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तभी अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण सार्थक होगा…..

तभी अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण सार्थक होगा…..

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*जब हम "रामराज्य" के मूल आदर्शों को संरक्षित करें, अपने भीतर श्री राम को जागृत करें।* "रामराज्य" की अवधारणा हमेशा भारत के आम लोगों के साथ गूंजती रही है। "रामराज्य" को आम तौर पर भगवान राम का शासन माना जाता है और अक्सर इसे प्रशासन का सबसे अचूक रूप माना जाता है। स्वतंत्रता के समय, यही अवधारणा महात्मा गांधी द्वारा गढ़ी गई थी जब वह भारतीयों द्वारा शासित भविष्य के भारत की कल्पना कर रहे थे। वह लोकतांत्रिक व्यवस्था के बारे में बात कर रहे थे जहां शासक लोगों की खुशी के लिए शासन करेंगे। ऐसी व्यवस्था जहां सभी के लिए समान अधिकार होंगे, चाहे वह किसी भी वर्ग का हो, और हिंसा न्याय प्राप्त करने का माध्यम नहीं हो सकती। आज देश-दुनिया में शत्रुतापूर्ण ताकतों के अशुभ जमावड़े को देखते हुए इसके लिए जबरदस्त प्रयास की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन यह हमारा सच्चा लक्ष्य है जिसे हमें कभी नहीं भूलना चाहिए। यदि ह...
राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से समस्त भारत हुआ राममय

राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से समस्त भारत हुआ राममय

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अयोध्या से आर.के. सिन्हा अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा भब्य रूप से सम्पन्न हो गई। संत समाज के अलावा पूरे विश्व से मात्र लगभग ढाई - तीन हज़ार चुनिंदा लोगों को आमंत्रित किया गया था जिसमें सौभाग्य से मैं सपत्नीक आमंत्रित था ।यह सबों के लिये जीवन के एक दुर्लभ क्षण के रूप में याद रखा जाएगा। यह कल्पना से परे अविस्मरणीय दृश्य रहा। अयोध्या के राम मंदिर में अभिजीत मुहूर्त में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूरे विधि - विधान के साथ रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई। इसके साथ ही सारा देश सारा देश राममय हो गया।पूरे देश क्या विश्व भर के राम भक्तों के मन में भावनाओं की अनंत आनंद के हिलोरें हैं। भावनाओं की अभिव्यक्ति में शब्द सक्षम या पर्याप्त नहीं हैं। कश्मीर में बर्फ से ढकी ऊंची चोटियों से लेकर कन्याकुमारी में धूप से सराबोर समुद्र तटों तक,राम नाम की गूंज ने पूरे भारत में भक्ति का माहौल बना द...
भारत में सांस्कृतिक धरोहरों को दिलाया जा रहा है उचित स्थान

भारत में सांस्कृतिक धरोहरों को दिलाया जा रहा है उचित स्थान

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22 जनवरी 2024 को प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या में सम्पन्न होने जा रही है। पिछले लगभग 500 वर्षों के लम्बे संघर्ष के पश्चात श्रीराम लला टेंट से निकलकर एतिहासिक भव्य श्रीराम मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं। पूरे देश का वातावरण राममय हो गया है। न केवल भारत के नागरिकों में बल्कि अन्य कई देशों में भी सनातन धर्म में आस्था रखने वाले नागरिकों में जबरदस्त उत्साह दिखाई दे रहा है। अमेरिका के कई बड़े शहरों में प्रभु श्रीराम के बहुत बड़े आकार के होर्डिंग लगाए गए हैं। पूरे विश्व में ही एक तरह से नई ऊर्जा का संचार हो रहा है। आज सनातनी हिंदुओं के लिए यह एक एतिहासिक एवं गर्व करने का पल है क्योंकि प्रभु श्रीराम का मंदिर भारतीयों के लिए सदियों से एक सांस्कृतिक धरोहर रहा है और अब पुनः प्रभु श्रीराम के मंदिर को सांस्कृतिक धरोहर के रूप में उचित स्थान दिलाया जा रहा है, इसके लिए प...
<strong>विश्व हिन्दी दिवस- 10 जनवरी 2024 पर विशेष</strong>

