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“आत्मनिर्भरता” स्वतन्त्रता की जननी है

“आत्मनिर्भरता” स्वतन्त्रता की जननी है

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भारत में स्वतंत्रता दिवस को बहुत अहम दिन माना जाता है। 200 साल की लम्बी लड़ाई के बाद 15 अगस्त 1947 को भारत को ब्रिटिश हुकूमत से पूर्ण रूप से आजादी मिली। स्वतंत्रता दिवस, 1947 में ब्रिटिश शासन के अंत और स्वतंत्र भारतीय राष्ट्र की स्थापना का प्रतीक है। यह दो देशों, भारत और पाकिस्तान में उपमहाद्वीप के विभाजन की सालगिरह का प्रतीक है, जो 14 से 15 अगस्त, 1947 की मध्यरात्रि को हुआ था। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 14 अगस्त मध्यरात्रि को 'ट्रिस्ट वीद डेस्टिनी' भाषण के साथ भारत की आजादी की घोषणा की।तब से हर साल 15 अगस्त को भारत में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है, जबकि पाकिस्तान में स्वतंत्रता दिवस 14 अगस्त को मनाया जाता है। 15 अगस्त 1947 में भारत आजाद हुआ था|इसलिए भारत इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाता है। यह भारत का राष्ट्रीय दिवस है। स्वतन्त्रत...
कोरोना काल में सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी

कोरोना काल में सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी

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कोरोना के साथ फिजिकल डिस्टेन्सइंग का प्रचार सोशल डिस्टेन्सइंगके नाम से हुआ और गलत हुआ | आज उसके परिणाम कम दिख रहे हैं, आगे आने वाले समय में ये परिणाम और घातक होंगे | भारत में तो इसके लिए अभी से कोई उपाय खोजना होगा, बढते जनसंख्या घनत्व और भारत की समारोहिक प्रवृति  तो एकाएक बदलने से रही | हर दिन समारोह और उसमे प्रत्यक्ष जुड़ने का शगल इस कोरोना काल भी सारे बंधन तोड़ता  हर कभी दिखता है | कोई भी सरकार हो अनिश्चित काल तक तो प्रतिबन्ध नहीं लगा सकेगी| हम सबको अपने लिए कुछ करना होगा | कोरोना को लेकर लोगों के बर्ताव से आज हम बिल्कुल घबरा गये हैं कि हमारे समाज को अचानक ये क्या हो गया है| वैसे  यह सबकुछ अचानक नहीं हुआ है| यह तो हमारी समाज की जड़ों में मौजूद है| सब मिलकर कोशिश करें तो यह दृश्य बदल सकता है | अभी तो यह कहना ही बेहतर होगा कि वे सारी चीजें जो पूर्णतः अनपेक्षित थीं, अचानक से हमारे सामने आ गयी...
आंकड़ों की बाजीगरी क्या होती है, इसकी सटीक मिसाल हैं बिहार के कोरोना के आंकड़े!

आंकड़ों की बाजीगरी क्या होती है, इसकी सटीक मिसाल हैं बिहार के कोरोना के आंकड़े!

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आंकड़ों की बाजीगरी क्या होती है, इसकी सटीक मिसाल हैं बिहार के कोरोना के आंकड़े! -अभिरंजन कुमार- पिछले एक महीने के दौरान बिहार में कोरोना तेज़ी से फैला है, लेकिन वहां मृत्यु दर काफी कम "दिखाई दे रही" है। अगर यह वास्तविकता होती, तो मुझे बहुत खुशी होती, लेकिन वास्तविकता यह है कि सरकार और जनता दोनों कोरोना से होने वाली मौतों को बड़े पैमाने पर छिपा रही है। सरकार इसलिए छिपा रही है कि अपना टेटर कौन दिखाना चाहता है? ऊपर से अक्टूबर-नवंबर में राज्य में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं और सरकार बहादुर चुनाव कराने के लिए तड़प भी रहे हैं। शायद किसी ज्योतिषी ने बताया है कि अक्टूबर-नवंबर में चुनाव हो गए, तो वापसी पक्की है, लेकिन यदि चुनाव टल गए तो फिर भगवान ही मालिक है। इसलिए कोरोना से मौतों को बिहार की सरकार क्यों छिपा रही/कम दिखा रही है, यह तो आप समझ ही सकते हैं, लेकिन जनता क्यों छिपा रही है, ज़...
राजस्थान कांग्रेस संकट का पटाक्षेप

