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विश्लेषण

पाक हाई कमीशन- पहले जासूसी, अब यौन उत्पीड़न

पाक हाई कमीशन- पहले जासूसी, अब यौन उत्पीड़न

TOP STORIES, विश्लेषण
आर.के. सिन्हा राजधानी का डिप्लोमेटिक एरिया चाणक्यपुरी आजकल एकबार फिर खबरों में है। वजह यह है कि वहां पर स्थित पाकिस्तान के हाई कमिशन में एक भारतीय महिला प्रोफेसर के साथ यौन उत्पीड़न का केस सामने आया है। वह वहां पर पाकिस्तान जाने के लिए वीजा लेने के लिए गईं थीं। अफसोस कि पाकिस्तान हाई कमीशन में कभी कोई सार्थक और रचनात्मक गतिविधियां नहीं हुईं। वहां पर पाकिस्तान के स्वाधीनता दिवस पर बिरयानी की दावत जरूर आयोजित होती थी। पर यह जगह मात्र भारत की जासूसी का अड्डा बना रहा। यहां पर जम्मू-कश्मीर के पृथकतावादी और आतंकवादी नेताओं को दामादों की तरह से सम्मान मिलता ही रहा।  भारत सरकार ने 1950 के दशक में चाणक्यपुरी में विभिन्न देशों को भू-भाग आवंटित किये थे। पाकिस्तान को भी इस आशा के साथ बेहतरीन जगह पर अन्य देशों की अपेक्षा बड़ा प्लाट दिया गया था कि वह भारत से अपने संबंधों को मधुर बनाएगा। पर प...
Science-rich cinema empowers the nation and people”

Science-rich cinema empowers the nation and people”

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण
By Umashankar Mishra ): Science-rich cinema strengthens society and is an effective tool to empower the nation, said, Dr Chandra Mohan Nautiyal, Consultant, Science Communication, at Indian National Science Academy (INSA), New Delhi. He was speaking as a keynote speaker at the three-day International Science Film Festival of India (ISFFI), conducted as a part of the India International Science Festival (IISF) 2022.   A renowned scientist, Dr Nautiyal delivered his keynote address on “Films to Reflect India’s Emergence as Science & Technology Leader” in special context of Science-20 (S-20), one of the working groups of G-20 being presided over by India in 2023. It was addressed to a gathering of science filmmakers and science film enthusiasts assembled at Rajat Jayanti Audit...
चीनी सत्र 2021-22 में 5,000 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) से ज्यादा गन्ने की पैदावार हुई

चीनी सत्र 2021-22 में 5,000 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) से ज्यादा गन्ने की पैदावार हुई

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, विश्लेषण
वर्ष 2021-22 भारतीय चीनी क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक सत्र साबित हुआ है। सत्र के दौरान गन्ना उत्पादन, चीनी उत्पादन, चीनी निर्यात, गन्ना खरीद, गन्ना बकाया भुगतान और इथेनॉल उत्पादन के सभी रिकॉर्ड टूट गए थे। सत्र के दौरान, देश में 5,000 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) से ज्यादा गन्ने की रिकॉर्ड पैदावार हुई, जिसमें से लगभग 3,574 एलएमटी गन्ने की चीनी मिलों में पिराई हुई। इससे 394 लाख एमटी चीनी (सुक्रोज) का उत्पादन हुआ, जिसमें 36 लाख चीनी का इस्तेमाल इथेनॉल उत्पादन में किया गया और चीनी मिलों द्वारा 359 एलएमटी चीनी का उत्पादन किया गया। चीनी सत्र (अक्टूबर-सितंबर) 2021-22 में भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक और उपभोक्ता के साथ-साथ ब्राजील के बाद दुनिया में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बनकर उभरा है। हर चीनी सत्र में, 260-280 एलएमटी घरेलू उत्पादन की तुलना में लगभग 320-360 लाख मीट्रिक टन चीनी का...
पाकिस्तान के भस्मासुर 

पाकिस्तान के भस्मासुर 

TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
यह अनुमान ग़लत था कि ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद अल कायदा गुट दुनियाभर में लगातार बिखरता जा रहा है। हक़ीक़त में  वक्त के साथ पाकिस्तान में अन्य  आतंकी गुट उभरते गए, जिनके निशाने पर लेकिन भारत तो था ही। यहां तक कि बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना के निकट सहयोग से ग्वादर बंदरगाह परियोजना बना रहे चीन को स्थानीय नागरिकों का कोपभाजन का शिकार बनना पड़ा ।  वैसे इस समूचे उप-महाद्वीप में अभी भी दो बड़े सशस्त्र एवं कट्टर इस्लामिक आतंकी गुट सक्रिय हैं, एक है अफगान तालिबान और दूसरा है इसका पश्तून हमबिरादर तहरीक-ए-तालिबान ऑफ पाकिस्तान (टीटीपी)। यह दोनों गुट आईएसआई के निकट सहयोग से शुरू हुए और अब दोनों ही आईएसआई से खफा और खिलाफ हैं। टीटीपी का प्रभावक्षेत्र पाकिस्तानी खैबर पख्तूनवा के कबायली अंचल में अधिक है, हालांकि कुछ संख्या पाकिस्तान के उत्तर बलूचिस्तान इलाके में भी है। सीमांत और उत्तर के जनजातीय इल...
आपदा जोखिम की जड़ें कहीं और अंकुर कहीं।

