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सरदार पटेल को जिन्ना का साथी कहने वाले दुष्ट कौन ?

सरदार पटेल को जिन्ना का साथी कहने वाले दुष्ट कौन ?

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जरा सोचिए कि लौहपुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल के बारे में अब यह कहा जा रहा है कि ‘उनके मोहम्मद अली जिन्ना से संबंध थे। वे जम्मू-कश्मीर पाकिस्तान को सौंपना चाहते थे।’ यह दावा विगत दिनों कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग में तारिक हामिद करा ने किया। वे अभी जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के नेता हैं । वे पहले पीडीपी में थे। जिस बैठक में सिर्फ सोनिया गांधी और राहुल गांधी का उम्मीद के मुताबिक स्तुतिगान हुआ वहीं पर एक नेता सरदार पटेल के ऊपर ओछे और तथ्यों से परे आरोप लगाता रहा। क्या जब देश अपनी आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मना रहा है तब स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले सरदार पटेल को जिन्ना का साथी बताने की हिमाकत की जाएगी ? क्या यह किसी को बताने की जरूरत है कि सरदार पटेल का देश की आजादी की लड़ाई में और फिर देश को एकता के एक सूत्र में पिरोने में अहम योगदान था? जिस सरदार पटेल को सारा देश आदरणीय मानता है...
COVID-19: चीन-अमेरिका का जैविक हथियार या वेश्विक षड्यंत्र ? – अनुज अग्रवाल

COVID-19: चीन-अमेरिका का जैविक हथियार या वेश्विक षड्यंत्र ? – अनुज अग्रवाल

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यह हास्यास्पद है कि दुनिया भर में कोरोना के बढ़ते मरीज़ों और गिरती लाशों के बीच बढ़ते जनाक़्रोश के बीच  अमेरिका ने अपनी जाँच एजेंसियों को 90 दिनो में यह जाँच करने का आदेश दिया है कि इस वायरस का उदगम चीन की विहं लेब है या नहीं और क्या चीन ने जैविक हथियार के रूप में तो इस वायरस का प्रयोग तो नाहीं किया। अमेरिका के ही आग्रह पर डबल्यूएचओ भी  इन आरोपो की फिर से जाँच करने के लिए तैयार हो गया है और अंतत: भारत सरकार ने भी इन जाँचो का समर्थन किया है। जब किसी देश की गलती या जानबूझकर की गयी हरकत से आपके देश में लाखों करोड़ों लोग मर रहे हों और अर्थव्यवस्था बर्बाद हो रही हो तो आप उस देश के ख़िलाफ़ जाँच बैठाएँगे या उसको मिलकर कुचल देंगे। अगर जाँच के नतीजे चीन के ख़िलाफ़ आ गए तो दुनिया क्या उखाड़ लेगी चीन का ? कोरोना वायरस और अनुत्तरित प्रश्न  क्या कोरोना एक वेश्विक साज़िश है जिसमें दुनिया की एलीट...
कूटनीतिकि षड्यंत्रो के विचित्र खेल

कूटनीतिकि षड्यंत्रो के विचित्र खेल

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भारत में ब दुनिया में खाद्दय पदार्थों के नाम पर जो भी उगाया जा रहा है वह रासायनिक खादों व कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग के कारण धीमा ज़हर ही है। भारत में कृषि सुधार एवं किसान आंदोलन के बहाने सरकार की घेराबंदी में कहीं भी ज़ेविक व मिश्रित कृषि को पुनः शुरू करने की माँग ही नहीं की जा रही ही बल्कि सरकारी मदद व सब्सिडी में अधिक से अधिक हिस्सेदारी की माँग की जा रही है। वास्तव में कृषि सुधारो की जो अच्छी पहल मोदी सरकार ने की है उसके बारे में भ्रम फैलाकर देश में अस्थिरता पैदा करने व सरकार गिराने की कोशिशें की जा रही हैं। पिछले कुछ महीनो में दुनिया बड़े उतार चढ़ावो से गुज़र रही है व शक्ति संतुलन बिगड़ गया है । इस आंदोलन के पीछे यही बदलते कूटनीतिक समीकरण हैं। अब दुनिया ग्लोबल विलेज व एक बाज़ार बन चुकी है । इस बाज़ार पर वर्चस्व के लिए चीन व अमेरिका के बीच पिछले कुछ वर्षों से व्यापार युद्ध चल रहा था ...
अपनी गिरेबान में झांक लें कनाडा के प्रधानमंत्री

