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विश्लेषण

उल्टा पड़ा दुष्प्रचार अभियान हृदयनारायण दीक्षित

उल्टा पड़ा दुष्प्रचार अभियान हृदयनारायण दीक्षित

घोटाला, विश्लेषण, सामाजिक
भारत का मन क्षुब्ध और आहत है। निहित स्वार्थी कुछ विदेशी मीडिया घराने देश के विधि निर्वाचित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारत के विरुद्ध लगातार झूठ फैला रहे हैं। उन्हें भारत की लगातार बढ़ती विश्व प्रतिष्ठा से चिढ है। अभियान में देश के कथित वामपंथी उदारवादी भी शामिल हैं। वे प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विकसित आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी भारत की प्रतिष्ठा गिराने में संलग्न हैं। अमेरिकी अखबार दि न्यूयॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन पोस्ट, खाड़ी देश कतर के अल जजीरा आदि मीडिया घराने भारत और प्रधानमंत्री के विरुद्ध सक्रिय हैं। हाल ही में दि न्यूयॉर्क टाइम्स में छपे एक लेख में पत्रकारों को पुलिस द्वारा परेशान करने, कश्मीर को सूचना शून्य बनाने, आतंकवाद और अलगाववाद जैसे आरोपों की धमकी देने के आरोप लगाए गए हैं। सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बीते शुक्रवार को कहा कि ‘‘दि न्यूयॉर्क टाइम्स ने प्रध...
मोटा अनाज और खाद्य-प्रसंस्करण उद्योग

मोटा अनाज और खाद्य-प्रसंस्करण उद्योग

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण, सामाजिक
राकेश दुबे 1960 के दशक तक ज्वार, बाजरा और रागी का अंश भारतीयों के भोजन में लगभग एक-चौथाई हुआ करता था, लेकिन हरित क्रांति में धान और गेहूं  की फसल को मिली तरजीह के बाद इनका अंश कम होता चला गया। जब से मोटे अनाज का उत्पादन और खपत कम होनी शुरू हुई तब से अब तक हमारी भोजन और खुराक संबंधी आदतें पूरी तरह बदल चुकी हैं। पिछले कुछ दशकों से हम निर्णायक रूप से महीन, प्रसंस्करित, पैकेट बंद और रेडी-टू-कुक भोजन की ओर मुड़ गए हैं।अब केंद्र सरकार वापिस मोटे अनाज पर लौटने की बात कह रही है। तथ्य है कि सदियों से मोटा अनाज भारतीय भोजन का हिस्सा और खुराक रहे हैं।  अब संयुक्त राष्ट्र और भारत की केंद्रीय सरकार द्वारा साल 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किए जाने के बाद सरकारी एजेंसियों की पुरज़ोर कोशिश रशुरू हो गई है  कि भारत को मोटा अनाज उत्पादन और निर्यात की मुख्य धुरी  बनाय...
तपती धरती, संकट में अस्तित्व

तपती धरती, संकट में अस्तित्व

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, साहित्य संवाद
भारत में, 10 सबसे गर्म वर्षों में से नौ पिछले 10 वर्षों में दर्ज किए गए हैं, और सभी 2005 के बाद से दर्ज किए गए हैं। पिछला साल रिकॉर्ड पर पांचवां सबसे गर्म वर्ष था। गर्मी की लहरों के कारण प्रेरित तनाव श्वसन और मृत्यु दर को बढ़ाता है, प्रजनन क्षमता को कम करता है, पशु व्यवहार को संशोधित करता है, और प्रतिरक्षा और अंतःस्रावी तंत्र को दबा देता है, जिससे कुछ बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है। 1992 के बाद से, भारत में लू से संबंधित 34,000 से अधिक मौतें हुई हैं। गर्मी की लहरें पशुओं को गर्मी के तनाव का अनुभव करने की संभावना भी बढ़ जाती हैं, खासकर जब रात के समय तापमान अधिक रहता है और जानवर ठंडा नहीं हो पाते हैं। गर्मी से तनावग्रस्त मवेशी दूध उत्पादन में गिरावट, धीमी वृद्धि और कम गर्भाधान दर का अनुभव कर सकते हैं। गर्मी की लहरें सूखे और जंगल की आग को बढ़ा सकती हैं, जिससे कृषि क्षेत्र पर नकारात्मक ...
भारतीय विकसित देशों की नागरिकता क्यों ले रहे हैं

