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एमपी चुनाव, बनते बिगड़ते मुद्दे और हाव-भाव

एमपी चुनाव, बनते बिगड़ते मुद्दे और हाव-भाव

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श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रण मिलते ही चुनावी राज्यों में सियासत शुरू हो गई. मध्यप्रदेश से सबसे पहली आवाज कांग्रेस के सीएम फेस कमलनाथ ने उठाई. उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा के लिए भाजपा नेताओं को ही क्यों आमंत्रित किया गया है? जब श्रीराम की जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए कारसेवकों ने अपने प्राण न्योछावर किए थे. तब यह आवाज़ क्यों नहीं आई थी कि अयोध्या का आंदोलन सभी राजनीतिक दलों का है? चुनावी घोषणा पत्र में राम मंदिर निर्माण का संकल्प व्यक्त करने वालों को ही मंदिर निर्माण के श्रेय का हक बनता है. सनातन धर्म और आस्था के लिए श्रीराम जन्मभूमि मंदिर चुनावी वाद-विवाद का विषय नहीं हो सकता है. सनातन को डेंगू और मच्छर मानने वाली विचारधारा के सहयोगी और समर्थक चुनावी नजरिये से राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा में भागीदारी की मांग कर रहे हैं...
महाराजा हरिसिंह जी के साथ न्याय नहीं किया गया?

महाराजा हरिसिंह जी के साथ न्याय नहीं किया गया?

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26 अक्तूबर, 1947 का दिन भारत वर्ष के लिए ऐतिहासिक महत्त्व रखता है। इसी दिन जम्मू-कश्मीर रियासत के महाराजा हरिसिंह ने आपातकालीन परिस्थितियों में अधिमिलन-पत्र यानी ''इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन'' पर हस्ताक्षर किए थे। यह सर्वविदित है कि 22 अक्तूबर 1947 को कबायलियों के वेश में पाकिस्तानी हथियारबंद सेना कश्मीर में दाख़िल हुई और सीमावर्त्ती प्रजा के साथ लूट-मार, महिलाओं के साथ दुराचार जैसी बर्बरता करती हुई बड़ी तेज़ी से श्रीनगर की ओर बढ़ने लगी। इन परिस्थितियों में महाराजा के पास अविलंब विलय के अलावा अन्य कोई विकल्प बचा ही नहीं था। ध्यातव्य हो कि जब महाराजा हरिसिंह ने अधिमिलन-पत्र पर हस्ताक्षर किए, उन्होंने अपनी ओर से विलय के लिए कोई शर्त्त नहीं रखी थी। न ही उन्होंने बाद में भारत सरकार पर किसी प्रकार का दबाव बनाया था। उन्होंने विलय-पत्र पर हस्ताक्षर करने में जो समय लिया उसके पीछे भी स्थानीय कारण...
संघ की संस्कृति एवं मूल्यपरक भारत-दृष्टि

संघ की संस्कृति एवं मूल्यपरक भारत-दृष्टि

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-ः ललित गर्ग:- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली ने विभिन्न धार्मिक संगठनों, सेवा-संस्थानों एवं कार्यकर्ताओं की सामाजिक सद्भाव संगोष्ठी का आयोजन कर भारत की ज्वलंत समस्याओं पर सार्थक बहस का एक अनूठा उपक्रम किया। नये मध्यप्रदेश भवन, चाणक्यपुरी में हुए इस आयोजन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कार्यकारणी के सदस्य भैयाजी जोशी के उद्बोधन से जहां राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न समसामयिक मुद्दों पर संघ का विचार एवं दृष्टिकोण विभिन्न धर्म के प्रतिनिधियों के सामने आया वहीं विभिन्न धर्मों एवं संस्थानों से जुड़े लोगों के चिन्तन से संघ भी अवगत हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इतिहास में कुछ ऐसे विरल व्यक्तित्व हुए हैं, जिनमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह, महामंत्री आदि अनेक जिम्मेदारियों का निर्वाह करने वाले भैयाजी जोशी भी हैं, उनकी विरलता या महत्ता के प्रमुख मानक हैं- सशक्त राष्ट्रीयता, हिन्दुत्व ...
नई संसद से आईआईटी तक में फ़ैल रहा वास्तुशास्त्र

