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COVID-19: चीन-अमेरिका का जैविक हथियार या वेश्विक षड्यंत्र ? – अनुज अग्रवाल

COVID-19: चीन-अमेरिका का जैविक हथियार या वेश्विक षड्यंत्र ? – अनुज अग्रवाल

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यह हास्यास्पद है कि दुनिया भर में कोरोना के बढ़ते मरीज़ों और गिरती लाशों के बीच बढ़ते जनाक़्रोश के बीच  अमेरिका ने अपनी जाँच एजेंसियों को 90 दिनो में यह जाँच करने का आदेश दिया है कि इस वायरस का उदगम चीन की विहं लेब है या नहीं और क्या चीन ने जैविक हथियार के रूप में तो इस वायरस का प्रयोग तो नाहीं किया। अमेरिका के ही आग्रह पर डबल्यूएचओ भी  इन आरोपो की फिर से जाँच करने के लिए तैयार हो गया है और अंतत: भारत सरकार ने भी इन जाँचो का समर्थन किया है। जब किसी देश की गलती या जानबूझकर की गयी हरकत से आपके देश में लाखों करोड़ों लोग मर रहे हों और अर्थव्यवस्था बर्बाद हो रही हो तो आप उस देश के ख़िलाफ़ जाँच बैठाएँगे या उसको मिलकर कुचल देंगे। अगर जाँच के नतीजे चीन के ख़िलाफ़ आ गए तो दुनिया क्या उखाड़ लेगी चीन का ? कोरोना वायरस और अनुत्तरित प्रश्न  क्या कोरोना एक वेश्विक साज़िश है जिसमें दुनिया की एलीट...
सरकारी आंकड़ों से 10 गुना ज़्यादा गंभीर हो सकती है वास्तविकता, इसलिए सावधान रहें!

सरकारी आंकड़ों से 10 गुना ज़्यादा गंभीर हो सकती है वास्तविकता, इसलिए सावधान रहें!

राष्ट्रीय, समाचार
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय अब भी करीब 19.29 लाख लोगों को ही एक्टिव केस (19 अप्रैल 2021, सुबह 8 बजे) बता रहा है, जबकि पिछले कई महीने से देख रहा हूँ कि पूरे देश में प्रतिदिन कोविड जांच की कैपेसिटी 12-14 लाख से ज़्यादा बढ़ ही नहीं पा रही है। इसके बावजूद इधर कुछ दिन से हर रोज़ लगभग पौने दो लाख लोग पॉजिटिव पाए जा रहे हैं। आज वस्तुस्थिति यह है कि 1. अनगिनत लोगों की जांच हो ही नहीं पा रही। 2. जिनकी जांच हो रही है, उनकी रिपोर्ट आने में काफी देर हो रही है। 3. उपरोक्त दो कारणों से सरकार जो आंकड़ा आज बता रही है, वास्तव में वह कुछ दिन पहले का ही है। और, 4. कुछ हेराफेरी भी आंकड़ों में अवश्य हो रही है, क्योंकि जब मृतकों के आंकड़े वास्तविकता से काफी कम बताए जा रहे हैं, तो पॉजिटिव के आंकड़े कम बताने से किसी को कौन रोक सकता है? देश भर में अपने व्यापक संपर्क के लोगों, समूहों और समुदायों का आकल...
कोरोना संक्रमण की सुनामी और मोदी सरकार के लिए उभरती अभूतपूर्व चुनोतियाँ

कोरोना संक्रमण की सुनामी और मोदी सरकार के लिए उभरती अभूतपूर्व चुनोतियाँ

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भारत असाधारण परिस्थितियों का शिकार है। कोविड 19-20 ( कोरोना) संक्रमण की दूसरी लहर ने देश को हिलाकर रख दिया है।  अनगिनत कोरोना संक्रमित मरीनो की बाढ़ में हमारा स्वास्थ्य ढाँचा बिखर गया है और जनता त्राहिमाम कर रही है। एक ही झटके में व्यवस्था व राजनेताओ का विद्रुप चेहरा जनता के सामने आ गया। हमारी राज्य सरकारें भी कोरोना संक्रमित होकर मरणासन्न हैं और भाजपा नीत केंद्र सरकार “ चुनावी हैंगओवर” की शिकार होकर दिग्भ्रमित। इस कारण केंद्र सरकार पंद्रह दिन की देरी से ‘ऐक्शन मोड’ में आ पायी मगर तब तक कोविड के डबल म्यूटेंट संक्रमण की तूफ़ानी रफ़्तार ने बवाल मचा दिया। चारों ओर बीमारों और लाशों के ढेर लगते जा रहे हैं और केंद्र व राज्य सरकारें हर मोर्चे पर असफल सिद्ध होती जा रही हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश के 146 जिलों में संक्रमण की स्थिति नियंत्रण से बाहर है। एक महीने पहले ऐसे ज़िले बमुश्किल 20 ...
अफगान संकटः हम तालिबान से परहेज क्यों करें ?

अफगान संकटः हम तालिबान से परहेज क्यों करें ?

