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रजनीकांत की आध्यात्मिक राजनीति की सुबह

रजनीकांत की आध्यात्मिक राजनीति की सुबह

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सुुविख्यात फिल्मी कलाकार रजनीकांत ने हाल ही में अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने एवं 2021 में तमिलनाडू के विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा करके राजनीति हलकों में हलचल पैदा कर दी है। उनकी इस राजनीतिक पारी की सबसे बड़ी विशेषता यह होगी कि उनकी पार्टी अध्यात्म की राजनीति करते हुए चैंकाने एवं चमत्कृत करने वाले परिणाम लायेंगी। आध्यात्मिक राजनीति के उद्भव का नया इतिहास रचने को तत्पर होते हुए रजनीकांत कोे जनता के सहयोग का पूरा विश्वास है। राजनीति पर अध्यात्म के नियंत्रण की चर्चा अक्सर सुनी जाती रही है, लेकिन इसका प्रायोगिक स्वरूप एवं राजनीति में एक अभिनव क्रांति को घटित होते हुए शीध्र देखने को मिलेगा, यह एक शुकूनभरा अहसास है। सुपर स्टार रजनीकांत के राजनीति में आने की घोषणा ने जहां राजनीति के क्षेत्र में एक नयी सुबह का अहसास कराया वहीं राजनीति को एक नये दौर में ले जाने की संभावनाओं को भी उजागर किया ह...
कैसे कुचला जाए उमर खालिद-शेहला रशीद जैसे राष्ट्रद्रोहियों को

कैसे कुचला जाए उमर खालिद-शेहला रशीद जैसे राष्ट्रद्रोहियों को

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कुछ हफ्ते पहले ही राजधानी के अखबारों में तिहाड़ जेल की तरफ जाते हुए दिल्ली में  इस साल के शुरू में भड़के दंगों के मुख्य अभियुक्त उमर खालिद के माता-पिता और बहन को दिखाया गया था। सच में उस चित्र को देखकर किसी भी संवेदनशील इंसान का मन उदास हो गया था कि किस तरह से एक पुत्र के कुकृत्यों के कारण उसके पूरे परिवार वाले धक्के खाते फिरते हैं।  अब एक महत्वपूर्ण खबर कश्मीर से आ रही है कि उमर खालिद की तरह ही जेएनयू की पूर्व छात्र नेता शेहला रशीद के पिता अब्दुल राशिद शोरा ने जम्मू-कश्मीर के डीजीपी को पत्र लिखकर यह दावा किया है कि उन्हें अपनी बेटी से ही जान का खतरा है। अब्दुल राशिद शोरा ने जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक को लिखे गए पत्र में अपनी बेटी पर यह संगीन आरोप लगाया कि शेहला रशीद देश विरोधी गतिविधियों में पूरी तरह शामिल है। जरा सोचिए कि किसी पिता पर अपनी पुत्री पर इतने गंभीर आरोप लगाते हुए क्या ग...
क्यों जरूरी है पुलिस हिरासत में सबकी जान सुरक्षित रहना

क्यों जरूरी है पुलिस हिरासत में सबकी जान सुरक्षित रहना

राष्ट्रीय, समाचार
आखिरकार अब एक उम्मीद पैदा तो हुई है कि देश में पुलिस हिरासत में होने वाली मौतों पर लगाम लग सकेगी। यह उम्मीद इसलिए पैदा हुई है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक ताजा अति महत्वपूर्ण निर्णय में पुलिस सीबीआई, राष्ट्रीय जांच एजेंसी, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो वगैरह को इस बाबत एक अहम निर्देश दिए हैं। केन्द्र और राज्य सरकारों को दिए निर्देश में साफ कहा गया है कि सभी थानों में सभी जगह अब सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। इसके साथ ही ये भी सुनिश्चित किया जाए कि सीसीटीवी कैंमरे रात के माहौल को भी कायदे से रिकॉर्ड कर रहे हों। भारत में पुलिस और दूसरी जांच एजेंसियों की जांच के दौरान आरोपियों के साथ मारपीट के परिणाम स्वरुप मारे जाने के बढ़ते मामलों के बाद सुप्रीम कोर्ट को उपर्युक्त सख्त फैसला लेना पड़ा।  निश्चित रूप से पुलिस हिरासत में होने वाली संदिग्ध मौतों को किसी भी स्थिति में मानवीय और सही नहीं माना जा सकत...
Unfair and anti-constitutional stand of Shiv Sena on setting up film-industry in Noida (UP)

Unfair and anti-constitutional stand of Shiv Sena on setting up film-industry in Noida (UP)

