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Regime change is coming, not in Russia,but in America

Regime change is coming, not in Russia,but in America

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Biden has been perceived as the leader of the American led world order. Biden is supported by a coterie of about 20,000 Globalists who use the power, legacy, resources and the population of America, Canada, European Union, Australia and Japan to establish a world order, which they will rule, absolutely. At the helm of affairs, the globalists are supported by Main Stream Media elites such as The New York Times,The Guardian, The Financial Times etc. NGOs like George Soros and Big Tech like Facebook, Twitter, Google, etc. Since the end of the 'Cold War', these globalists have been on a rampage in intervening and destroying civilisations and countries and spreading destruction and misery. The list is long and includes Iraq, Libya, Yugoslavia, Afghanistan and now Georgia and Ukrain...
क्या भारत व दुनिया सूखे की ओर बढ़ रहे है? – अनुज अग्रवाल

क्या भारत व दुनिया सूखे की ओर बढ़ रहे है? – अनुज अग्रवाल

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क्या भारत व दुनिया सूखे की ओर बढ़ रहे है? - अनुज अग्रवाल मध्य मार्च से ही देश के दो तिहाई हिस्से में औसत तापमान 6 से 8 डिग्री तक ज़्यादा चल रहा है। लगातार बढ़ती तपिश ने रबी की फसलों को एक महीने पहले ही पका दिया या जला दिया। फल व सब्ज़ियों की एक पूरी फसल ही निबट चुकी है। गेहूं छोटे व हल्के पैदा हुए और कुल फसल अलग अलग क्षेत्रों में दस से तीस प्रतिशत तक कम पैदा हुई है। यही हाल सरसों का है। गेहूँ के निर्यात को उत्सुक भारत सरकार अब कितनी फसल बचा पाती है यह वक़्त ही बताएगा क्योंकि गर्मी से पहले की इस गर्मी ने सबकी गर्मी निकाल दी है और अभी मई और जून की गर्मी व जुलाई ,अगस्त व सितंबर की उमस भी बाक़ी है।यूँ तो मौसम विभाग कह रहा है कि देश में सामान्य मानसून रहेगा किंतु यह बात छुपा दी कि ऐसा कई बार होगा कि ढेर सारी बारिश कुछ ही समय में ताबड़तोड़ तरीक़े से ही हो जाएगी व बड़ा समय सूखा ही निकल जाएगा।...
कोरोना की चौथी लहर, कितने तैयार हैं हम?

कोरोना की चौथी लहर, कितने तैयार हैं हम?

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कोरोना की चौथी लहर, कितने तैयार हैं हम? आर.के. सिन्हा पिछले साल अप्रैल के महीने में आई कोरोना वायरस की भीषण लहर ने देश में प्रलय मचा कर रख दी थी। उन दिनों को याद करके भी घबराहट होने लगती है। एक साल के बाद फिर से कोरोना की चौथी लहर का खतरा हमारे सामने है। कोरोना के नये केस सामने आ रहे हैं। इनकी संख्या में लगातार वृद्धि भी हो रही है। इससे पहले कोरोना के ओमिक्रान वैरियंट के लगभग बेअसर रहने के बाद यह उम्मीद बंधी थी कि कोरोना का अब नाश हो गया है। लेकिन, कहते ही हैं कि वायरस कभी खत्म नहीं होता। हां,उसका असर कमजोर पड़ने लगता है। तो ओमिक्रान के बाद आने और चले जाने के बाद यही लग रहा है कि अगर चौथी लहर आई भी तो वह भी समुद्री लहर की तरह सागर किनारे आकर वापस चली जाएगी। यानी वह घातक नहीं होगी। पर यह सब पक्के से तो नहीं कहा जा सकता है।    देखिए कोरोना के नए-नए वेरिएंट्स अपने साथ नए-नए लक्षण साथ...
बिजली संयंत्रों से कार्बन कैप्चर के लिए ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकी

बिजली संयंत्रों से कार्बन कैप्चर के लिए ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकी

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बिजली संयंत्रों से कार्बन कैप्चर के लिए ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकी नई दिल्ली, 13 अप्रैल (इंडिया साइंस वायर): बिजली संयंत्रों से कार्बनडाईऑक्साइड (CO2) कैप्चर के लिए ऊर्जा कुशल संयंत्र डिजाइन और विकसित करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), गुवाहाटी ने राष्ट्रीय तापविद्युत निगम (एनटीपीसी लिमिटेड) के साथ हाथ मिलाया है। यह प्रौद्योगिकी एक नये सक्रिय अमोनिया यौगिक ऐमिन विलायक (आईआईटीजीएस) का उपयोग करके फ्लू गैस पर काम करती है। कमर्शियल सक्रिय एमडीईए (मोनोएथेनॉलमाइन) विलायक की तुलना में यह प्रौद्योगिकी 11 प्रतिशत कम ऊर्जा और बेंचमार्क एमईए (मोनोएथेनॉलमाइन) विलायक की तुलना में 31 प्रतिशत कम ऊर्जा की खपत करती है। इस परियोजना से तेल, प्राकृतिक गैस, बायोगैस उद्योग और पेट्रोलियम रिफाइनरियों को लाभ हो सकता है। इस स्वदेशी तकनीक को प्रोफेसर बिष्णुपाद मंडल, केमिकल इंजीनियरिंग विभाग, आ...
उत्कृष्ट विलक्षणताओं के प्रतीक हैं हनुमान

