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<strong>चीन सुधरेगा नहीं, चौकन्ना रहना होगा</strong>

चीन सुधरेगा नहीं, चौकन्ना रहना होगा

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-ः ललित गर्ग:-चीन अपनी दोगली नीति, षडयंत्रकारी हरकतों एवं विस्तारवादी मंशा से कभी बाज नहीं आता। वह हमेशा कोई ऐसी कुचेष्टा करता ही रहता है जिससे भारत चीन बॉर्डर पर अक्सर तनाव रहता है। ब्रिक्स समिट में जगी भारत-चीन के सामान्य संबंधों की आस आकार लेने से पहले ही धूमिल हो गयी है। नई दिल्ली में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले भारत-चीन के संबंधों में सामंजस्य बैठाने के प्रयास चीन के नापाक इरादों से जटिल ही बने रहने वाले हैं। चीन की ओर से जारी किए गए ताजा नक्शे में अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताकर चीन एक बार फिर सीमा विवाद को बढ़ाने के साथ भारत को उकसाने वाली कार्रवाई में जुटा है। हालांकि भारत ने दो टूक जवाब देते हुए साफ कहा है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और यह चीनी दुष्प्रचार के सिवाय कुछ नहीं है। चीन की इस हरकत ने यह साफ कर दिया है कि उससे संबंध सुधारने की भारत की तरफ से कित...
भाला फेंक में नीरज का स्वर्णिम अभियान

भाला फेंक में नीरज का स्वर्णिम अभियान

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भाला फेंक में नीरज का स्वर्णिम अभियानमृत्युंजय दीक्षितसावन के पवित्र माह में चंद्रयान- 3 की अभूतपूर्व सफलता के बाद भाला फेंक में नीरज ने देशवासियों को यह नई सफलता देकर आनंद से भावविभोर कर दिया है। इस वर्ष का अधिमास सहित सावन अंतरिक्ष व क्रीड़ा जगत में नयी क्रांति का माह बन रहा है।एथलेटिक्स की भालाफेंक प्रतियोगिता में भारत के नीराज चोपड़ा ने हंगरी के बुडापेस्ट में आयोजित विश्व एथलेटिक्स चैपिंयनशिप के फाइनल में पहली बार स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। भालाफेंक में भारत को स्वर्ण दिलाने वाले वह पहले भारतीय एथलीटबन गये हैं।नीरज की सफलता से आज संपूर्ण भारत गर्वित व आनंदित है। नीरज की स्वर्णिम सफलता पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पूरे देश ने बधाई दी है। नीरज ने इस सफलता के साथ ही अगले ओलंपिक के लिए भी क्वालीफाई कर लिया है। नीरज ने फाइनल में 88.17 मीटर भाला फेंक क...
चंद्रयान-3 के श्रेय पर विवाद क्यों ?

चंद्रयान-3 के श्रेय पर विवाद क्यों ?

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-विनीत नारायणचंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर उतारकर भारत ने पूरी दुनिया में अपनी कामयाबी के झंडे गाढ़दिए हैं। हमारी इस सफलता पर पूरी दुनिया हर्षित है। यहाँ तक कि हमेशा खफ़ा रहने वाला पाकिस्तानभी हमें इस कामयाबी के लिए बधाई दे रहा है। अब भारत दुनिया के उन चार देशों में से एक है जिन्होंनेचाँद पर अपना उपग्रह उतारा है। इनमें भी चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर ये करामात दिखने वाला भारतअकेला देश है। इस अभूतपूर्व सफलता के लिए वो सैकड़ों वैज्ञानिक जिम्मेदार हैं जिन्होंने पिछले साठसालों में रात-दिन मेहनत करके यह संभव कर दिखाया है। इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नेविश्व को दक्षिण अफ़्रीका से संबोधित करते हुए कहा कि, “अब चंदा मामा दूर के नहीं बल्कि चंदा मामा टूरके हो गये हैं”।जब से ये उपलब्धि हुई है तब से इसका श्रेय लेने वालों में होड़ लग गई है। जहाँ भाजपा और संघ परिवारइसे मोदी जी के नेत...
चाँद के बाद, अब सूरज की बारी

