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क्या सफल होंगे समांतर व नई विश्व व्यवस्था के संघर्ष ? अनुज अग्रवाल

क्या सफल होंगे समांतर व नई विश्व व्यवस्था के संघर्ष ? अनुज अग्रवाल

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क्या सफल होंगे समांतर व नई विश्व व्यवस्था के संघर्ष ? - अनुज अग्रवाल जो बाइडेन के अनुसार पुतिन "युद्ध अपराधी" व "कसाई " हैं। सच में ऐसा ही है। पुतिन अत्यंत ही क्रूरता से अमेरिका के वर्चस्व की हत्या कर रहे हैं। यूक्रेन पर गिरती हर मिसाइल अमेरिका , नाटो , यूरोपियन यूनियन व जी- 7 देशों के घमंड को तोड़ती जा रही है। नाटो देशों के हर नए प्रतिबंधों की घोषणा रूस की युद्ध आक्रामकता को और बढ़ा देती है। रूस यूक्रेन के शहर दर शहर सैन्य ठिकानों को नष्ट करता जा रहा है और उसका वि-सैन्यकरण कर रहा है तो उधर नाटो देशों से हथियारों की नई खेप पहुँच जाती है और फिर दूसरे चरण में रूस यूक्रेन के शहरों को तबाह कर देता है। यूक्रेन के वि-सैन्यकरण व उसको नाज़ीवाद से मुक्त करने के इस तथाकथित अभियान में यूक्रेन की एक चौथाई जनता विस्थापित हो गयी है इसके बाद भी यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलांसकी अमेरिका व न...
‘अमृतकाल’ के रोडमैप पर वैज्ञानिकों का विमर्श

‘अमृतकाल’ के रोडमैप पर वैज्ञानिकों का विमर्श

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‘अमृतकाल’ के रोडमैप पर वैज्ञानिकों का विमर्श नई दिल्ली, 28 मार्च (इंडिया साइंस वायर): लाल किले की प्राचीर से 75वें स्‍वतंत्रता दिवस पर ‘आजादी का अमृत महोत्‍सव’ मनाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 'इंडिया@75'; यानी आजादी के 75 वर्षों की बात की, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि आगामी 25 वर्ष (2022-2047) ‘अमृतकाल’ होगा। इस कालखण्ड में हमारे संकल्‍पों की सिद्धि, हमें स्वतंत्रता के 100वें वर्ष तक लेकर जाएगी। प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण इसी पर आधारित है कि 25 साल बाद 2047 में; देश जब स्वतंत्रता का शताब्दी वर्ष मनाएगा, तब तक हमें उतना सामर्थ्यवान बनना होगा, जितना हम पहले कभी नहीं थे। प्रधानमंत्री के विज़न-2047 को साकार करने से जुड़ी एक नई पहल के अंतर्गत हैदराबाद में हाल में दो दिवसीय ‘साइंस लीडर्स कॉन्क्लेव’ आयोजित किया गया, जिसमें शीर्ष वैज्ञानिक संस्थानों के प्रमुख और विचारकों ने आगा...
रोजगार एवं स्वावलम्बन पर संघ की सुखद पहल

रोजगार एवं स्वावलम्बन पर संघ की सुखद पहल

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रोजगार एवं स्वावलम्बन पर संघ की सुखद पहल  ललित गर्ग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक श्री मोहन भागवत ने कर्णावती के अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की 11-13 मार्च 2022 की बैठक में देश में एक ऐसा आर्थिक मॉडल विकसित करने हेतु आग्रह किया हैै जिसके अंतर्गत मजबूत ग्रामीण अर्थव्यवस्था के साथ-साथ रोजगार के अधिक अवसर निर्मित हो सके। जिससे कुटीर एवं लघु उद्योगों का ग्रामीण इलाकों में विस्तार किया जा सके। संघ के ये स्वावलम्बी एवं आत्मनिर्भर अर्थतंत्र के ये विचार, दर्शन, कार्यक्रम एवं इतिहास प्रारंभ से ही सशक्त एवं सुदृढ़ राष्ट्र-निर्माण का आधार रहे हैं। संघ का भारत की आजादी एवं इसके नवनिर्माण में अभूतपूर्व योगदान रहा है और अब भारत को समग्र दृष्टि से विकसित करने के लिये संघ प्रयासरत है, जो एक सुखद आश्चर्य का विषय है, जिस पर समग्र राष्ट्र को बिना किसी आग्रह, पूर्वाग्रह एवं दुराग्रह के आगे बढ़ना चाहिए। ...
खतरनाक है, यह अल्पसंख्यकवाद