विश्व हिन्दी दिवस- 10 जनवरी 2024 पर विशेष

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हिन्दी है राष्ट्रीयता की प्रतीक भाषा, फिर उपेक्षा क्यों?-ललित गर्ग-विश्व हिन्दी दिवस मनाने का उद्देश्य दुनियाभर में फैले हिंदी जानकारों को एकजुट करना, हिन्दी को विश्व स्तर पर स्थापित एवं प्रोत्साहित करना और हिंदी की आवश्यकता से अवगत कराना है। अंग्रेजी भाषा भले ही दुनियाभर के कई देशों में बोली है और लिखी जाती है. लेकिन हिंदी हृदय की भाषा है। विश्व योग दिवस, विश्व अहिंसा दिवस आदि भारतीय अस्मिता एवं अस्तित्व से जुड़े विश्व दिवसों की शृंखला में विश्व हिन्दी दिवस प्रति वर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है। ताकि विश्व में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा हो तथा हिन्दी को अन्तरराष्ट्रीय भाषा के रूप में मान्यता मिले। विश्व हिंदी दिवस पहली बार 10 जनवरी, 2006 को मनाया गया था। आज हिन्दी विश्व की सर्वाधिक प्रयोग की जाने वाली तीसरी भाषा है, विश्व में हिन्दी की प्रतिष्ठा एवं प्रयोग दिनोंदिन बढ़त...
अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में शह और मात की खेल में आतंकवादी संगठन ISIS किस का मोहरा बन गया है !?

अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में शह और मात की खेल में आतंकवादी संगठन ISIS किस का मोहरा बन गया है !?

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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, अब कैसी-कैसी "कूटनीतिक" खेल चल रही है, जब उसे यदि आप 'गहराईयों' से सोचेंगे तो, यहां आप लोगों को लगेगा कि किसी भी देश का कोई दुश्मन नहीं है, पर सभी देशों का कोई न कोई दुश्मन होता है !? यूक्रेन पर रसिया ने आक्रमण किया तो अमेरिकी गठबंधन ने अपनी दम दिखाने के लिए यूक्रेन की आंख मूंदकर सहायता करने लगी. अब रुसकी गठबंधन ने अपनी कूटनीतिक चाल चलकर, अमेरिका की गठबंधन को अरब देशों में फंसा दिया है !? अब चालाक चतुरलो-मड़ी अमेरिका इस "उलझन" से निकलने के लिए आपनी धुर दुश्मन आतंकवादी संगठन ISIS और अलकायदा के साथ हाथ मिलाकर, ईरान पर "आत्मघाती हमला" करना शुरू कर दिया है. जो ईरान अरब मुल्कों को इकट्ठा कर कर शिया-सुन्नी भेदभाव को भुलाने के लिए 'मुहिम' चला रहा था, और इकट्ठा होकर अमेरिकी गठबंधन "इजरायल" से "बदला" लेने के लिए समूह बना रहा था !? और इस्लामिक देशों, और उनके प्राइवेट आर्म...
भारत के लिए वर्ष 2024 भी सुनहरा वर्ष साबित होने जा रहा है

भारत के लिए वर्ष 2024 भी सुनहरा वर्ष साबित होने जा रहा है

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विश्व के कुछ देश वर्ष 2024 में मंदी की मार झेल सकते हैं, यह कुछ अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों का आंकलन है। परंतु, वैश्विक स्तर पर अर्थव्यस्था के गिरने की सम्भावनाओं के बीच एक देश ऐसा भी है, जिस पर समस्त अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों, विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं विश्व बैंक, की नजरें टिकी है, वह है भारत। भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति समस्त विदेशी वित्तीय संस्थान आशावान हैं कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को अब भारत ही सहारा देने की क्षमता रखता है।   अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अभी हाल ही में एक प्रतिवेदन जारी किया है। इसमें भारत के प्रति मुख्य रूप से तीन बातें कही गई हैं। प्रथम, भारत आज विश्व में सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। दूसरे, भारत का सकल घरेलू उत्पाद 6.3 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करेगा। तीसरे, वर्ष 2024 में वैश्विक स्तर पर सकल घरेलू उत्पाद में ...

आखिर पाकिस्तान बदहाल क्यों है?

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-बलबीर पुंज आखिर पाकिस्तान बदहाल क्यों है? 1947 में खूनी विभाजन के बाद खंडित भारत जहां चांद पर पहुंच गया, वही एक चौथाई भारतीय भूंखडों को काटकर बनाया गया पाकिस्तान क्यों इतना पिछड़ गया? आखिर पाकिस्तान इस हाल में कैसा पहुंचा? इसका संकेत पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की हालिया टिप्पणी में मिल जाता है। बीते दिनों नवाज ने अपने देश में मंडराए आर्थिक संकट के लिए सैन्य प्रतिष्ठान पर निशाना साधते हुए कहा, “नकदी संकट से जूझ रहे देश की परेशानी के लिए न तो भारत जिम्मेदार है और न ही अमेरिका, बल्कि हमने अपने पैरों पर स्वयं कुल्हाड़ी मारी है।“ इसका निहितार्थ क्या है? पाकिस्तान की वर्तमान आर्थिक स्थिति क्या है? कंगाली के चौखट पर पहुंचा पाकिस्तान गले तक कर्ज में डूबा हुआ है। पुराना कर्ज चुकाने के लिए या तो उसे नया कर्ज लेना पड़ रहा है या फिर अपने नागरिकों पर इसका बोझ कभी तेल की कीमतों को...
यह रणनीति चिंताजनक है

