
केंद्र और राज्य सरकार के बीच पिसता आम आदमी
एक दशक से देश की सियासत में एक तरह की राजनीति कुछ अलग ही तरीके से चल पड़ी है, जिसके चलते छोटे-छोटे मामलों पर बड़े-बड़े पदों पर बैठे लोगों को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। केंद्र से अलग पार्टी की सरकार वाले राज्यों के पास अक्सर इस बात का रोना रहता है कि फलाँ-फलाँ काम यहाँ अटका पड़ा है। क्योंकि केंद्र में अलग पार्टी की सरकार है। इसलिए काम की फाइल अटकना तो बहाना है, उसके पीछे की सियासत कुछ और ही है। कुल मिलाकर निष्कर्ष यही निकलता है कि केंद्र और राज्य में अलग अलग पार्टी की सरकार होने के मायने विकास में असंतुलन और प्रचार की रस्साकसी है| इनके बीच खड़ा वोटर यानि की आम आदमी केंद्रीय और राज्य के संघीय ढांचे में काम के बटवारे से होने वाले नुकसान का भुगतभोगी है|
-प्रियंका सौरभ
संघवाद सरकार की एक प्रणाली है जिसमें शक्तियों को केंद्र और उसके घटक भागों जैसे राज्यों या प्रांतों ...