उत्कृष्ट विलक्षणताओं के प्रतीक हैं हनुमान

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उत्कृष्ट विलक्षणताओं के प्रतीक हैं हनुमान - ललित गर्ग - इस संसार में सबसे बड़े भक्त है भगवान हनुमानजी, वे ऐसे भक्त हैं जो अपने भक्तों को ईश्वर से मिलाते हैं। उनको हिन्दू देवताआंे में सबसे शक्तिशाली, जागृत एवं सजीव देवता माना गया है, वे रामायण जैसे महाग्रंथ के सह पात्र थे। वे भगवान शिव के ग्यारवंे रूद्र अवतार थे जो श्रीराम की सेवा करने और उनका साथ देने त्रेता युग में अवतरित हुए थे। इस धरा पर जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है, उनमें बजरंगबली भी हैं। हनुमानजी के पराक्रम की असंख्य गाथाएँ प्रचलित हैं। इन्होंने जिस तरह से राम के साथ सुग्रीव की मैत्री कराई और फिर वानरों की मदद से असुरों का मर्दन किया, वह अत्यन्त प्रसिद्ध है। उनको बजरंगबलि, मारुतिनंदन, पवनपुत्र, केशरीनंदन आदि अनेकों नामों से पुकारा जाता है। उनका एक नाम वायुपुत्र भी है, उन्हें वातात्मज भी कहा गया है अर्थात् वायु से ...
धातु पाउडर बनाने की वैकल्पिक तकनीक विकसित

धातु पाउडर बनाने की वैकल्पिक तकनीक विकसित

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धातु पाउडर बनाने की वैकल्पिक तकनीक विकसित त्रिविमीय (Three Dimensional) वस्तुओं के निर्माण के लिए 3डी प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग बढ़ रहा है। एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग एक ऐसी तकनीक है, जिसे मेटल 3डी प्रिंटिंग के रूप में जाना जाता है। 3डी प्रिंटिंग की इस तकनीक में मेटल प्रिंटिंग सामग्री की परत बनाकार वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग की एक प्रमुख स्रोत सामग्री धातु पाउडर है, जिसे मुख्य रूप से परमाणुकरण (Atomization) तकनीक द्वारा उत्पादित किया जाता है। इस प्रविधि में पिघली धातु हवा या पानी के द्रुत प्रवाह में टूटकर पहले तरल सूक्ष्म बूंदों में रूपांतरित होती है, जो अंत में ठोस होकर पाउडर बन जाती है। मेटल 3डी प्रिंटिंग में आमतौर पर उपयोग होने वाली परमाणुकरण तकनीक की एक सीमा यह है कि इससे बेहतर परिणाम नहीं मिलते, यह महंगी पड़ती है, और विभिन्न सामग्री प्रकारों के उपयोग में इसमे...
पाक अधिकृत कश्मीर का ख़ौफ़नाक सच

पाक अधिकृत कश्मीर का ख़ौफ़नाक सच

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पाक अधिकृत कश्मीर का ख़ौफ़नाक सच विनीत नारायण ‘द कश्मीर फ़ाइल्ज़’ में जो दिखाया गया है वो उस ख़ौफ़नाक सच के सामने कुछ भी नहीं है जो अब अमजद अय्यूब मिर्ज़ा ने पाक अधिकृत कश्मीर में हुए हिंदुओं के वीभत्स नरसंहार के बारे में केलिफ़ोरनिया के अख़बार में प्रकाशित किया है। अय्यूब मिर्ज़ा ने पिछले महीने 21 मार्च को प्रकाशित अपने लेख में ‘द कश्मीर फ़ाइल्ज़’ को एक दमदार फ़िल्म बताते हुए इस बात की तारीफ़ की है कि कैसे इस फ़िल्म ने पाकिस्तान समर्थित जिहादियों और श्रीनगर के स्थानीय कट्टरपंथियों के आतंक को रेखांकित किया गया है। इस लेख में मिर्ज़ा लिखते हैं कि ये तो प्याज़ की पहली परत उखाड़ने जैसा है। उनके अनुसार जम्मू कश्मीर से अल्पसंख्यक हिंदुओं व सिखों को मारने और भगाने का सिलसिला 1990 से ही नहीं शुरू हुआ। इसकी जड़ें तो 1947 के भारत-पाक बँटवारे के अप्रकाशित इतिहास में दबी पड़ी हैं। अमजद अय्यूब मिर्...
मातृत्व की कला बच्चों को जीने की कला सिखाना है’।

