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विश्लेषण

डॉ. वेदप्रताप वैदिकः हिन्दी का लहराया था परचम

डॉ. वेदप्रताप वैदिकः हिन्दी का लहराया था परचम

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
-ललित गर्ग- पत्रकारिता के एक महान् पुरोधा पुरुष, मजबूत कलम एवं निर्भीक वैचारिक क्रांति के सूत्रधार, उत्कृष्ट राष्ट्रवादी, हिन्दीसेवी, ‘भाषा’ के मुख्य सम्पादक, नवभारत टाइम्स के सम्पादक, डॉ. वेदप्रताप वैदिक अब हमारे बीच नहीं रहे। मंगलवार सुबह उनका निधन 78 वर्ष की उम्र में बाथरूम में गिरने की वजह से हो गया। एक संभावनाओं भरा हिन्दी पत्रकारिता का सफर ठहर गया, उनका निधन न केवल पत्रकारिता एवं हिन्दी के लिये बल्कि भारत की राष्ट्रवादी सोच के लिये एक गहरा आघात है, अपूरणीय क्षति है। वैदिक का जीवन सफर आदर्शों एवं मूल्यों की पत्रकारिता की ऊंची मीनार है। उनका निधन एक युग की समाप्ति है। वे चित्रता में मित्रता के प्रतीक थे तो गहन मानवीय चेतना के चितेरे जुझारु, निडर, साहसिक एवं प्रखर व्यक्तित्व थे। वे एक ऐसे बहुआयामी व्यक्तित्व थे, जिन्हें पत्रकारिता एवं हिन्दी का यशस्वी योद्धा माना जाता है। उनके परिवा...
बुढ़ापे में स्मृतिलोप का अंधेरा परिव्याप्त होने की आशंका

बुढ़ापे में स्मृतिलोप का अंधेरा परिव्याप्त होने की आशंका

विश्लेषण, सामाजिक, साहित्य संवाद
-ललित गर्ग- अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान सहित दुनिया भर के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों की ओर से किए गए शोध में यह बताया गया है कि आने वाले वक्त में भारत में साठ साल या उससे ज्यादा उम्र के एक करोड़ से भी अधिक लोगों के डिमेंशिया यानी स्मृतिलोप की चपेट में आने की आशंका है। घोर उपेक्षा एवं व्यवस्थित देखभाल के अभाव में बुजुर्गों में यह बीमारी तेजी से पनप रही है। भारत का बुढ़ापा एवं उम्रदराज लोगों का जीवन किस कदर परेशानियों एवं बीमारियों से घिरता जा रहा है, उससे ऐसा प्रतीत होने लगा है कि उम्र का यह पड़ाव अभिशाप से कम नहीं है। एक आदर्श एवं संतुलित समाज व्यवस्था के लिये अपेक्षित है कि वृद्धों के प्रति स्वस्थ व सकारात्मक भाव व दृष्टिकोण रखे और उन्हें वेदना, कष्ट व संताप से सुरक्षित रखने हेतु सार्थक पहल करे ताकि वे स्मृतिलोप या मतिभ्रम का भी शिकार न हो जाएं। वास्तव में भारतीय संस्कृति तो ब...
सुख-सुविधा का पागलपन रौंद रहा मनुष्यता

सुख-सुविधा का पागलपन रौंद रहा मनुष्यता

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, साहित्य संवाद
आज के भागदौड़ भरे जीवन में अच्छे जीवन की एक संकीर्ण धारणा पर ध्यान केंद्रित करने से विभिन्न नैतिक मूल्यों का क्षरण हो रहा है। नैतिक मूल्यों के संकट का समाधान करने के लिए अच्छे जीवन की समग्र दृष्टि को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। जीवन का सही अर्थ खोजने के लिए, बुद्ध ने अपना घर और धन छोड़ दिया। राजा हरिश्चंद्र, महात्मा गांधी और डॉ. कलाम के जीवन से कोई भी व्यक्ति सच्चाई, धार्मिकता, ईमानदारी और करुणा के मूल्यों को सीख सकता है। नैतिक मूल्यों के व्यापक आयामों पर जोर देने से, विशेष रूप से व्यक्तियों और समग्र रूप से समाज के दीर्घकालिक कल्याण को सुनिश्चित किया जा सकता है। -डॉ सत्यवान सौरभ  नैतिक मूल्य एक व्यक्ति के भीतर स्थायी विश्वास और विचार हैं और अच्छे या बुरे के लिए प्राथमिकता को दर्शाते हैं। आधुनिक समय में कई समाजों ने मानव जीवन के प्राथमिक लक्ष्य के रूप में भौतिक संपदा, शक्ति ...
अमेरिकन बैंक का डूबना..!

अमेरिकन बैंक का डूबना..!