यह रणनीति चिंताजनक है

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अवधेश कुमारनिस्संदेह यह अभूतपूर्व अप्रिय स्थिति है। संसद सत्र का समापन होने तक दोनों सदन के 141 सांसद निलंबित किये जा चुके थे। इसके पहले आजाद भारत में कभी भी इतने सांसदों का निलंबन नहीं हुआ था। लोकसभा में आईएनडीआईए के कुल 138 सांसदों में से 95 तथा राज्यसभा में 95 सांसदों में से 46 को निलंबित किया गया। इस तरह आईएनडीआईए के लगभग दो तिहाई सदस्य लोकसभा से निलंबित रहे। केवल 43 सदस्य निलंबित नहीं हुए । मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के 48 में से केवल 9 सदस्य ही सदन में रह गए जिनमें पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी शामिल हैं। यह केवल दुर्भाग्यपूर्ण नहीं बल्कि भयभीत करने वाली स्थिति है। संसद हमारे संसदीय लोकतंत्र की शीर्ष इकाई है तो उसके सदस्य माननीय सांसदों का कद इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में कितना बड़ा है इसके बारे में बताने की आवश्यकता नहीं है। नीति निर्माण की भूमिका के साथ अपने गरिमापूर्ण आच...
हिंदू समाज की विजयगाथा का प्रतीक है- गीता जयंती

हिंदू समाज की विजयगाथा का प्रतीक है- गीता जयंती

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गीता जयंती पर विशेष -हिंदू समाज की विजयगाथा का प्रतीक है- गीता जयंतीकर्म और धर्म की गतिशीलता का नाम है - गीताश्रीमदभगवदगीता एक ऐसा पुनीत ग्रंथ है जिसमें कर्म व धर्म समाहित हैं। गीता जयंती का पर्व भी कर्म, धर्म व जीवन की गतिशीलता व निरंतरता पर बल देता है। गीता में वेदों का सार तत्व संग्रहीत किया गया है। इसमें धर्म का उपदेश समाहित है, इसमें जीवन जीने की कला का ज्ञान है। इसमें कर्म, भक्ति व ज्ञान का उपदेश हे। इसमें मनुष्य के स्वधर्म का ज्ञान है। गीता की भाषा इतनी सरल है कि थोड़ा सा अभ्यास करने पर मनुष्य सहजता से इसे समझ सकता है।श्रीमदभगवदगीता किसी सामान्य व्यक्ति का उपदेश नहीं है अपितु यह स्वयं भगवान श्रीकृष्ण की वाणी है। इसे कहते समय भगवान स्वयं अपने परमात्मस्वरूप में स्थित थे। यह एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जो जीवन की हर परिस्थिति के लिये,हर काल के लिये प्रासंगिक है, शाश्वत है। इसके श्लोकों के भाव...
संसद में “धुँआ स्प्रे” आतंकी हमले से कम नहीं

संसद में “धुँआ स्प्रे” आतंकी हमले से कम नहीं

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तिथि का चयन और आतंकवादी पुन्नू की धमकी भी षड्यंत्र का हिस्सा -- रमेश शर्मा तेरह दिसम्बर को संसद के भीतर और बाहर रासायनिक धुँआ छोड़कर नारे लगाना साधारण नहीं है । यह वही तिथि है जिस दिन बाईस साल पहले संसद में आतंकवादी हमला हुआ था और अभी कुछ महीने पहले ही कनाडा में बैठे आतंकवादी पुन्नू ने संसद पर हमला करने की धमकी भी दी थी । और अब बिल्कुल आतंकी हमले के अंदाज में यह घटना घटी ।घटना की प्रारंभिक जांच में जो तथ्य सामने आये है वे असाधारण है । ये लोग अकस्मात संसद नहीं पहुँचे थे । उन्होंने इसकी तैयारी महीनों पहले से की जा रही थी । आरोपी कई बार संसद भवन गये थे । उन्होंने संसद में जाँच का तरीका समझा, रास्ते समझे और यह भी कि दर्शक दीर्घा के किस कोने से कूदना आसान है । इतना करके फिर धुँये से हमला करने की तैयारी हुई । हमले के लिये तेरह दिसम्बर की तिथि का निर्धारण हुआ । इनके बीच समय का प्रबंधन ...