खतरनाक है, यह अल्पसंख्यकवाद

Current Affaires, EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण, सामाजिक
खतरनाक है, यह अल्पसंख्यकवाद *डॉ. वेदप्रताप वैदिक* इधर सर्वोच्च न्यायालय में एक बड़ी मजेदार याचिका पेश की गई है, अश्विनी उपाध्याय के द्वारा! उन्होंने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि अल्पसंख्यकता के नाम पर कई राज्यों में बड़े पैमाने पर ठगी चल रही है। जिन राज्यों में जो लोग बहुसंख्यक हैं, वे यह कहते हैं कि हम लोग अखिल भारतीय स्तर पर अल्पसंख्यक हैं, इसलिए हमें अल्पसंख्यकों की सब सुविधाएं अपने राज्य में भी मिलनी चाहिए। जैसे जम्मू-कश्मीर में मुसलमान बहुसंख्यक हैं लेकिन उन्हें इसके बावजूद वहां अल्पसंख्यकों की सारी सुविधाएं मिलती हैं। लेकिन जम्मू-कश्मीर के हिंदुओं, यहूदियों और बहाईयों को, जो वास्तव में वहां अल्पसंख्यक हैं, उन्हें अल्पसंख्यकों की कोई सुविधा नहीं मिलती। यही हाल मिजोरम, नागालैंड, अरुणाचल, लक्षद्वीप, मणिपुर और पंजाब का है। इन राज्यों में रहनेवाले धार्मिक बहुसंख्यकों को भी अल्पसंख्यक...
Suicide by Sanctions and other means

Suicide by Sanctions and other means

Current Affaires, EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण, सामाजिक
After the disintegration of the Soviet Union and its divorce from its East European allies, Russia believing itself European, tried its hardest to integrate itself with Europe and America. The West purchased many, key Russian technologies, assets and industries in the distressed Russian economy at a huge discount, and positioned themselves to at will exert a vice-like grip on Russia's financial, technological, communications, media etc. sectors. An arrogant America and Europe, the winners of the Cold War, had no place on the high table for Russia. American leader Senator John McCain disparagingly voiced the common thinking of America, that "Russia is a gas station, disguised as a nation". Americans and Europeans viewed Russia as an old, beleaguered empire to be merely exploited and mil...
CSE’s warning on World Water Day-ongoing heatwave conditions can worsen water crisis

CSE’s warning on World Water Day-ongoing heatwave conditions can worsen water crisis

Current Affaires, प्रेस विज्ञप्ति, विश्लेषण, सामाजिक
Centre for Science and Environment (CSE), New Delhi PRESS RELEASE World Water Day Special Rising temperatures can put our water security in serious jeopardy, says CSE “What does this intense heat wave that has hit large parts of India so early this summer really mean? It means – especially today, as we mark the World Water Day – that this is the age of climate change; it also means that how we deal with our water in the coming days will determine whether we would survive such extreme climatic conditions,” says Sunita Narain, director general, Centre for Science and Environment (CSE). “I am saying this because ...
Delhi’s Party-Wise Manifesto (2017-22) Analysis & Targets to Set for 2022-2027’

Delhi’s Party-Wise Manifesto (2017-22) Analysis & Targets to Set for 2022-2027’

विश्लेषण, समाचार
प्रकाशनार्थ विज्ञप्ति • भाजपा ने दिल्ली में पानी और बिजली जैसी सुविधाओं के साथ विश्व स्तरीय शौचालय बनाने का वादा किया था। हालांकि, 2020 में, एम.सी.डी शौचालयों में से 16% में पानी का कनेक्शन उपलब्ध नहीं था, और 10% में बिजली नहीं थी। • आप ने दिल्ली में नालों की पूरी सफाई का वादा किया था। हालांकि, 2017 से 2020 तक दर्ज 34,169 जल निकासी शिकायतों में से 83% शिकायतें जल निकासी में बाधा, रुकावट और सफाई और ओवरफ्लो मैनहोल पर थीं। • आप और आई.एन.सी, दोनों ने 2019 तक लैंडफिल के समस्या को समाप्त करने का वादा किया। लेकिन 2020-21 में, तीनों एम.सी.डी से, लैंडफिल स्थलों में एम.एस.डब्ल्यू (म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट) का निपटान कुल 5,074 टी.पी.डी (टन प्रति दिन) था। • सतत विकास लक्ष्य 2030 को प्राप्त करने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए और अन्य सरकारी लक्ष्यों और घोषणापत्रों को इन लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए ब...
भारत के कृषि प्रधान राज्यों में भूजल प्रदूषण की समस्या

