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बंटवारा जो हम भूले नहीं

बंटवारा जो हम भूले नहीं

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-बलबीर पुंज बीते मंगलवार (15 अगस्त) भारत ने अपना 77वां स्वाधीनता दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया। निसंदेह, यह दिन भारतीय इतिहास का एक मील का पत्थर है। परंतु इसके साथ विभाजन की दुखद स्मृति भी जुड़ी हुई है। विश्व के इस भूक्षेत्र का त्रासदीपूर्ण बंटवारा, कोई एकाएक या तत्कालीन मुस्लिम समाज के किसी तथाकथित उत्पीड़न का परिणाम नहीं था। इसके लिए उपनिवेशी ब्रितानियों के साथ जिहादी मुस्लिम लीग और भारत-हिंदू विरोधी वामपंथियों ने अपने-अपने एजेंडे की पूर्ति हेतु एक ऐसा वैचारिक अधिष्ठान तैयार किया था, जिसने कालांतर में भारत को तीन टुकड़ों में विभाजित कर दिया। यह देश में पिछले 100 वर्षों की सबसे बड़ी सांप्रदायिक घटना थी। दुर्भाग्य से इसकी विषबेल खंडित भारत में अब भी न केवल जीवित है, साथ ही वह देश की राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता और अखंडता के लिए चुनौती भी बन हुई है। भारतीय उपमहाद्वीप में पाकिस्तान कैसे उभर...
लालकिले की प्राचीर से लोकसभा चुनावों का शंखनाद

लालकिले की प्राचीर से लोकसभा चुनावों का शंखनाद

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले से किया विकास के वादे साथ अपनी वापसी का दावामृत्युंजय दीक्षितप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2023 को लाल किले की प्राचीर से से देश को लगातार दसवीं बार संबोधित किया।इस अवसर का लाभ उठाते हुए जहां उन्होंने अपने 10 वर्षों के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाईं वहीं अपनी गारंटी देते हुए यह भविष्यवाणी भी कर दी कि 2024 की 15 अगस्त को देश की उपलब्धियां बताने के लिए वो ही फिर से आएंगे। आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि देश के प्रधानमंत्री ने आगामी लोकसभा चुनावों के पूर्व ही यह भविष्यवाणी कर दी कि अगली बार मैं ही देश की उपलब्धियां बताने के लिए आऊंगा। स्वाभाविक रूप से प्रधानमंत्री के इस दावे से भाजपा विरोधी ताकतों को सिर दर्द होने लगा और उनकी हताशा भरी प्रतिक्रियाएं आनी प्रारंभ हो गयीं।प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के आरम्भ में ही मणिपुर की हिंसा सहित हिमांचल और ...
बदलेंगे अंग्रेजों के ज़माने के कानून

बदलेंगे अंग्रेजों के ज़माने के कानून

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आपराधिक न्याय प्रणाली ब्रिटिश औपनिवेशिक न्यायशास्त्र की प्रतिकृति है, जिसे राष्ट्र पर शासन करने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया था, न कि नागरिकों की सेवा करने के लिए। आपराधिक न्याय प्रणाली का उद्देश्य निर्दोषों के अधिकारों की रक्षा करना और दोषियों को दंडित करना था, लेकिन आजकल यह प्रणाली आम लोगों के उत्पीड़न का एक साधन बन गई है। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, न्यायिक प्रणाली में, विशेषकर जिला और अधीनस्थ अदालतों में लगभग 3.5 करोड़ मामले लंबित हैं, जो इस कहावत को चरितार्थ करता है कि "न्याय में देरी, न्याय न मिलने के समान है।" भारत में दुनिया के सबसे अधिक संख्या में विचाराधीन कैदी हैं। भ्रष्टाचार, भारी काम का बोझ और पुलिस की जवाबदेही त्वरित और पारदर्शी न्याय देने में बड़ी बाधा है। -डॉ सत्यवान सौरभ 11 अगस्त 2023 को ब्रिटिश काल के 164 साल पुराने कानूनों को बदलने के लिए तीन नए विधेयक संसद ...
राहुल गांधी को राहत देने वाले जज गवई के पिता-भाई कांग्रेसी