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It refers to opposition by Shiv Sena to decision of UP government to set a big film-industry with all facilities at Greater Noida (near Yamuna expressway) in size double the area presently Bollywood film-industry has available for shooting films and TV serials. India is one nation, and every state has right to take decisions on starting new innovative projects of larger public-interest. As such UP is not snatching anything from Mumbai or Maharashtra. Such opposition was not even witnessed in Jammu and Kashmir when it was full state before abolishing article 370 and 35-A of the constitution. Film-industry is not monopoly of any particular city or state as is being claimed by Shiv Sena. It would have been better if Shiv Sena through its hold on Maharashtra legislature and Bombay civic bod...
बदलती आर्थिकी, इंजीनियरिंग और नौकरियां

बदलती आर्थिकी, इंजीनियरिंग और नौकरियां

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देश की आर्थिकी करवट बदल रही है,कोविड के दुष्काल  में गिरावट के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के फिर से उठ खडे़ होने के संकेत मिल रहे है।  आर्थिकी की करवट सही दिशा में  है या नहीं इसका अंदाजा इस बात से भी लग जाएगा कि देश के कॉलेजों व यूनिवर्सिटियों में प्लेसमेंट कैसे होंगे और युवा इंजीनियरों व एमबीए डिग्री धारियों को कैसी नौकरियां मिलेंगी? देश के उच्च शिक्षा संस्थानों में सारे काम अब धीरे-धीरे शुरू हो रहे हैं। अभी तक पठन-पाठन का काम ऑनलाइन किया जा रहा था, किंतु अब कैंपसों में विद्यार्थियों के लौटने का इंतजार किया जा रहा है। उधर, देश के शीर्षस्थ इंजीनियरिंग एवं प्रबंध संस्थानों में प्लेसमेंट की हलचल शुरू हो चुकी है। यह एक अच्छी खबर है कि १  दिसंबर, २०२० से पुराने आईआईटी संस्थानों में वर्चुअल ढंग से प्लेसमेंट का दौर शुरू हो चुका है। पहले की तरह कंपनियों के प्रतिनिधि विद्यार्थियों के इंटरव्यू व चयन...
एमएसपी की जगह किसान को अगर अपनी फसल का मनमाना दाम चाहिए तो उनको ये काम करने पड़ेंगे

एमएसपी की जगह किसान को अगर अपनी फसल का मनमाना दाम चाहिए तो उनको ये काम करने पड़ेंगे

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१) सामान्यतः देश को जितनी आवश्यकता है उससे दोगुना अनाज उगाया जा रहा है। ऐसे में अनाज गोदामों में सड़ता है व शराब बनाने वाली कम्पनियाँ उनको सस्ते में ख़रीद लेती हैं। बेहतर हो कि किसान कम मात्रा में उगाए किंतु अच्छी गुणवत्ता का अनाज उगाए व ज़ेविक कृषि की ओर बढ़े तो उसको अपनी फसल के दाम मनचाहे मिलने शुरू हो जाएँगे। क्योंकि ऐसे अनाज की माँग अधिक होगी व आपूर्ति काम तो दाम बढ़ेंगे। २) किसान देश में मांसाहार पर प्रतिबंध लगाने अथवा सीमित करने की माँग करे क्योंकि इसके कारण लोग अनाज कम खाते हैं व किसान का अनाज सस्ते में बिकता है। मांसाहार पर प्रतिबंध लगने से अनाज की माँग बढ़ जाएगी व दाम भी। ३) किसान नक़दी फसलें, फल व सब्ज़ी का उत्पादन बढ़ाए जो उसको अतिरिक्त आमदनी करवाएँगे। इसके साथ ही पूर्व की तरह गाय , भेंस आदि दूध देने वाले पशुओं का पालन पुन शुरू करें जो उनकी सेहत भी सुधरेगा और आमदनी भी। ४) छोट...
दिल्ली से बेंगलुरु और मुंबई से कोलकत्ता : शेने शेने क्षरण

दिल्ली से बेंगलुरु और मुंबई से कोलकत्ता : शेने शेने क्षरण

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यह आँकलन करना सबसे मुश्किल होगा कि भारतीयता व सनातन संस्कृति को सबसे अधिक चोट किसने पहुँचाई यूरोपीय ईसाई देशी ने ,अरबी मुस्लिम देशों ने या अमेरिकी बाज़रबाद और चीनी व्यापार ने। मगर हम शाश्वत मुसीबत व संघर्ष से घिरे हैं। कश्मीर में गुपकार गैंग तो खुल्लमखुल्ल्ला चीन और पाकिस्तान से पींगे बढ़ा ही रहा है इधर दिल्ली और बंगलुरु में हाल ही में हुए सुनियोजित दंगो जिसमें पीएसआई व तबलिगी जमात की खुली भागीदारी व अरब देशों से आर्थिक सहायता के खेल सामने आए और दक्षिणपंथी भाजपा की सरकार तक को उनसे मुक़ाबला करना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में महाराष्ट्र और पश्चिमी बंगाल में क्या हो रहा होगा इसकी कल्पना मात्र से ही रूह काँपती है। यह बहुत चौंकाने वाली बात है कि दोनो ही प्रदेशों में एक आपसी कदमताल दिख रही है भारत और भारतीयता विरोधी कार्यों में। आज बंगाल पर मुस्लिम परस्त राजनीति करने वाली ममता बनर्जी का राज है...
विहार चुनाव परिणाम: दूरगामी संदेश