मातृत्व की कला बच्चों को जीने की कला सिखाना है’।

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मातृत्व की कला बच्चों को जीने की कला सिखाना है'। (माँ अपने बच्चे के चेहरे पर पहली मुस्कान देखती है।) --प्रियंका 'सौरभ' यह एक सर्वविदित तथ्य है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चे के लिए सबसे अच्छी उम्र होती है क्योंकि वह इस उम्र में सबसे ज्यादा सीखता है। एक बच्चा पांच साल से कम उम्र के घर पर ज्यादातर समय बिताता है और इसलिए वह घर पर जो देखता है और देखता है उससे बहुत कुछ सीखता है। छत्रपति शिवाजी को उनकी माँ ने बचपन में नायकों की कई कहानियाँ सुनाईं और वे बड़े होकर कई लोगों के लिए नायक बने। घर पर ही एक बच्चा सबसे पहले समाजीकरण सीखता है। एक बच्चा पहले घर पर बहुत कुछ सीखता है। लेकिन आज, चूंकि अधिकांश माता-पिता कमाने वाले व्यक्ति हैं, इसलिए वे अपने बच्चों के साथ गुणवत्तापूर्ण समय नहीं बिता सकते हैं। बच्चों को प्ले स्कूलों में भेजा जाता है और अक्सर उनके दादा-दादी द्वारा उनका पालन-पोषण किया जाता...
स्थाई भविष्य के लिए चेतावनी है यूक्रेन – रूस युद्ध

स्थाई भविष्य के लिए चेतावनी है यूक्रेन – रूस युद्ध

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स्थाई भविष्य के लिए चेतावनी है यूक्रेन - रूस युद्ध डॉ. शंकर सुवन सिंह दो देशों का युद्ध, अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति का शिकार होता है। सामान संस्कृति, सभ्यता एवं भाषा वाले देश आपस में लड़ रहे हैं। जो देश कभी एक हुआ करते थे वो आज एक दूसरे के दुश्मन बने हुए हैं। जो देश जिस देश के निकट हैं वो एक दूसरे के प्रति उतनी ही विकटता पैदा करते हैं। यह कहने में अतिश्योक्ति नहीं होगी कि अत्यधिक निकटता विकृति को पैदा करती है। भगवान् विष्णु के नवें अवतार महात्मा गौतम बुद्ध ने कहा था - वीणा के तारों को इतना भी मत कसो कि वह टूट जाये और इतना ढीला भी मत रखो कि उससे सुर ही न निकले। कहने का तात्पर्य अति किसी भी चीज कि बुरी होती है। चाहे वह निकटता हो या दूरी हो। प्रत्येक देश को संतुलित रहने कि जरुरत है। संतुलन ही किसी भी समाधान का मूल मंत्र है। प्रतिस्पर्धा हमेशा उससे ही होती है जिसके बारे में हम जानते हैं या जिसस...
भारत का कृषि निर्यात 50 बिलियन डॉलर की ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंचा

भारत का कृषि निर्यात 50 बिलियन डॉलर की ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंचा

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वर्ष 2021-22 के लिए कृषि उत्पाद (समुद्री तथा कृषि उत्पाद सहित) का निर्यात 50 बिलियन डॉलर को पार कर गया है। यह अब तक का सबसे अधिक कृषि उत्पाद निर्यात है। वाणिज्यिक जानकारी एवं सांख्यिकी महानिदेशालय (डीजीसीआईएंडएस) द्वारा जारी अनंतिम आंकड़ों के अनुसार 2021-22 के दौरान कृषि निर्यात 19.92 प्रतिशत बढ़कर 50.21 बिलियन डॉलर हो गया। यह वृद्धि दर शानदार है और 2020-21 के 17.66 प्रतिशत यानी 41.87 बिलियन से अधिक है। यह वृद्धि उच्च भाड़ा दरों, कंटेनर की कमी जैसी अप्रत्याशित लॉजिस्टिक चुनौतियों के बावजूद हुई है। पिछले दो वर्षों की यह उपलब्धि किसानों की आय में सुधार के प्रधानमंत्री के विज़न को साकार करने में काफी अधिक सफल होगी। चावल (9.65 बिलियन डॉलर), गेहूं (2.19 बिलियन डॉलर), चीनी (4.6 बिलियन डॉलर) तथा अन्य अनाजों (1.08 बिलियन डॉलर) के लिए यह अब तक का सबसे अधिक निर्यात है। गेहूं निर्यात में अप्रत्याश...