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अफगानिस्तान से अमेरिका की फौजें 11 सितंबर 2021 को वापस होंगी। अमेरिका के कुल 3500 और नाटो के 8500 सैनिक अपने-अपने देश में चले जाएंगे। तब क्या होगा ? अफगानिस्तान की वर्तमान सरकार का मानना है कि उसके 3 लाख फौजी जवान काफी हैं। वे शांति और व्यवस्था बनाए रखने में समर्थ हैं। अभी जो भी विदेशी सैनिक वहाँ हैं, वे सिर्फ वहां हैं। तालिबान से लड़ने का असली काम तो अफगान सैनिक ही कर रहे हैं। यदि यह सच है तो पहला सवाल यही है कि अफगानिस्तान के ज्यादातर हिस्सों पर तालिबान का कब्जा कैसे जारी है ?  एक अनुमान के अनुसार बड़े अफगान शहरों के अलावा सर्वत्र तालिबान ने अपना प्रशासन कायम किया हुआ है। उनकी सरकार, टैक्स उगाही और शरीयत अदालतें वहां सक्रिय हैं। दूसरा, दोहा में तालिबान से समझौता हो जाने के बावजूद अफगान सेना उनके हमलों को रोकने में असमर्थ क्यों रही हैं ? तीसरा, यदि गनी-अब्दुल्ला सरकार काबुल में मजबूत है ...
वैक्सीन को लेकर फैलाई गई अफवाहों व दबाव के खेल का काला सच…

वैक्सीन को लेकर फैलाई गई अफवाहों व दबाव के खेल का काला सच…

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भारत की कंपनी भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन क्या बनाया कांग्रेसियों और सेकुलर भांडों के आर्थिक श्रोत पर अंतिम कील ठुंक गयी। उन्हें लगा कि मोदी सियासी बाजी भी मार ले गए और हमे आर्थिक रूप से बर्बाद भी कर गए। पहले इन्होंने पूरी कोशिश की वैक्सीन को बेकार घोषित कर दिया जाए। छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने राज्य में कोवैक्सीन की एंट्री तक वैन कर दी। अखिलेश ने इसे मोदी वैक्सीन घोषित कर सपा के लोगों को टीका लगाने से मना कर दिया। यही हालत कांग्रेसी नेताओं ने भी अपने राज्यो में किया महाराष्ट्र में तो लाखों वैक्सीन बर्बाद हो गई। यह बात दूसरी है कि जब फटने लगी तो सभी विपक्षी चोरी छुपे टीका लगवाने लगे। इन्हीं लोगों की नकारात्मकता की वजह से मोदी जी ने बनाई हुई वैक्सीन बाहर भिजवाई और जब बाहर चली गई तो यही हो हल्ला मचाने लगे कि जब अपने देश में ही पूर्ति नहीं हो पा रही है तो बाहर क्यों भिजवाई। वसुधैव कुटुम्बकम क...
मौलिक भारत संस्था द्वारा नोयडा, ग्रेटर नोएडा एवं यमुना एक्सप्रेस वे वे प्राधिकरणों में अभी भी चल रही व पूर्व की अनियमितताओं व अराजकता के संदर्भ में शिकायत व प्रभावी कार्यवाही हेत्तु मांग पत्र

मौलिक भारत संस्था द्वारा नोयडा, ग्रेटर नोएडा एवं यमुना एक्सप्रेस वे वे प्राधिकरणों में अभी भी चल रही व पूर्व की अनियमितताओं व अराजकता के संदर्भ में शिकायत व प्रभावी कार्यवाही हेत्तु मांग पत्र

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                                                                                                  प्रेस विज्ञप्ति प्रतिष्ठित संस्था मौलिक भारत ने दिनांक 24/ 01/2021 को   प्रतिवेदन  मीडिया को जारी किया जो संस्था ने नोयडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरणों में पिछले दो दशकों से चल रही लूट के खेल को विस्तार से उजागर करते  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को  शिकायत व प्रभावी कार्यवाही हेत्तु मांग पत्र  भेजी गयीं है।  विस्तृत  प्रतिवेदन पर संस्था की ओर से महासचिव अनुज अग्रवाल व केंद्रीय कार्यकारणी के बरिष्ठ सदस्यों महेश सक्सेना (अध्यक्ष , नोयडा लोक मंच),  संजय शर्मा , अनिल गर्ग,  ने हस्ताक्षर किए।  संस्था का आरोप है कि पिछले लगभग चार वर्षों के कार्यकाल में भी आपकी सरकार के अथक प्रयासों के बाद भी तीनो  प्राधिकरणों की कार्यशेली में  किंचित बदलाव भी नहीं आया  यद्यपि अनियम...
भारत-नेपालः सार्थक संवाद