भारतीय विकसित देशों की नागरिकता क्यों ले रहे हैं

BREAKING NEWS, Current Affaires, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
केंद्र सरकार ने दिनांक 9 दिसम्बर 2022 को भारतीय संसद को सूचित किया कि वर्ष 2011 से 31 अक्टोबर 2022 तक 16 लाख भारतीयों ने अन्य देशों, विशेष रूप से विकसित देशों, की नागरिकता प्राप्त कर ली है। वर्ष 2022 में 225,000 भारतीयों द्वारा अन्य देशों की नागरिकता ली गई है। इसी प्रकार, मोर्गन स्टैन्ली द्वारा वर्ष 2018 में इकोनोमिक टाइम्ज में प्रकाशित एक प्रतिवेदन में बताया है कि वर्ष 2014 से वर्ष 2018 के बीच भारत से डॉलर मिलिनायर की श्रेणी के 23,000 भारतीयों ने अन्य देशों में नागरिकता प्राप्त की।  डॉलर मिलिनायर उस व्यक्ति को कहा जाता है जिसकी सम्पत्ति 10 लाख अमेरिकी डॉलर से अधिक रहती है। साथ ही, ग्लोबल वेल्थ मायग्रेशन रिव्यू आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 में डॉलर मिलिनायर की श्रेणी के 7,000 भारतीयों ने अन्य देशों की नागरिकता प्राप्त की है।  उक्त संख्या भारत में डॉलर मिलिनायर की कुल संख्या का 2.1 प्रतिशत ...
डॉ. वेदप्रताप वैदिकः हिन्दी का लहराया था परचम

डॉ. वेदप्रताप वैदिकः हिन्दी का लहराया था परचम

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
-ललित गर्ग- पत्रकारिता के एक महान् पुरोधा पुरुष, मजबूत कलम एवं निर्भीक वैचारिक क्रांति के सूत्रधार, उत्कृष्ट राष्ट्रवादी, हिन्दीसेवी, ‘भाषा’ के मुख्य सम्पादक, नवभारत टाइम्स के सम्पादक, डॉ. वेदप्रताप वैदिक अब हमारे बीच नहीं रहे। मंगलवार सुबह उनका निधन 78 वर्ष की उम्र में बाथरूम में गिरने की वजह से हो गया। एक संभावनाओं भरा हिन्दी पत्रकारिता का सफर ठहर गया, उनका निधन न केवल पत्रकारिता एवं हिन्दी के लिये बल्कि भारत की राष्ट्रवादी सोच के लिये एक गहरा आघात है, अपूरणीय क्षति है। वैदिक का जीवन सफर आदर्शों एवं मूल्यों की पत्रकारिता की ऊंची मीनार है। उनका निधन एक युग की समाप्ति है। वे चित्रता में मित्रता के प्रतीक थे तो गहन मानवीय चेतना के चितेरे जुझारु, निडर, साहसिक एवं प्रखर व्यक्तित्व थे। वे एक ऐसे बहुआयामी व्यक्तित्व थे, जिन्हें पत्रकारिता एवं हिन्दी का यशस्वी योद्धा माना जाता है। उनके परिवा...
बुढ़ापे में स्मृतिलोप का अंधेरा परिव्याप्त होने की आशंका

बुढ़ापे में स्मृतिलोप का अंधेरा परिव्याप्त होने की आशंका

विश्लेषण, सामाजिक, साहित्य संवाद
-ललित गर्ग- अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान सहित दुनिया भर के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों की ओर से किए गए शोध में यह बताया गया है कि आने वाले वक्त में भारत में साठ साल या उससे ज्यादा उम्र के एक करोड़ से भी अधिक लोगों के डिमेंशिया यानी स्मृतिलोप की चपेट में आने की आशंका है। घोर उपेक्षा एवं व्यवस्थित देखभाल के अभाव में बुजुर्गों में यह बीमारी तेजी से पनप रही है। भारत का बुढ़ापा एवं उम्रदराज लोगों का जीवन किस कदर परेशानियों एवं बीमारियों से घिरता जा रहा है, उससे ऐसा प्रतीत होने लगा है कि उम्र का यह पड़ाव अभिशाप से कम नहीं है। एक आदर्श एवं संतुलित समाज व्यवस्था के लिये अपेक्षित है कि वृद्धों के प्रति स्वस्थ व सकारात्मक भाव व दृष्टिकोण रखे और उन्हें वेदना, कष्ट व संताप से सुरक्षित रखने हेतु सार्थक पहल करे ताकि वे स्मृतिलोप या मतिभ्रम का भी शिकार न हो जाएं। वास्तव में भारतीय संस्कृति तो ब...
सुख-सुविधा का पागलपन रौंद रहा मनुष्यता

सुख-सुविधा का पागलपन रौंद रहा मनुष्यता

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, साहित्य संवाद
आज के भागदौड़ भरे जीवन में अच्छे जीवन की एक संकीर्ण धारणा पर ध्यान केंद्रित करने से विभिन्न नैतिक मूल्यों का क्षरण हो रहा है। नैतिक मूल्यों के संकट का समाधान करने के लिए अच्छे जीवन की समग्र दृष्टि को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। जीवन का सही अर्थ खोजने के लिए, बुद्ध ने अपना घर और धन छोड़ दिया। राजा हरिश्चंद्र, महात्मा गांधी और डॉ. कलाम के जीवन से कोई भी व्यक्ति सच्चाई, धार्मिकता, ईमानदारी और करुणा के मूल्यों को सीख सकता है। नैतिक मूल्यों के व्यापक आयामों पर जोर देने से, विशेष रूप से व्यक्तियों और समग्र रूप से समाज के दीर्घकालिक कल्याण को सुनिश्चित किया जा सकता है। -डॉ सत्यवान सौरभ  नैतिक मूल्य एक व्यक्ति के भीतर स्थायी विश्वास और विचार हैं और अच्छे या बुरे के लिए प्राथमिकता को दर्शाते हैं। आधुनिक समय में कई समाजों ने मानव जीवन के प्राथमिक लक्ष्य के रूप में भौतिक संपदा, शक्ति ...
अमेरिकन बैंक का डूबना..!

