शिवरात्रि और शिवार्चन का महत्व
भगवान शिव उत्पत्ति,स्थिति तथा संहार के देवता हैं। फाल्गुन मास में आने वाली शिवरात्रि के दिन स्नानादि नित्य कर्म से निवृत्त होकर भक्त यदि ‘‘नमःशिवाय’’ इस पंचाक्षर मंत्र का जाप अनवरत करता है तो उसे उत्तम फल की प्राप्ति होती है। वह मृत्यु पर विजय प्राप्त कर मोक्ष ग्रहण कर लेता है। नारायण जब मायारूपी शरीर धारण कर समुद्र में शयन करते हैं तो उनके नाभि -कमल से पंचमुख ब्रह्मा उत्पन्न होते हैं और वे सृष्टि निर्माण की प्रार्थना करते हैं। भगवान ने पाँच मुखों से पाँच अक्षरों का उच्चारण किया यही शिव वाचक पंचाक्षर मंत्र है। इसके प्रारंभ में ऊँ लगा देने से यह षड़ाक्षर हो गया है। यह मोक्ष, ज्ञान का सबसे उत्तम साधन है। शिव नाम की महिमा अनन्त है। सामान्य मनुष्य तो इनकी महिमा का गुणगान करने में असमर्थ है ही माँ भगवती सरस्वती भी भगवान के गुणों का वर्णन करने में असमर्थ प्रतीत होती है। श्री पुष्पदन्ताचार्य ने शि...