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न्यूट्रिएंट्स के भंडार हैं-‘मिलेट्स’ (श्रीअन्न)

न्यूट्रिएंट्स के भंडार हैं-‘मिलेट्स’ (श्रीअन्न)

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भारत के प्रस्ताव के आधार पर, यूएनजीए द्वारा वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष (आईवाईएम) के रूप में घोषित किया गया है। जानकारी देना चाहूंगा कि 5 मार्च 2021 को भारत के प्रस्‍ताव पर 72 देशों की स्‍वीकृति के बाद संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा ने 2023 को अंतरराष्‍ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी।हाल ही में 18 मार्च शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर के सुब्रमण्यम हॉल में मोटे अनाज यानि कि 'श्रीअन्न' पर दो दिन तक चले वैश्विक सम्मेलन का उद्घाटन किया। 19 मार्च को यह सम्मेलन समाप्त हो गया। भारत के मोटा अनाज मिशन से ढाई करोड़ लघु एवं सीमांत किसानों को लाभ होगा। पीएम मोदी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे देश में मिलेट्स को अब 'श्री अन्न' की पहचान दी गई है, यह सिर्फ खेती और खाने ...
प्रभावशाली रही ऊर्जा मंत्री की “कैरट एंड स्टिक” पॉलिसी?

प्रभावशाली रही ऊर्जा मंत्री की “कैरट एंड स्टिक” पॉलिसी?

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 डॉ. अजय कुमार मिश्रा किसी भी राज्य के विकास में कई महत्वपूर्ण पहलुओं के आलावा ऊर्जा का विशेष स्थान होता है | यही एक इकाई है जिस पर औद्योगिक और निवेश करने वालो की अपेक्षाओं पर पूर्ति होना जरुरी है | उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुए निवेशकों की बैठक में ऊर्जा क्षेत्र को सर्वाधिक प्रस्ताव प्राप्त हुए है | यानि की ऊर्जा एक महत्वपूर्ण इकाई के रूप में विकास के लिए अति आवश्यक भी है | परन्तु विगत के कुछ दिनों से ऊर्जा विभाग को लेकर के जिस तरह की छवि बन रही थी वह किसी से छिपी नहीं है | ऊर्जा विभाग के कई संगठनों ने 72 घंटो की स्ट्राइक का आव्हान किया था | जिससे उत्तर प्रदेश के कई जिलों में ऊर्जा सप्लाई को लेकर बड़ी समस्या उत्पन्न हो गयी थी | मीडिया की सुर्खियाँ यह विभाग लगातार बना रहा | कई दौर की बात-चीत के बाद समय से पहले संगठनों ने स्ट्राइक समाप्त करने की घोषणा किया, तब जाकर लोगों को राहत मिली...
मदरसों का विरोध क्यों?

मदरसों का विरोध क्यों?

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
-बलबीर पुंज गत दिनों वाम-उदारवादी और स्वघोषित सेकुलरवादी, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर भड़क उठे। इसका कारण उनका वह हालिया वक्तव्य है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि असम में लगभग 600 मदरसे बंद किए जा चुके है और राज्य सरकार अब सभी मदरसों को बंद करना चाहती है। यूं तो भारतीय संविधान द्वारा अल्पसंख्यकों को अपने अनुरूप शिक्षण संस्था चलाने का अधिकार प्राप्त है। फिर मुख्यमंत्री सरमा ने ऐसा बयान क्यों दिया? आखिर उनके विचारों का निहितार्थ क्या है? क्या विश्व में पहली बार मदरसों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है? वैश्विक समुदाय आज जिस मजहबी कट्टरता से ग्रस्त है— उसे प्रेरित करने वाली मानसिकता को पोषित करने में अधिकांश मदरसों की भी महती भूमिका है। जिस तालिबान की जकड़ में अफगानिस्तान है, जहां उसने अन्य मध्यकालीन प्रतिबंधों के साथ लड़कियों पर प्राथमिक विद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय तक कि...
सशक्त प्राचीन लोककला है कठपुलियों का संसार

