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आग लगती रहेगी , कोचिंग चलते रहेंगे – अनुज अग्रवाल

आग लगती रहेगी , कोचिंग चलते रहेंगे – अनुज अग्रवाल

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देश में कोचिंग के सबसे बड़े हब दिल्ली के मुखर्जी नगर में एक कोचिंग संस्थान में शार्ट सर्किट से लगी आग से बड़ा हादसा हो गया। दर्जनों छात्र घायल हो गए और अनेक ग़ायब हैं जिनके बारे में पुलिस कुछ नहीं बता रही। कल रात भर हज़ारो छात्रों ने हंगामा और प्रदर्शन किया जो अभी भी जारी है। कुछ कोचिंग संस्थानों की आपसी प्रतिस्पर्धा का नतीजा भी हो सकती है यह आग। बाक़ी सच तो जाँच में ही सामने आएगा और हो सकता है न भी आए। देश की सड़ी गली शिक्षा व्यवस्था को बचाने की ज़िम्मेदारी वास्तव में कोचिंग संस्थानों पर ही है। शिक्षा संस्थानो में 90% में न छात्र पढ़ने आते हैं न अध्यापक पढ़ाने आते हैं। बस वे डिग्री बाँटते और बेचते हैं।  देश में कोचिंगं संस्थान ही एक मात्र ऐसी जगह है जहां शिक्षक पढ़ाने आते हैं और छात्र पढ़ने आते हैं। हाँ यह सच है कि इन कोचिंगं संस्थानों का इंफ़्रास्ट्रक्चर व सेफ़्टी नॉर्म्...
हिरोशिमा में मोदी ने सुझाया अमन का रास्ता

हिरोशिमा में मोदी ने सुझाया अमन का रास्ता

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-ललित गर्ग - भारत समूची दुनिया में एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा हैं, महाशक्तिशाली राष्ट्र भी भारत की ओर आशाभरी निगाहों से देख रहे हैं। हिरोशिमा में जी-7 सम्मेलन के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी मानवतावादी सोच एवं युद्ध-हिंसामुक्त नयी दुनिया को निर्मित करने के संकल्प के लिये सबकी आंखों के तारे बने हैं, जापान के समाचार-पत्रों में उन्होंने सुर्खियां बटोरी हैं, यह भारत के लिये गर्व एवं गौरव का विषय है। मोदी ने अपने वक्तव्य में यूक्रेन में युद्ध दुनिया के लिए एक बड़ी चिंता है कहकर न केवल पूरे विश्व को प्रभावित किया है, बल्कि सभी का ध्यान अपनी ओर खिंचा। हिरोशिमा में युद्ध, हिंसा, आतंकवाद, पर्यावरण, बढ़ती जनसंख्या, आपसी सहयोग जैसे विषयों पर साफ-साफ चर्चा करते हुए मोदी ने भारत की धरती से घोषित हुए ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ एवं ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ मंत्रों को दुनिया के लिये उपयोगी सा...
<strong>आख़िर क्यों बरकरार रहा यूपी निकाय चुनावों मेंयोगी का मैजिक</strong>

आख़िर क्यों बरकरार रहा यूपी निकाय चुनावों मेंयोगी का मैजिक

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आर.के. सिन्हा आगामी 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले हरेक विधनासभा और नगर निगम चुनावों पर सारे देश की निगाहें रहने वाली हैं। इस परिप्रेक्ष्य में कर्नाटक विधानसभा और यूपी नगर निकाय चुनावों के नतीजों को देखना होगा। कर्नाटक में बीजेपी को निराशा हाथ लगी लेकिन यूपी निकाय चुनाव परिणामों ने पार्टी को जश्न मनाने का पूरा मौका दिया है। अभी देश में सिर्फ़ और सिर्फ़ कर्नाटक चुनावों की ही चर्चा हो रही है । जबकि ,  यूपी नगर चुनाव में कर्नाटक में जितने मतदाताओं ने भाग लिया उससे कहीं ज़्यादा मतदाताओं ने यू ० पी० के चुनावों में अपने मताधिकार का उपयोग किया । अतः मैं तो आज यू ० पी० निकाय चुनावों की ही चर्चा करूँगा । भारतीय जनता पार्टी ने यू ० पी ० में अभूतपूर्व जीत हासिल करते हुए सभी 17 नगर निगमों में अपना परचम लहराया है।नगर निगमों के अतिरिक्त भी सभी अन्य निकायों में भाज...
कर्नाटक का झटका