चाँद के बाद, अब सूरज की बारी

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अब सूरज की बारी है,यह भारत की तैयारी है। भारत के वैज्ञानिकों का यह ताज़ा संकल्प है, चाँद पर अवरोहण से पूरा देश उत्साहित है, भारत ने विश्व गुरु बनने की दिशा में बीते कल बड़ी छलांग लगाते हुए चांद के उस हिस्से पर राष्ट्रीय ध्वज लहरा दिया जहां आज तक कोई भी देश नहीं पहुंच सका था। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारकर अंतरिक्ष की दुनिया में इतिहास रच दिया। देश ने धरती पर सपना देखा और चांद पर साकार किया, अब सूरज की बारी है । कुछ दिन पहले रूस ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने की कोशिश की थी लेकिन उसका लूना-25 अंतरिक्ष यान चांद की सतह से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। ऐसे में भारत के चंद्रयान-3 मिशन की अहमियत और बढ़ गई थी। समूचे विश्व की निगाह इस मिशन पर थी। चंद्रयान-3 की सफलता के लिए देश के कोने-कोने में कल सुबह से पूजा, प...
आज हम चांद पर है।

आज हम चांद पर है।

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सांप और साधुओं का देश कहा जाने वाला भारत आज स्पेस टेक्नोलॉजी में दुनिया के ताकतवर देशों के साथ खड़ा है। भारत चंद्रयान-3 मिशन के साथ चंद्रमा पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया है। चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान का रोवर चांद की सतह का अध्ययन करेगा और यह लैंडर के अंदर बैठकर गया है। लैंडर के मिशन की पूरी अवधि एक चंद्र दिवस की रहने वाली है, जो पृथ्वी के 14 दिन के बराबर है। पिछली बार क्रैश लैंडिंग हुई थी। पर इस बार अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चांद की सतह पर लैंड करने वाला चौथा देश बन गया है। 'स्पेस के क्षेत्र में हमारी विशेषज्ञता में जबर्दस्त इजाफा हुआ है। भारत के चंद्रयान-3 को सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता से भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश तो बना ही है साथ ही दक्षिणी ध्रुव के इलाके में लैंडिंग कराने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। -डॉ सत्यवान सौरभ भारत की अंतरिक्...
तीर्थों की भीड़ संभालें !

तीर्थों की भीड़ संभालें !

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-विनीत नारायणप्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी व उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री श्री योगी जी ने हिन्दू तीर्थों के विकास की तरफजितना ध्यान पिछले सालों में दिया है उतना पिछली दो सदी में किसी ने नही दिया था। ये बात दूसरी हैकि उनकी कार्यशैली को लेकर संतों के बीच कुछ मतभेद है। पर आज जिस विषय पर मैं अपनी बात रखनाचाहता हूँ उससे हर उस हिन्दू का सरोकार है जो तीर्थाटन में रुचि रखता है। जब से काशी, अयोध्या,उज्जैन व केदारनाथ जैसे तीर्थ स्थलों पर मोदी जी ने विशाल मंदिरों का निर्माण करवाया है, तब से इनसभी तीर्थों पर तीर्थयात्रियों का सागर उमड़ पड़ा है। इतनी भीड़ आ रही है कि कहीं भी तिल रखने कोजगह नही मिल रही।इस परिवर्तन का एक सकारात्मक पहलू ये है कि इससे स्थानीय नागरिकों की आय तेज़ी से बढ़ी है औरबड़े स्तर पर रोजगार का सृजन भी हुआ है। स्थानीय नागरिक ही नहीं बाहर से आकार भी लोगों ने इनतीर्थ नगरियों में भारी...
बंटवारा जो हम भूले नहीं

बंटवारा जो हम भूले नहीं

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-बलबीर पुंज बीते मंगलवार (15 अगस्त) भारत ने अपना 77वां स्वाधीनता दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया। निसंदेह, यह दिन भारतीय इतिहास का एक मील का पत्थर है। परंतु इसके साथ विभाजन की दुखद स्मृति भी जुड़ी हुई है। विश्व के इस भूक्षेत्र का त्रासदीपूर्ण बंटवारा, कोई एकाएक या तत्कालीन मुस्लिम समाज के किसी तथाकथित उत्पीड़न का परिणाम नहीं था। इसके लिए उपनिवेशी ब्रितानियों के साथ जिहादी मुस्लिम लीग और भारत-हिंदू विरोधी वामपंथियों ने अपने-अपने एजेंडे की पूर्ति हेतु एक ऐसा वैचारिक अधिष्ठान तैयार किया था, जिसने कालांतर में भारत को तीन टुकड़ों में विभाजित कर दिया। यह देश में पिछले 100 वर्षों की सबसे बड़ी सांप्रदायिक घटना थी। दुर्भाग्य से इसकी विषबेल खंडित भारत में अब भी न केवल जीवित है, साथ ही वह देश की राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता और अखंडता के लिए चुनौती भी बन हुई है। भारतीय उपमहाद्वीप में पाकिस्तान कैसे उभर...
लालकिले की प्राचीर से लोकसभा चुनावों का शंखनाद

