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बदल रहे अब जम्मू-कश्मीर के हालात

बदल रहे अब जम्मू-कश्मीर के हालात

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_-बलबीर पुंज_ जम्मू-कश्मीर के हालिया घटनाक्रम से क्या रेखांकित होता है? जहां स्वतंत्र भारत में पहली बार पाकिस्तान सीमा के निकट इस वर्ष पुनर्निर्मित शारदा माता मंदिर में शारदीय नवरात्रि की पूजा हो रही है, वही इसी दौरान पुंछ में पोस्टर चस्पा करके हिंदुओं और सिखों को क्षेत्र छोड़ने हेतु धमकी देने का मामला प्रकाश में आया है। यह ठीक है कि धारा 370-35ए के संवैधानिक क्षरण के बाद से घाटी में आध्यात्मिक-सांस्कृतिक पुनर्स्थापना के साथ समेकित आर्थिक विकास, केंद्रीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी, पर्यटकों की बढ़ती संख्या, तीन दशक बाद नए-पुराने सिनेमाघरों का संचालन, भारतीय फिल्म उद्योग के लिए कश्मीर पुन: पसंदीदा गंतव्य बनना और जी20 पर्यटन कार्यसमूह की सफल बहुराष्ट्रीय बैठक और आतंकवादी-पथराव की घटनाओं में तुलनात्मक कमी आदि का साक्षी बन रहा है। परंतु क्या यह जिहादी मानसिकता को समाप्त करने के लिए...
गरीबी हटाओ’ में गरीब हट गए, लेकिन गरीबी नहीं हटी

गरीबी हटाओ’ में गरीब हट गए, लेकिन गरीबी नहीं हटी

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अन्तर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस- 17 अक्टूबर, 2023‘गरीबी हटाओ’ में गरीब हट गए, लेकिन गरीबी नहीं हटी -ललित गर्ग - दुनियाभर में फैली गरीबी के निराकरण के लिए ही संयुक्त राष्ट्र ने साल 1992 में हर साल 17 अक्टूबर को विश्व स्तर पर गरीबी उन्मूलन दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन एटीडी फोर्थ वर्ल्ड के संस्थापक जोसेफ रेसिंस्की की मृत्यु के चार साल बाद, संयुक्त राष्ट्र ने आधिकारिक तौर पर इस दिवस को मनाने की घोषणा की। जोसेफ रेसिंस्की ने पेरिस में लगाये गये गरीबी उन्मूलन अभियान के मूल स्मारक पत्थर पर उत्कीर्ण पाठ में जहां भी पुरुषों और महिलाओं को अत्यधिक गरीबी में रहने की निंदा करते हुए इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन कहा और यह सुनिश्चित करने के लिए एक साथ आना कि इन अधिकारों का सम्मान किया जाए, हमारा गंभीर कर्तव्य है।गरीबी पहले भी अभिशाप थी लेकिन दुनिया में विकास की अ...
इजरायल पर भारत की स्पष्ट नीति

इजरायल पर भारत की स्पष्ट नीति

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अभी तक अरब जगत को प्रसन्न करने और वोट बैंक की राजनीति के कारण भारतीय नेतृत्व इजरायल-फलस्तीन मुद्दे पर न्याय की बात नहीं कर सका था तो इसका अर्थ यह नहीं है कि वर्तमान भारतीय नेतृत्व सही के पक्ष में न खड़ा हो। भारत तो वह भूमि है जहाँ ढाई हजार वर्ष पूर्व भी यहूदियों को शरण प्राप्त हुआ था और उसके बाद भी अपनी भूमि से मारे गए, सताए गए यहूदि भारत में आकर शरण लेते रहे। क्या कोई यह बता सकता है कि यहूदी कहाँ उत्पन्न हुए? यहूदी न मक्का में उत्पन्न हुए न मदीना में, न रोम में उत्पन्न हुए न अमेरिका में, न भारत में उत्पन्न हुए न यूरोप में। इजरायल यहूदियों की मूल भूमि है। यहूदी अच्छे हों या बुरे हों, चालाक हों या मक्कार हों, लेकिन जब न्याय की बात आएगी तो यहूदी समाज उन लोगों में है जो मजहबी बर्बरता के सर्वाधिक शिकार हुई। यह अलग बात है कि जिन अब्राहमिक मजहबों ने यहूदियों पर सर्वाधिक बर्बरता ...
विधानसभा चुनाव और भाजपा

