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स्वस्थ लिवर के लिए अपनी जीवनशैली में करें बदलाव

स्वस्थ लिवर के लिए अपनी जीवनशैली में करें बदलाव

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-ः ललित गर्ग :- लिवर या यकृत से संबंधित बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 19 अप्रैल को विश्व लिवर दिवस मनाया जाता है। शरीर के अन्य हिस्सों की तरह लिवर भी हमें स्वस्थ्य रखने में काफी अहम भूमिका निभाता है। इसलिए उसका ख्याल रखना भी बेहद आवश्यक है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान के मुताबिक मस्तिष्क को छोड़कर लिवर शरीर का दूसरा सबसे बड़ा और सबसे जटिल अंग है, यह शरीर के पाचन तंत्र का एक प्रमुख अंग है। हम जो कुछ भी खाते या पीते हैं, चाहे वह भोजन हो, दवा या फिर कुछ और, इससे शरीर में उत्पन्न होने वाले विषाक्त पदार्थों और आंतों द्वारा अवशोषित हानिकारक पदार्थों को संभालने के लिए लिवर से होकर गुजरता है। इसके लिए लिवर को सबसे ज्यादा जिम्मेदार ठहराया जाता है। बिना लिवर के हम जीवित नहीं रह सकते। लिवर लगभग 300 से ज्यादा विभिन्न प्रकार के कार्य हमारे शरीर में करता है जैसे ...
राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार प्रदान किए

राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार प्रदान किए

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राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज (17 अप्रैल, 2023) नई दिल्ली में राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार प्रदान किए और राष्ट्रीय पंचायत प्रोत्साहन सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में तेजी से हुए शहरीकरण के बावजूद, अधिकांश आबादी अभी भी गांवों में रहती है। शहरों में रहने वाले लोग भी किसी न किसी रूप में गांवों से जुड़े हुए हैं। गांवों के विकास से देश की समग्र प्रगति हो सकती है। राष्ट्रपति ने कहा कि ग्रामीणों को यह तय करने में सक्षम होना चाहिए कि गांव के विकास के लिए कौन-सा मॉडल उपयुक्त है और इसे कैसे लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंचायतें न केवल सरकारी कार्यक्रमों और योजनाओं को लागू करने का माध्यम हैं, बल्कि नेतृत्व प्रदान करने वाले नए लोगों, योजनाकारों, नीति-निर्माताओं और नवोन्मेषकों को प्रोत्साहित करने के स्थान भी हैं। एक पंचायत के सर्वोत्तम ...
क्यों उठते हैं एनकाउंटर पर सवाल?

क्यों उठते हैं एनकाउंटर पर सवाल?

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विनीत नारायणउत्तर प्रदेश के व्यापारी आजकल कहते हैं कि योगी राज में मुसलमानों का आतंक ख़त्म हो गया है। इसलिये माफिया डॉन अतीक अहमद के बेटे असद अहमद की एनकाउंटर में मौत का समाचार उन लोगों को सुखद लगा। एनकाउंटर के विषय में कुछ तथ्य और क़ानूनी पेचीदगियों का ज़िक्र मैं इस लेख में आगे करूँगा। पर यहाँ एक सवाल जो समाजवादी पार्टी ने उठाया है वो भी महत्वपूर्ण है। वो ये कि ऐन चुनावों के पहले ही इस एनकाउंटर को करने का योगी सरकार का क्या उद्देश्य था? सिवाय इसके कि इस एनकाउंटर की खबर को दिन-रात टीवी चैनलों पर चलवाकर इसका फ़ायदा अगले महीने होने वाले निकायों के चुनावों में लिया जाए। इसलिये सरकार की नीयत पर शक होता है। क़ानून की नज़र में सब बराबर होने चाहिए। किसी अपराधी का कोई जाति या धर्म नहीं होता। इसलिए बिना भय और पक्षपात के अगर प्रदेश के माफ़ियाओं के विरुद्ध योगी सरकार कड़े कदम उठाती है तो उसका स्...
योगी जी का राजधर्म

योगी जी का राजधर्म

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क्षत्रिय-वृत्ति के प्रति, जो तत्परता युद्ध में एक सेनापति दिखाता है, वही तत्परता निर्णय लेते समय एक राजा में दिखलाई पड़े; तो समझिए राजधर्म का सम्यक निर्वहन हो रहा है। वेदव्यास संन्यासी थे। वह जानते थे कि कृष्ण एक क्षत्रिय योद्धा हैं और युद्ध में हिंसा होती ही है। तिस पर भी वो यह कहना नहीं चूकते कि " वासुदेव तुम धर्म के विषय में सब जानते हो। " ऐसा इसलिए, क्योंकि कलुष निरसन के लिए क्षात्र-वृत्ति की आवश्यकता और प्रयोजनीयता ऋषिवर समझते थे। जब कपिलवस्तु को कोशल सेना ने घेर लिया था, तब तथागत की आज्ञा पाकर कई भिक्षुओं ने, जो शाक्य थे, मातृभूमि रक्षार्थ युद्ध में भाग लिया था। किसी के प्रश्न का उत्तर देते हुए महात्मा बुद्ध ने कहा था "अनुचित का प्रतिकार न करना भी एक प्रकार की हिंसा होती है। जब बात मातृभूमि की आए, तब दायित्व और बढ़ जाता है। " भारत में कई संत संन्यासी हथियार उठाते रहे हैं। क...
शेयर बाज़ार में नई संहिता, इसे और व्यवस्थित करना होगा