भारत के कृषि प्रधान राज्यों में भूजल प्रदूषण की समस्या

Current Affaires, EXCLUSIVE NEWS, राज्य, राष्ट्रीय, विश्लेषण
भारत के कृषि प्रधान राज्यों में भूजल प्रदूषण की समस्या --सत्यवान 'सौरभ' भूजल प्रदूषित तब होता है जब मानव निर्मित उत्पाद जैसे गैसोलीन, तेल, सड़क लवण और रसायन भूजल में मिल जाते हैं और इसे मानव उपयोग के लिए असुरक्षित और अनुपयुक्त बना देते हैं। भूमि की सतह से प्रदूषित सामग्री मिट्टी के माध्यम से आगे बढ़ सकती है और भूजल में घुल सकती है। . उदाहरण के लिए, कीटनाशक और उर्वरक समय के साथ भूजल आपूर्ति में अपना रास्ता बना लेते हैं जैसा कि भारत के कई कृषि प्रधान राज्यों में देखा गया है। डीडीटी, बीएचसी, कार्बामेट, एंडोसल्फान आदि भारत में उपयोग किए जाने वाले सबसे आम कीटनाशक हैं। लेकिन, कीटनाशक और उर्वरक प्रदूषण के लिए भूजल की भेद्यता मिट्टी की बनावट, उर्वरक और कीटनाशक के उपयोग के पैटर्न, उनके क्षरण उत्पादों और मिट्टी में कुल कार्बनिक पदार्थों द्वारा नियंत्रित होती है। जल संसाधन मंत्रालय द्वारा कि...
मुसलमानों का क्या करें?

मुसलमानों का क्या करें?

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मुसलमानों का क्या करें? विनीत नारायण सुजलाम, सुफलाम, मलयज शीतलाम, शस्य श्यामलाम, भारत माता इतनी उदार हैं कि हर भारतवासी सुखी, स्वस्थ व सम्पन्न हो सकता है। पर स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद भी अधिकतर आबादी पेट पालने के लिए भी दान के अनाज पर निर्भर है। कई दशकों तक ‘ग़रीबी हटाओ’ के नाम पर उसे झुनझुना थमाया गया। पर उसकी ग़रीबी दूर नहीं हुई। आज ग़रीबी के साथ युवा बेरोज़गारी एक बहुत बड़ी समस्या बन गयी है । जिसका निदान अगर जल्दी नहीं हुआ तो करोड़ों युवाओं की ये फ़ौज देश भर में हिंसा, अपराध और लूट में शामिल हो जाएगी। हर राजनैतिक दल अपने वोटों का ध्रुवीकरण के लिए जनता को किसी न किसी नारे में उलझाए रखता है और चुनाव जीतने के लिए उसे बड़े-बड़े लुभावने सपने भी दिखाता है। पिछले कुछ वर्षों से अल्पसंख्यक मुसलमानों का डर बहुसंख्यक हिंदुओं को दिखाया जा रहा है। आधुनिक सूचना तकनीकी की मदद से ‘इस्लमोफोबिया’ को घर-घ...
Why are women and female entrepreneurs denied equal opportunities

Why are women and female entrepreneurs denied equal opportunities

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Why are women and female entrepreneurs denied equal opportunities in boardrooms and the corporate world? - R.K. Sinha On March 8, the auspicious occasion of International Women's Day, several opinions and perspectives came to light about the numerous successful accomplishments of women across the globe. It was indeed refreshing news to come across. But one aspect that seemed to have not been mentioned was that now women are triumphantly climbing the corporate ladders and snagging peak positions. The appointment of Nishi Vasudeva as the Chairman and Managing director of state-owned Hindustan Petroleum Corporation Limited (HPCL), and Alka Mittal as Interim Chairman and Managing Director of the Oil and Natural Gas Corporation (ONGC) indicates that women are now given favorable opportunit...