अमेरिकन बैंक का डूबना..!

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अमेरिकन बैंक का डूबना - प्रशांत पोळ शुक्रवार १० मार्च को अमेरिका की सोलहवी सबसे बडी बैंक, 'सिलिकॉन व्हॅली बैंक' (SVB) डूब गई. डीफंक्ट हो गई. एक ही दिन मे, बैंक पर रन आकर, इतनी बडी बैंक डूबने का शायद यह अनूठा उदाहरण हैं. अमेरिकन अर्थव्यवस्था (financial system इस संदर्भ मे) कितनी खोखली हैं, इसका यह उदाहरण हैं. *इसका परिणाम कल से, अर्थात सोमवार से, दिखना शुरु होगा.* इस बैंक के ग्राहक मुख्यतः स्टार्ट - अप कंपनीज और टेक कंपनीज थे. अमेरिका मे आई टी और टेक कंपनीज मे महिने मे दो बार वेतन बटता हैं. दिनांक १ को और दिनांक १५ को. जब १५ मार्च को वेतन बांटने का समय आएगा तो अनेक कंपनियों को समस्या होगी. उनकी बैंक ही डूब गई हैं, जिसमे उनका पैसा था. अब वेतन कहां से करेंगे? चालीस वर्ष पुरानी यह बैंक अचानक नही डूबी हैं. पिछले दो वर्षों से इसके लक्षण ठीक नही दिख रहे थे. अपने यहां जैसी आरबीआई रेग...
स्वाति मालीवाल का विवादास्पद बयान – रामेश्वर मिश्र पंकज 

स्वाति मालीवाल का विवादास्पद बयान – रामेश्वर मिश्र पंकज 

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स्वाति मालीवाल के बयान के पक्ष और विपक्ष दोनों में सक्रिय लोग मूलभूत बात को अनदेखा कर रहे हैं ।ऐसे सभी विषयों में मूलभूत बात जो है ,उस पर जाने क्यों शिक्षित हिंदुओं का बहुत बड़ा हिस्सा ध्यान ही नहीं दे रहा है ।बात यह है कि समाज की प्रतिनिधि घटनाएं और समाज का प्रतिनिधि मानस तथा समाज का प्रतिनिधि व्यवहार,किन किन चीजों को माना जाए? उसका अनुपात क्या है? उसके निकष क्या हैं?इस विषय पर हर क्षेत्र में मनमानी चलती है। पहले भारतवर्ष के कुछ इलाकों में कुछ समुदायों में स्त्रियां घूंघट करने लगी थी। जिस कारण से भी करती हों।तो लोग सीधे बयान देने लगे कि भारत की स्त्रियां घूंघट करती हैं।जबकि उस समय भी 80% हिंदुओं की स्त्रियां घूँघट नहीं  करती थी ।तो प्रश्न यह है कि 15 या 20% स्त्रियां सभी स्त्रियों की प्रतिनिधि किस आधार पर हो गईं,?इसी प्रकार डॉक्टर अंबेडकर के साथियों के साथ या कुछ समुदायों के ...
अपनी बंद आंखों को खोलें,प्रकृति-पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी को समझें।

अपनी बंद आंखों को खोलें,प्रकृति-पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी को समझें।

TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
हाल ही में एक्सडीआई यानी कि 'क्रॉस डिपेंडेंसी इनीशिएटिव' ने जलवायु परिवर्तन को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें जलवायु परिवर्तन के 'हैजार्डस' यानी कि खतरों से अवगत कराया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत के 9 राज्यों समेत दुनियाभर के 2,600 राज्यों व प्रांतों पर जलवायु परिवर्तन का बड़ा खतरा मंडरा रहा है। रिपोर्ट के आंकड़ें निश्चित तौर पर मानवजाति को चिंता में डालते हैं। यह अत्यंत ही गंभीर व संवेदनशील है कि भारत के 9 राज्यों पर बाढ़, जंगलों की आग, हीटवेव, समुद्र सतह के बढ़ने और लू जैसे गंभीर खतरे मंडरा रहे हैं। बताया गया है कि शीर्ष पचास में भारत के बिहार, उत्तर प्रदेश, असम,राजस्थान, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब और केरल जैसे राज्य शामिल हैं। वर्ष 2050 तक विश्व के पचास राज्यों में भारत के नौ राज्यों को जलवायु परिवर्तन के लिहाज से अत्यंत संवेदनशील बताया गया है। जो सूची जारी की गई है उ...