्तान के समर्थन में पाकिस्तान की सरकार का एका-एक प्रेम उमड़ा और उसने टीपू सुल्तान की याद पढ़े। बुद्धिजीवी समाज में सत्य और असत्य के मध्य भी एक युद्ध लड़ा जाता हैं। इसे बौद्धिक युद्ध कहते है। यहाँ पर तलवार का स्थान कलम ले लेती हैं और बाहुबल का स्थान मस्तिष्क की तर्कपूर्ण सोच ले लेती हैं। इसी कड़ी में इस बौद्धिक युद्ध का एक नया पहलु है टीपू सुल्तान, अकबर और औरंगजेब जैसे मुस्लिम शासकों को धर्म निरपेक्ष, हिन्दू हितैषी ,हिन्दू मंदिरों और मठों को दान देने वाला, न्याय प्रिय और प्रजा पालक सिद्ध करने का प्रयास। इस कड़ी में अनेक भ्रामक लेख प्रकाशित किये जा रहे हैं। इन लेखों में इतिहास की दृष्टी से प्रमाण कम है,शब्द जाल का प्रयोग अधिक किया गया है। परन्तु हज़ार बार चिल्लाने से भी असत्य सत्य सिद्ध नहीं हो जाता। इस ...
भारत की बाढ़ प्रबंधन योजना का क्या हुआ?

भारत की बाढ़ प्रबंधन योजना का क्या हुआ?

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राष्ट्रीय बाढ़ आयोग की प्रमुख सिफ़ारिशें जैसे बाढ़ संभावित क्षेत्रों का वैज्ञानिक मूल्यांकन और फ्लड प्लेन ज़ोनिंग एक्ट का अधिनियमन अभी तक अमल में नहीं आया है। सीडब्ल्यूसी का बाढ़ पूर्वानुमान नेटवर्क देश को पर्याप्त रूप से कवर करने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसके अलावा, अधिकांश मौजूदा बाढ़ पूर्वानुमान स्टेशन चालू नहीं हैं। 2006 में केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) द्वारा गठित एक टास्क फोर्स ने बाढ़ जोखिम मानचित्रण का कार्य पूरा नहीं किया। बाढ़ क्षति का आकलन पर्याप्त रूप से नहीं किया गया। बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रमों के तहत परियोजनाओं के पूरा होने में देरी मुख्य रूप से केंद्र की सहायता की कमी के कारण होती है। बाढ़ प्रबंधन के कार्य एकीकृत तरीके से नहीं किये जाते हैं। भारत के अधिकांश बड़े बांधों में आपदा प्रबंधन योजना नहीं है- देश के कुल बड़े बांधों में से केवल 7% के पास आपातकालीन कार्य योजना/आपद...
आखिर क्यों नदियां बनती हैं खलनायिकाएं?

आखिर क्यों नदियां बनती हैं खलनायिकाएं?

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आखिर क्यों नदियां बनती हैं खलनायिकाएं? हाल के वर्षों में नदियों के पानी से डूबने वाले क्षेत्रों में शहरी बस्तियां बसने की रफ़्तार तेज़ हो गई है. इस कारण से भी बाढ़ से होने वाली क्षति का दायरा बढ़ रहा है. क्योंकि किसी भी शहर का भौगोलिक दायरा और आबादी बढ़ने से ज़्यादा से ज़्यादा लोगो के बाढ़ के शिकार होने की आशंका बढ़ जाती है. जैसे ही बाढ़ प्रभावित इलाक़ों में बस्तियां बसने लगती हैं, तो बाढ़ के पानी के निकलने का रास्ता रुक जाता है. इससे बाढ़ का पानी निकल नहीं पाता. फिर बस्तियों को बाढ़ के पानी से बचाने के लिए उनके इर्द गिर्द बंध बनाए जाते हैं. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बस्तियां बसने और इन बंधों के बनने से नदी घाटी और नदियों के इकोसिस्टम पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है. -डॉ सत्यवान सौरभ नदियां हमारी सभ्यता की जड़ों का अभिन्न अंग हैं, तो उनकी वजह से आने वाली बाढ़ भी हमारे देश का हिस्स...
हिंसक होता राजनीतिक चेहरा लोकतंत्र पर बदनुमा दाग

हिंसक होता राजनीतिक चेहरा लोकतंत्र पर बदनुमा दाग

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-ः ललित गर्ग:- राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को हिंसक प्रतिस्पर्धा में नहीं बदला जा सकता, लोकतंत्र का यह सबसे महत्वपूर्ण पाठ पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस एवं अन्य राजनीतिक दलों को याद रखने की जरूरत है। जैसाकि पश्चिम बंगाल में इन दिनों पंचायत चुनाव के दौरान व्यापक हिंसा देखने को मिली, इससे पूर्व वर्ष 2013 और 2018 के पंचायत चुनावों में भी ऐसी ही हिंसा सामने आई। 2019 के लोकसभा चुनावों में एवं 2021 के विधानसभा चुनावों में भी व्यापक हिंसा हुई थी। अब पंचायत चुनावों के दौरान बड़े पैमाने पर हुई हिंसा के बाद राजनीतिक दल एक-दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं। राज्य चुनाव आयुक्त भी बेबस बना हुआ इस हिंसा का जिम्मेदार जिला प्रशासन को ठहराकर अपना पल्ला झाड़ना चाहता है। निश्चित ही हिंसक होता राजनीतिक चेहरा लोकतंत्र पर एक बदनुमा दाग है। आखिर यह किस लोकतंत्र का चेहरा है। इस तरह की हिंसा से कोई जीत भी गया तो वह कि...
हलाल कावड़ यात्रा से दो हजार करोड़ से ज्यादा कमाते हैं मुसलमान

हलाल कावड़ यात्रा से दो हजार करोड़ से ज्यादा कमाते हैं मुसलमान

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हलाल कावड जिहाद अनभिज्ञ क्यों, अब हिंदुओं को भगवान भी नहीं बचा सकते ==================== आचार्य विष्णु हरि सरस्वती मैंने कभी लव जिहाद शब्द का नाम दिया था, कभी मैंने नमाजी हिंसा जिहाद शब्द का नाम दिया था, आज मैं हलाल कांवड शब्द का नाम दे रहा हूं। हलाल कांवड का कन्सेप्त अभी तक विचारण और विमर्श से बाहर क्यों है? तुम्हारी पैरों के नीचे से जमीन सिखक रही है और तुम अभी भी अपरिचित और अज्ञानी बने बैठो हों तो फिर भगवान भी तुम्हें बचा नहीं सकते हैं।मेरे परिचित को एक एक कावंड चाहिए था। कांवड खोजने हमलोग निकले। बहुत खोजने के बाद अब्दुल करीम नामक व्यक्ति की दुकान से कांवड मिला। मेरा दोस्त आश्चर्यचकित नहीं था, उसे क्या मतलब कि कांवड कौन बेच रहा है? उसे कांवड खरीदना है और फिर हरिद्वार से गंगा से जल लाकर भगवान शिव मंदिर पर चढा देना है, धर्म-पुण्य का कार्य उसका पूरा हो जाता है।लेकिन मेरे लिए आ...