राजस्थान कांग्रेस संकट का पटाक्षेप

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राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार के संकट के बादल अब छंटते हुए दिखाई दे रहे हैं। अशोक गहलोत एवं सचिन पायलेट के आपसी मतभेद एवं मनभेद से उपजे राजनीतिक द्वंद्व ने कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व की निर्णयहीनता के साथ-साथ उसकी अचिन्तन एवं अपरिपक्व सोच से जुड़े अनेक प्रश्नचिन्ह टांग दिये हैं। राहुल गांधी से मुलाकात एवं प्रियंका गांधी की सूझबूझ से भले ही बागी कांग्रेसी नेता सचिन पायलट की घर वापसी हो जाये, लेकिन इससे सचिन के राजनीतिक कौशल एवं भविष्य पर भी धुंधलके छाये हैं। ऐसा भी नहीं था कि सचिन के पास और कोई रास्ता ही नहीं बचा था लेकिन उन्होंने दूरगामी सोच एवं होश से काम नहीं लिया था, यदि वे ऐसा करते तो भविष्य की राजनीति में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका बनती। इस पूरे राजनैतिक घटनाक्रम का एक बड़ा सच यही सामने आया है कि पायलेट अभी राजनीति में कच्चे खिलाड़ी हैं। वह उसी पेड़ की डाल को काटने चले थे ज...
इमरान जूनागढ़ की मांग कर तोडेंगे पाक को

इमरान जूनागढ़ की मांग कर तोडेंगे पाक को

राज्य, समाचार
  इमरान खान कुछ हिल से गए लगते हैं। अब उनकी सरकार ने पाकिस्तान का एक नया मानचित्र जारी करते हुए गुजरात के जूनागढ़ और सर क्रीक लाइन को भी पाकिस्तान का अंग बता दिया है। वे अपने को बार-बार मूर्ख साबित करने पर आमदा हो गये लगते है । वे अपने को इतिहास का विद्यार्थी कहते हैं, पर लगता है कि उन्हें कोई इतिहास का कोई मूल बोध नहीं है । हैरानी की बात तो यह है कि उन्हें इतना भी नहीं पता कि जूनागढ़ में जनमत संग्रह तक हो चुका है। यह 1948 में हुआ था और वहां के 99.95 फीसद लोगों ने भारत के साथ ही रहने का फैसला किया था। आगे बढ़ने से पहले जरा यह जान लें कि क्या है जूनागढ़ ? यह गुजरात के गिरनार पर्वत के समीप स्थित है। यहीं पूर्व-हड़प्पा काल के स्थलों की खुदाई भी हुई है। इस शहर का निर्माण नौवीं शताब्दी में हुआ था। यह वस्तुतः चूड़ासम राजपूतों की राजधानी थी। यह एक रियासत थी। गिरनार के रास्ते में एक गहर...
लौट के “पायलट” घर को आए

लौट के “पायलट” घर को आए

राष्ट्रीय, समाचार
राजस्थान की आकाश में उड़ रहा कांग्रेस का तैयारा क्रैश लैंडिंग से बच गया. बुआ की सक्रियता और कोझिकोड हादसे से पायलट में ऐसी हदस बैठी कि लैंडिंग से इंकार कर दिया.इस करतब से गाजियाबाद के राजेश्वर प्रसाद सिंह बिधूड़ी के छोरे ने 1981की हिट फ़िल्म का रोमांटिक गाना याद दिला दी. चित्रपट :-एक दूजे के लिए . गीतकार : आनंद बक्षी, सुर : लता - एस्. पी. बालसुब्रमण्यम, संगीतकार : लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, बोल... तुम हो बुद्धू मान लो, you are handsome जान लो सब बातों को छोड़ के, आँखों को पहचान लो आँखों ने आँखों से वादे यही किए उसको क़सम लगे जो बिछड़ के इक पल भी जिए हम बने, तुम बने, एक दूजे के लिए...... कांग्रेस की सियासत में आज राहुल -प्रियंका के आगे सचिन पायलट नाच झूमकर यही गा रहे हैं. सचिन संग गहलोत की कुर्सी पलटने में लगा हर बंदा फिलहाल इसे गाने में लग गया है. मुख्यमंत्री गहलोत तुतलाती जुबा...
कोरोना काल और दुर्बल होता मानसिक स्वास्थ्य