EXCLUSIVE NEWS, Today News, TOP STORIES, आर्थिक, विश्लेषण
अमेरिकन बैंक का डूबना - प्रशांत पोळ शुक्रवार १० मार्च को अमेरिका की सोलहवी सबसे बडी बैंक, 'सिलिकॉन व्हॅली बैंक' (SVB) डूब गई. डीफंक्ट हो गई. एक ही दिन मे, बैंक पर रन आकर, इतनी बडी बैंक डूबने का शायद यह अनूठा उदाहरण हैं. अमेरिकन अर्थव्यवस्था (financial system इस संदर्भ मे) कितनी खोखली हैं, इसका यह उदाहरण हैं. *इसका परिणाम कल से, अर्थात सोमवार से, दिखना शुरु होगा.* इस बैंक के ग्राहक मुख्यतः स्टार्ट - अप कंपनीज और टेक कंपनीज थे. अमेरिका मे आई टी और टेक कंपनीज मे महिने मे दो बार वेतन बटता हैं. दिनांक १ को और दिनांक १५ को. जब १५ मार्च को वेतन बांटने का समय आएगा तो अनेक कंपनियों को समस्या होगी. उनकी बैंक ही डूब गई हैं, जिसमे उनका पैसा था. अब वेतन कहां से करेंगे? चालीस वर्ष पुरानी यह बैंक अचानक नही डूबी हैं. पिछले दो वर्षों से इसके लक्षण ठीक नही दिख रहे थे. अपने यहां जैसी आरबीआई रेग...
स्वाति मालीवाल का विवादास्पद बयान – रामेश्वर मिश्र पंकज 

स्वाति मालीवाल का विवादास्पद बयान – रामेश्वर मिश्र पंकज 

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
स्वाति मालीवाल के बयान के पक्ष और विपक्ष दोनों में सक्रिय लोग मूलभूत बात को अनदेखा कर रहे हैं ।ऐसे सभी विषयों में मूलभूत बात जो है ,उस पर जाने क्यों शिक्षित हिंदुओं का बहुत बड़ा हिस्सा ध्यान ही नहीं दे रहा है ।बात यह है कि समाज की प्रतिनिधि घटनाएं और समाज का प्रतिनिधि मानस तथा समाज का प्रतिनिधि व्यवहार,किन किन चीजों को माना जाए? उसका अनुपात क्या है? उसके निकष क्या हैं?इस विषय पर हर क्षेत्र में मनमानी चलती है। पहले भारतवर्ष के कुछ इलाकों में कुछ समुदायों में स्त्रियां घूंघट करने लगी थी। जिस कारण से भी करती हों।तो लोग सीधे बयान देने लगे कि भारत की स्त्रियां घूंघट करती हैं।जबकि उस समय भी 80% हिंदुओं की स्त्रियां घूँघट नहीं  करती थी ।तो प्रश्न यह है कि 15 या 20% स्त्रियां सभी स्त्रियों की प्रतिनिधि किस आधार पर हो गईं,?इसी प्रकार डॉक्टर अंबेडकर के साथियों के साथ या कुछ समुदायों के ...
अपनी बंद आंखों को खोलें,प्रकृति-पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी को समझें।

अपनी बंद आंखों को खोलें,प्रकृति-पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी को समझें।

TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
हाल ही में एक्सडीआई यानी कि 'क्रॉस डिपेंडेंसी इनीशिएटिव' ने जलवायु परिवर्तन को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें जलवायु परिवर्तन के 'हैजार्डस' यानी कि खतरों से अवगत कराया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत के 9 राज्यों समेत दुनियाभर के 2,600 राज्यों व प्रांतों पर जलवायु परिवर्तन का बड़ा खतरा मंडरा रहा है। रिपोर्ट के आंकड़ें निश्चित तौर पर मानवजाति को चिंता में डालते हैं। यह अत्यंत ही गंभीर व संवेदनशील है कि भारत के 9 राज्यों पर बाढ़, जंगलों की आग, हीटवेव, समुद्र सतह के बढ़ने और लू जैसे गंभीर खतरे मंडरा रहे हैं। बताया गया है कि शीर्ष पचास में भारत के बिहार, उत्तर प्रदेश, असम,राजस्थान, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब और केरल जैसे राज्य शामिल हैं। वर्ष 2050 तक विश्व के पचास राज्यों में भारत के नौ राज्यों को जलवायु परिवर्तन के लिहाज से अत्यंत संवेदनशील बताया गया है। जो सूची जारी की गई है उ...
दुनिया के लिए मिसाल है पेरिस का सीवरेज म्यूजियम 

