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कहने को गठबंधन पर सबके अपने राग

कहने को गठबंधन पर सबके अपने राग

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जून से दिसम्बर आकर चला गया, अभी तक इस सवाल का हल नहीं निकला क़ि ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्कलुसिव अलायंस’ (इंडिया) नामक गठबंधन का अगुवा कौन होगा ? वैसे इसमें 28 दल हैं, और सबकी चाहत है कि 2024 के आम चुनाव में भाजपा से लड़ने को एक संयुक्त मोर्चा बनाने में जितना संभव हो, अधिक से अधिक विपक्षी दलों को साथ जोड़ा जाए। इस गुट की स्थापना करने में, कांग्रेस का योगदान उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि अन्य क्षेत्रीय पार्टियों का, यह एक तरह से गांधी परिवार की स्वीकारोक्ति है कि उसकी राजनीतिक विरासत अपने बूते पर भाजपा से मुकाबला करने लायक नहीं रही। वैसे भी इस गठबंधन की बैठकों की शृंखला से भी यह सिद्ध होता है कि कांग्रेस का रुतबा बाकियों से ऊपर न होकर, बराबरी का है। कुछ घटनाएं इस गठबंधन की जरूरत को और गहराई से रेखांकित करती हैं खासकर कांग्रेस के लिए, पटना में ‘इंडिया’ गठजोड़ के पहले सम्मेलन से जो...
<strong>इंडिया गठबंधन को मिलकर मुकाबला करना होगा</strong>

इंडिया गठबंधन को मिलकर मुकाबला करना होगा

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-ः ललित गर्ग:-संसदीय अवरोध, विपक्षी दलों के 143 सांसदों के निलम्बन एवं उपराष्ट्रपति की मिमिक्री करने की घटनाओं से आक्रामक हुए राजनैतिक माहौल के बीच 28 पार्टियों का इंडिया गठबंधन विपक्षी दलों के साथ चौथी बार फिर से दिल्ली में एक छत के नीचे आया। बैठक का उद्देश्य था कि विपक्षी दलों के बीच सीट शेयरिंग एवं संयोजक के नाम पर सहमति सहित कई मुद्दों पर एक राय कायम करना। लेकिन इंडिया गठबंधन की इस बैठक में दल भले ही आपस में मिले, लेकिन दिल नहीं मिल पाये। लोकतंत्र की मजबूती के लिये सशक्त विपक्ष बहुत जरूरी है, लेकिन विपक्षी दलों की संकीर्ण सोच, सिद्धान्तविहीन राजनीति एवं सत्तालालसा ने विपक्ष की राजनीति को नकारा कर दिया है। सोचा गया था कि इंडिया गठबंधन विपक्ष से जुड़ी लोकतांत्रिक भागीदारी की लौ को फिर से प्रज्वलित कर सकेगा और ऐसी सोच एवं राजनीति प्रणाली का निर्माण करेगा जो वास्तव में लोगों की, लोगों द्व...
अंतराष्ट्रीय स्वरूप हुआ अयोध्या रामलला जन्मस्थान मंदिर का

अंतराष्ट्रीय स्वरूप हुआ अयोध्या रामलला जन्मस्थान मंदिर का

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अंतराष्ट्रीय स्वरूप हुआ अयोध्या रामलला जन्मस्थान मंदिर का* थाईलैंड से मिट्टी आई : दुनियाँ के 155 देशों से जल आया* 80 देशों में सीधा प्रसारण होगा प्राण प्रतिष्ठा समारोह का --रमेश शर्मा अयोध्या में भव्य आकार ले रहे रामजन्म स्थान मंदिर ने अब अंतरराष्ट्रीय स्वरूप ले लिया है । पूरी दुनियाँ में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा दिवस की अधीरता से प्रतीक्षा की जा रही है । निर्माण के लिये 155 देशों से जल आया है, अमेरिका से एक श्रृद्धालु ने दान भेजा है तो थाईलैंड से जल के साथ मिट्टी भी आई है । 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह का अस्सी देशों में सीधा प्रसारण होगा ।अयोध्या में बन रहे रामलला जन्म स्थान मंदिर का निर्माण अंतिम चरण में है । यद्यपि भव्यता और पूर्णता के लिये तो लगभग एक वर्ष और लगेगा पर 22 जनवरी को होने वाले रामलला प्राण प्रतिष्ठा आयोजन की लगभग सभी तैयारी हो चुकी है । इस समारोह की...
अब भारतीय शेयर बाजार का पूंजीकरण भी पहुंचा विश्व में पांचवे स्थान पर

