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विश्लेषण

खेलों में राजनीति खेल और खिलाड़ी दोनों के लिए चिंताजनक।

खेलों में राजनीति खेल और खिलाड़ी दोनों के लिए चिंताजनक।

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
खेल संघों पर राजनेता नहीं, खेल प्रतिभाओं को विराजमान करना चाहिए। इन संस्थाओं में पदाधिकारियों का कार्यकाल भी निश्चित होना चाहिए एवं एक टर्म से ज्यादा किसी को भी पद-भार नहीं दिया जाना चाहिए। सरकार की बंदिशों के बावजूद अधिकांश खेल संघों पर राजनेताओं का कब्जा है। इनमें बड़ा भ्रष्टाचार व्याप्त है, जो वास्तविक खेल प्रतिभाओं को आगे नहीं आने देती। यह सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न फेडरेशनों के अंदर कारगर तंत्र बनाने पर भी गंभीरता से विचार होना चाहिए। सरकार का यह कर्तव्य है कि खिलाड़ियों को सुरक्षित व प्रगतिपूर्ण वातावरण प्रदान किया जाए। इससे खिलाड़ी अपनी क्षमताओं का पूर्ण विकास कर सकेंगे। इसलिए खेल को सियासत के कुचक्र में न फंसाकर राष्ट्र हित में योगदान देना चाहिए। विवादित मुद्दे का राष्ट्र हित और खिलाड़ियों के हक में समाधान किया जाना चाहिए। हमारा प्रयास खिलाड़ियों के लिए अच्छा वातावरण मुहैया...
<strong>2023 ended on a high pollution note, says latest CSE analysis of winter air pollution levels in Delhi-NCR</strong>

2023 ended on a high pollution note, says latest CSE analysis of winter air pollution levels in Delhi-NCR

TOP STORIES, प्रेस विज्ञप्ति, विश्लेषण
PM2.5 level 2 per cent higher in 2023 compared to 2022; 6 per cent higher compared to 2020 Winter undid the gains of summer and monsoon months -- summer months of 2023 significantly less polluted (14-36 per cent) than those of 2022. But winter months more polluted (12-34 per cent Slow wind speed spiked winter concentration -- November average surface wind speed in Delhi was 9.8 m/s, the lowest in last six years Despite the worsening, 2023 still had the highest number of days meeting national ambient air quality standard for 24 hours Highest number of smog episodes in 2023 winter in last six years Delhi needs deeper cuts in emissions from vehicles, industry, waste, solid fuels, and construction to meet air quality standard and prevent winter spikes due to adverse meteor...
<strong>नये वर्ष में खोजने होंगे अनुत्तरित सवालों के जवाब</strong>

नये वर्ष में खोजने होंगे अनुत्तरित सवालों के जवाब

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
- ललित गर्ग- नया साल प्रारंभ हो गया है तो हर बार की तरह इस बार भी नई उम्मीदें, नया विश्वास एवं नया धरातल लाया है। बीत गया एक और साल। नये की स्वीकृति के साथ पुराने को अलविदा कह देने की सामान्य सोच रही है। यह समझ देखी गयी है कि नयेपन के जादुई आकर्षण के जागते ही हम पुरानेपन को उतार फेंकना चाहते हैं। हमने बीते वर्ष में श्रेष्ठताओं की उपलब्धि पर सात्विक गर्व करने की अनेक स्थितियों को रचा है लेकिन हम सबके लिए और देश के लिए भी आने वाले वर्ष कुछ महत्वपूर्ण करणीय कार्य है। निश्चित ही नया साल हमेशा की तरह कुछ सवाल भी लेकर आया है। ऐसे सवाल जिनका हल निकाले बिना शायद हम संतुष्ट न हो पाएं और नये भारत-सशक्त भारत का सपना आधा-अधूरा ही कहा जायेगा। ऐसे नए-पुराने सवाल हर नए साल में सामने आते रहे हैं। कुछ सवालों को हल करने में हम सफल रहे, लेकिन कुछ सवाल हमेशा की तरह अनुत्तरित ही रह गए। सच तो यह है कि नई जि...
वर्ष 2023 में आर्थिक क्षेत्र में भारत की कुछ विशेष उपलब्धियां रही हैं