विधानसभा चुनाव और भाजपा

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मिजोरम को छोड़ दें तो चार प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनाव निकट है। और उसमें भी महत्वपूर्ण यह है कि इनमें से केवल एक राज्य में भाजपा की सरकार है। तिस पर भी हार का संकट गहरा रहा है। आम चुनाव 2024 से पहले का ये वह विधानसभा चुनाव है, जिसमें बढ़िया प्रदर्शन के बाद ही देशभर में तब के गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी के लिए '14 चुनाव में पीएम की उम्मीदवारी मजबूत हुई थी। इन चारों राज्यों में से तीन बड़े राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ भाजपा ने क्लीन स्वीप जीत लिए थे। इसके बाद ही 2014 का जनरल इलेक्शन भाजपा के पक्ष में सुनामी बनकर आ गया।आज की स्थिति में राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर कांग्रेस की पकड़ काफी मजबूत है। भाजपा के लिए निष्पक्ष राजनीतिक विश्लेषण करने वाले भी कम से कम छत्तीसगढ़ में भाजपा के लिए दूर-दूर तक जीत का संकेत नहीं दे रहे। और राजस्थान में अभी तक कुछ भी मजबूती से नहीं कहा ...
भारत में बेरोजगारी की समस्या का हल निकालने में मिल रही है सफलता

भारत में बेरोजगारी की समस्या का हल निकालने में मिल रही है सफलता

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भारतीय सनातनी वेदों एवं ग्रंथो में इस बात के कई प्रमाण मिलते हैं, जिससे यह सिद्ध होता है कि भारत सदैव ही आर्थिक रूप से सम्पन्न देश रहा है एवं भारत के समस्त नागरिकों के लिए रोजगार के भरपूर अवसर उपलब्ध रहे हैं। मुद्रा स्फीति, आय की असमानता, बेरोजगारी एवं ऋण के भारी बोझ के तले दबे रहना जैसे शब्दों का तो प्राचीन भारत के आर्थिक इतिहास में वर्णन नहीं के बराबर मिलता है। भारत के समस्त नागरिकों की पर्याप्त मात्रा में आय होती थी जिससे वह अपने परिवार का आसानी से गुजर बसर कर पाते थे एवं समाज में समस्त नागरिक प्रसन्नता पूर्वक रहते थे। दरअसल प्राचीन भारत के उस खंडकाल में नागरिकों में उद्यमशीलता अपने चरम पर थी। परिवार के जमे जमाए व्यवसाय पीढ़ी दर पीढ़ी सफलतापूर्वक आगे चलते रहते थे एवं परिवार के सदस्यों के आय अर्जन का मुख स्त्रोत बने रहते थे। इस दृष्टि से नागरिकों को सामान्यतः नौकरी के लिए परिवार के ...
कृषि-क्रांति एवं खाद्यान्न आत्मनिर्भरता के महानायक

कृषि-क्रांति एवं खाद्यान्न आत्मनिर्भरता के महानायक

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- ललित गर्ग - भारत में कृषि-क्रांति के जनक, विश्व खाद्य पुरस्कार पाने वाले पहले व्यक्ति, कृषि में नवाचार के ऊर्जाघर एवं कृषि विज्ञानी डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन का देह से विदेह हो जाना एक स्वर्णिम युग की समाप्ति है, एक अपूरणीय क्षति हैं। भारत को अन्न के अकाल से मुक्त कर अन्न का भंडार बनाने वाले इस कृषि-युगपुरुष के अवदान इतने बहुमुखी और दीर्घायुष्य है कि वे सदिया तक कृतज्ञ राष्ट्र की धमनियों एवं स्मृतियों में जीवित रहेंगे। वे अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गये हैं कि भारतीय कृषि एवं वैश्विक खाद्य के संकट उभरने का नाम नहीं लेंगे। ‘कृषि क्रांति आंदोलन’ के वैज्ञानिक नेता के रूप में उनके अवदानों की शुरुआत 1943 के भीषण दुर्भिक्ष के दौरान हुई, जब चावल के एक-एक दाने के लिये लाखों लोगों ने दम तोड़ दिया था। इस घोर मानवीय त्रासदी एवं  संकट ने केरल विश्वविद्यालय के इस अठारह वर्षीय युवा स्वामीनाथन मे...
सोलर पावर बनता भारत

