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सामाजिक

रख्यात लेखिका केरेन आर्मस्ट्रांग की पुस्तक है:” The Gospel according to Women “।

रख्यात लेखिका केरेन आर्मस्ट्रांग की पुस्तक है:” The Gospel according to Women “।

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उसमें पृष्ठ 91 -99 में कुछ पादरियों द्वारा लिखी गई पुस्तकों की चर्चा है ।विशेषकर जैकब स्प्रेंगर नामक एक पादरी ने एक पुस्तिका लिखी : Malleus Maleficarum मेल्यूस मलीफीकेरम।जिसका हिंदी अनुवाद होगा "कुकर्मी डायनों की पिटाई ठुकाई के लिए हथोड़ा "। लेखिका केरेन आर्मस्ट्रांग ने कई पृष्ठों में उस पुस्तिका के सारांश दिए हैं। यह पुस्तक कोलॉन यूनिवर्सिटी द्वारा 16वीं शताब्दी ईस्वी में पाठ्यपुस्तक के रूप में पाठ्यक्रम का अंग थी ।इसके 11 संस्करण प्रकाशित हुए।इसके बाद से अनेक पादरियों ने डाइनो को ठिकाने लगाने की विधियों पर अनेक पुस्तक लिखी और परस्पर होड लग गई।स्प्रेंगर ने उक्त पुस्तिका में लिखा कि जो christian स्त्रियां पादरियों और चर्च की आज्ञाकारिणी नहीं होती , वे शैतान की सखी होती है। शैतान की सखी यह स्त्रियां पुरुषों पर सात प्रकार से आक्रमण करती हैं :पहले पुरुषों के मस्तिष्क में असाधारण काम वे...
<strong>बन्दूक-संस्कृति से दागदार होती अमेरिकी छवि</strong>

बन्दूक-संस्कृति से दागदार होती अमेरिकी छवि

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-ः ललित गर्ग - दुनिया में स्वयं को सभ्य एवं स्वयंभू मानने वाले अमरीका में बढ़ रही ‘बंदूक संस्कृति’ के साथ-साथ लोगों में बढ़ रही असहिष्णुता, हिंसक मनोवृत्ति और आसानी से हथियारों की सहज उपलब्धता का दुष्परिणाम बार-बार होने वाली दुखद घटनाओं के रूप में सामने आना चिन्ताजनक है। अमेरिका में एक हत्यारे ने गोलियां बरसाकर करीब 21 लोगों को मौत की नींद सुला दिया और कई को जख्मी कर दिया है। तीन स्थानों पर गोलीबारी करने के बाद हत्यारा घटनास्थल से भागने में सफल हुआ है। आश्चर्यकारी है कि दुनिया की सबसे दुरस्त एवं सक्षम अमेरिकी पुलिस एक हत्यारे को पकड़ने में इतनी लाचार हो गई कि उसे सहयोग के लिए आम लोगों से अपील करनी पड़ी। हिंसा की बोली बोलने वाला, हिंसा की जमीन में खाद एवं पानी देने वाला, दुनिया में हथियारों की आंधी लाने वाला अमेरिका अब खुद हिंसा का शिकार हो रहा है। अमेरिका की आधुनिक सभ्यता की सबसे बड़ी ...
महाराजा हरिसिंह जी के साथ न्याय नहीं किया गया?

महाराजा हरिसिंह जी के साथ न्याय नहीं किया गया?

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26 अक्तूबर, 1947 का दिन भारत वर्ष के लिए ऐतिहासिक महत्त्व रखता है। इसी दिन जम्मू-कश्मीर रियासत के महाराजा हरिसिंह ने आपातकालीन परिस्थितियों में अधिमिलन-पत्र यानी ''इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन'' पर हस्ताक्षर किए थे। यह सर्वविदित है कि 22 अक्तूबर 1947 को कबायलियों के वेश में पाकिस्तानी हथियारबंद सेना कश्मीर में दाख़िल हुई और सीमावर्त्ती प्रजा के साथ लूट-मार, महिलाओं के साथ दुराचार जैसी बर्बरता करती हुई बड़ी तेज़ी से श्रीनगर की ओर बढ़ने लगी। इन परिस्थितियों में महाराजा के पास अविलंब विलय के अलावा अन्य कोई विकल्प बचा ही नहीं था। ध्यातव्य हो कि जब महाराजा हरिसिंह ने अधिमिलन-पत्र पर हस्ताक्षर किए, उन्होंने अपनी ओर से विलय के लिए कोई शर्त्त नहीं रखी थी। न ही उन्होंने बाद में भारत सरकार पर किसी प्रकार का दबाव बनाया था। उन्होंने विलय-पत्र पर हस्ताक्षर करने में जो समय लिया उसके पीछे भी स्थानीय कारण...
<strong>भारत में भी तैयार है गाजापट्टी जैसा उन्माद फटने को</strong>