विहार चुनाव परिणाम: दूरगामी संदेश

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और मोदी ने बदल दिया बिहार! अब नीतीश पीछे और भाजपा आगे। यानि देर सबेर भाजपा का ही मुख्यमंत्री बनना तय। मगर इन परिणामों के इससे कहीं ज्यादा दूरगामी परिणाम हैं- १) विहार चुनाव परिणामों ने कोरोना संकट के कारण हिल रहे ब्रांड मोदी को फिर से स्थापित कर दिया। यह मोदी के कार्यों व करोना से निबटने की उनकी रणनीति पर जनता का जनमत है और वे अब निर्विवाद रूप से विजयी हैं। इसका असर देश की राजनीति, सहयोगियों, सरकार , नोकरशाही, न्यायपालिका, पार्टी व मीडिया पर मोदी की पकड़ फिर से मक़बूत होने की दिशा में पड़ेगा। २) एनडीए से ज़्यादा भाजपा की यह जीत अब पूरे देश में भाजपा के ग्राफ़ को बड़ाएगी और बिहार के साथ साथ बंगाल, तमिलनाडु व केरल तक में इसका असर दिखेगा। बंगाल में तो ममता दीदी की नींद उड़नी तय है। अन्य राज्यों के उपचुनावों विशेषकर मध्यप्रदेश व गुजरात में भी भाजपा के आगे रहने से देश में राजनीतिक स्थिरता...
हाथरस कांड: दुखद संयोग

हाथरस कांड: दुखद संयोग

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*- जिला हाथरस, थाना क्षेत्र- चंदपा से महज एक किलोमीटर दूर के गांव बुलगढी के संदीप नाम के कथित मुख्य अभियुक्त का पीड़िता और दुखद मृत्यु की शिकार हुई लड़की से प्रेम संबन्ध बनता है।* *- यह प्रसंग इसी साल मार्च/अप्रैल में शुरू होता है जिसकी जानकारी अप्रैल/मई आते-आते दोनों परिवारों को हो जाती है। लड़के ने मृतका को मोबाइल भी दिया था जिससे दोनों संपर्क में रहते थे। दोनो परिवार इस संबन्ध के खिलाफ होते हैं। बल्कि आरोपित लड़के, लड़की के भाई सहित दोनों परिवारों के और लोगों के बीच कहासुनी, झगड़ा तक होता है। मामला तब पुलिस तक नहीं जाता।*  *- इस घटना के बाद कथित अभियुक्त सन्दीप को उसका परिवार दिल्ली उसके चाचा के पास भेज देता है। पीड़ित लड़की का परिवार लड़के द्वारा लड़की को दिए मोबाइल को तोड़ देता है ताकि दोनों में कोई संपर्क न हो।*  *- आरोपित लड़का तीन-चार महीनों के बाद घटना के 4-5 दिनों पहले दिल्ली...
ईसा और मूसा का तीसरा विश्व युद्ध: चीन – अमेरिका के बीच या चीन – रुस के बीच या फिर अमेरिका- रुस के बीच?

ईसा और मूसा का तीसरा विश्व युद्ध: चीन – अमेरिका के बीच या चीन – रुस के बीच या फिर अमेरिका- रुस के बीच?

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क्या पहले और दूसरे विश्व युद्ध की कोई ओपचारिक घोषणा हुई थी ?  नहीं न। तो तीसरे विश्व युद्ध की ओपचारिक घोषणा का इंतज़ार क्यों? पिछले एक बर्ष में ज़ेविक हथियार से चीन ने दुनिया की कमर तोड़ दी। अब चीन का प्यादा तुर्की अजरबेजान के कंधे पर बंदूक़ रखकर रुस और फ़्रांस के प्यारे आर्मीनिया को बर्बाद करने पर तुला है। अब तक १५ हज़ार लाशें बिछ चुकी हैं। सच्चाई यह है कि यह बहुत थोड़ी सी तबाही है। अब इस खेल में अलक़ायदा और आइएसआइएस की ज़बरदस्त एंट्री हो चुकी है और दुनिया के सारे ईसाई व मुस्लिम राष्ट्र इस धर्म युद्ध या सभ्यताओं के संघर्ष में शामिल होते जा रहे हैं। प्रबल संभावना है कि अब इस युद्ध में पुराने गठजोड़ व गठबंधन टूटे जाएँगे व नए बनते जाएँगे। जंग का मैदान नित नयी उलटबाँसिया देख रहा है। अब यह भयावह रूप लेने वाला है क्योंकि अनेक महाशक्तियाँ इसमें प्रवेश करने वाली हैं। १) अमेरिका की रिपब्लिकन ख़ेम...