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सामाजिक

जल निकायों और संसाधनों का कायाकल्प समय रहते बेहद जरूरी है

जल निकायों और संसाधनों का कायाकल्प समय रहते बेहद जरूरी है

समाचार, सामाजिक
--- डॉo सत्यवान सौरभ,  रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस, दिल्ली यूनिवर्सिटी,  कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट, सरकार की राष्ट्रीय संरचना नीति के तहत राष्ट्रीय जल ब्यूरो दक्षता क्षमता स्थापित करने एवं एक आधुनिक जल नीति की योजना बना रहा है।  राज्यों के बीच आम सहमति का निर्माण इस बदलाव को करने के लिए पूर्व शर्त है। पहली राष्ट्रीय जल नीति को जल संसाधनों के नियोजन और विकास और उपयोग को नियंत्रित करने के लिए तैयार किया गया था। पहली राष्ट्रीय जल नीति को 1987 में अपनाया गया था, 2002 में और बाद में 2012 में इसकी समीक्षा कर सुधात किया गया। राष्ट्रीय जल ढांचे आवश्यकता पर जोर, अंतर-राज्यीय नदियों और नदी घाटियों के सही विकास के लिए व्यापक कानून, सुरक्षित पेयजल और स्वच्छता, खाद्य सुरक्षा को प्राप्त करना, गरीब लोगों को उनकी आज...
क्रांति एवं शांति का समन्वय थे योगी अरविन्द

क्रांति एवं शांति का समन्वय थे योगी अरविन्द

संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक
हमारा प्रेम, हमारी आजादी, हमारी संवदेनाएं, हमारी आकांक्षाएं, हमारे सपने, हमारा जीवन सबकुछ जब दांव पर लगा था तब एक हवा का तेज झोंका आया और हम सब के लिये एक संकल्प, एक आश्वासन एवं एक विश्वास बन गया। जिन्होंने न केवल हमें आजादी का स्वाद चखाया बल्कि हमारे जीवन का रहस्य भी उद्घाटित किया। एक अमृत पुत्र एवं महान क्रांतिकारी के रूप में जिनकी पहचान हैं महर्षि अरविन्द। राष्ट्रीय एवं मानवीय प्रश्नों का समाधान प्रस्तुत करते हुए उन्होंने युवा अवस्था में स्वतन्त्रता संग्राम में क्रान्तिकारी के रूप में भाग लिया, किन्तु बाद में यह एक योगी एवं दार्शनिक बन गये और इन्होंने पांडिचेरी में एक आश्रम स्थापित किया। उनका अनुभूत सत्य है कि ‘रहे भीतर, जीयें बाहर’। जो भी उनकी विलक्षण आध्यात्मिक एवं योग की सन्निधि में आता, वह निरोगी एवं तेजस्वी बन जाता। जो राष्ट्रीय सोच की छांव में आता, देश के लिये बलिदान होने ...
आत्मा को दीप्त करता महापर्व-पर्युषण

आत्मा को दीप्त करता महापर्व-पर्युषण

संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक
- आचार्य डाॅ.लोकेशमुनि- जैन संस्कृति में जितने भी पर्व व त्योहारों मनाये जाते हैं लगभग सभी में तप एवं  साधना का विशेष महत्व है। जैनों का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्व है पयुर्षण पर्व । यह पर्व ग्रंथियों को खोलने की सीख देता है और आत्मशुद्धि का वातावरण निर्मित करता है। इस आध्यात्मिक पर्व के दौरान कोशिश यह की जाती है कि जैन कहलाने वाला हर व्यक्ति अपने जीवन को इतना मांज ले कि वर्ष भर की जो भी ज्ञात-अज्ञात त्रुटियां हुई हैं, आत्मा पर किसी तरह का मैल चढ़ा है वह सब धुल जाए। संस्कारों को सुदृढ़ बनाने और अपसंस्कारों को तिलांजलि देने का यह अपूर्व एवं अलौकिक अवसर है। इस पर्व के आठ दिन इतने महत्वपूर्ण हैं कि इनमें व्यक्ति स्वयं के द्वारा स्वयं को देखने का प्रयत्न करता है। ये आठ दिन नैतिकता और चरित्र की चैकसी एवं उसकी प्रयोगशाला का काम करते हैं और व्यक्ति को प्रेरित करते हैं वे भौतिक और सांसारिक जीव...
मेरे कृष्ण