अपनी गिरेबान में झांक लें कनाडा के प्रधानमंत्री

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आजकल मुख्य रूप से पंजाब और थोड़े बहुत हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश की  एक भीड़ ने किसानों के आन्दोलन के नाम पर राजधानी दिल्ली में डेरा जमाया हुआ है। इनकी अपनी कुछ मांगें हैं।  इन्हें अपनी बात रखने या मांगें मनवाने के लिए लोकतांत्रिक तरीके से लड़ने का तो पूरा अधिकार प्राप्त है। सरकार भी आंदोलनकारी  किसानों से बात कर रही है। अब इस मामले में कनाडा को  हस्तक्षेप करने का किसने अधिकार दे दिया, यह  समझ से परे है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो किसानों के आंदोलन का समर्थन कर रहे है। किस आधार पर कर रहे हैं? ट्रूडो  कह रहे हैं कि "कनाडा दुनिया में कहीं भी किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकारों की रक्षा के लिए खड़ा रहेगा।" पर ट्रूडो यह क्यों भूल रहे हैं कि उनके देश में भारत विरोधी तत्व खुलकर बोलते खेलते हैं। यदि मोदी जी यह कहना शुरू करें कि विश्व भर में कहीं भी भारत विरोधी आतंकवादी होंगे तो...
कैसे कुचला जाए उमर खालिद-शेहला रशीद जैसे राष्ट्रद्रोहियों को

कैसे कुचला जाए उमर खालिद-शेहला रशीद जैसे राष्ट्रद्रोहियों को

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कुछ हफ्ते पहले ही राजधानी के अखबारों में तिहाड़ जेल की तरफ जाते हुए दिल्ली में  इस साल के शुरू में भड़के दंगों के मुख्य अभियुक्त उमर खालिद के माता-पिता और बहन को दिखाया गया था। सच में उस चित्र को देखकर किसी भी संवेदनशील इंसान का मन उदास हो गया था कि किस तरह से एक पुत्र के कुकृत्यों के कारण उसके पूरे परिवार वाले धक्के खाते फिरते हैं।  अब एक महत्वपूर्ण खबर कश्मीर से आ रही है कि उमर खालिद की तरह ही जेएनयू की पूर्व छात्र नेता शेहला रशीद के पिता अब्दुल राशिद शोरा ने जम्मू-कश्मीर के डीजीपी को पत्र लिखकर यह दावा किया है कि उन्हें अपनी बेटी से ही जान का खतरा है। अब्दुल राशिद शोरा ने जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक को लिखे गए पत्र में अपनी बेटी पर यह संगीन आरोप लगाया कि शेहला रशीद देश विरोधी गतिविधियों में पूरी तरह शामिल है। जरा सोचिए कि किसी पिता पर अपनी पुत्री पर इतने गंभीर आरोप लगाते हुए क्या ग...
Unfair and anti-constitutional stand of Shiv Sena on setting up film-industry in Noida (UP)

Unfair and anti-constitutional stand of Shiv Sena on setting up film-industry in Noida (UP)

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It refers to opposition by Shiv Sena to decision of UP government to set a big film-industry with all facilities at Greater Noida (near Yamuna expressway) in size double the area presently Bollywood film-industry has available for shooting films and TV serials. India is one nation, and every state has right to take decisions on starting new innovative projects of larger public-interest. As such UP is not snatching anything from Mumbai or Maharashtra. Such opposition was not even witnessed in Jammu and Kashmir when it was full state before abolishing article 370 and 35-A of the constitution. Film-industry is not monopoly of any particular city or state as is being claimed by Shiv Sena. It would have been better if Shiv Sena through its hold on Maharashtra legislature and Bombay civic bod...
बदलती आर्थिकी, इंजीनियरिंग और नौकरियां

बदलती आर्थिकी, इंजीनियरिंग और नौकरियां

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देश की आर्थिकी करवट बदल रही है,कोविड के दुष्काल  में गिरावट के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के फिर से उठ खडे़ होने के संकेत मिल रहे है।  आर्थिकी की करवट सही दिशा में  है या नहीं इसका अंदाजा इस बात से भी लग जाएगा कि देश के कॉलेजों व यूनिवर्सिटियों में प्लेसमेंट कैसे होंगे और युवा इंजीनियरों व एमबीए डिग्री धारियों को कैसी नौकरियां मिलेंगी? देश के उच्च शिक्षा संस्थानों में सारे काम अब धीरे-धीरे शुरू हो रहे हैं। अभी तक पठन-पाठन का काम ऑनलाइन किया जा रहा था, किंतु अब कैंपसों में विद्यार्थियों के लौटने का इंतजार किया जा रहा है। उधर, देश के शीर्षस्थ इंजीनियरिंग एवं प्रबंध संस्थानों में प्लेसमेंट की हलचल शुरू हो चुकी है। यह एक अच्छी खबर है कि १  दिसंबर, २०२० से पुराने आईआईटी संस्थानों में वर्चुअल ढंग से प्लेसमेंट का दौर शुरू हो चुका है। पहले की तरह कंपनियों के प्रतिनिधि विद्यार्थियों के इंटरव्यू व चयन...
राजनीतिक बोझ बनती काग्रेस

