
संघ विचार-परिवार के वैचारिक अधिष्ठान की नींव – श्री गुरूजी
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के धुर-से-धुर विरोधी एवं आलोचक भी कदाचित इस बात को स्वीकार करेंगें कि संघ विचार-परिवार जिस सुदृढ़ वैचारिक अधिष्ठान पर खड़ा है उसके मूल में माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर उपाख्य श्री गुरूजी के विचार ही बीज रूप में विद्यमान हैं। संघ का स्थूल-शरीरिक ढाँचा यदि डॉक्टर हेडगेवार की देन है तो उसकी आत्मा उसके द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरूजी के द्वारा रची-गढ़ी गई है। उनका वास्तविक आकलन-मूल्यांकन होना अभी शेष है, क्योंकि संघ-विचार परिवार के विस्तार और व्याप्ति का क्रम आज भी लगातार जारी है। किसी भी नेतृत्व का मूल्यांकन तात्कालिकता से अधिक उसकी दूरदर्शिता पर केंद्रित होता है। यह उदार मन से आकलित करने का विषय है कि एक ही स्थापना-वर्ष के बावजूद क्या कारण हैं कि तीन-तीन प्रतिबंधों को झेलकर भी संघ विचार-परिवार विशाल वटवृक्ष की भाँति संपूर्ण भारतवर्ष में फैलता गया, उसकी जड़ें और मज़बूत एव...