कर्नाटक का झटका

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किसी भी चुनाव में हारना अथवा विजय प्राप्त करना मात्र एक सामान्य सी बात है, परन्तु कर्नाटक विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार, भाजपा के लिए एक बहुत बड़ा झटका है। कर्नाटक प्रदेश, भारतीय जनता पार्टी के दक्षिण भारतीय अभियान का मुख्य द्वार था। इसी प्रदेश के द्वारा, भाजपा पार्टी का दक्षिण भारत का विजय अभियान होकर जाता था, परन्तु अब यदि कोई विशेष घटना घटित नहीं होती है तो, यह द्वार बंद होता प्रतीत हो रहा है। इस द्वार के बंद होने से आगामी वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में, पार्टी के लिए नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मिली हार का निष्पक्ष मंथन करना भाजपा पार्टी के लिए अत्यंत आवश्यक है। भाजपा, भारतीय संस्कृति से ओतप्रोत, संस्कारवान, ईमानदार, लोकप्रिय और जनता के हित को सर्वोपरी रखने वाली एक राजनीतिक पार्टी है, जिसको राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने सीचा एवं पल्लवित किया है।कर्...
सही साबित हुआ डायलॉग इंडिया का आँकलन – हिमाचल के बाद कर्नाटक से क्यों सिमटी भाजपा ?-अनुज अग्रवाल

सही साबित हुआ डायलॉग इंडिया का आँकलन – हिमाचल के बाद कर्नाटक से क्यों सिमटी भाजपा ?-अनुज अग्रवाल

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सही साबित हुआ डायलॉग इंडिया का आँकलन -हिमाचल के बाद कर्नाटक से क्यों सिमटी भाजपा ? - अनुज अग्रवाल1) अपनों (येदियुरप्पा एवं जगदीश शेट्टियार) को दरकिनार कर पराये (बासवराव बोम्मई) को मुख्यमंत्री बनाने का संदेश पार्टी व वोटरो में बहुत ख़राब गया। पार्टी कार्यकर्ता भी हाशिए पर आते गए और नवआगंतुकों का पार्टी पर कब्जा हो गया।2) बासवराव बोम्मई कभी भी येदियुरप्पा के साए से बाहर नहीं निकल पाए और अपनी बड़ी व अच्छी छवि नहीं बना पाए। साथ में येदियुरप्पा की समानांतर सरकार चलती रही। मोदी - शाह का राज्यो में मैनेजर बैठाकर अपनी छवि के भरोसे चुनाव जीतने की रणनीति इस बार बिखर गयी।3) अटल आडवाणी युग के नेताओ को किनारे करने व भक्तों और लाभार्थी जाति के भरोसे बैठे मोदी शाह की जोड़ी ने जब जगदीश शेट्टियार को भी पार्टी छोड़ने पर मजबूर कर दिया तो पार्टी के परंपरागत समर्थकों व संघ के स्वयंसेवकों का मनोबल टूट ...
द केरल स्टोरी: “अल्लाह सब ठीक करेगा’

द केरल स्टोरी: “अल्लाह सब ठीक करेगा’

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--------- #विजयमनोहरतिवारी यह भारत के दुर्भाग्य की कथाएँ हैं। अंतहीन दुर्भाग्य की रुला देने वाली आपबीतियाँ। यह किसी मिशनरी या मजहब की बात ही नहीं है। यह भारत को तिल-तिलकर नष्ट करने के प्रयासों की एक सामान्य सी झलक है, जो केरल की पृष्ठभूमि से सिनेमा के परदे पर प्रस्तुत हुई है। मैं "द केरल स्टोरी' की बात कर रहा हूँ। एक फिल्म, जो इन दिनों सर्वाधिक चर्चा में हर कहीं हाऊस फुल है। होनी भी चाहिए। मैंने इसे रिलीज होने के बाद चौथे दिन देखा। यह किसी कोण से किसी भी धर्म विशेष को अपमानित नहीं करती। धर्मांतरण भारत के लिए नया विषय नहीं है। छल और बल से यह होता ही रहा है। अखंड भारत के तीन टुकड़ों में जनसांख्यिकी का विस्तार सदियों के उसी फैलाव का फल है। यह फिल्म केरल में जारी धर्मांतरण के सर्वाधिक भयावह पक्ष को संसार के सामने लाती है। किसी पारसी, सिख, ईसाई या हिंदू कन्या से किसी मुस्लिम का...
भारत में नागरिक विमानन के क्षेत्र में हो रही है चंहुमुखी प्रगति

भारत में नागरिक विमानन के क्षेत्र में हो रही है चंहुमुखी प्रगति

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प्राचीन भारत का इतिहास गवाही दे रहा है कि लगभग 500 वर्ष पूर्व भी भारत का सकल घरेलू उत्पाद में वैश्विक स्तर पर लगभग 25 प्रतिशत का योगदान था एवं विदेशी व्यापार में भी भारत विश्व में प्रथम स्थान पर था। परंतु, अरब आक्रांताओं एवं ब्रिटेन के शासन काल में भारत की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती चली गई एवं राजनैतिक स्वतंत्रता प्राप्त करते समय तक यह रसातल तक पहुंच चुकी थी। वर्ष 1947 के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था ने पुनः सम्भलना शुरू किया एवं वर्ष 2014 के बाद से तो भारत ने आर्थिक विकास के मामले में तेज रफ्तार पकड़ ली है। भारत में प्राचीन काल में अधिकतर व्यापार समुद्रीय मार्ग के माध्यम से होता रहा है। 1000 वर्ष पूर्व भी भारत का समुद्री मार्ग विकसित अवस्था में था एवं यह दक्षिणी अफ्रीका एवं यूरोप के देशों के साथ जुड़ा हुआ था। साथ ही, लगभग 500 वर्ष पूर्व भारत में जी.टी. रोड का निर्माण हो चुका था, अतः देश ...
<strong>अभद्रता की हदें लांघ रही जिम्मेदार लोगों की भूलें</strong>