शेयर बाज़ार में नई संहिता, इसे और व्यवस्थित करना होगा

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अगले पखवाड़े यानि 1 मई, 2023 से एक नयी आचार संहिता लागू होने जा रही है जो गलत, भ्रामक, पूर्वग्रस्त अथवा झूठे दावों के बल पर निवेशकों को भ्रमित करने की संभावना को कम करेगी। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने निवेश सलाहकारों और शोध विश्लेषकों ने इस नई विज्ञापन संहिता का प्रस्ताव रखा है। इसे निवेश सलाहकारों और शोध विश्लेषकों के लिए मौजूदा आचार संहिता का एक अन्य परिशिष्ट माना जा सकता है। यह नई संहिता आगामी 1 मई, 2023 से अस्तित्व में आएगी। इरादा ऐसे वक्तव्यों को खत्म करने का है जो अनुभव या ज्ञान की कमी का लाभ लेना चाहते हैं। ऐसे मेंसलाह है, निवेश सलाहकार या शोध विश्लेषकों को तकनीकी या विधिक भाषा अथवा जटिल भाषा के अतिशय इस्तेमाल से बचना चाहिए।उन्हें अतिशय विस्तार में जाने से बचना चाहिए और निवेशकों से तयशुदा प्रतिफल का वादा नहीं करना चाहिए। इसके अलावा म्युचुअल फंड की तरह, निवेश सलाहक...
वैश्विक स्तर पर भारतीय सबसे अधिक प्रसन्नता प्राप्त करने की ओर अग्रसर 

वैश्विक स्तर पर भारतीय सबसे अधिक प्रसन्नता प्राप्त करने की ओर अग्रसर 

BREAKING NEWS, समाचार, सामाजिक
अभी हाल ही में वर्ष 2023 के लिए वैश्विक प्रसन्नता प्रतिवेदन (ग्लोबल हप्पीनेस रिपोर्ट 2023) जारी किया गया है। वैश्विक प्रसन्नता प्रतिवेदन को,  150 से अधिक देशों का विभिन बिंदुओं पर सर्वे करने के उपरांत, संयुक्त राष्ट्र दीर्घकालिक विकास समाधान तंत्र द्वारा प्रकाशित किया जाता है। वैश्विक प्रसन्नता प्रतिवेदन को अंतिम रूप देने के पूर्व, स्वस्थ जीवन प्रत्याशा, प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद, सामाजिक सहयोग, भ्रष्टाचार का स्तर, समाज में नागरिकों के बीच आपसी सदाशयता एवं निर्णय लेने की स्वतंत्रता जैसे बिंदुओं पर विभिन्न देशों का आंकलन किया जाता है। फिनलैंड, डेनमार्क, आइसलैंड, स्वीडन एवं नॉर्वे जैसे छोटे छोटे देश जिनकी जनसंख्या तुलनात्मक रूप से बहुत कम रहती है, इस सूची में शीर्ष स्थान प्राप्त करने में सफल हो जाते हैं। उक्त सर्वे के अनुसार सबसे अधिक प्रसन्न देश, फिनलैंड में केवल 55 लाख ...
भारत का राष्ट्रीय पशु(जानवर) बाघ है।

भारत का राष्ट्रीय पशु(जानवर) बाघ है।

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भारत का राष्ट्रीय पशु(जानवर) बाघ है। समय के साथ मानवीय हस्तक्षेप के कारण बाघों पर भी खतरा मंडराया और यह बात हमें आंकड़ों से पता चलती है। एक समय था जब बाघों की तेजी से कम होती संख्या को लेकर चिंता जताई जाने लगी थी, लेकिन अब धीरे-धीरे इसमें प्रोजेक्ट टाइगर व अन्य बाघ संरक्षण कार्यक्रमों से इसमें कुछ सुधार आ रहा है। समय के साथ ही वन्य जीवों के शिकार के संबंध में कानून को भी सख्त बनाया गया है। बहरहाल, एक अनुमान के अनुसार, विश्व भर के बाघों ने अपने प्राकृतिक निवास स्थान का तकरीबन 93 प्रतिशत हिस्सा खो दिया है। यह बहुत ही गंभीर व संवेदनशील है कि इन निवास स्थानों(अधिवासों) को अधिकांशतः मानव गतिविधियों द्वारा नष्ट किया गया है। वनों और घास के मैदानों को कृषि ज़रूरतों के लिये परिवर्तित किया जा रहा है। बाघों से मानव को कथित खतरे को देखते हुए और मौद्रिक लाभ कमाने के उद्देश्य से बाघों का शिकार मानव ...
यूपीआई लेनदेन पर शुल्क का ब्रेन गेम