नई संसद से आईआईटी तक में फ़ैल रहा वास्तुशास्त्र

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आर.के. सिन्हा देश को मिली नई संसद भवन की इमारत का निर्माण वास्तु शास्त्र के अनुसार होने से यह स्पष्ट है कि अब भारत में वास्तुशास्त्र के नियमों और निर्देशों के अनुसार ही बड़े भवनों से लेकर पार्कों तक का निर्माण होगा। वास्तुशास्त्र को आईआईटी जैसे अति महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थानों में भी स्वीकार्यता मिल रही है। आईआईटी, खड़कपुर में वास्तु शास्त्र को पढ़ाने का फैसला लिया गया है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि वास्तुशास्त्र के अनुसार बनने वाली इमारतें किसी अप्रिय प्राकृतिक घटना से बचाती हैं। नई संसद या नई दिल्ली के सेंट्रल विस्टा क्षेत्र में नए सिरे से बनने वाली तमाम इमारतों में वास्तु शास्त्र के मूल बिन्दुओं का पालन करते हुए निर्माण कार्यों का होना सुखद है।  यह सर्वविदित है कि वास्तु शास्त्र एक अति प्राचीन भारतीय विज्ञान है। वास्तुशास्त्र के अंर्तगत चार मूल दिशाओं और दस कोणो...
बदल रहे अब जम्मू-कश्मीर के हालात

बदल रहे अब जम्मू-कश्मीर के हालात

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_-बलबीर पुंज_ जम्मू-कश्मीर के हालिया घटनाक्रम से क्या रेखांकित होता है? जहां स्वतंत्र भारत में पहली बार पाकिस्तान सीमा के निकट इस वर्ष पुनर्निर्मित शारदा माता मंदिर में शारदीय नवरात्रि की पूजा हो रही है, वही इसी दौरान पुंछ में पोस्टर चस्पा करके हिंदुओं और सिखों को क्षेत्र छोड़ने हेतु धमकी देने का मामला प्रकाश में आया है। यह ठीक है कि धारा 370-35ए के संवैधानिक क्षरण के बाद से घाटी में आध्यात्मिक-सांस्कृतिक पुनर्स्थापना के साथ समेकित आर्थिक विकास, केंद्रीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी, पर्यटकों की बढ़ती संख्या, तीन दशक बाद नए-पुराने सिनेमाघरों का संचालन, भारतीय फिल्म उद्योग के लिए कश्मीर पुन: पसंदीदा गंतव्य बनना और जी20 पर्यटन कार्यसमूह की सफल बहुराष्ट्रीय बैठक और आतंकवादी-पथराव की घटनाओं में तुलनात्मक कमी आदि का साक्षी बन रहा है। परंतु क्या यह जिहादी मानसिकता को समाप्त करने के लिए...
गरीबी हटाओ’ में गरीब हट गए, लेकिन गरीबी नहीं हटी

गरीबी हटाओ’ में गरीब हट गए, लेकिन गरीबी नहीं हटी

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अन्तर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस- 17 अक्टूबर, 2023‘गरीबी हटाओ’ में गरीब हट गए, लेकिन गरीबी नहीं हटी -ललित गर्ग - दुनियाभर में फैली गरीबी के निराकरण के लिए ही संयुक्त राष्ट्र ने साल 1992 में हर साल 17 अक्टूबर को विश्व स्तर पर गरीबी उन्मूलन दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन एटीडी फोर्थ वर्ल्ड के संस्थापक जोसेफ रेसिंस्की की मृत्यु के चार साल बाद, संयुक्त राष्ट्र ने आधिकारिक तौर पर इस दिवस को मनाने की घोषणा की। जोसेफ रेसिंस्की ने पेरिस में लगाये गये गरीबी उन्मूलन अभियान के मूल स्मारक पत्थर पर उत्कीर्ण पाठ में जहां भी पुरुषों और महिलाओं को अत्यधिक गरीबी में रहने की निंदा करते हुए इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन कहा और यह सुनिश्चित करने के लिए एक साथ आना कि इन अधिकारों का सम्मान किया जाए, हमारा गंभीर कर्तव्य है।गरीबी पहले भी अभिशाप थी लेकिन दुनिया में विकास की अ...
इजरायल पर भारत की स्पष्ट नीति

इजरायल पर भारत की स्पष्ट नीति

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अभी तक अरब जगत को प्रसन्न करने और वोट बैंक की राजनीति के कारण भारतीय नेतृत्व इजरायल-फलस्तीन मुद्दे पर न्याय की बात नहीं कर सका था तो इसका अर्थ यह नहीं है कि वर्तमान भारतीय नेतृत्व सही के पक्ष में न खड़ा हो। भारत तो वह भूमि है जहाँ ढाई हजार वर्ष पूर्व भी यहूदियों को शरण प्राप्त हुआ था और उसके बाद भी अपनी भूमि से मारे गए, सताए गए यहूदि भारत में आकर शरण लेते रहे। क्या कोई यह बता सकता है कि यहूदी कहाँ उत्पन्न हुए? यहूदी न मक्का में उत्पन्न हुए न मदीना में, न रोम में उत्पन्न हुए न अमेरिका में, न भारत में उत्पन्न हुए न यूरोप में। इजरायल यहूदियों की मूल भूमि है। यहूदी अच्छे हों या बुरे हों, चालाक हों या मक्कार हों, लेकिन जब न्याय की बात आएगी तो यहूदी समाज उन लोगों में है जो मजहबी बर्बरता के सर्वाधिक शिकार हुई। यह अलग बात है कि जिन अब्राहमिक मजहबों ने यहूदियों पर सर्वाधिक बर्बरता ...
विधानसभा चुनाव और भाजपा