लालकिले की प्राचीर से लोकसभा चुनावों का शंखनाद

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले से किया विकास के वादे साथ अपनी वापसी का दावामृत्युंजय दीक्षितप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2023 को लाल किले की प्राचीर से से देश को लगातार दसवीं बार संबोधित किया।इस अवसर का लाभ उठाते हुए जहां उन्होंने अपने 10 वर्षों के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाईं वहीं अपनी गारंटी देते हुए यह भविष्यवाणी भी कर दी कि 2024 की 15 अगस्त को देश की उपलब्धियां बताने के लिए वो ही फिर से आएंगे। आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि देश के प्रधानमंत्री ने आगामी लोकसभा चुनावों के पूर्व ही यह भविष्यवाणी कर दी कि अगली बार मैं ही देश की उपलब्धियां बताने के लिए आऊंगा। स्वाभाविक रूप से प्रधानमंत्री के इस दावे से भाजपा विरोधी ताकतों को सिर दर्द होने लगा और उनकी हताशा भरी प्रतिक्रियाएं आनी प्रारंभ हो गयीं।प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के आरम्भ में ही मणिपुर की हिंसा सहित हिमांचल और ...
बदलेंगे अंग्रेजों के ज़माने के कानून

बदलेंगे अंग्रेजों के ज़माने के कानून

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आपराधिक न्याय प्रणाली ब्रिटिश औपनिवेशिक न्यायशास्त्र की प्रतिकृति है, जिसे राष्ट्र पर शासन करने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया था, न कि नागरिकों की सेवा करने के लिए। आपराधिक न्याय प्रणाली का उद्देश्य निर्दोषों के अधिकारों की रक्षा करना और दोषियों को दंडित करना था, लेकिन आजकल यह प्रणाली आम लोगों के उत्पीड़न का एक साधन बन गई है। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, न्यायिक प्रणाली में, विशेषकर जिला और अधीनस्थ अदालतों में लगभग 3.5 करोड़ मामले लंबित हैं, जो इस कहावत को चरितार्थ करता है कि "न्याय में देरी, न्याय न मिलने के समान है।" भारत में दुनिया के सबसे अधिक संख्या में विचाराधीन कैदी हैं। भ्रष्टाचार, भारी काम का बोझ और पुलिस की जवाबदेही त्वरित और पारदर्शी न्याय देने में बड़ी बाधा है। -डॉ सत्यवान सौरभ 11 अगस्त 2023 को ब्रिटिश काल के 164 साल पुराने कानूनों को बदलने के लिए तीन नए विधेयक संसद ...
राहुल गांधी को राहत देने वाले जज गवई के पिता-भाई कांग्रेसी

राहुल गांधी को राहत देने वाले जज गवई के पिता-भाई कांग्रेसी

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नैतिकता का हनन या न्याय की जीत राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट के सुप्रीम ब्रम्हास्त्र से करेंगे मोदी का शिकार =================== आचार्य विष्णु हरि सरस्वती राहुल गांधी की राहत पर प्रश्न चिन्ह भी लगे हैं, कोई न्याय कह रहा है तो कोई नैतिकता का प्रश्न भी उठा रहा है। लोकतंत्र में सबको अपने-अपने विचार रखने की आजादी है। फिलहाल कांग्रेस को संजीवनी तो जरूर मिली हुई है, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के ब्रम्हास्त्र पर सवार होकर राहुल गांधी मोदी का राजनीतिक और चुनावी शिकार करेंगे? इस मिले अवसर का राहुल गांधी कितना लाभ उठायेंगे?राहुल गांधी को मोदी सरनेम वाले प्रकरण पर राहत देने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज बीआर गवई की परिवारिक पृष्ठभूमि कांग्रेसी रही है। गवई ने खुद कहा था कि उनके पिता कांग्रेसी थे, उनके पिता का कांग्रेस से लगाव सर्वश्रेष्ठ था, उनके भाई आज भी कांग्रेसी हैं। गवई के भाई कांग्र्रेस के स...