भारत-नेपालः सार्थक संवाद

राष्ट्रीय, समाचार
नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली की यह दिल्ली-यात्रा हुई तो इसलिए है कि दोनों राष्ट्रों के संयुक्त आयोग की सालाना बैठक होनी थी लेकिन यह यात्रा बहुत सामयिक और सार्थक रही है। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने परस्पर सड़कें बनाने, रेल लाइन डालने, व्यापार बढ़ाने, कुछ नए निर्माण-कार्य करने आदि मसलों पर सहमति दी लेकिन इन निरापद मामलों के अलावा जो सबसे पेंचदार मामला दोनों देशों के बीच आजकल चल रहा है, उस पर भी दोनों विदेश मंत्रियों ने बात की है। नवंबर 2020 में शुरु हुए सीमांत-क्षेत्र के लिपुलेख-कालापानी-लिंपियाधुरा के सीमा-विवाद के कारण दोनों देशों के बीच काफी कहा-सुनी हो गई थी। भारतीय विदेश मंत्रालय इस मामले को इस वार्ता के दौरान शायद ज्यादा तूल देना नहीं चाहता था। इसीलिए उसने अपनी विज्ञप्ति में इस पर हुई चर्चा का कोई संकेत नहीं दिया लेकिन नेपाली विदेश मंत्रालय ने उस चर्चा का साफ़-साफ़ जिक्र किया...
राम मंदिर का बूटा सिंह और सिखों से रिश्ता

राम मंदिर का बूटा सिंह और सिखों से रिश्ता

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सरदार बूटा सिंह का निधन तब हुआ है जब अय़ोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य का श्रीगणेश हो चुका है। इस प्रकार, पूर्व गृहमंत्री बूटा सिंह जी की आत्मा को शांति मिली होगीI इस तथ्य से कम लोग ही वाकिफ है कि बूटा सिंह भगवान राम के अनन्य भक्त थे और सुप्रीम कोर्ट में मंदिर-मस्जिद मसले पर जो केस चला था उसमें उन्होंने हिन्दू पक्ष को एक महत्वपूर्ण सलाह भी दी थी। कहने वाले तो यह भी कहते हैं कि अगर रामलला को इस केस में पक्षकार नहीं बनाया गया होता तो फैसला अलग हो सकता था।  यह जानना दिलचस्प है कि रामलला को पक्षकार बनाने के पीछे तत्कालीन राजीव गांधी सरकार में गृह मंत्री बूटा सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका थी। जब राम मंदिर आंदोलन जोर पकड़ने लगा और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ताला खुलवा दिया  तो बूटा सिंह ने शीला दीक्षित के जरिए विश्व हिन्दू परिषद के नेता अशोक सिंघल को संदेश भेजा कि हिन्दू पक्ष की ओर से...
कूटनीतिकि षड्यंत्रो के विचित्र खेल

कूटनीतिकि षड्यंत्रो के विचित्र खेल

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भारत में ब दुनिया में खाद्दय पदार्थों के नाम पर जो भी उगाया जा रहा है वह रासायनिक खादों व कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग के कारण धीमा ज़हर ही है। भारत में कृषि सुधार एवं किसान आंदोलन के बहाने सरकार की घेराबंदी में कहीं भी ज़ेविक व मिश्रित कृषि को पुनः शुरू करने की माँग ही नहीं की जा रही ही बल्कि सरकारी मदद व सब्सिडी में अधिक से अधिक हिस्सेदारी की माँग की जा रही है। वास्तव में कृषि सुधारो की जो अच्छी पहल मोदी सरकार ने की है उसके बारे में भ्रम फैलाकर देश में अस्थिरता पैदा करने व सरकार गिराने की कोशिशें की जा रही हैं। पिछले कुछ महीनो में दुनिया बड़े उतार चढ़ावो से गुज़र रही है व शक्ति संतुलन बिगड़ गया है । इस आंदोलन के पीछे यही बदलते कूटनीतिक समीकरण हैं। अब दुनिया ग्लोबल विलेज व एक बाज़ार बन चुकी है । इस बाज़ार पर वर्चस्व के लिए चीन व अमेरिका के बीच पिछले कुछ वर्षों से व्यापार युद्ध चल रहा था ...

इस दुनिया में जीना है तो …….!

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कोरोना दुष्काल के कारण सरकारें राहत पैकेज  जारी कर रही है| अंतत: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी कोरोना वायरस राहत पैकेज पर हस्ताक्षर कर दिए |व्हाइट हाउस ने घोषणा की कि राष्ट्रपति ने राहत पैकेज पर हस्ताक्षर कर दिए हैं| वहां  अब कोरोना प्रभावितों को सरकारी सहायता मिलने का रास्ता साफ हो गया है| इससे पहले, डोनाल्ड ट्रंप ने पैकेज को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था. उनके इस रुख की अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने निंदा की थी| वास्तव में कोरोना संकट से त्रस्त दुनिया को महामारी से उबारने के साथ ही उन उपायों को करने की भी जरूरत है| साथ ही  भविष्य में किसी भी ऐसी नयी चुनौती से मुकाबले के लिये स्थायी तंत्र विकसित करने पर वैश्विक विमर्श प्रारम्भ हो जाना चाहिए  । अब सवाल सिर्फ कोरोना का ही नहीं है, भविष्य में आने वाली नयी महामारियों का भी है। मौजूदा संकट से सबक लेकर भविष्य की रणन...