अब भारतीय शेयर बाजार का पूंजीकरण भी पहुंचा विश्व में पांचवे स्थान पर

TOP STORIES, आर्थिक, विश्लेषण
भारत आज विश्व के कई देशों को विभिन्न क्षेत्रों में राह दिखाता नजर आ रहा है। अभी हाल ही में भारतीय शेयर (पूंजी) बाजार, नैशनल स्टॉक एक्स्चेंज, ने 4 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के पूंजीकरण के स्तर को पार कर लिया है। विदेशी निवेशक एवं विदेशी संस्थान जो माह सितम्बर 2023 तक भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकाल रहे थे, अब अचानक भारी मात्रा में भारतीय शेयर बाजार में पैसा लगा रहे हैं। आज कई बार तो एक दिन में 5000 करोड़ रुपए से भी अधिक की राशि का निवेश इन विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय शेयर बाजार में किया जा रहा है। नैशनल स्टॉक एक्स्चेंज पर लिस्टेड समस्त कम्पनियों (निफ्टी) का कुल बाजार पूंजीकरण 4 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर अथवा 335 लाख करोड़ रुपए के स्तर को पार कर गया है। पिछले 10 वर्षों के दौरान इन कम्पनियों का पूंजीकरण 17.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की संयोजित (कंपाऊडेड) दर से बढ़ा है। भारतीय शेयर बाजार के विकास...
यों काशी में आते अब गोवा से भी ज्यादा पर्यटक

यों काशी में आते अब गोवा से भी ज्यादा पर्यटक

BREAKING NEWS, Today News, TOP STORIES, विश्लेषण, संस्कृति और अध्यात्म
आर.के. सिन्हा अगर कोई यह मानता है कि सबसे अधिक टुरिस्ट समुद्र के किनारे के तटों पर या फिर आकाश को छूते पहाड़ों में सैर करने को आते हैं तो उन्हें एक बार फिर सोचना होगा। मतलब यह है कि अब न तो सबसे अधिक  टूरिस्ट गोवा आ रहे हैं या फिर शिमला, नैनीताल या कश्मीर या हिमाचल किसी अन्य हिल स्टेशन पर। आज के दिन सबसे ज्यादा टूरिस्ट को अपनी तरफ आकर्षित करने लगा है वाराणसी। आईसीआईसीआई के एक सर्वे से पता चला है कि पिछले साल-2022 में वाराणसी में 7.02 करोड़ टुरिस्ट पहुंचे। गोवा के हिस्से में लगभग मात्र 85 लाख टूरिस्ट । यूं तो वाराणसी में लगातार खूब टूरिस्ट पहले से ही आते थे पर 2015 के बाद तो स्थिति वाराणसी के पक्ष में पूरी तरह से पलट गई। इस लिहाज से गेम चेंजर साबित हुआ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ( अब स्मृति शेष) का ...
विकसित भारत के सपने

विकसित भारत के सपने

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हमने कई मौकों पर अपने सपने को टूटते हुए देखा है लेकिन फिर भी हम हर मुसीबत की स्थिति से मजबूत और आत्मविश्वास से भरे हुए हैं। स्वराज के महत्व को समझना चाहिए और इन सपनों को आगे बढ़ाने के लिए आक्रामक रूप से शुरुआत करनी चाहिए ताकि हम अपनी आने वाली पीढ़ी को भी बेहतर भविष्य प्रदान कर सकें। धर्म के नाम पर कही गई बातों पर आंख मूंदकर विश्वास न करने, विवेक का पालन करने के लिए जागरूकता फैलानी चाहिए। हम इस सपने तक पहुँचने से बहुत दूर हैं लेकिन हमें हार नहीं माननी चाहिए। मैं डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के बेहतरीन उद्धरणों पर समाप्त करना चाहता हूं "सपने वह नहीं हैं जो आप नींद में देखते हैं, बल्कि वह हैं जो आपको सोने नहीं देते"। -डॉ सत्यवान सौरभ "आधी रात को, जब दुनिया सोती है, भारत जीवन और स्वतंत्रता के लिए जागेगा"। जवाहरलाल नेहरू का यह "ट्रिस्ट विद डेस्टिनी" भाषण उस सपने का प्रतीक था जिसे हमारे स्वतं...
मोदी राज में अटकलों की कोई जगह नहीं

मोदी राज में अटकलों की कोई जगह नहीं

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
रजनीश कपूर पाँच राज्यों के चुनाव संपन्न होते ही भाजपा द्वारा जीते गये तीन राज्यों में ‘कौन बनेगा मुख्य मंत्री’ को लेकर काफ़ी अटकलें लगने लगी। सभी राजनैतिक पंडित, पत्रकार और विश्लेषक अनुमान लगाने लग गये कि तीन राज्यों में किसका चेहरा सामने आएगा। परंतु इसके साथ ही सभी का यह मानना था कि मोदी राज में किसी भी तरह की अटकलों की कोई भी जगह नहीं है। यह बात भी चर्चा में आती है कि जब भी किसी महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति होने वाली होती है तो यदि व्यक्ति का नाम उस पद के लिए उठने लगता है तो उसे वह पद नहीं मिलता। प्रधान मंत्री मोदी एक ऐसे चेहरे को सामने लाते हैं जिसका किसी को कोई भी अंदाज़ा नहीं होता। कुछ वर्ष पहले जब ‘राडिया टेप्स’ का खुलासा हुआ था तो, काफ़ी हंगामा मचा था कि किस तरह महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियों को कुछ पत्रकार और कॉर्पोरेट जगत के लोग नियंत्रित करते हैं। इसके चलते उस समय की ...
अनुच्छेद 370 : सुप्रीम कोर्ट का निष्कर्ष

