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संस्कृति और अध्यात्म

श्रीराम मंदिर ‘राष्ट्र मंदिर’ शिलान्यास के 03 वर्ष

श्रीराम मंदिर ‘राष्ट्र मंदिर’ शिलान्यास के 03 वर्ष

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प्रणय विक्रम सिंह आज का दिन भारत की आस्था, अस्मिता, स्वाभिमान और गौरव की पुनर्स्थापना का दिवस है। काल के कपाल पर मानव सभ्यता के सांस्कृतिक पुनर्जागरण के कालजयी प्रतीक के रूप में अंकित आज के दिन ही 03 वर्ष पूर्व श्रीरामजन्मस्थान पर भव्य-दिव्य राम मंदिर ‘राष्ट्र मंदिर’ का शिलान्यास हुआ था। यह सामान्य दिवस नहीं है, इसके लिए तो पांच शताब्दियों का अविराम संघर्ष, ‘अहिल्या’ सदृश प्रतीक्षा एवं घायल जटायु के समान आर्तनाद करती सांस्कृतिक चेतना की आहत हुंकार युगों से बांट जोह रही थी। पुत्र रक्त में नहाई हुई धर्मनगरी अयोध्या, आज सकल आस्था के केंद्र प्रभु श्रीरामलला के भव्य-दिव्य मंदिर निर्माण की गतिशीलता से स्वयं के संघर्ष को सुफलित होती देख रही है। आज आस्था के प्रांजल भाव से प्रेरित आत्मोत्सर्ग की अपरिमित भक्त शृंखलाओं की अकथनीय 'त्याग ऋचाएं' राम नगरी अयोध्या के उल्लासित वातावरण में स्प...
क्यों बन रहीं हैं हिंदू धर्म का मजाक उड़ाने वाली फिल्मों

क्यों बन रहीं हैं हिंदू धर्म का मजाक उड़ाने वाली फिल्मों

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आर.के. सिन्हा आपको न जाने कितनी इस तरह की फिल्में मिल जाएंगी जिनमें हिंदू धर्म के देवी-देवताओं को अपमानित होते हुए या गलत तरीके से पेश किये जाते हुए दिखाया गया है। यह किनके इशारे पर हो रहा है I समझ नहीं आता कि अब हमारे यहां सार्थक फिल्में क्यों नहीं बनती? इसी तरह से बच्चों की पृष्ठभूमि पर फिल्में बनाना क्यों फिल्मकारों ने छोड़ दिया है? कुछ फिल्म वाले हिंदू धर्म और हिंदू धर्म के आराध्य देवी-देवताओं के साथ बार-बार खिलवाड़ करके पता नहीं क्या साबित करना चाहते हैं ? राम भारत की आत्मा में है। भारत की राम के बिना कल्पना तक भी नहीं की जा सकती। नवजात शिशु के कान में पहला शब्द राम ही बोला जाता है और शवयात्रा में “रामनाम सत्य है “ ही कहकर मृतात्मा को अंतिम विदाई डी जाती है I उन्हीं राम और रामायण को लेकर एक बेसिर पैर की फिल्म ‘आदिपुरुष’ बना दी जाती है और...
ज्ञानवापी मंदिर के बारे मे विस्तृत जानकारी।

ज्ञानवापी मंदिर के बारे मे विस्तृत जानकारी।

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पुराणों के अनुसार, ज्ञानवापी की उत्पत्ति तब हुई थी जब धरती पर गंगाजी नहीं थी तब भगवान शिव ने स्वयं अपने अभिषेक के लिए त्रिशूल चलाकर जल निकाला। यही पर भगवान शिव ने माता पार्वती को ज्ञान दिया। इसीलिए, इसका नाम ज्ञानवापी पड़ा और जहां से जल निकला उसे ज्ञानवापी कुंड कहा गया। ज्ञानवापी का उल्लेख हिंदू धर्म के पुराणों मे मिलता है तो फिर ये मस्जिद के साथ नाम कैसे जुड़ गया?वापी का अर्थ होता है कूप, बावडी़ । ज्ञानवापी का सम्पूर्ण अर्थ है ज्ञान का तालाब। काशी की छः वापियों का उल्लेख पुराणों मे भी मिलता है।पहली वापी: ज्येष्ठा वापी, जिसके बारे मे कहा जाता है की ये काशीपुरा मे थी, अब लुप्त हो गई है।दूसरी वापी: ज्ञानवापी, जो काशी विश्वनाथ मंदिर के उत्तर मे है।तीसरी वापी: कर्कोटक वापी, जो नागकुंआ के नाम से प्रसिद्ध है।चौथी वापी: भद्रवापी, जो भद्रकूप मोहल्ले मे है।पांचवीं वापी: शंखचूड़ा वापी, लुप्त हो...
मेरा मोटीवेशनल लेख खोजें अपनी जिंदगी का उद्देश्य एवं सकारात्मक दिशाएं