सशक्त प्राचीन लोककला है कठपुलियों का संसार

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विश्व कठपुतली दिवस- 21 मार्च 2023 पर विशेषसशक्त प्राचीन लोककला है कठपुलियों का संसार- ललित गर्ग -कठपुतली विश्व के प्राचीनतम रंगमंच पर खेला जाने वाले मनोरंजक, शिक्षाप्रद एवं कला-संस्कृतिमूलक कार्यक्रम है। कठपुतलियों को विभिन्न प्रकार की गुड्डे गुड़ियों, जोकर आदि पात्रों के रूप में बनाया जाता है और अनेक प्राचीन कथाओं को इसमें मंचित किया जाता है। लकड़ी अर्थात काष्ठ से इन पात्रों को निर्मित किये जाने के कारण अर्थात् काष्ठ से बनी पुतली का नाम कठपुतली पड़ा। प्रत्येक वर्ष 21 मार्च को विश्व कठपुतली दिवस भी मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य इस प्राचीन लोक कला को जन-जन तक पहुंचना तथा आने वाली पीढ़ी को इससे अवगत कराना है। पुतली कला कई कलाओं का मिश्रण है, जिसमें-लेखन, नाट्य कला, चित्रकला, वेशभूषा, मूर्तिकला, काष्ठकला, वस्त्र-निर्माण कला, रूप-सज्जा, संगीत, नृत्य आदि। भारत में यह कला प्राचीन समय से प्...
फेक न्यूज और दुष्प्रचार भारतीय समाज में नई चुनौतियाँ

फेक न्यूज और दुष्प्रचार भारतीय समाज में नई चुनौतियाँ

BREAKING NEWS, TOP STORIES, घोटाला, विश्लेषण, सामाजिक
हर किसी की यह जिम्मेदारी है कि वह फेक न्यूज और गलत सूचना के संकट से लड़े। इसमें फेक न्यूज के लिए वित्तीय प्रोत्साहन को कम करने से लेकर आम जनता के बीच डिजिटल साक्षरता में सुधार तक सभी आयाम शामिल हैं। आज देश में कई एजेंसियों ने फेक न्यूज़ का सच लोगों तक लाने के लिए काम कर रही है लेकिन यह काफी नहीं है क्योंकि इनकी पहुँच अभी व्यापक नहीं है जिसके कारण फेक न्यूज़ पर लगाम लग सके या लोगों तक तुरंत सच पहुंचे. वहीँ बढ़ते फेक न्यूज़ के कारण सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स भी इस पर काम कर रहे हैं क्योंकि कई बार इनकी विश्वसनीयता पर भी सवाल उठे हैं जिस कारण व्हाट्सएप्प और फेसबुक ने फेक न्यूज़ को रोकने के लिए अपने फीचर में कई बदलाव भी किए हैं लेकिन इस पर अभी और काम करने की जरुरत है ताकि एक स्वच्छ वातावरण का निर्माण हो सके। -प्रियंका सौरभ फेक न्यूज को झूठी या भ्रामक जानकारी के रूप में प्रस्तुत किया जा...
Ukraine war – changing dynamics

Ukraine war – changing dynamics

विश्लेषण
It is estimated that there is a shortage of 600,000 barrels of diesel per day in Europe right now. And this number will only increase over the course of this year because most forms of transport run on diesel. Surprisingly, the major supplier to plug this gap will be India as we will be meeting nearly 60% of this diesel demand thanks to our huge refining capacity. India is emerging as the upstream refinery destination of Russian crude oil which is then refined and exported to Europe. This is a huge game-changer in geopolitics as India will move up from Consumer to Producer. Currently, India is buying 1,700,000 million barrels of Russian oil every day at roughly $47 per barrel. This means that the potential export revenues is to the tune of $70 billion this year. The US simply ...
आँकड़ो की जादूगरी है, दिल्ली की वायु गुणवत्ता सुधार के पीछे

आँकड़ो की जादूगरी है, दिल्ली की वायु गुणवत्ता सुधार के पीछे

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राज्य, विश्लेषण, सामाजिक
निश्चित रूप से आपको भी यह खबर परेशान करती होगी कि भारत दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित देशों की सूची में आठवें स्थान पर है। यह स्थिति हमें दुनिया के तमाम पिछड़े व गरीब मुल्कों के करीब खड़ा करती है। साथ ही बताती है कि गाल बजाते नीति-नियंता जमीनी हकीकत के मामले में विफल साबित हुए हैं। बीते मंगलवार को पूरी दुनिया में हवा की गुणवत्ता की जांच करने वाली स्विस एजेंसी आई.क्यू़ एअर ने वायु प्रदूषण की वैश्विक स्थिति पर रिपोर्ट जारी की। कुल 131 देशों की वायु गुणवत्ता की स्थिति के मूल्यांकन का आंकड़ा करीब तीस हजार ग्राउंड बेस मॉनिटरों के जरिये जुटाया गया। चिंताजनक स्थिति यह है कि दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित बीस शहरों में 19 एशिया के हैं। हमारे लिये बड़ी फिक्र की बात यह कि इन शहरों में 14 भारत के हैं। भारत पिछले साल दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में पांचवें स्थान पर था। सुधार की एक वजह ...
गोवा को नारी शरीर का बाजार क्यों बनाया गया ?