राहुल गांधी को राहत देने वाले जज गवई के पिता-भाई कांग्रेसी

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नैतिकता का हनन या न्याय की जीत राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट के सुप्रीम ब्रम्हास्त्र से करेंगे मोदी का शिकार =================== आचार्य विष्णु हरि सरस्वती राहुल गांधी की राहत पर प्रश्न चिन्ह भी लगे हैं, कोई न्याय कह रहा है तो कोई नैतिकता का प्रश्न भी उठा रहा है। लोकतंत्र में सबको अपने-अपने विचार रखने की आजादी है। फिलहाल कांग्रेस को संजीवनी तो जरूर मिली हुई है, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के ब्रम्हास्त्र पर सवार होकर राहुल गांधी मोदी का राजनीतिक और चुनावी शिकार करेंगे? इस मिले अवसर का राहुल गांधी कितना लाभ उठायेंगे?राहुल गांधी को मोदी सरनेम वाले प्रकरण पर राहत देने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज बीआर गवई की परिवारिक पृष्ठभूमि कांग्रेसी रही है। गवई ने खुद कहा था कि उनके पिता कांग्रेसी थे, उनके पिता का कांग्रेस से लगाव सर्वश्रेष्ठ था, उनके भाई आज भी कांग्रेसी हैं। गवई के भाई कांग्र्रेस के स...
अभिषेक राजपूत को पहले गोली मारी, फिर गला काट कर पत्थर से कुचला।

अभिषेक राजपूत को पहले गोली मारी, फिर गला काट कर पत्थर से कुचला।

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मुस्लिम आबादी की तालिबानी हिंसा /फिर तो भारत बनेगा मुस्लिम देश =================== आचार्य विष्णु हरि सरस्वती अभिषेक राजपूत को पहले गोली मारी, फिर गला काट कर पत्थर से कुचला। अभिषेक राजपूत हिन्दुत्व का प्रहरी था। मिठाई दुकानदार शक्ति सैनी की हत्या दुकान से खीच कर की गई फिर लाश को चौराहे पर फेका गया। 2500 हजार से अधिक हिन्दू महिलाओं और बच्चों को बंधक बना कर छेड़छाड़ किया गया, उन्हें ंिहंसा का शिकार बनाया गया। यह स्थिति हरियाणा के मेवात क्षेत्र के नूंह की है। नूंह की तालिबानी मुस्लिम हिंसा को राष्टीय मीडिया ने दबा दिया, क्योंकि प्रताड़ित और शिकार होने वाले हिन्दू थे और गुनहगार व हिंसक मुस्लिम आबादी थी। अब तो अपने देश में हिन्दू अपने पर्व-त्यौहार मनाने पर मारे जा रहे हैं। यह तालिबानी मुस्लिम हिंसा रूकने वाली नहीं है, भारत भी आज न कल तालिबान का अफगानिस्तान बन कर रहेगा। भारत को मुस्लिम देश...
मेरी माटी-मेरा देश, मन की बात या उपदेश

मेरी माटी-मेरा देश, मन की बात या उपदेश

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 सोचिये क्या हमारे देश के नायकों को बेशर्म इंस्टाग्राम प्रभावकों, राजनेताओं, अभिनेता और अभिनेत्री की तुलना में सम्मानित किया गया और पर्याप्त धन दिया गया? यह मत भूलो कि हमारे देश की रक्षा के लिए कारगिल युद्ध में भाग लेने वाला एक जवान उसी देश में अपनी पत्नी की रक्षा करने में सक्षम नहीं हो सका। इसके लिए देश को  को जवाबदेह होना चाहिए? सबसे पहले हम अग्निवीर लाकर सशस्त्र बलों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिसमें किसी भी चीज की कोई गारंटी नहीं है, आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि कोई देश के लिए मर जाएगा? जब आप सशस्त्र बलों में एक साधारण नौकरी की सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकते। वास्तव में आप इन शहीद परिवारों को श्रद्धांजलि देना चाहते हैं तो इस अभियान के दौरान आप सैनिक परिवारों और भविष्य के सैनिकों के मन की बात सुनकर एक योजना बनाइये और साथ ही देश की सभी महत्वपू...
सीमा और अंजू के प्रेम कहानी में पाक की चाल तो नहीं

सीमा और अंजू के प्रेम कहानी में पाक की चाल तो नहीं

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आर.के. सिन्हा आजकल सोशल मीडिया पर सीमा और अंजू की मोहब्बत से जुड़ी कहानियों को चटकारे लगाकर पेश किया जा रहा है। पर इस तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है कि कहीं इन दोनों के कथित इश्क में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों का कोई रोल तो नहीं है। ये आप सभी जानते हैं कि सीमा एक पाकिस्तानी महिला है। उसका ग्रेटर नोएडा के सचिन नाम के नौजवान से सोशल मीडिया पर इश्क का परवान चढ़ा तो वो अपना वतन और शौहर को छोड़कर नेपाल होते हुए अपने प्रेमी के पास आ गई। वो अपने साथ अपने बच्चों को भी ले आई।   उधर, राजस्थान के भिवाड़ी में रहने वाली दो बच्चों की मां अंजू पाकिस्तान चली गई अपने प्रेमी से मिलने। वहां उसने निकाह के बाद इस्लाम धर्म को कुबूल भी कर लिया । अब अंजू हो गई है फातिमा। अंजू की फेसबुक के जरिये पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह प्रान्त में रहने वाले 29 साल के नसरूल्लाह से दोस्ती हुई थी, यह बत...
निजी चार्टर सेवा पर इतनी मेहरबानी क्यों?

