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आईपीसीसी की छठी आकलन रिपोर्ट के सबक

आईपीसीसी की छठी आकलन रिपोर्ट के सबक

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आईपीसीसी की छठी आकलन रिपोर्ट के सबक: बाद में फायदेमंद होंगे आज महंगे लग रहे उत्सर्जन कम करने के तरीके यह रिपोर्ट ऊर्जा, भवन, यातायात, भूमि और औद्योगिक क्षेत्रों में अपनाए जाने वाले उन उपायों की विस्तृत सूची पेश करती है, जिनसे उत्सर्जन में तेजी से और सस्ते तरीके से कटौती की जा सकती है संयुक्त राष्ट्र की जलवायु-विज्ञान संस्था, जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी समिति यानी आईपीसीसी ने चार अप्रैल, 2022 को अपनी छठी आकलन रिपोर्ट की तीसरी किस्त जारी की। इसे आईपीसीसी के वर्किंग ग्रुप-3 ने तैयार किया है, और इसका फोकस ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए, जलवायु परिवर्तन में कमी लाने पर है। इस पूरी रिपोर्ट में दुनिया भर के ताजे वैज्ञानिक शोधों को शामिल किया गया है, जिसके चलते यह हजारों पेज में है। हालांकि ‘समरी ऑफ पॉलिसीमेकर्स’ शीर्षक वाले 63 पेज के अध्याय में इसके मुख्य बिंदुओं को शामिल किया गया है। न...
जब हर एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति को जीवन रक्षक दवाएं मिलेंगी तभी एड्स उन्मूलन सम्भव है

जब हर एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति को जीवन रक्षक दवाएं मिलेंगी तभी एड्स उन्मूलन सम्भव है

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जब हर एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति को जीवन रक्षक दवाएं मिलेंगी तभी एड्स उन्मूलन सम्भव है शोभा शुक्ला - हर एचआईवी पॉजिटिव इंसान को सही जांच से यह पता होना चाहिए कि वह एचआईवी पॉजिटिव है, सबको जीवन रक्षक एंटीरेट्रोवायरल दवाएं मिलें, और सभी का वायरल लोड नगण्य रहे, तब ही एड्स उन्मूलन सम्भव है। न सिर्फ़ सभी एचआईवी के साथ जीवित लोग पूर्ण ज़िंदगी जी सकेंगे बल्कि एचआईवी के फैलाव पर भी रोकथाम लगेगा। एक ओर जहां नए एचआईवी सम्बंधित शोध को तेज करने की ज़रूरत है जिससे कि अधिक प्रभावकारी जांच, इलाज और बचाव साधन हम सब को मिलें, वहीं यह भी सच है कि हर एक को जाँच, एंटीरेट्रोवायरल दवा और वायरल लोड नियंत्रित करने की सेवा देना आज मुमकिन है - जिससे कि एड्स उन्मूलन की दिशा में तेजी से कदम बढ़ें। यह कहना है डॉ ईश्वर गिलाडा का जो एड्स सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के १३ वें राष्ट्रीय अधिवेशन के अध्यक्ष हैं, और इंटर्नैशनल ए...
समान आचार संहिता समूचे देश में लागू हो

समान आचार संहिता समूचे देश में लागू हो

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समान आचार संहिता समूचे देश में लागू हो-ललित गर्ग-समान नागरिक आचार संहिता का मुद्दा आज एक बार फिर चर्चा में है। दरअसल यह मुद्दा आज का नहीं है, यह अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है। इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के नजरिये से नहीं, बल्कि राष्ट्रीय हित में चिन्तन, निर्णय एवं क्रियान्वयन की अपेक्षा है। भले ही भाजपा के लिये यह चुनावी मुद्दा रहा हो, लेकिन इसको लागू करने की अपेक्षा सभी जाति, धर्म, वर्ग, भाषा के लोगों के हित में हैं। हां, इसे लागू करने का साहस एवं दूरदर्शिता भाजपा और उसके नेता प्रदर्शित कर रहे हैं, यह स्वागतयोग्य है। इसे मजहब या साम्प्रदायिकता की राजनीति से ऊपर उठ कर पूरे देश की सामाजिक समरसता के नजरिये से देखा जाना चाहिए। संवैधानिक दृष्टि से भी यह फैसला बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है क्योंकि भारत का संविधान धर्म या जाति-बिरादरी अथवा स्त्री-पुरुष या क्षेत्रीय पहचान की परवाह कि...
रूस-यूक्रेन युद्ध की समाप्ति का माध्यम बने अहिंसा यात्रा