यूपीआई लेनदेन पर शुल्क का ब्रेन गेम

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यह सलाह दी जाती है कि "मदर थेरेसा" न बनें और अपने बैंक के साथ-साथ अपने यूपीआई भुगतान प्रणाली का बुद्धिमानी से उपयोग करें। हमेशा ध्यान रखें कि राजस्व विभाग आपसे अधिक से अधिक धन वसूलने का इच्छुक है, क्योंकि इसके लिए उन्हें भुगतान किया जाता है और आपकी दया या सहानुभूति आपको परेशानी में डाल सकती है। अत्यधिक यूपीआई  का उपयोग करने से नकद छूट/छूट/प्रोत्साहन प्राप्त करने का आपका लालच आपको परेशानी में डाल सकता है, जिसकी कीमत आपको भविष्य में बहुत अधिक चुकानी पड़ेगी। -डॉ सत्यवान सौरभ एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई )एक ऐसी तकनीक है जो विभिन्न बैंक खातों को एक ही मोबाइल ऐप (किसी भी भाग लेने वाले बैंक के) में समेकित करती है - तत्काल रीयल-टाइम भुगतान प्रणाली प्रदान करती है; उपयोगकर्ताओं को दूसरे पक्ष को अपने बैंक खाते का विवरण प्रकट किए बिना कई बैंक खातों में धन हस्तांतरित करने की अनुमति देती है। यह...
क्यों झूठ बोल रहे हैं केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ?

क्यों झूठ बोल रहे हैं केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ?

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राज्य, समाचार
अनुज अग्रवाल , अध्यक्ष, मौलिक भारतबेमौसम आँधी , तूफ़ान , बर्फ़बारी और बरसात से सब्ज़ी, फलों, गेहूं व तिलहन आदि की फसल का देश के आधे से ज़्यादा जिलो में दस से पचास प्रतिशत तक नुक़सान हुआ है।औसत रूप से बीस प्रतिशत तक रबी की फ़सलों की कम पैदावार होने का आँकलन स्वतंत्र समीक्षक व कृषि विशेषज्ञ कर रहे हैं।लगभग हर प्रभावित ज़िले से दो - चार किसानों के आत्महत्या अथवा सदमे से मौत के समाचार आ रहे हैं किंतु केंद्रीय कृषि मंत्रालय व खाद्य सचिव झूठ पर झूठ बोल रहे हैं व देश के किसानों व जनता को धोखा दे रहे हैं। वे नहीं बता पा रहे हैं कि - 1) किसी राज्य में अगर ज़्यादा पैदावार भी जाती है तो क्या उसका फ़ायदा किस तरह उन राज्यो के किसानों को होगा जिनकी फसल बर्बाद हो गई है ? 2) मंत्रालय यह क्यों नहीं बता रहा है कि बेमौसम बरसात व बर्फ़बारी से फ़सलों की गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित हुई है। बिना गुण...
बेलगाम शिक्षा व्यवस्था: किताबों में कमीशन का खेल, अभिभावक रहे झेल

बेलगाम शिक्षा व्यवस्था: किताबों में कमीशन का खेल, अभिभावक रहे झेल

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स्कूलों की मनमानी, किताबें बनी परेशानी। निजी स्कूल बने किताबों के डीलर तो दुकानदार बने रिटेलर। स्कूलों द्वारा तय निजी प्रकाशकों की किताबें एनसीईआरटी की किताबों से पांच गुना तक महंगी हैं। एनसीईआरटी की 256 पन्नों की एक किताब 65 रुपये की है जबकि निजी प्रकाशक की 167 पन्नों की किताब 305 रुपये में मिल रही है। कई किताबों में तो प्रिंट रेट के ऊपर अलग से प्रिंट स्लिप चिपकाकर प्रकाशित मूल्य से कहीं अधिक वसूली की जाती है। निजी स्कूलों में कमीशन के चक्कर में हर साल किताबें बदलने के साथ अलग-अलग प्रकाशकों की महंगी किताबें लगाई जाती हैं। अभिभावक भी बच्चों के भविष्य को लेकर ज्यादा विरोध नहीं कर पाते। छोटे-छोटे बच्चों की चुनिंदा किताबें लेना अब अभिभावकों की मजबूरी बन गई हैं। निजी स्कूलों की मनमानी से माता-पिता पिस रहे हैं। सरकार, जनप्रतिनिधि प्रशासन चुप हैं? -प्रियंका सौरभ स्कूलों में नया सत्र शु...