मेरे कृष्ण

संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक
श्री कृष्ण जन्मोत्सव वास्तव में एक बालक जन्म से कुछ अधिक है, ये पर्व मानव सभ्यता को जीवन मूल्यों के साथ जीवन से जुड़े विभिन्न मनोभावों जैसे प्रेम, विश्वास, क्रोध, अनुराग, घृणा आदि के प्रति जागरूक करता है। विचारणीय तथ्य है कि समस्त बंधनो में जन्म लेने वाला शिशु किस प्रकार समस्त बंधनों को पार करके एक नए परिवार में प्रवेश पाता है। उसको जन्म देने वाले, पालने वाले सब एक माध्यम है ताकि शिशु अपनी विभिन्न लीलाओं के माध्यम से समाज को जागरूक कर सके। श्री कृष्ण का जीवन एक प्रतिबिम्ब है जिसमे उनके अनेक रूप जीवन शैली की सकारात्मकता एवम नकारात्मकता को समाविष्ट किये हुए है। कृष्ण एक नटखट बालक है, एक बाँसुरी वादक है, एक भयंकर योद्धा है, एक राजनेता है, एक महायोगी है और एक प्रेमी है। वास्तव में कृष्ण जीवन का एक आचरण है जिसका संबंध पूरे समाज से है। यदि श्री कृष्ण के जीवन का अध्ययन करें तो पाते हैं कि श्...
बनारस के घाट हमारे शक्ति के केंद्र हैं: डाॅ. सच्चिदानंद जोशी

बनारस के घाट हमारे शक्ति के केंद्र हैं: डाॅ. सच्चिदानंद जोशी

सामाजिक
नई दिल्ली, 10 अगस्त 2020 ‘बनारस के घाट’ वेबनार में हिंदू संस्कृति को सशक्त करने की आवश्यकता पर बल देते हुए बनारस के घाटों, वहां की संस्कृति, संगीत, कला, साहित्य, जीवनशैली की जीवंत एवं प्रभावी प्रस्तुति की गई। ये घाट न केवल वाराणसी के बल्कि हिंदुत्व के समृद्ध इतिहास एवं संस्कृति के प्रतीक है। इन संस्कृति एवं शक्ति केंद्रों को धुंधलाने की कोशिशों को नाकाम करने की जरूरत पर बल देते हुए विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। लाॅयंस क्लब नई दिल्ली अलकनंदा द्वारा आयोजित इस विशिष्ट वेबनार में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डाॅ. सच्चिदानंद जोशी प्रमुख वक्ता थे। जिसमें राजधानी दिल्ली की विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। कार्यक्रम के संयोजक श्री अरविंद शारदा एवं सहसंयोजक डाॅ. चंचल पाल ने इस वेबनार की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि का...

*राममंदिर से रामराज्य की ओर बढ़ने के कुछ पहलू।

संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक, साहित्य संवाद
भारत वर्ष सभ्यतामूलक दृष्टि से दुनिया का नेतृत्व करता रहा है। कालांतर में वैभव, प्रमाद, आलस्य, आत्मविस्मृति और सदगुण विकृति से प्रभावित हुआ। फलतः पिछले 5-7 सौ वर्षों में निरंतर संघर्षरत रहा। *पिछले 200 वर्ष तो चिंताजनक रहे। पर भारतीय चेतना फिर से आग्रही चैतन्यवान स्वरुप की ओर 1800 से बढ़ी।* *दुनिया की हलचलों को समझकर भारतीय समाज ने अब मानव केन्द्रिक विकास की जगह प्रकृति केन्द्रिक विकास की ओर कदम बढाये हैं। देसी, स्वदेशी और विकेन्द्रीकरण की आग्रही राजनैतिक, आर्थिक सुव्यवस्था की मांग अब बढ़ रही है।* समाज, सरकार दोनों को समझ मे आ रहा है कि रामराज्य हमारा आदर्श है। वह *रामराज्य ही राम के भारत को स्वीकार्य है।* उसके अनुकूल है प्रकृति का संपोषण करने वाली प्रकृति केन्द्रिक विकास की संकल्पना। उससे ही मेल खाती है महात्मा गांधीजी के हिन्द स्वराज की सभ्यता मूलक दृष्टि और रा. स्व. संघ के परम वैभव का ...
क्या नई शिक्षा नीति से शिक्षा क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन आएंगे?