रूस-यूक्रेन युद्ध की समाप्ति का माध्यम बने अहिंसा यात्रा

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रूस-यूक्रेन युद्ध की समाप्ति का माध्यम बने अहिंसा यात्रा -ललित गर्ग- रूस-यूक्रेन युद्ध को चलते हुए लगभग एक माह होने जा रहा है। रूस वांछित नतीजा हासिल नहीं कर पाया है। जैसे-जैसे समय बीत रहा है, अधिक विनाश एवं विध्वंस की संभावनाएं बढ़ती जा रही है। यूक्रेन और रूस में शांति का उजाला करने, अभय का वातावरण, शुभ की कामना और मंगल का फैलाव करने के लिये भारत को शांति प्रयास करने चाहिए। एकमात्र भारत ही ऐसा देश है जो अपने आध्यात्मिक तेज एवं अहिंसा की शक्ति से मनुष्य के भयभीत मन को युद्ध की विभीषिका से मुक्ति दे सकता। इन दोनों देशों को युद्ध विराम के लिये राजी करके विश्व को निर्भय बना सकता है। इन युद्ध एवं हिंसा के वातावरण में अहिंसा यात्रा एवं उसके प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमण का सन्देश कारगर हो सकता है। क्योंकि राष्ट्रसंत आचार्य श्री महाश्रमण कीर्तिधर यायावर संतपुरुष हैं, जिन्होंने अपनी अहिंसा या...
संसदीय लोकतंत्र और वैश्वीकरण

संसदीय लोकतंत्र और वैश्वीकरण

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संसदीय लोकतंत्र और वैश्वीकरण संसद सरकार के कामकाज के लिए एक केंद्रीय आधारभूत संस्था है। दुनिया भर के देशों ने संसदीय संस्थाओं को इस तरह विकसित किया है जो स्थानीय जरूरतों के लिए सबसे उपयुक्त है। सामाजिक, सांस्कृतिक और भाषाई विविधताओं के बावजूद, एक सामान्य बात यह है कि विभिन्न देशों की संसदें लोगों का प्रतिनिधित्व करती हैं और उनकी जरूरतों, आशाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति करती हैं; संसद लोगों के प्रतिनिधियों को स्वतंत्र रूप से अपने विचार व्यक्त करने और सरकारी गतिविधियों की जांच करने के लिए एक मंच प्रदान करती है। इस मंच पर ही राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व के मामलों पर विस्तार से चर्चा की जाती है और शासन के विभिन्न कानूनों, नीतियों और कार्यक्रमों को आकार दिया जाता है। संसद की संस्था एक जीवित इकाई है। इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उभरती जरूरतों और लगातार बदलते परिदृश्य के साथ खु...
Delhi’s Party-Wise Manifesto (2017-22) Analysis & Targets to Set for 2022-2027’

Delhi’s Party-Wise Manifesto (2017-22) Analysis & Targets to Set for 2022-2027’

विश्लेषण, समाचार
प्रकाशनार्थ विज्ञप्ति • भाजपा ने दिल्ली में पानी और बिजली जैसी सुविधाओं के साथ विश्व स्तरीय शौचालय बनाने का वादा किया था। हालांकि, 2020 में, एम.सी.डी शौचालयों में से 16% में पानी का कनेक्शन उपलब्ध नहीं था, और 10% में बिजली नहीं थी। • आप ने दिल्ली में नालों की पूरी सफाई का वादा किया था। हालांकि, 2017 से 2020 तक दर्ज 34,169 जल निकासी शिकायतों में से 83% शिकायतें जल निकासी में बाधा, रुकावट और सफाई और ओवरफ्लो मैनहोल पर थीं। • आप और आई.एन.सी, दोनों ने 2019 तक लैंडफिल के समस्या को समाप्त करने का वादा किया। लेकिन 2020-21 में, तीनों एम.सी.डी से, लैंडफिल स्थलों में एम.एस.डब्ल्यू (म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट) का निपटान कुल 5,074 टी.पी.डी (टन प्रति दिन) था। • सतत विकास लक्ष्य 2030 को प्राप्त करने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए और अन्य सरकारी लक्ष्यों और घोषणापत्रों को इन लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए ब...
सियाटिका: अब इंडोस्कोपी सर्जरी से इलाज हुआ अधिक कारगर