निजी चार्टर सेवा पर इतनी मेहरबानी क्यों?

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*रजनीश कपूरपिछले सप्ताह हमने देश के नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) की लापरवाही का एक उदाहरण दिया था जहांडीजीसीए एक निजी एयरलाइन की ग़लतियों को अनदेखा कर रही थी। देर से ही सही पर डीजीसीए जागी ज़रूर। परंतु देशके नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधीन अन्य विभागों के कुछ अधिकारी भारत की एक निजी चार्टर सेवा पर कुछ विशेषमेहरबानियाँ कर रहे हैं। इन मेहरबानियों के चलते अति विशिष्ट व्यक्तियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ हो रहा है।एआर एयरवेज़ नाम की एक निजी एयर चार्टर कंपनी यह खिलवाड़ कर रही है। इस कंपनी की सेवाओं का उपयोग करनेवाले अति विशिष्ट यात्रियों को इस बात का अंदाज़ा भी नहीं है कि किस तरह उनके जीवन से खिलवाड़ किया जा रहा है। इसकंपनी की सेवाओं का उपयोग उद्योगपतियों, राजनेताओं, नौकरशाहों, फिल्मी सितारों व अन्य मशहूर हस्तियों द्वारा कियाजाता है। या इस कंपनी के मालिक अशोक चतुर्वेदी नियमों की धज्जियाँ उ...
<strong>नौकरीशाही पर सत्तापक्षी होने का आरोप</strong>

नौकरीशाही पर सत्तापक्षी होने का आरोप

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-ललित गर्ग- लोकतंत्र के प्रमुख स्तंभों में से एक कार्यपालिका लगातार प्रश्नों के घेरों में रहती रही है, आजादी के अमृतकाल में भी कार्यपालिका के भ्रष्ट, लापरवाह एवं गैरजिम्मेदार होना नये भारत-सशक्त भारत की सबसे बड़ी बाधा है। नेताओं और नौकरशाहों के भ्रष्टाचार की आए दिन आने वाली खबरें यही बताती हैं कि केंद्रीय एजेंसियां डाल-डाल हैं तो भ्रष्टता का जाल पात-पात। विडम्बना तो यह है कि नेतृत्व करने वाली ताकतें भ्रष्टाचार में लिप्त है। मद्रास हाईकोर्ट की हाल ही में की गयी टिप्पणी नौकरशाहों की उस प्रवृत्ति को उजागर करने वाली है जिसमें वे सत्ताधारी दलों का पिछल्लगू बनकर काम करते हैं। तमिलनाडु के पूर्व सीएम एके पलानीस्वामी के खिलाफ हाईवे निविदा के मामले में नए सिरे से जांच के सरकार के आदेश को रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि संविधान लागू होने के 73 साल बाद कड़वी हकीकत यह है कि कार्यपालिका ने अपनी स्व...
<strong>मानसून सत्र व्यर्थ नहीं, अर्थपूर्ण ढंग से चले</strong>

मानसून सत्र व्यर्थ नहीं, अर्थपूर्ण ढंग से चले

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-ः ललित गर्ग:- मानसून सत्र दोनों सदनों में सुचारुरूप से चले इसके लिये सर्वदलीय बैठक में सहमति भले ही बनी हो, लेकिन अब तक के अनुभव के अनुसार यह सत्र भी हंगामेदार ही होना तय है। भारतीय जनता पार्टी को कड़ी टक्कर देने के लिए विपक्ष ने ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस (इंडिया)’ नाम के नए गठबंधन की घोषणा कर दी है। नए गठबंधन के नेता संसद के मानसून सत्र में सरकार को घेरने की तैयारी में लगे हैं। मानो विपक्षी दलों ने प्रण कर लिया है कि वह इस सत्र को भी सुगम तरीके से नहीं चलने देगा। मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होने जा रहा है और यह 11 अगस्त को खत्म होगा। इस दौरान संसद के दोनों सदनों की कुल 17 बैठकें रखी गई हैं। एक ओर जहां सत्ता पक्ष अहम विधेयकों को पारित करने की कोशिश में है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष मणिपुर हिंसा, रेल सुरक्षा, महंगाई, यूनिफॉर्म सिविल कोड और अडाणी मामले पर जेपीसी गठित करने क...