आपदा जोखिम की जड़ें कहीं और अंकुर कहीं।

TOP STORIES, विश्लेषण
अनियंत्रित शहरीकरण, भूकंपीय क्षेत्रों में निर्माण, तेजी से कटाव की गतिविधि ने इस क्षेत्र में गंभीर बाढ़ ला दी है। सरकार को इस प्रक्रिया को समाप्त करने के लिए कार्यप्रणाली विकसित करने की आवश्यकता है। नदियों को आपस में जोड़ने जैसी पहलों का स्वागत किया जाता है और इन्हें पूरी गति से आगे बढ़ाने की जरूरत है। ड्रेनेज सिस्टम को उचित और शहरी आवास योजनाओं के अनुरूप होना चाहिए। तैयारियों के संदर्भ में, मौसम पूर्वानुमान को मजबूत और टिकाऊ बनाए जाने की जरूरत है, विकास की पहल को और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। आपदाओं की अनिश्चितता और तत्परता को ध्यान में रखते हुए, लचीलेपन को मजबूत करने के लिए तंत्र बनाने की तत्काल आवश्यकता है। बेशक सरकार इस दिशा में काम कर रही है लेकिन सामुदायिक भागीदारी की भी आवश्यकता है। -प्रियंका सौरभ प्राकृतिक आपदाएँ एक प्रमुख कारण हैं जो किसी राष्ट्र के जीवन और संपत्ति पर...
पाकिस्तान को एक मोदी चाहिए’

पाकिस्तान को एक मोदी चाहिए’

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
डॉ. वेदप्रताप वैदिक पाकिस्तान के आजकल जैसे हालात हैं, मेरी याददाश्त में भारत या हमारे पड़ौसी देशों में ऐसे हाल न मैंने कभी देखे और न ही सुने। हमारे अखबार पता नहीं क्यों, उनके बारे में न तो खबरें विस्तार से छाप रहे हैं और न ही उनमें उनके फोटो देखे जा रहे हैं लेकिन हमारे टीवी चैनलों ने कमाल कर रखा है। वे जैसे-तैसे पाकिस्तानी चैनलों के दृश्य अपने चैनलों पर आजकल दिखा रहे हैं। उन्हें देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं, क्योंकि पाकिस्तानी लोग हमारी भाषा बोलते हैं और हमारे जैसे ही कपड़े पहनते हैं। वे जो कुछ बोलते हैं, वह न तो अंग्रेजी है, न रूसी है, न यूक्रेनी। वह तो हिंदुस्तानी ही है। उनकी हर बात समझ में आती है। उनकी बातें, उनकी तकलीफें, उनकी चीख-चिल्लाहटें, उनकी भगदड़ और उनकी मारपीट दिल दहला देनेवाली होती है। गेहूं का आटा वहां 250-300 रु. किलो बिक रहा है। वह भी आसानी से नहीं मिल रहा है। बूढ़े, म...
धनखड़: संसद बड़ी या अदालत ?

धनखड़: संसद बड़ी या अदालत ?

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
डॉ. वेदप्रताप वैदिक उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारतीय न्यायपालिका को दो-टूक शब्दों में चुनौती दे दी है। वे संसद और विधानसभाओं के अध्यक्षों के 83 वें सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। वे स्वयं राज्यसभा के अध्यक्ष हैं। आजकल केंद्र सरकार और सर्वोच्च न्यायालय के बीच जजों की नियुक्ति को लेकर लंबा विवाद चल रहा है। सर्वोच्च न्यायालय का चयन-मंडल बार-बार अपने चुने हुए जजों की सूची सरकार के पास भेजता है लेकिन सरकार उस पर ‘हाँ’ या ‘ना’ कुछ भी नहीं कहती है। सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि सरकार का यह रवैया अनुचित है, क्योंकि 1993 में जो चयन-मंडल (कालेजियम पद्धति) तय हुई थी, उसके अनुसार यदि चयन-मंडल किसी नाम को दुबारा भेज दे तो सरकार के लिए उसे शपथ दिलाना अनिवार्य होता है। इस चयन-मंडल में पांचों चयनकर्त्ता सर्वोच्च न्यायालय के जज ही होते हैं। और कोई नहीं होता। इस पद्धति में कई कमियाँ देखी गईं। उसे बद...
क्यों जरूरी है पर्यावरण आधारित विकास की