गोवा को नारी शरीर का बाजार क्यों बनाया गया ?

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण, सामाजिक
गोवा में मैने क्या देखा और क्या पाया* ==================*आचार्य श्री विष्णुगुप्त*=================== दृश्य नंबर वन, ( गाने के बोल) - बच के रहना रे बाबा/ तुम पर सबकी नजर है। दृश्य नंबर टू- शेखर यानी रणधीर कूपर को पकड़ने पुर्तगाली पुलिस आती है, रणधीर कपूर को बचाने के लिए एक स्वतंत्रता सेनानी अपनी जवान बेटी को रणधीर कपूर की हम विस्तर कर देते है, पुर्तगाल पुलिस से वह स्वतंत्रा सेनानी कहते हैं कि कमरे में मेरी बेटी और दामाद सो रहे हैं, फिर भी पुर्तगाली पुलिस कमरे में घूसती है और दोनों को हम विस्तर देख वापस लौट जाती है, इस प्रकार शेखर यानी रणधीर कपूर पुर्तगाली पुलिस की पकड़ से साफ बच जाते हैं। ये दोनों दृश्य अमिताभ बच्चन की बहुचर्चित फिल्म पुकार की हैं। यह पुकार फिल्म 1983 की सुपर हिट फिल्म थी और यह फिल्म गोवा की आजादी पर बनी हुई थी। हमने अपने जीवन में आठ -दस फिल्में देखी हैं उसमें यह फिल...
विकलांग व्यक्तियों के लिए गरिमापूर्ण जीवन के हो प्रयास

विकलांग व्यक्तियों के लिए गरिमापूर्ण जीवन के हो प्रयास

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हमारी शिक्षा प्रणाली समावेशी नहीं है। मामूली से मध्यम विकलांग बच्चों को नियमित स्कूलों में शामिल करना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। विशेष स्कूलों की उपलब्धता, स्कूलों तक पहुंच, प्रशिक्षित शिक्षकों और विकलांगों के लिए शैक्षिक सामग्री की उपलब्धता जैसे कई मुद्दे हैं। इसके अलावा, उच्च शिक्षण संस्थानों में विकलांगों के लिए आरक्षण कई मामलों में पूरा नहीं किया गया है, भले ही कई विकलांग वयस्क उत्पादक कार्य करने में सक्षम हैं, विकलांग वयस्कों के पास सामान्य जनसंख्या की तुलना में बहुत कम रोजगार दर है। निजी क्षेत्र में स्थिति और भी खराब है, जहां बहुत कम विकलांगों को रोजगार मिला हुआ है। -डॉ सत्यवान सौरभ विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के अनुसार, "विकलांग व्यक्ति" का अर्थ दीर्घकालिक शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक या संवेदी हानि वाला व्यक्ति है, जो बाधाओं के साथ बातचीत में, दूसरों के साथ सम...
अमेरिका में बन्दूक-संस्कृति पर नियंत्रण के प्रयास

अमेरिका में बन्दूक-संस्कृति पर नियंत्रण के प्रयास

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-ः ललित गर्ग :- हिंसा की बोली बोलने वाला, हिंसा की जमीन में खाद एवं पानी देने वाला, दुनिया में हथियारों की आंधी लाने वाला अमेरिका जब खुद हिंसा का शिकार होने लगा तो उसकी नींद टूटी हैं। अमेरिका की आधुनिक सभ्यता की सबसे बड़ी मुश्किल यही रही है कि यहां हिंसा इतनी सहज बन गयी है कि हर बात का जवाब सिर्फ हिंसा की भाषा में ही दिया जाने लगा। वहां हिंसा का परिवेश इतना मजबूत हो गया है कि वहां की बन्दूक-संस्कृति से वहां के लोग अपने ही घर में बहुत असुरक्षित हो गए थे। लंबे समय से बंदूकों की सहज उपलब्धता का खमियाजा उठाने के बाद वहां के लोगों ने अपने स्तर पर इसके खिलाफ मोर्चा खोलना शुरू कर दिया है और राष्ट्रपति जो बाइडेन को हथियारों के दुरुपयोग पर अंकुश से संबंधित कार्यकारी आदेश पर किये हस्ताक्षर करने को विवश होना पड़ा हैं। पिछले साल जून में भारी तादाद में लोगों ने सड़कों पर उतर कर बंदूकों की खरीद-बिक्...