Shadow

विश्लेषण

विकास मजबूरी – संतुलन जरूरी : अनुज अग्रवाल

विकास मजबूरी – संतुलन जरूरी : अनुज अग्रवाल

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
कुछ न होने वाला, डराओ मत, हमेशा नकारात्मक ही क्यों सोचते व बोलते हो, प्रकृति के पास अपार संसाधन हैं इसलिए उनके उपयोग पर रोक टोक न लगाओ आदि आदि। प्रकृति प्रेमी और पर्यावरणविद् अधिकांश: इसी तरह के जुमले सुनने के आदि होते हैं। जब प्राकृतिक आपदाएं आती हैं और हादसे होते हैं तब कुछ समय के लिए उनकी बातो पर चर्चा होती है किंतु शीघ्र ही विकासवादी उतावलेपन का शिकार हो जाते हैं और संतुलन खो, अनियंत्रित विकास और आपाधापी का शिकार हो जाते हैं। भौतिक जीवन के सुख पाने के लिए आवश्यक संसाधनों की होड़ के बीच आम आदमी तो उतावला हो ही जाता है । उसके इन उतावलेपन व ललक को नेता, नौकरशाह व कारपोरेट घराने भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते और अनियंत्रित व अनियोजित विकास का अंबार खड़ा कर देते हैं। बिना योजना व संवेदनशीलता से भरा यह नींव हीन विकास शेने शेने बिखरने लगता है और अंततः जोशीमठ के दरकने के रूप में सामने आता...
ग़ायब होता जा रहा “सरकार नागरिक संवाद”

ग़ायब होता जा रहा “सरकार नागरिक संवाद”

TOP STORIES, विश्लेषण, साहित्य संवाद
हर रोज़ मीडिया में खबरें भरी पड़ी हैं- छोटी और बड़ी, लोगबाग सड़कों पर निकलकर प्रदर्शन-धरने कर रहे हैं, जुलूस निकल रहे हैं, नारेबाजी हो रही है, पर्चे बांटे जा रहे हैं, यह सब इसलिए कि किसी तरह प्रशासन-सरकार उनकी शिकायतें सुन ले। सरकार शिकायतें तो सुनती है,पर निराकरण नहीं होता ? आम आदमी सड़कों पर आकर यह सब करने को बमुश्किल होता है,क्योंकि उसके लिए यह कीमती वक्त और प्रयास बेकार करने जैसा है, जिसका उपयोग दो जून की रोटी कमाने में करना ज्यादा जरूरी है। र्निविकार बना प्रशासन जन समस्याओं का निवारण करना तो दूर, सुनने तक को राजी न हो तो और चारा भी क्या बचता है?समस्या चाहे पंचायत स्तर की मामूली हो या फिर राज्य अथवा राष्ट्रीय स्तर की, आम आदमी के लिए सड़क पर आने का विकल्प ही बचा है। महिला पहलवानों का उदाहरण नवीनतम है, जिन्हें भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष द्वारा किये गए कथित अनुचित यौन दुर्व्यवहार क...
रेल बजट- सफर सुहावना करने का वादा

रेल बजट- सफर सुहावना करने का वादा

TOP STORIES, आर्थिक, विश्लेषण, समाचार
आर.के. सिन्हा केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 45 लाख करोड़ का 2023-24 का बजट तो यही संकेत दे रहा है कि अब आपका रेलवे का सफर और सुहावना होने जा रहा है। यानी आपको रेल में यात्रा करने में आनंद आएगा। यह इसलिए संभव होगा क्योंकि सरकार रेलवे का कायाकल्प करने के प्रति दृढ़ संकल्प दिखा रही है। रेलवे का चौतरफा विकास करने का सिलसिला तो लगातार चल ही रहा है। इसे और गति देने के इरादे से ही केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2023-24 के बजट में रेलवे के लिए 2 लाख 40 ह्जार करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा है। इसके अतिरिक्त 75 हजार करोड़ रुपया नई परियोजनाओं को लागू करने पर खर्च किए जाने का प्रस्ताव अलग से है। पिछले साल 2022-23 में रेलवे के विकास के लिए 1.4 लाख करोड़ का बजट आवंटित किया गया था। यानि अब ...
बागेश्वर धाम विवाद 