सोलर पावर बनता भारत

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भारत एक तेजी से बढ़ता हुआ देश है.... बढ़ती जनसंख्या है, बढ़ते उद्योग हैं... और उसी ratio में बढ़ती हुई उनकी ऊर्जा जरूरतें भी हैं. तेल महंगा होता जा रहा है.. कोयला महंगा हो रहा है... वहीं हाइड्रो dams बनाने में खर्च बढ़ रहा है.. वहीं Nuclear के अपने फायदे नुकसान हैं.. ऐसे में Solar ही सबसे अच्छा option है. आज भारत में 70 GW Solar power बनाने की installed capacity है...और भारत अब दुनिया में चौथा सबसे बड़ी Solar Capacity वाला देश है. इतने बढ़े स्तर पर Solar का इस्तेमाल हम कर रहे हैं... लेकिन इसके लिए काम आने वाले components, जैसे Solarpanels, PV Cells, PV Encapsulants – EVA & POE, and PV back sheets आदि हमारे यहाँ कम बनती थी..... लगभग 95% चीन से Import होती थी. मतलब... हम जितना Solar Capacity को बढ़ाएंगे, उसी Ratio में हमारा चीन से Solar Components का import भी बढ़ता जा र...
<strong>भारत में आयोजित जी-20 की दो बड़ी उपलब्धियां</strong>

भारत में आयोजित जी-20 की दो बड़ी उपलब्धियां

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आर.के. सिन्हा अब तक का सबसे भव्य अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन जी- 20 शिखर सम्मेलन जो भारत की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित हुआ, दो वजहों से याद रखा जायेगा। पहला, जी 20 घोषणा पत्र पर सभी सदस्य देशों की सहमति बन गई। हालांकि, इस मसले पर चीन, कनाडा आदि देशों से विवाद होने की आशंका जताई जा रही थी। दूसरा, अफ्रीका यूनियन को भारत की पहल पर जी-20 में शामिल कर लिया गया जो “जी -20” में भारत की स्थिति को और मजबूत बनायेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा "हमारी टीम की  कड़ी मेहनत से ही नई दिल्ली जी-20 लीडर्स घोषणा पत्र पर आम सहमति बनी है।" अब पाठकों को यह भी जानना जरुरी है कि नई दिल्ली घोषणा पत्र में किन चीज़ों का ज़िक्र है I दरअसल इसमें संसार के मजबूत, दीर्घकालीक, संतुलित और समावेशी विकास पर जोर दिया गया है। ज...
G20 समिट का पूरा शेड्यूल

G20 समिट का पूरा शेड्यूल

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भारत मंडपम में आज से वैश्विक मुद्दों पर होगा महामंथन, दो दिनों तक चलने वाली जी20 की पहले दिन की बैठक के दौरान सभी 20 देशों के नेता भारत में पहली बार एक साथ दिल्ली में एक मंच पर होंगे. दिल्ली इस ऐतिहासिक मौके का गवाह बनने के लिए तैयार है और इसे यादगार बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी गई है. इस आयोजन के लिए भारत मंडपम में भी तैयारियां पूरी हैं. जी20 शिखर सम्मेलन को लेकर 20 सबसे ताकतवर देशों के नेता दिल्ली पहुंच चुके हैं. 9 और 10 सितंबर को भारत मंडपम में होने वाले सम्मेलन में वैश्विक मद्दों पर सभी देशों के नेता चर्चा करेंगे. ऐसा पहली बार हुआ है कि दुनिया के सबसे ताकतवर मंचों के मुखिया एक साथ दिल्ली में हैं और यूएन से लेकर आईएमएफ तक डब्ल्यूटीओ से लेकर वर्ल्ड बैंक तक तमाम वैश्विक संस्थाएं भारत के आह्वान पर दिल्ली में मौजूद हैं. वहीं ये भी पहली बार है कि भारत के आह्वान पर जी20 में अफ्रीकन यून...
जी-20 सम्मेलन से नये विश्व की संरचना संभव

जी-20 सम्मेलन से नये विश्व की संरचना संभव

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- ललित गर्ग-हिंसा, आतंक एवं युद्ध से संत्रस्त दुनियाभर की नजरें 9 और 10 सितंबर को दिल्ली में होने वाले जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन पर टिकी हैं। यह सम्मेलन इसलिए भी खास है कि भारत इस साल जी-20 का अध्यक्ष होते हुए दुनिया को नयी दिशाएं एवं नये आयाम दिये हैं। सम्मेलन ऐसे समय हो रहा है, जब दुनिया रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन-ताइवान की तनातनी और उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण को लेकर असुरक्षा एवं अशांति की चिंताओं से घिरी हुई है। हालांकि जी-20 सुरक्षा संबंधी मुद्दों का नहीं, आर्थिक मुद्दों का मंच है, लेकिन सुरक्षा, शांति एवं युद्धमिुक्त से होकर ही आर्थिक उन्नति के रास्ते खुलते हैं। सुरक्षा चिंताओं ने दुनिया की अर्थव्यवस्था को जिस तरह प्रभावित कर रखा है, जी-20 देशों के लिए इसे पूरी तरह नजरअंदाज करना संभव नहीं है। जी-20 के सदस्य देशों की संयुक्त रूप से दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद में करीब 85 फीसदी और अं...