क्यों जरूरी है पर्यावरण आधारित विकास की

विश्लेषण, समाचार
ललित गर्ग पर्यावरण एवं प्रकृति की दृष्टि से हम बहुत ही खतरनाक दौर में पहुंच गए हैं क्योंकि संभव है कि मानव की गतिविधियां ही इसके विनाश का कारण बन जाएं। आज के दौर में समस्या प्राकृतिक संसाधनों के नष्ट होने, पर्यावरण विनाश एवं प्राकृतिक आपदाओं की हैं। सरकार की नीतियां, उपेक्षाएं एवं विकास की अवधारणा ने ऐसी स्थितियों को खड़ा कर दिया है कि सरकार की बजाय न्यायालयों को बार-बार अपने डंडें का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। जोशीमठ एवं चंडीगढ़ ऐसी ही स्थितियों के ताजे गवाह बने हैं। जोशीमठ की भूमि में पड़ी दरारे एक बड़ी त्रासदी के साथ वहां रहने वाले लोगों के जीवन-संकट का कारण बनी है। यह पर्यावरण एवं प्रकृति की उपेक्षा एवं तथाकथित अनियोजित विकास का परिणाम है, ऐसे ही अनियोजित विकास के कारण चंडीगढ़ जैसे महानगर किसी बड़े संकट को भविष्य में झेलने को विवश न हो, इसके लिये चंडीगढ़ में रिहाइशी इलाकों के स्वरूप...
कुदरत की पीर, जोशीमठ की तस्वीर

कुदरत की पीर, जोशीमठ की तस्वीर

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
 जोशीमठ की स्थिति यह एक बहुत ही गंभीर चेतावनी है कि लोग पर्यावरण के साथ इस हद तक खिलवाड़ कर रहे हैं कि पुरानी स्थिति को फिर से बहाल कर पाना मुश्किल होगा। जोशीमठ समस्या के दो पहलू हैं। पहला है बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का विकास, जो हिमालय जैसे बहुत ही नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र में हो रहा है और यह बिना किसी योजना प्रक्रिया के हो रहा है, जहां हम पर्यावरण की रक्षा करने में सक्षम हैं। दूसरा पहलू, जलवायु परिवर्तन एक प्रमुख कारक है। भारत के कुछ पहाड़ी राज्यों में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव दिख रहे हैं। उदाहरण के लिए, 2021 और 2022 उत्तराखंड के लिए आपदा के वर्ष रहे हैं।हमें पहले यह समझना होगा कि ये क्षेत्र बहुत नाजुक हैं और पारिस्थितिकी तंत्र में छोटे परिवर्तन या गड़बड़ी से गंभीर आपदाएं आएंगी, जो हम जोशीमठ में देख रहे हैं। -डॉ सत्यवान सौरभ जोशीमठ में उभरता संकट विकासात्मक परियोजनाओं की योज...
भारतीय आर्थिक चिंतन के सहारे मुद्रा स्फीति शीघ्र ही नियंत्रण में लाई जा सकती है

भारतीय आर्थिक चिंतन के सहारे मुद्रा स्फीति शीघ्र ही नियंत्रण में लाई जा सकती है

EXCLUSIVE NEWS, आर्थिक, विश्लेषण
भारतीय आर्थिक चिंतन के सहारे मुद्रा स्फीति शीघ्र ही नियंत्रण में लाई जा सकती हैलगातार बढ़ रही मुद्रा स्फीति की परेशानी पूरा विश्व ही महसूस कर रहा है। परंतु, भारत नेअपने आर्थिक चिंतन के सहारे मुद्रा स्फीति को नियंत्रित करने में सबसे पहिले सफलताहासिल कर ली है। दिसम्बर 2022 माह में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रा स्फीतिकी दर पिछले 12 माह के न्यूनतम स्तर 5.72 प्रतिशत पर आ गई है। यह मुख्य रूप सेसब्जियों की दरों में आई कमी के चलते सम्भव हो सका है। सब्जियों की महंगाई दर15.08 प्रतिशत से कम हुई है एवं फलों की महंगाई दर केवल 2 प्रतिशत से बढ़ी है, तेलएवं शक्कर की महंगाई दर लगभग शून्य रही है। राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय द्वारा जारीकिये गए आंकड़ों के अनुसार, खाद्य पदार्थों में महंगाई दर दिसम्बर 2022 में 4.19प्रतिशत की रही है जो नवम्बर 2022 माह में 4.67 प्रतिशत थी एवं दिसम्बर 2021 में4.05 प्रतिश...