बागेश्वर धाम विवाद 

TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
किसी भी विवाद को समझना हो तो उसके मूल को समझना वैसेही आवश्यक है जैसे किसी रोग के उपचार के लिये उसके लक्षणों तथा कारणोंको समझना. वर्तमान में जो भी बागेश्वर धाम के चमत्कार या अंधविश्वास का विवाद वार्ताओं में है, यह शूल न बागेश्वर धाम के लिये हुआ है, न ही कोई राम रहीम या आशाराम बापू या किसी अन्य सनातन धार्मिक स्थल के लिये। इस शूल के मूल में "प्रभु श्रीराम मन्दिर" का निर्माण है, जो १४ जनवरी २०२४ को भव्य रूप में रामभक्तों के लिये प्रस्थापित हो जायेगा। यह रोग उसी दिन से है जब माननीय उच्चतम न्यायालय ने मन्दिर पुननिर्माण पर मुद्रा लगा दी थी। किन्तु जिस प्रकार रोग को मूल धरने में समय लगता है, वैसे ही अब यह रोग जैसेजैसे समय बीतेगा और २०२४ का सार्वत्रिक निर्वाचन समीप आयेगा, वैसेवैसे ऐसी अनेक घटनाओं से आपका साक्षात्कार होगा। यह तो केवल आरम्भ है!आगामी समय मे आपके धर्मस्थलों, धर्मग्रन्थों, धर्मगु...
क्या रियलिटी शो आपको भावुक करते हैं?

क्या रियलिटी शो आपको भावुक करते हैं?

TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
*रजनीश कपूरजब भी कभी आप टीवी पर किसी रियलिटी शो को देखते हैं तो आप उसमें दिखाए गए कुछ विषयों से इतनेप्रभावित हो जाते हैं कि आप भावुक हो उठते हैं। ऐसा होना स्वाभाविक है। परंतु यदि आपको पता चले कि टीवीपर दिखाए जाने वाले ऐसे कुछ रियलिटी शो पहले से ही नियोजित किए जाते हैं तो क्या आप तब भी भावुक होंगे?यह कुछ ऐसा ही है जैसा फ़िल्मों में दिखाया जाता है। सभी जानते हैं कि जैसे फ़िल्मों में चलने वाली बंदूक़ असलीनहीं होती और कलाकारों के शरीर से निकालने वाला खून भी असली नहीं होता। उसी तरह फ़िल्मों को लोकप्रियकरने कि दृष्टि से उसमें ऐसी कहानी ली जाती है जो श्रोताओं को भाव-विभोर कर सके।आजकल टीवी पर भी ऐसा ही कुछ हो रहा है। रियलिटी शो और टैलेंट शो के नाम पर टीवी पर अक्सर ऐसा कुछदिखाया जाता है जिससे कि श्रोता उसे देख कर भावुक हो उठें और इन चर्चा करने लगें। इन शो पर आने वाले दिनोंमें क्या होगा इसका अनुमान...
विदेशी विश्वविद्यालयों के भारत में आने से राष्ट्रहितघात – उन्हे रोकना होगा

विदेशी विश्वविद्यालयों के भारत में आने से राष्ट्रहितघात – उन्हे रोकना होगा

TOP STORIES, विश्लेषण
        केंद्र सरकार विदेशी विश्वविद्यालयों को अपने देश बुलाने और उन्हें खुली छूट देने पर आग्रही दिखाई दे रही है. इस से अपने संस्कृति पर हो सकने वाले अत्यंत बुरे परिणाम से सरकार अनभिज्ञ है ऐसा नहीं लगता. (एकात्म प्रबोध मंडल के प्रतिवेदन के संलग्न अंश देखिए.) फिर भी देश को इसमें क्यों धकेला जा रहा है? 1 एक तरफ हम decolonization  की बात कर रहे हैं और दूसरी ओर मानसिक Recolonization के लिए हम स्वयं राजमार्ग तैय्यार कर रहे हैं. इस परस्पर विरोध से हम ना घर के ना घाट के इस उक्ति को चरितार्थ करेंगे. 2 आज की शिक्षा में हम अंग्रेजी माध्यम हटा नहीं पा रहे हैं. वैसे ही विदेशी विश्वविद्यालय उनका पैसा लगाकर भारतीय मानस पर हावी होंगे और वो भी भारतीय लोगों के प्रयास से. फिर विदेशी शिक्षा संस्थान और विदेशियत को निकालना क्...
बढ़ती आर्थिक असमानता पर मंथन हो

बढ़ती आर्थिक असमानता पर मंथन हो

आर्थिक, विश्लेषण
- ललित गर्ग - वैश्विक संस्था ऑक्सफैम ने अपनी आर्थिक असमानता रिपोर्ट में समृद्धि के नाम पर पनप रहे नये नजरिया, विसंगतिपूर्ण आर्थिक संरचना एवं अमीरी गरीबी के बीच बढ़ते फासले की तथ्यपरक प्रभावी प्रस्तुति देते हुए इसे घातक बताया है। संभवतः यह एक बड़ी क्रांति एवं विद्रोह का कारण भी बन रहा है। आज देश एवं दुनिया की समृद्धि कुछ लोगों तक केन्द्रित हो गयी है, भारत में भी ऐसी तस्वीर दुनिया की तुलना में अधिक तीव्रता से देखने को मिल रही है। ऑक्सफैम ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि भारत में सबसे अमीर एक प्रतिशत के पास अब देश की कुल संपत्ति का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है। जबकि नीचे की आधी आबादी के पास कुल संपत्ति का केवल 3 प्रतिशत हिस्सा है। भारत के दस सबसे अमीरों पर 5 प्रतिशत टैक्स लगाने से बच्चों को स्कूल वापस लाने के लिए पूरा पैसा मिल सकता है। केवल एक अरबपति गौतम अडानी पर साल 2017 से 2021 के बीच ...
बढ़ती जनसंख्या सब मिलकर कुछ कीजिए* 