विधानसभा चुनाव और भाजपा

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मिजोरम को छोड़ दें तो चार प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनाव निकट है। और उसमें भी महत्वपूर्ण यह है कि इनमें से केवल एक राज्य में भाजपा की सरकार है। तिस पर भी हार का संकट गहरा रहा है। आम चुनाव 2024 से पहले का ये वह विधानसभा चुनाव है, जिसमें बढ़िया प्रदर्शन के बाद ही देशभर में तब के गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी के लिए '14 चुनाव में पीएम की उम्मीदवारी मजबूत हुई थी। इन चारों राज्यों में से तीन बड़े राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ भाजपा ने क्लीन स्वीप जीत लिए थे। इसके बाद ही 2014 का जनरल इलेक्शन भाजपा के पक्ष में सुनामी बनकर आ गया।आज की स्थिति में राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर कांग्रेस की पकड़ काफी मजबूत है। भाजपा के लिए निष्पक्ष राजनीतिक विश्लेषण करने वाले भी कम से कम छत्तीसगढ़ में भाजपा के लिए दूर-दूर तक जीत का संकेत नहीं दे रहे। और राजस्थान में अभी तक कुछ भी मजबूती से नहीं कहा ...
भारत में बेरोजगारी की समस्या का हल निकालने में मिल रही है सफलता

भारत में बेरोजगारी की समस्या का हल निकालने में मिल रही है सफलता

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भारतीय सनातनी वेदों एवं ग्रंथो में इस बात के कई प्रमाण मिलते हैं, जिससे यह सिद्ध होता है कि भारत सदैव ही आर्थिक रूप से सम्पन्न देश रहा है एवं भारत के समस्त नागरिकों के लिए रोजगार के भरपूर अवसर उपलब्ध रहे हैं। मुद्रा स्फीति, आय की असमानता, बेरोजगारी एवं ऋण के भारी बोझ के तले दबे रहना जैसे शब्दों का तो प्राचीन भारत के आर्थिक इतिहास में वर्णन नहीं के बराबर मिलता है। भारत के समस्त नागरिकों की पर्याप्त मात्रा में आय होती थी जिससे वह अपने परिवार का आसानी से गुजर बसर कर पाते थे एवं समाज में समस्त नागरिक प्रसन्नता पूर्वक रहते थे। दरअसल प्राचीन भारत के उस खंडकाल में नागरिकों में उद्यमशीलता अपने चरम पर थी। परिवार के जमे जमाए व्यवसाय पीढ़ी दर पीढ़ी सफलतापूर्वक आगे चलते रहते थे एवं परिवार के सदस्यों के आय अर्जन का मुख स्त्रोत बने रहते थे। इस दृष्टि से नागरिकों को सामान्यतः नौकरी के लिए परिवार के ...
कृषि-क्रांति एवं खाद्यान्न आत्मनिर्भरता के महानायक

कृषि-क्रांति एवं खाद्यान्न आत्मनिर्भरता के महानायक

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- ललित गर्ग - भारत में कृषि-क्रांति के जनक, विश्व खाद्य पुरस्कार पाने वाले पहले व्यक्ति, कृषि में नवाचार के ऊर्जाघर एवं कृषि विज्ञानी डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन का देह से विदेह हो जाना एक स्वर्णिम युग की समाप्ति है, एक अपूरणीय क्षति हैं। भारत को अन्न के अकाल से मुक्त कर अन्न का भंडार बनाने वाले इस कृषि-युगपुरुष के अवदान इतने बहुमुखी और दीर्घायुष्य है कि वे सदिया तक कृतज्ञ राष्ट्र की धमनियों एवं स्मृतियों में जीवित रहेंगे। वे अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गये हैं कि भारतीय कृषि एवं वैश्विक खाद्य के संकट उभरने का नाम नहीं लेंगे। ‘कृषि क्रांति आंदोलन’ के वैज्ञानिक नेता के रूप में उनके अवदानों की शुरुआत 1943 के भीषण दुर्भिक्ष के दौरान हुई, जब चावल के एक-एक दाने के लिये लाखों लोगों ने दम तोड़ दिया था। इस घोर मानवीय त्रासदी एवं  संकट ने केरल विश्वविद्यालय के इस अठारह वर्षीय युवा स्वामीनाथन मे...