अभद्रता की हदें लांघ रही जिम्मेदार लोगों की भूलें

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- ललित गर्ग-दिल्ली के एक नर्सिंग कॉलेज में दो छात्राओं के साथ हो या पंजाब पुलिस द्वारा टाइम्स नाऊ- नवभारत टाइम्स की पत्रकार भावना किशोर को बदले की भावना से हिरासत में लेने की अवांछित घटनाएं नारी अस्मिता एवं अस्तिव को कुचलने की शर्मसार करने वाली घटनाएं हैं। ये दोनों घटनाएं ऊंचे ओहदों पर बैठे अधिकारियों द्वारा न सिर्फ नाहक आपा खोकर की गई अमानवीय हरकत है, बल्कि यह कानूनन अपराध के दायरे में भी आता है। जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों के द्वारा ऐसी नारी से अभद्र एवं अपमान करने एवं अमानवीय घटनाओं का होना प्रशासनिक ढ़ांचे एवं उसकी संरचना पर अनेक सवाल खड़े करता है। प्रश्न है कि क्यों भूल रहे हैं ऐसे लोग अपनी मर्यादाएं। नये भारत एवं सशक्त भारत को निर्मित करते हुए समाज में ऐसी नारी अपमान एवं अत्याचार की घटनाओं का कायम रहना दुर्भाग्यपूर्ण एवं विडम्बनापूर्ण है।दिल्ली के जिस नर्सिंग कॉलेज में चोरी करने का...
नागपुर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शिक्षा वर्ग तृतीय वर्ष का शुभारम्भ।

नागपुर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शिक्षा वर्ग तृतीय वर्ष का शुभारम्भ।

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संघ शिक्षा वर्ग साधना है, रामदत्त जी का प्रतिपादन। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग का सोमवार 8 मई को नागपुर स्थित डॉक्टर हेडगेवार स्मृति मंदिर परिसर में स्थित महर्षि व्यास सभागार में शुभारम्भ हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह तथा इस वर्ग के पालक अधिकारी श्री रामदत्त जी ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा, कि कष्ट में भी आनंद की अनुभूति को साधना कहते हैं। संघ शिक्षा वर्ग यह साधना है। इस अवसर पर अखिल भारतीय सह सर कार्यवाह के सी मुकुंद जी तथा अवध प्रांत के संघचालक कृष्ण मोहन जी (वर्ग के सर्वाधिकारी) उपस्थित थे। दीप प्रज्वलन तथा भारत माता की प्रतिमा को पुष्पांजलि अर्पण करने के पश्चात देश भर से आये स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए रामदत्त जी ने कहा, कि जिस प्रकार किसान अपने खेतों में बीज का रोपण करता है, उसी प्रकार संघ शिक्षा वर्ग में स्वयंसेवकों के भी...
और हमारा ये “प्लास्टिक मोह”

और हमारा ये “प्लास्टिक मोह”

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पता नहीं क्यों भारत के नागरिक क़ानून बनाए जाने के बाद भी ये बात मानने को तैयार नहीं है कि प्लास्टिक उनकी सेहत के लिए नुक़सानदेह है? तभी तो एक बार इस्तेमाल होने वाले (सिंगल यूज) प्लास्टिक उत्पादों पर प्रतिबंध लगाए जाने के तकरीबन 10 महीने बाद भी देश के अधिकांश हिस्सों में उसका इस्तेमाल आम है। हालांकि इनका थोक इस्तेमाल करने वाले कुछ कारोबारियों ने जैविक रूप से अपघटन योग्य विकल्प अपना लिए हैं, लेकिन अधिकांश अन्य उत्पादक, विक्रेता और उपभोक्ता अभी भी पहले की तरह बदस्तूर ऐसे प्लास्टिक का प्रयोग कर रहे हैं। ज्यादा चिंता की बात यह है कि त्यागे गए प्लास्टिक उत्पादों के संग्रह और सुरक्षित निपटारे के क्षेत्र में भी कोई खास सुधार देखने को नहीं मिला है। सार्वजनिक प्रदूषण की समस्या और बढ़ी है। सिंगल यूज प्लास्टिक न केवल सड़कों पर बिखरे रहते हैं बल्कि कचरा फेंकने की जगहों पर भी इन्हें बड़ी तादाद में द...