राजनीतिक बोझ बनती काग्रेस

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कोरोना संक्रमण की शुरूआत से अब तक जो राजनैतिक पार्टी सबसे ज़्यादा प्रताड़ित है वह कांग्रेस पार्टी है। मार्च में जब कोरोना संक्रमण के मामले आने शुरू ही हुए थे कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सत्ता चली गई, जब संक्रमण अपनी चरम पर आया तो राजस्थान में पार्टी में भगदड़ मच गई और अब बिहार चुनाव के साथ अनेक राज्यों में उपचुनाव सम्पन्न हुए, जिसमें पार्टी का निराशाजनक प्रदर्शन जारी है। देश में लगभग साठ वर्षों तक सत्ता सम्हालने वाली पार्टी अब क्षेत्रीय दलों पर भी बोझ हो गई है। बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन पिछले चुनाव से भी खराब रहा, 2015 में भी कांग्रेस राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन में थे और केवल चालीस सीटों पर लड़कर 27 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस चुनाव में भी महागठबंधन के सहयोगी होकर 70 सीटों पर चुनाव लड़ी लेकिन जीतने में सफल केवल 19 सीटों पर मिली। इसका मतलब है कि कांग्रेस पार...
क्यों डूबा लक्ष्मी विलास बैंक

क्यों डूबा लक्ष्मी विलास बैंक

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अगर बैंक्स का सही ऑडिट हो तो सारे बैंक्स की capital negative हैं । सारे बड़े loan बिना security के केवल share गिरवीं रखकर दिए जाते हैं ,consumer loan ,vehicle loan , सबमें बहुत npa है लेकिन बैंक के parmoter पागल थोड़ी हैं कि उनको पता नहीं की loan वापिस नही आएगा लेकिन बैंक में उनका पैसा ना मात्र का लगा होता है और जनता का पैसा बहुत अधिक । जैसे y bank में r kapoor का अधिक से अधिक 500 करोड़ लगा है और depositors की fd ,saving आदि में 200000 करोड़ रुपये लगा है । अगर y बैंक डूबता है तो राणा कपूर को कुछ नहीं होगा । अब सारा खेल 200000 करोड़ लूटने का है । बैंकिंग system आम जनता का पैसा कैसे लूटता है । 1. car कंपनियों से parmoter को पैसा मिलता है इसलिये कार loan चुटकी बजा कर हो जाता है वो भी बिना सिक्योरिटी के । दूसरी तरफ हाउसिंग loan जो पूरी तरह secure होता है उसको देने में बैंक आनाकानी करता है ,क...
विहार चुनाव परिणाम: दूरगामी संदेश

विहार चुनाव परिणाम: दूरगामी संदेश

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और मोदी ने बदल दिया बिहार! अब नीतीश पीछे और भाजपा आगे। यानि देर सबेर भाजपा का ही मुख्यमंत्री बनना तय। मगर इन परिणामों के इससे कहीं ज्यादा दूरगामी परिणाम हैं- १) विहार चुनाव परिणामों ने कोरोना संकट के कारण हिल रहे ब्रांड मोदी को फिर से स्थापित कर दिया। यह मोदी के कार्यों व करोना से निबटने की उनकी रणनीति पर जनता का जनमत है और वे अब निर्विवाद रूप से विजयी हैं। इसका असर देश की राजनीति, सहयोगियों, सरकार , नोकरशाही, न्यायपालिका, पार्टी व मीडिया पर मोदी की पकड़ फिर से मक़बूत होने की दिशा में पड़ेगा। २) एनडीए से ज़्यादा भाजपा की यह जीत अब पूरे देश में भाजपा के ग्राफ़ को बड़ाएगी और बिहार के साथ साथ बंगाल, तमिलनाडु व केरल तक में इसका असर दिखेगा। बंगाल में तो ममता दीदी की नींद उड़नी तय है। अन्य राज्यों के उपचुनावों विशेषकर मध्यप्रदेश व गुजरात में भी भाजपा के आगे रहने से देश में राजनीतिक स्थिरता...