दुनिया के लिए मिसाल है पेरिस का सीवरेज म्यूजियम 

विश्लेषण, सामाजिक
फ्रांस के बारे में एक कथन बहुत ही प्रसिद्ध है कि-'फ्रांस इज पेरिस, पेरिस इज फ्रांस।' पेरिस फ्रांस की राजधानी है और सबसे अधिक आबादी वाला शहर है। फ्रांस के बारे में अक्सर यह बात कि 'फ्रांस इज पेरिस, पेरिस इज फ्रांस' इसलिए कही जाती है, क्योंकि फ्रांस दुनिया का बहुत ही स्वच्छ व सुंदर शहर है। फ्रांस की स्वच्छता और सुंदरता का अंदाजा महज इस बात से लगाया जा सकता है कि फ्रांस के बारे में अक्सर यह कहा जाता है कि यहाँ मच्छर नाम की कोई चीज नहीं है। पेरिस के बारे में एक महत्वपूर्ण जानकारी अपने पाठकों को देता चलूं कि पेरिस शहर के नीचे नाले यानी कि सीवरेज का एक बहुत बड़ा म्यूजियम बना हुआ है, यह दुनिया में अपनी प्रकार का बहुत ही अनोखा व प्राचीन म्यूजियम है। सिवरेज जिसे हमारे भारत में 'गंदा नाला' या 'गटर' की संज्ञा दी जाती है, पेरिस शहर में सीन नामक नदी के नीचे यह म्यूजियम है। गंदे नालों(सीवरेज) में किसी ...
हाथरस कांड: क्या जाँच सही दिशा में हुई?

हाथरस कांड: क्या जाँच सही दिशा में हुई?

EXCLUSIVE NEWS, राज्य, विश्लेषण
रजनीश कपूरसितंबर 2020 में हाथरस के बूलगढ़ी गांव में एक दलित लड़की के साथ हुई दरिंदगी एक बार फिर से सुर्ख़ियों में है।इस बार का कारण है अदालत का फ़ैसला जिसने चार में से तीन अपराधियों को न सिर्फ़ छोड़ दिया बल्कि सुबूतों केअभाव में बलात्कार की धाराएँ भी हटा दी। यहाँ सवाल उठता है कि इतने चर्चित बलात्कार और हत्या के कांड कीजाँच क्या सही दिशा में हुई थी? क्या प्रारंभिक जाँच करने वाली उत्तर प्रदेश पुलिस, सरकार द्वारा गठितएसआईटी या सीबीआई इस संगीन अपराध की जाँच को गंभीरता से नहीं ले रही थी?जब भी कोई पीड़ित मृत्यु से पहले अपनी मृत्यु की परिस्थितियों के बारे में बताते हुए मर जाए तो उस ब्यान को‘मृत्युपूर्व घोषणा’ या ‘डाईंग डिक्लेरेशन’ माना जाता है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा-32(1) केमुताबिक़ ‘मृत्युपूर्व घोषणा’ को सुसंगत माना जाएगा। फिर वो बयान मृत व्यक्ति द्वारा लिखित या मौखिक रूप सेदिये ...
जरा सोचिए तो मिलार्ड

जरा सोचिए तो मिलार्ड

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
लोगों में धैर्य और सहनशीलता कीकमी मत देखिए चंद्रचूड़ जी,लोग न्यायपालिका पर निगरानीरख रहे हैं - क्या जुडिशरीAbsolute Power चाहती है ?झूठ फ़ैलाने वालों को तो आप हीबचा देते हैं -​​चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ लगता है सोशल मीडिया द्वारा न्यायपालिका के लिए “watchdog” बन कर उसकी आलोचना से खासे क्षुब्ध हैं - उन्होंने कहा है कि “सोशल मीडिया पर झूठी खबरों के दौर में सच ही शिकार हो गया है - आप जो कुछ भी करते हैं उसके लिए आपको किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा ट्रोल किए जाने का खतरा होता है जो आपसे सहमत नहीं है - लोगों में धैर्य और सहनशीलता की कमी हो रही है - हम अलग-अलग दृष्टिकोणों को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं” मैं आपकी बात से सहमत नहीं हूँ मीलॉर्ड चंद्रचूड़, सोशल मीडिया पर सब कुछ झूठ नहीं है और जो मौहम्मद जुबैर जैसे Alt News में बैठ कर झूठ की फैक्ट्री चला रहा था और जिसने अनेक इस्लामिक देशों को भार...
समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ निभा रहा है अहम भूमिका

समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ निभा रहा है अहम भूमिका

विश्लेषण, साहित्य संवाद
भारत में पिछले 97 वर्षों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश के नागरिकों में देशप्रेम की भावना का संचार करने का लगातार प्रयास कर रहा है। वर्ष 1925 (27 सितम्बर) में विजयदशमी के दिन संघ के कार्य की शुरुआत ही इस कल्पना के साथ हुई थी कि देश के नागरिक स्वाभिमानी, संस्कारित, चरित्रवान, शक्तिसंपन्न, विशुद्ध देशभक्ति से ओत-प्रोत और व्यक्तिगत अहंकार से मुक्त होने चाहिए। आज संघ, एक विराट रूप धारण करते हुए, विश्व में सबसे बड़ा स्वयं सेवी संगठन बन गया है। संघ के शून्य से इस स्तर तक पहुंचने के पीछे इसके द्वारा अपनाई गई विशेषताएं यथा परिवार परंपरा, कर्तव्य पालन, त्याग, सभी के कल्याण विकास की कामना व सामूहिक पहचान आदि विशेष रूप से जिम्मेदार हैं। संघ के स्वयंसेवकों के स्वभाव में परिवार के हित में अपने हित का सहज त्याग तथा परिवार के लिये अधिकाधिक देने का स्वभाव व परस्पर आत्मीयता और आपस में विश्वास की भावना...