क्या नई शिक्षा नीति से शिक्षा क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन आएंगे?

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  (हमारे प्राचीन शैक्षिणिक इतिहास, उपलब्धियों, गलतफहमी का जायजा लेने और 21 वीं सदी के भारत के लिए भविष्य की शिक्षा योजना का चार्ट सही समय परआया है। पेशेवर योग्य शिक्षकों की कमी और गैर-शैक्षिक उद्देश्यों के लिए शिक्षकों की तैनाती में वृद्धि ने हमारी शिक्षा व्यवस्था को त्रस्त कर दिया है।)   भारत में ज्ञान प्रदान करने की एक अति समृद्ध परंपरा रही है। 'गुरुकुल' प्राचीन भारत में एक प्रकार की शिक्षा प्रणाली थी जिसमें एक ही घर में गुरु के साथ रहने वाले शिष्य (छात्र) थे। नालंदा इस  दुनिया में शिक्षा का सबसे पुराना विश्वविद्यालय-तंत्र था। दुनिया भर के छात्र भारतीय ज्ञान प्रणालियों से आकर्षित और अचंभित थे। आधुनिक ज्ञान प्रणाली की कई शाखाओं की उत्पत्ति भारत में हुई थी। प्राचीन भारत में शिक्षा को एक उच्च गुण माने ज...

Is that milk safe?

प्रेस विज्ञप्ति, सामाजिक
New Delhi, July 29, 2020: India is the world’s largest milk producer; it produced a massive 188 million tonnes in 2018-19. Urban areas consume 52 per cent of this milk, and the unorganised sector, comprising milkmen and contractors, caters to 60 per cent of this consumer base; the remaining demand is met by dairy cooperatives and private dairies which represent the organised sector. But how healthy is the milk that we consume?   An online meeting and consultation of key stakeholders, organisedhere on July 28 by Centre for Science and Environment (CSE)on the subject of antibiotic use in the Indian dairy sector, put the spotlight on this question and its answers. The event was attended by a wide spectrum of experts and participants from the Food Safety and Standards Authority of I...
Time for oppressed Sikhs in Pakistan and Afghanistan to move back to India?

Time for oppressed Sikhs in Pakistan and Afghanistan to move back to India?

सामाजिक
After getting out of the clutches of swiftly thriving demonic natured, Talibani, in a group of Sikhs with their women and children has reached Delhi. Under Citizenship Amendment Act (CAA), it will be easy for them now to get Indian citizenship easily. It has become almost impossible for Hindus and Sikhs to reside in Afghanistan and Pakistan now. They are oppressed and tortured continuously by Talibani hooligans and other radical Islamic terrorist outfits. They are ill treated and pressurised to convert to Islam. Their women are kidnapped, raped married forcefully and are converted to islam. Hindu temples were attacked and hardly any temple is able to withstand Talibani and communal aggression in Afghanistan. A few Gurudwaras are still left. Hindus and Sikhs are brutally murdered these day...
Tripartite MoU to adopt technologies for rural development

Tripartite MoU to adopt technologies for rural development

राष्ट्रीय, विश्लेषण, समाचार, सामाजिक
New Delhi, July 29 : To boost rural development in the country a tripartite Memorandum of Understanding (MoU) has been signed among Center of Scientific and Industrial Research (CSIR), Unnat Bharat Abhiyan-Indian Institute of Technology, Delhi (UBA-IITD) and Vijnana Bharti (VIBHA). The MoU is to provide access to CSIR rural technologies for UBA and is expected to lay the foundation for cooperation and joint action in the area of UBA for rural development of India. This will pave the way for the adoption of CSIR technologies and related knowledge base in tune with the people’s aspirations in furtherance of initiatives such as UBA and VIBHA. Dr Shekhar Mande, Director General, CSIR and Secretary, Department of Scientific and Industrial Research (DSIR) emphasized that CSIR has a ric...