वर्ष 2023 में आर्थिक क्षेत्र में भारत की कुछ विशेष उपलब्धियां रही हैं

EXCLUSIVE NEWS, आर्थिक, विश्लेषण
वर्ष 2023 मेंआर्थिकक्षेत्रमेंभारतकीकुछविशेषउपलब्धियांरहीहैं वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत की आर्थिक विकास दर लगभग 7 प्रतिशत के आसपास रहने की प्रबल सम्भावनाएं बन रही हैं। इस वर्ष की प्रथम तिमाही, अप्रेल-जून 2023, में आर्थिक विकास दर 7.8 प्रतिशत की रही है, वहीं द्वितीय तिमाही,  जुलाई- सितम्बर 2023 में 7.6 प्रतिशत की रही है। इसी प्रकार, दीपावली त्यौहार पर लगभग 4 लाख करोड़ रुपए के व्यापार के चलते एवं अक्टोबर 2023 माह में विनिर्माण के क्षेत्र में विकास दर के 12 प्रतिशत से ऊपर रहने से इस वर्ष की तृतीय तिमाही, अक्टोबर-दिसम्बर 2023, में भी आर्थिक विकास 7 प्रतिशत रह सकती है। इससे पूरे वित्तीय वर्ष 2023-24 में भी आर्थिक विकास दर 7 प्रतिशत रहने की प्रबल सम्भावनाए बन रही हैं। जबकि, विश्व के कई अन्य विकसित देशों में मंदी की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। इस प्रकार भारत वर्ष 2023 में भी लगातार व...
भारतीय सड़कों पर जिम्मेदारी की भावना लाएगा हिट एंड रन बिल?

भारतीय सड़कों पर जिम्मेदारी की भावना लाएगा हिट एंड रन बिल?

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
कानून में ये भी हो अगर आम पब्लिक एक्सीडेंट के दौरान वाहन चालक के साथ मारपीट करती है तो उनको भी सजा हो। केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नए कानून के तहत अगर कोई ड्राइवर रोड पर एक्सीडेंट करके भाग जाता है और घायल को सड़क पर ही छोड़ देता है तो उसे 10 साल की सजा होगी। वहीं, अगर एक्सीडेंट करने वाला शख्स, घायल व्यक्ति को हॉस्पिटल पहुंचाता है तो उसकी सजा कम कर दी जाएगी। इसके साथ ही कानून में ये भी हो अगर आम पब्लिक एक्सीडेंट के दौरान वाहन चालक के साथ मारपीट करती है तो उनको भी सजा हो। तब वाहन चालक इसकी गारंटी लेगा  और केस में पीड़ित को अस्पताल तक पहुंचाएगा। हिट-एंड-रन मामला भारत में सड़क दुर्घटनाओं का एक आम मामला बन गया है। सरल शब्दों में, हिट-एंड-रन दुर्घटनाओं को एक ऐसे मामले के रूप में वर्णित किया जा सकता है, जहां एक व्यक्ति गाड़ी चलाते समय दूसरे वाहन को टक्कर...
इजरायल के युद्ध पर भारत की पैनी नजर

इजरायल के युद्ध पर भारत की पैनी नजर

विश्लेषण
प्रारंभिक अविश्वासअक्टूबर के पहले हफ्ते में इजरायल पर हमास के हमले ने तैयारी की गहराई और ऑपरेशन के पैमाने के लिएएक प्रारंभिक अविश्वास पैदा किया एवं इसकी प्रत्याशित वैश्विक निंदा भी हुई। हमास के खिलाफ इजरायलका जवाबी हमला मुख्य रूप से गाजा पर केंद्रित था। इन घटनाओं ने भारत में हुए 26/11 के मुंबई हमलों कीयादें ताज़ा कर दी। हमास का नरसंहार 26/11 में पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा द्वारा किए गए हमले सेकई समानता रखता है।हमास या लश्कर दोनों के आतांकि काफी अच्छी तरह से प्रशिक्षित थें, जिन्होंने एक संप्रभु राष्ट्र पर आक्रमणकिया, दोनों को ऑपरेशन के लिए रसद और खुफिया जानकारी एक क्षेत्रीय शक्ति से प्राप्त था, लक्ष्य स्पष्ट रूपसे निर्दोष नागरिक थें जो अपने राष्ट्रीय त्योहारों के दौरान जश्न मना रहे थें और उद्देश्य एक स्थिर राष्ट्र को युद्धके लिए मजबूर करना था। एक और आश्चर्यजनक समानता थी घुसपैठ का...
नए आपराधिक क़ानून क्यों हैं सवालों के घेरे में?

नए आपराधिक क़ानून क्यों हैं सवालों के घेरे में?

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
नए आपराधिक क़ानून क्यों हैं सवालों के घेरे में? रजनीश कपूरदेश की संसद ने भारतीय दंड संहिता, 1860, आपराधिक प्रक्रिया अधिनियम, 1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 को बदल कर भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का नाम दिया हैजहां इन नए क़ानूनों में कई अहम प्रावधान लाए गए हैं। वहीं इनकी ख़ामियों को लेकर विवाद भी पैदा हो रहे हैं। देश भर में हर दल में मौजूद बड़े-बड़े वकील या क़ानून के विशेषज्ञ एक ओर इसका समर्थन कर रहे हैं वहीं इन क़ानूनों को लागू करने में आने वाली दिक़्क़तों की बात भी कर रहे हैं।“जब भी कभी कोई नया क़ानून लाया जाता है या इस से संबंधित कोई विधेयक पास होता है तो आम जनता में यह उम्मीद जगती है कि स्थिति पहले से बेहतर होगी और उन्हें न्याय मिलने में देरी नहीं होगी।” ऐसा मानना है देश के पूर्व वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी यशोवर्धन आज़ाद का। एक टीवी चै...
भारत के ऋण: सकल घरेलू उत्पाद अनुपात के बारे में आईएमएफ की चिंता उचित नहीं