अनुच्छेद 370 : सुप्रीम कोर्ट का निष्कर्ष

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राज्य, विश्लेषण
1. विलय पत्र पर हस्ताक्षर होने के बाद जम्मू-कश्मीर के पास संप्रभुता का कोई तत्व नहीं है 2. जम्मू-कश्मीर के लिए कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं 3. राष्ट्रपति शासन की उद्घोषणा को चुनौती मान्य नहीं है 4. राष्ट्रपति की शक्ति का प्रयोग राष्ट्रपति शासन के उद्देश्य के साथ उचित संबंध होना चाहिए 5. राज्य के लिए कानून बनाने की संसद की शक्ति कानून बनाने की शक्ति को बाहर नहीं कर सकती 6. अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था 7. जब संविधान सभा भंग कर दी गई तो सभा की केवल अस्थायी शक्ति समाप्त हो गई और राष्ट्रपति के आदेश पर कोई प्रतिबंध नहीं रहा 8. सीओ 272 का पैरा 2 जिसके द्वारा अनुच्छेद 370 को अनुच्छेद 367 में संशोधन करके संशोधित किया गया था, गलत था क्योंकि व्याख्या खंड का उपयोग संशोधन के लिए नहीं किया जा सकता है 9. राष्ट्रपति द्वारा सत्ता का उपयोग दुर्भावनापूर्ण नहीं था और राज्य के ...
2024 का माहौल मोदी और भाजपा के लिए अनुकूल है

2024 का माहौल मोदी और भाजपा के लिए अनुकूल है

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
प्रधानमंत्री द्वारा हैट्रिक की संभावना का उपहास उड़ाने वाले बदले भारत को नहीं समझ रहे2024 का माहौल मोदी और भाजपा के लिए अनुकूल हैअवधेश कुमारविधानसभा चुनाव परिणामों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने केंद्रीय कार्यालय से संबोधन में जैसे ही लोकसभा चुनावों की हैट्रिक को सुनिश्चित बताया विरोधियों ने उत्तर दक्षिण खाई का शोर मचाना शुरू कर दिया है। चुनाव अभियान के बीच जिस खतरनाक तरीके से दक्षिण की सोच, राजनीति और‌ व्यवहार को उत्तर भारत से अलग बताने की कोशि शुरु हुई वह अंग्रेजों की विभाजनकारी नीति की याद दिलाने वाला है। प्रधानमंत्री ने ट्वीट में उत्तर देते हुए लिखा है कि वह अपने अहंकार, झूठ, निराशावाद और अज्ञानत की खुशफहमी में रह सकते हैं लेकिन लोगों को विपक्षियों के विभाजनकारी एजेंडा से सावधान रहना चाहिए क्योंकि 70 साल की पुरानी आदत इतनी आसानी से नहीं जा सकती। एक्स पर पोस्ट का शीर्षक था, म...
भारत में विवाह समारोहों की अर्थव्यवस्था

भारत में विवाह समारोहों की अर्थव्यवस्था

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भारतीय सनातन संस्कृति के अनुसार पवित्र शादियों के धार्मिक संस्कारों के माध्यम से दो आत्माओं का मिलन कराया जाता है। कहा तो यहां तक भी जाता है कि दूल्हा और दुल्हन शादी के धार्मिक संस्कारों के माध्यम से सात जन्मों तक के लिए एक दूसरे के हो जाते हैं। इसलिए, शादी के समय विभिन्न अध्यात्मिक, धार्मिक एवं सांसारिक संस्कारों को सम्पन्न कराने के लिए समाज के गणमान्य नागरिकों, नाते रिश्तेदारों, परिवार के सदस्यों को साथ लेकर विभिन्न प्रकार के भव्य आयोजन सम्पन्न किए जाते हैं। इन आयोजनों में विभिन्न कार्यक्रम सम्पन्न होते हैं एवं आजकल तो ऐसे शुभ अवसरों पर भारी मात्रा में व्यय भी किया जा रहा है। शादी के विभिन्न आयोजनों पर किए जाने वाले भारी भरकम खर्च से देश की अर्थव्यवस्था को बल मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। भारत में नवम्बर 2023 माह से लेकर आगामी लगभग 4 माह के दौरान 38 लाख से अधिक शादियों के आयोजन सम्प...