सियाटिका: अब इंडोस्कोपी सर्जरी से इलाज हुआ अधिक कारगर

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सियाटिका: अब इंडोस्कोपी सर्जरी से इलाज हुआ अधिक कारगर डॉ. आयुष शर्मा संस्थापक और निदेशक लेजर स्पाइन क्लिनिक, पटना, लेजरस्पाइनडॉटडइन सियाटिका के मरीजों में कमर में बेतहाशा दर्द और फिर साथ में सूजन होने की ज्यादातर संभावना होती है। इसका दर्द इतना तेज होता है कि जो अहसनीय हो जाता है। यह पीड़ा हिप ज्वाइंट के पीछे से प्रारंभ होकर, धीरे-धीरे तीव्र होती हुई तंत्रिका तंत्र से होते हुए पैर के अंगूठे तक फैलती है। इसमें घुटने और टखने के पीछे भी काफी दर्द रहता है। कभी-कभी शरीर के इन भागों में शून्यता भी होती है। इससे पैरों में सिकुडन भी हो जाती है जिससे मरीज बिस्तर से उठ नहीं पाता है। आम तौर पर इसमें बिजली के झटके जैसा दर्द होता है। इससे जलन पैदा होती है और कई बार ‘पैरों के सो जाने’ जैसी अनुभूति भी होती है। कभी-कभी एक ही पैर के एक भाग में दर्द होता है और दूसरा भाग सुन्न हो जाने का एहसास देता है. ...
India & Singapore agree to promote collaboration in S&T

India & Singapore agree to promote collaboration in S&T

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India & Singapore agree to promote collaboration in S&T India and Singapore have agreed to promote cooperation in the areas of science, technology, and innovation. The pact will follow a demand-driven approach and facilitate joint projects involving institutions and industries from the two countries. The Memorandum of understanding signed by Dr. S Chandrasekhar, Secretary, Department of Science & Technology, Government of India, and Dr. Lee Chuan Teck, Permanent Secretary, Ministry of Trade & Industry, Government of Singapore, also provides for greater mobility of scientists and high-level experts, sharing of experiences on the national research, development, and innovation policies and programmes, and exchange of scientific and technological information. Besides, it s...
सामाजिक सरोकार और लोकतांत्रिक मूल्य

सामाजिक सरोकार और लोकतांत्रिक मूल्य

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सामाजिक सरोकार और लोकतांत्रिक मूल्य भारतीय राजनीति का महत्वपूर्ण पहलू स्वतंत्रता आंदोलन के महान आदर्शवाद से उस स्थिति में परिवर्तन है जिसमें वह वर्तमान में खुद को पाता है। प्रत्येक व्यक्ति समाज के साथ अपने व्यवहार में स्वार्थ से शासित होता है। लेकिन जब इस स्वार्थ को बड़े पैमाने पर देश के हितों से ऊपर रखा जाता है, तो यह लोकतंत्र के अस्तित्व और देश की एकता और अखंडता के लिए एक संभावित खतरा बन जाता है। इसके अलावा, यदि जाति, समुदाय, धर्म, भाषा और क्षेत्र के आधार पर सांप्रदायिक वैमनस्य और कृत्रिम अवरोध पैदा किए जाते हैं और अगर संवैधानिक रूपों को प्राथमिकता देने के लिए आंदोलन का इस्तेमाल किया जाता है, तो ये सार्वजनिक जीवन में अनुशासनहीनता का कारण बनते हैं। जबकि संवैधानिक प्रावधान स्पष्ट रूप से नागरिकों को प्रोत्साहित करते हैं और उन्हें खुद को शालीनता से आचरण करने के लिए प्रेरित करते हैं, यह दु...
नारी’ की पूजा तो फिर अत्याचार क्यों?

नारी’ की पूजा तो फिर अत्याचार क्यों?

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‘नारी’ की पूजा तो फिर अत्याचार क्यों? -ललित गर्ग - नारी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन तथा मातृशक्ति की अभिवंदना का एक स्वर्णिम अवसर है विश्व नारी दिवस, यह नारी की महिमा को उजागर करने वाला ऐतिहासिक दिन है। आखिर नारी को ही ‘माँ’ का महत्त्वपूर्ण पद और संबोधन मिला। कारण की मीमांसा करते हुए अनुभवविदों ने बताया-हमारी भारतीय परंपरा में भारतमाता, राजमाता, गौमाता की तरह धरती को भी माता कहा जाता है। वह इसलिए कि धरती पैदा करती है। वह निर्मात्री है, सृष्टा है, संरक्षण देती है, पोषण करती है, बीज को विस्तार देती है, अनाम उत्सर्ग करती है, समर्पण का सितार बजाती है, आश्रम देती है, ममता के आँचल में सबको समेट लेती है और सब कुछ चुपचाप सह लेती है। इसीलिए उसे ‘माता’ का गौरवपूर्ण पद मिला। माँ की भूमिका यही है।‘मातृदेवो भवः’ यह सूक्त भारतीय संस्कृति का परिचय-पत्र है।  ऋषि-महर्षियों की तपः पूत स...