भारत के ऋण: सकल घरेलू उत्पाद अनुपात के बारे में आईएमएफ की चिंता उचित नहीं

EXCLUSIVE NEWS, आर्थिक, विश्लेषण
भारत के ऋण: सकल घरेलू उत्पाद अनुपात के बारे में आईएमएफ की चिंता उचित नहीं हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत के ऋण: सकल घरेलू उत्पाद अनुपात के सम्बंध में चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि भारत का ऋण: सकल घरेलू उत्पाद अनुपात वर्ष 2028 तक यदि 100 प्रतिशत के स्तर को पार कर जाता है तो सम्भव है कि भारत की विकास दर पर इसका विपरीत प्रभाव होने लगे। हालांकि भारत का ऋण: सकल घरेलू उत्पाद अनुपात वर्ष 2020 में 88.53 प्रतिशत तक पहुंच गया था, क्योंकि पूरे विश्व में ही कोरोना महामारी के चलते आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई थी। परंतु, इसके बाद के वर्षों में भारत के ऋण: सकल घरेलू उत्पाद अनुपात में लगातार सुधार दृष्टिगोचर है और यह वर्ष 2021 में 83.75 प्रतिशत एवं वर्ष 2022 में 81.02 प्रतिशत के स्तर पर नीचे आ गया है। साथ ही, भारत के ऋण: सकल घरेलू उत्पाद अनुपात के वर्ष 2028 में 80.5 प्रतिशत के निचले स्तर पर...
कहने को गठबंधन पर सबके अपने राग

कहने को गठबंधन पर सबके अपने राग

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
जून से दिसम्बर आकर चला गया, अभी तक इस सवाल का हल नहीं निकला क़ि ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्कलुसिव अलायंस’ (इंडिया) नामक गठबंधन का अगुवा कौन होगा ? वैसे इसमें 28 दल हैं, और सबकी चाहत है कि 2024 के आम चुनाव में भाजपा से लड़ने को एक संयुक्त मोर्चा बनाने में जितना संभव हो, अधिक से अधिक विपक्षी दलों को साथ जोड़ा जाए। इस गुट की स्थापना करने में, कांग्रेस का योगदान उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि अन्य क्षेत्रीय पार्टियों का, यह एक तरह से गांधी परिवार की स्वीकारोक्ति है कि उसकी राजनीतिक विरासत अपने बूते पर भाजपा से मुकाबला करने लायक नहीं रही। वैसे भी इस गठबंधन की बैठकों की शृंखला से भी यह सिद्ध होता है कि कांग्रेस का रुतबा बाकियों से ऊपर न होकर, बराबरी का है। कुछ घटनाएं इस गठबंधन की जरूरत को और गहराई से रेखांकित करती हैं खासकर कांग्रेस के लिए, पटना में ‘इंडिया’ गठजोड़ के पहले सम्मेलन से जो...
<strong>इंडिया गठबंधन को मिलकर मुकाबला करना होगा</strong>

इंडिया गठबंधन को मिलकर मुकाबला करना होगा

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
-ः ललित गर्ग:-संसदीय अवरोध, विपक्षी दलों के 143 सांसदों के निलम्बन एवं उपराष्ट्रपति की मिमिक्री करने की घटनाओं से आक्रामक हुए राजनैतिक माहौल के बीच 28 पार्टियों का इंडिया गठबंधन विपक्षी दलों के साथ चौथी बार फिर से दिल्ली में एक छत के नीचे आया। बैठक का उद्देश्य था कि विपक्षी दलों के बीच सीट शेयरिंग एवं संयोजक के नाम पर सहमति सहित कई मुद्दों पर एक राय कायम करना। लेकिन इंडिया गठबंधन की इस बैठक में दल भले ही आपस में मिले, लेकिन दिल नहीं मिल पाये। लोकतंत्र की मजबूती के लिये सशक्त विपक्ष बहुत जरूरी है, लेकिन विपक्षी दलों की संकीर्ण सोच, सिद्धान्तविहीन राजनीति एवं सत्तालालसा ने विपक्ष की राजनीति को नकारा कर दिया है। सोचा गया था कि इंडिया गठबंधन विपक्ष से जुड़ी लोकतांत्रिक भागीदारी की लौ को फिर से प्रज्वलित कर सकेगा और ऐसी सोच एवं राजनीति प्रणाली का निर्माण करेगा जो वास्तव में लोगों की, लोगों द्व...