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खोजें अपनी जिंदगी का उद्देश्य एवं सकारात्मक दिशाएं   ललित गर्ग  उतार-चढ़ाव, हर्ष-विषाद, सुख-दुःख हर इंसान के जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं, लेकिन फिर भी इन जटिलताओं के बीच एक सपना एवं जिजीविषा जरूर होनी चाहिए जो आपको हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रहे। जीवन ऐसेे जीना चाहिए जैसे जिंदगी का आखिरी दिन हो। भले ही हमारी जिंदगी उतार-चढ़ावों से भरी हो फिर भी हमें बढ़िया और नेक काम करते हुए जीवन के पल-पल को उत्साह एवं उमंग से जीना चाहिए। लेकिन हमारी बढ़िया या नेक काम करने की इच्छा अधूरी ही रहती है क्योंकि अक्सर जब हम जिंदगी के बुरे दौर से गुजरते हैं, तब उससे निकलने और जब अच्छे दौर में होते हैं, तब उस स्थिति को बरकरार रखने में जिन्दगी बिता देते है। हर इंसान के जीवन में निराशा एवं असंतुष्टि पसरी है। आंकड़े बताते हैं कि करीब 70 फीसदी लोग अपनी मौजूदा नौकरी या काम से संतुष्ट नहीं हैं और क...
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद : चुनौतियां और हमारी भूमिका

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद : चुनौतियां और हमारी भूमिका

TOP STORIES, संस्कृति और अध्यात्म
-------------------------------------------------परिचयों में पारिभाषिक शब्द चुनना और उन्हीं के न्यूनाधिक विस्तार में परिचय पा लेने का क्रम एक उत्सुक मन को कुछ थाह दे सकता है किंतु जब राष्ट्र की बात हो तो, चिंतन इसकी अनुमति नहीं देता ! प्रसिद्ध चिंतक वासुदेवशरण अग्रवाल ने तो राष्ट्र के स्वरूप का परिचय ही दिया कि भू , जन और संस्कृति के संयोग से ही "राष्ट्र" बनता है। यह तीन इसके प्रमुखांग हैं और इनका संलयन एक स्वाभाविक, प्राकृतिक प्रक्रिया है। राष्ट्र के निर्माण में किसी एक की भी उपेक्षा असंभाव्य है! पश्चिम का संपूर्ण विचार पहले दो कारकों पर ही आधारित है, संभवतः दो सहस्राब्दियों का कालखंड छोटा पड़ गया! संस्कृति को अनुभव में , राष्ट्र के एक जीवमान अंग के रूप में लाने के लिए कुछ और समय की साधना अभी आवश्यक थी! और, भारतीय विचार साधना के पास वह अवसर ईश्वर प्रदत्त रहा! वैदिक काल से आज तक साधना...
क्या आस्था मनोरंजन का विषय है?

क्या आस्था मनोरंजन का विषय है?

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रजनीश कपूरपिछले कुछ दिनों से एक फ़िल्म को लेकर देश भर में काफ़ी विवाद चल रहा है। कारण है इस फ़िल्म में दिखाए गएभ्रामक दृश्यों और आपत्तिजनक डायलॉग। समाज का एक बड़ा हिस्सा, धार्मिक गुरु व संत और राजनैतिक दलफ़िल्म के निर्माताओं को हर मंच पर घेर रहे हैं। विवादों के चलते सोशल मीडिया पर इस फ़िल्म को दुनिया भर सेकाफ़ी ट्रोल भी किया गया है। सवाल उठता है कि क्या मनोरंजन के लिए आप आस्था से खिलवाड़ कर सकते हैं?क्या आस्था मनोरंजन का विषय है?रामायण पर आधारित फ़िल्म ‘आदिपुरुष’ के निर्माताओं ने इस फ़िल्म में कुछ पात्रों का विवादास्पद चित्रण कियाहै, जो हिंदुओं की भावना को ठेस पहुँचा रहा है। इसके साथ ही इस फ़िल्म में बोले गये कई ऐसे डायलॉग भी हैं जोकि सभ्य नहीं माने जा सकते। जैसे ही विवाद बढ़ा तो फ़िल्म के निर्माता व संवाद लेखक ने अपने पुराने बयानों सेपलटते हुए यह सफ़ाई दी कि “यह फ़िल्म रामायण पर आधारित न...
योग ही है अमृतकाल को अमृतमय बनाने का आधार

योग ही है अमृतकाल को अमृतमय बनाने का आधार

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- ललित गर्ग - अनादिकाल से भारत योग भूमि के रूप में विख्यात इसलिये रही कि इसने शरीर से ही नहीं बल्कि मन से स्वस्थ रहना सिखाया। भारतीय योग तन और मन को स्वस्थ, सहज एवं संतुलित रखने का दर्शन है। सर्व भवन्तु सुखिनः सर्वे संतु निरामया का पाठ पठाने वाले देश का कण-कण, अणु-अणु न जाने कितने योगियों की योग-साधना से आप्लावित हुआ है। इसी भूमि पर कभी वैदिक ऋषियों एवं महर्षियों की तपस्या साकार हुई थी तो कभी भगवान महावीर, बुद्ध एवं आद्य शंकराचार्य की साधना ने इस माटी को कृत्कृत्य किया था। साक्षी है यही धरा रामकृष्ण परमहंस की परमहंसी साधना की, साक्षी है यहां का कण-कण विवेकानंद की विवेक-साधना का, साक्षी है क्रांत योगी से बने अध्यात्म योगी श्री अरविन्द की ज्ञान साधना का और साक्षी है महात्मा गांधी की कर्मयोग-साधना का। योग साधना की यह मंदाकिनी न कभी यहां अवरुद्ध हुई है और न ही कभी अवरुद्ध होगी। इसी योग मंद...
भारतीय संस्कारों को अपनाकर भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक हर क्षेत्र में हो रहे हैं सफल