बढ़ती जनसंख्या सब मिलकर कुछ कीजिए* 

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण, सामाजिक
आँकड़े चेतावनी दे रहे हैं कि भारत में जनसंख्या वृद्धि बेलगाम है। भारत इस साल चीन को पीछे छोड़ते हुए विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन जाएगा। चीन की 1.426 अरब की तुलना में भारत की जनसंख्या का 2022 में सामने आया आँकड़ा 1.412 अरब है।जल्दी ही स्थिति यहाँ तक आ सकती है कि ना तो प्राकृतिक रूप से शुद्ध वायु उपलब्ध होगी और ना ही जल और भोजन इत्यादि। भारत के राजनीतिक दल वोट बैंक की राजनीति के नुकसान-फायदे के लिए आबादी की सुनामी के खतरों को अनदेखा कर रहे हैं। विश्व में अब तक चीन जनसंख्या वृद्धि के मामले में सर्वोपरि था। चीन ने कठोर नीति से जनसंख्या को नियंत्रित करते हुए वृद्धि दर में लगाम लगा ली । चीन ने 1980 में वन चाइल्ड पॉलिसी को लॉन्च किया था। चीन में पिछले साल 2022 के अंत में 1.41 अरब लोग थे, जो 2021 के अंत की तुलना में 850,000 कम थे। अनुमान है कि 2050 में भारत की जनसंख्या 1.668...
ये बाबा न तो धार्मिक हैं,न प्रजातांत्रिक*

ये बाबा न तो धार्मिक हैं,न प्रजातांत्रिक*

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण, सामाजिक
भारत की वर्तमान दशा को देखकर कार्ल मार्क्स और हेगेल अपनी कब्र में यह देखते हुए करवट ले रहे होंगे कि किस तरह से उनके विचारों ने भारत में आकार लिया है। धर्म के नाम पा यहाँ कुछ भी चल रहा है। प्रबुद्ध,और संतजन तक अपनी राय प्रतिक्षण बदल रहे हैं। सरकार तो कोई स्पष्ट बात करने से बच रही है। सत्तारूढ़ दल और प्रतिपक्ष आगामी लोकसभा और उससे पहले होने जा रहे विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र अपनी -अपनी चाल चल रहे हैं । मार्क्स मानते थे कि धर्म, भ्रमजाल खड़ा कर जनता के दुखों को तत्काल कम करने का राज्य का हथकंडा है। भारत में यह सब हुआ पिछले चुनावों में राम और राम मंदिर मुद्दे थे अब अपने को सबसे बड़ा दल कहने वालों का निशाना ‘पसमांदा’ मुसलमान समूह है। वोटरों के बड़े हिस्से को ‘बाबाओं’ ने भरमाना शुरू ही कर दिया है। भारत में धर्म अब एक खतरनाक विचार प्रक्रिया में तब्दील हो रहा है जिसका परिणाम एक प्रजातांत्रिक...
बाबाओं का झूठा बल, अंधविश्वास का दलदल

बाबाओं का झूठा बल, अंधविश्वास का दलदल

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
 हमारा देश वैज्ञानिक दृष्टि से कितना पिछड़ा हुआ है, यह सब रोज-रोज के ऐसे कारनामे देखकर हम समझ सकते हैं, हमारे भारत की महिलाओं में कभी माताएं आती रहती है तो पुरुषों में कभी अमुक आते रहते हैं, आखिर यह अंधविश्वास और पाखंडवाद हमारे देश को किस दलदल में ले जाकर धकेलेगा। हम इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते और भारत की लाखों करोड़ों जनता इन जैसे पाखंडियों के जाल में फंस कर के अंधविश्वास और पाखंड के दलदल में धंसते जा रहे हैं। -प्रियंका सौरभ पढा लिखा व्यक्ति यदि अपने आप को अंधविश्वास, मनुवाद, पाखण्ड की दलदल से बाहर नहीं निकाल पाए तो उसके शिक्षित होने का कोई मतलब नहीं है। किसी महापुरुष ने कहा था शिक्षा वह शेरनी का दूध है जो जितना पिएगा उतना दहाड़ेगा।  इसको अंधविश्वास के दलदल में मत धकेलो।  स्वामी विवेकानंद ने कहा था- "मैं आप लोगों को अंधविश्वासी मूर्खों क...