कोरोना काल और दुर्बल होता मानसिक स्वास्थ्य

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कोरोना बचपन के महत्वपूर्ण क्षणों को निगल रहा है |भारत समेत दुनिया में कोरोना संक्रमण के फैलाव के कारण लगाये गये प्रतिबंधों का असर बच्चों एवं किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है| इन दिनों अपने घरों में सीमित होने की वजह से बच्चे न तो अपने दोस्तों से मिल पा रहे हैं और न ही वे पसंदीदा खेल खेल पा रहे हैं| वे सामान्य सामाजिक सपंर्क से भी कट गये हैं, जो उनकी दिनचर्या का एक हिस्सा था| वे बचपन के महत्वपूर्ण क्षणों को जीने से वंचित हो रहे हैं| इन बच्चों में से कई के माता-पिता लालन-पालन से जुड़ी सलाह के लिए मनोचिकित्सकों के पास जा रहे हैं|अनेक देशों में  माता-पिता भी इन दिनों मानसिक समस्या, जैसे- चिंता एवं नींद की कमी, से जूझ रहे हैं| कोरोना की स्थिति का मनोवैज्ञानिक प्रभाव सभी वर्गों पर है, लेकिन बच्चों एवं किशोरों पर सबसे अधिक असर पड़ रहा है क्योंकि वे अक्सर अपने दैनिक जीवन और गतिविधियों म...
क्या नई शिक्षा नीति से शिक्षा क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन आएंगे?

क्या नई शिक्षा नीति से शिक्षा क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन आएंगे?

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  (हमारे प्राचीन शैक्षिणिक इतिहास, उपलब्धियों, गलतफहमी का जायजा लेने और 21 वीं सदी के भारत के लिए भविष्य की शिक्षा योजना का चार्ट सही समय परआया है। पेशेवर योग्य शिक्षकों की कमी और गैर-शैक्षिक उद्देश्यों के लिए शिक्षकों की तैनाती में वृद्धि ने हमारी शिक्षा व्यवस्था को त्रस्त कर दिया है।)   भारत में ज्ञान प्रदान करने की एक अति समृद्ध परंपरा रही है। 'गुरुकुल' प्राचीन भारत में एक प्रकार की शिक्षा प्रणाली थी जिसमें एक ही घर में गुरु के साथ रहने वाले शिष्य (छात्र) थे। नालंदा इस  दुनिया में शिक्षा का सबसे पुराना विश्वविद्यालय-तंत्र था। दुनिया भर के छात्र भारतीय ज्ञान प्रणालियों से आकर्षित और अचंभित थे। आधुनिक ज्ञान प्रणाली की कई शाखाओं की उत्पत्ति भारत में हुई थी। प्राचीन भारत में शिक्षा को एक उच्च गुण माने ज...
Tripartite MoU to adopt technologies for rural development

Tripartite MoU to adopt technologies for rural development

राष्ट्रीय, विश्लेषण, समाचार, सामाजिक
New Delhi, July 29 : To boost rural development in the country a tripartite Memorandum of Understanding (MoU) has been signed among Center of Scientific and Industrial Research (CSIR), Unnat Bharat Abhiyan-Indian Institute of Technology, Delhi (UBA-IITD) and Vijnana Bharti (VIBHA). The MoU is to provide access to CSIR rural technologies for UBA and is expected to lay the foundation for cooperation and joint action in the area of UBA for rural development of India. This will pave the way for the adoption of CSIR technologies and related knowledge base in tune with the people’s aspirations in furtherance of initiatives such as UBA and VIBHA. Dr Shekhar Mande, Director General, CSIR and Secretary, Department of Scientific and Industrial Research (DSIR) emphasized that CSIR has a ric...
सेना में हर स्तर पर अब महिलाएं संभालेंगी कमान

सेना में हर स्तर पर अब महिलाएं संभालेंगी कमान

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रक्षा मंत्रालय ने सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिये आदेश जारी कर दिया है. उच्चतम न्यायालय ने फरवरी में एक ऐतिहासिक निर्णय में निर्देश दिया था कि शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) योजना के तहत भर्ती की गईं सभी सेवारत महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने पर विचार किया जाए. सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने कहा कि सरकारी आदेश से सेना में बड़ी भूमिकाओं में महिला अधिकारियों की भागीदारी का रास्ता साफ हो गया है.  भारतीय सेना के सभी 10 अंगों में शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का निर्देश देता है. सैन्य वायु रक्षा, सिग्नल, इंजीनियर, सैन्य विमानन, इलेक्ट्रॉनिक एवं मैकेनिकल इंजीनियर, सैन्य सेवा कोर और खुफिया कोर में अब महिलाये देश का प्रतिनिधित्व करती नज़र आएगी दुनिया में आज हर क्षेत्र में महिलायें आगे बढ़ रही है और ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कर रही ...