भारतीय संस्कारों को अपनाकर भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक हर क्षेत्र में हो रहे हैं सफल

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अमेरिकी जनगणना ब्यूरो (यूएस सेंसस ब्यूरो) द्वारा अमेरिका में निवास कर रहे विभिन्न देशों के मूल के अमेरिकी नागरिकों की औसत आय एवं अन्य कई मानदंडो पर जारी की गई जानकारी के अनुसार अमेरिका में भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों की वार्षिक औसत आय 119,858 अमेरिकी डॉलर है, जो अमेरिका में निवासरत समस्त अन्य देशों के मूल के अमेरिकी नागरिकों की औसत आय में सबसे अधिक है। दूसरे क्रमांक पर ताईवान मूल के अमेरिकी नागरिक आते हैं जिनकी वार्षिक औसत आय 95,736 अमेरिकी डॉलर आंकी गई है। इसी प्रकार चीनी मूल के अमेरिकी नागरिकों की वार्षिक औसत आय 81,497 डॉलर, जापानी मूल के अमेरिकी नागरिकों की वार्षिक औसत आय 80,036 एवं अमेरिकी मूल के गोरे नागरिकों की वार्षिक औसत आय 65,902 आंकी गई है। इसी प्रकार, गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे अमेरिकी मूल के नागरिकों की संख्या अमेरिका की कुल जनसंख्या का 13 प्रतिशत है, एशिया के स...
भारत की शाश्वत सांस्कृतिक कथा – हृदयनारायण दीक्षित

भारत की शाश्वत सांस्कृतिक कथा – हृदयनारायण दीक्षित

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ज्ञान का उद्देश्य जानकारी पाना ही नहीं होता। ज्ञान, विज्ञान और दर्शन से समस्त मानवता का हित होता है। भारत में लगभग 5000 वर्ष पहले से ही लोकमंगल हितैषी ज्ञान परंपरा है। ऋग्वेद के ज्ञान सूक्त (10.71) में कहते हैं, ‘‘प्रारंभिक दशा में पदार्थों के नाम रखे गये। यह ज्ञान का पहला चरण है। इनका दोष रहित ज्ञान पदार्थों का गुण, धर्म आदि अनुभूति की गुफा में छुपा रहता है और अंतःप्रेरणा से ही उदभूत होता है।‘‘ वैदिक काल ज्ञान दर्शन का अरुणोदय काल है। यही परंपरा ऋग्वेद सहित चार वैदिक संहिताओं में विश्व की पहली ज्ञान सारिणी बनती है। उत्तर वैदिक काल के उपनिषद दर्शन में खिलती है। फिर 6 प्राचीन दर्शनों में जिज्ञासा व तर्क के साथ प्रकट होती है। यही बुद्ध व जैन दर्शनों में अभिव्यक्त होती है। इसी परंपरा में पाणिनि दुनिया का पहला व्याकरण लिखते हैं। पतंजलि योगसूत्र व भाषा अनुशासन लिखते हैं। कौटिल्य दुनिया का पहला...
कश्मीर रहा है सनातन हिंदू संस्कृति का गढ़

कश्मीर रहा है सनातन हिंदू संस्कृति का गढ़

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अतिप्राचीन भारत में कैलाश पर्वत के आसपास भगवान शिव के गणों की सत्ता थी। उक्त इलाके में ही दक्ष राजा का भी साम्राज्य था। ऐसा माना जाता है कि कश्यप ऋषि कश्मीर के पहले राजा थे। कश्मीर को उन्होंने अपने सपनों का राज्य बनाया था और कश्यप ऋषि के नाम पर ही कश्यप सागर (कैस्पियन सागर) और कश्मीर का प्राचीन नाम पड़ा था। शोधकर्ताओं के अनुसार कैस्पियन सागर से लेकर कश्मीर तक ऋषि कश्यप के कुल के लोगों का राज फैला हुआ था। कश्यप की एक पत्नी कद्रू के गर्भ से नागों की उत्पत्ति हुई जिनमें प्रमुख 8 नाग थे- अनंत (शेष), वासुकि, तक्षक, कर्कोटक, पद्म, महापद्म, शंख और कुलिक। इन्हीं से नागवंश की स्थापना हुई। आज भी कश्मीर में इन नागों के नाम पर ही कई स्थानों के नाम हैं। कश्मीर का अनंतनाग नागवंशियों की राजधानी हुआ करता था। हाल में अखनूर से प्राप्त हड़प्पा कालीन अवशेषों तथा मौर्य, कुषाण और गुप्त काल की कलाकृतियों से जम्...