भारत में भी तैयार है गाजापट्टी जैसा उन्माद फटने को

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- ललित गर्ग - समूची दुनिया मजहबी कट्टरता, अमानवीय अत्याचार एवं उन्मादी आतंकवाद के चलते विश्वयुद्ध के मुहाने पर खड़ी है। हमास के आतंकवादियों ने किस तरह की हैवानियत की थी, छोटे छोटे बच्चों एवं महिलाओं के साथ घर में घुसकर हिंसा, अनाचार किया, गोली मारी, जिंदा जला दिया। पकड़े गये सैनिकों को बारूद में लपेट कर जीवित जला देना, अपने ही हिमायती लोगांे को अपने लिए मानव ढाल बनने के लिए मजबूर करना, उन्हें युद्ध क्षेत्र में रोकना, जिससे अधिक से अधिक लोगों की जान जा सके यह किसी युद्ध की स्थिति नहीं है, यह इस्लामी कट्टरवादी सोच है। यह सारी मानवता को चुनौती है, विश्वशांति को खतरा है, उसके लिए अस्तित्व रक्षा का प्रश्न है। अब सवाल ये है कि गाजा के आम लोगों का इसमें क्या कसूर? क्या हमास की दरिंदगी का बदला गाजा के आम लोगों के खून से चुकाया जाएगा? आखिर कब तक निर्दोष, मासूम एवं आमजन उन्माद एवं आतंक क...
लूट खसोट का केंद्र बनते निजी अस्पताल

लूट खसोट का केंद्र बनते निजी अस्पताल

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हमारे देश के करीबन पचहत्तर प्रतिशत अस्पताल निजी क्षेत्र में हैं। मात्र पच्चीस प्रतिशत अस्पताल सरकार द्वारा संचालित किए जाते हैं, जिनमें भी अधिकतर अस्पतालों में डॉक्टर, नर्स एवं गुणवत्ता वाले चिकित्सीय संसाधनों का अभाव रहता है। ऐसे में सुविधा एवं संसाधनों से परिपूर्ण निजी अस्पतालों की मनमानी स्वाभाविक है। इनकी मनमानी भरे रवैये पर नकेल कसने के लिए सरकार को निजी अस्पतालों में हो रही सारी जांचों, उपलब्ध दवाइयों, सर्जरी, परामर्श तथा हो रहे हर प्रकार के इलाज के लिए दरें तय कर देनी चाहिए। निजी अस्पतालों में उपलब्ध आईसीयू बेड, वेंटिलेटर इत्यादी सुविधाओं की यथास्थिति ऑनलाइन होनी चाहिए। इन नियमों का उल्लंघन करने पर निजी अस्पताल पर कार्रवाई होनी चाहिए। इसके साथ-साथ सरकार को सरकारी अस्पतालों की संख्या, वहां पर डॉक्टरों, नर्सों एवं आधुनिक संसाधनों में वृद्धि...
कन्या-पूजन नहीं बेटियों के प्रति दृष्टिकोण बदलने की जरूरत

कन्या-पूजन नहीं बेटियों के प्रति दृष्टिकोण बदलने की जरूरत

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नवरात्रि का पर्व नारी के सम्मान का प्रतीक है। नौ दिनों तक नवदुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना होती है। कहते हैं कि जिस घर में माता की पूजा होता है, वह सुख-समृद्धि बनी रहती है। देवी पूजा महज माता की प्रतिमा की पूजा मात्र नहीं है, बल्कि यह पर्व मां, बहन, बेटी और समाज की हर नारी के सम्मान का पर्व है। ऐसे में सिर्फ कन्या पूजन ही नहीं, महिलाओं का भी सम्मान करें। अगर आप देवी पूजा करते हैं तो महज नवरात्रि के मौके पर नहीं बल्कि महिलाओं के प्रति आदर सदैव बनाए रखें। इन नवरात्रि देवी के सामने महिला सम्मान का संकल्प लें और अपने आचरण में कुछ बदलाव लाएं, ताकि मां, बेटी और समाज की हर नारी सुरक्षित व सम्मानित महसूस कर सके। आज जब सभी देशवासी भारत की संस्कृति का गौरवमय त्यौहार कन्या पूजन करने की तैयारी में हैं तो उनसे यह निवेदन और प्रश्न भी है कि आखिर जहां कन्या की सम्मानजनक स्थिति बने रहे, ऐसा समाज बनान...
भौतिकता की चाह में पीछे छूटते रिश्ते

भौतिकता की चाह में पीछे छूटते रिश्ते

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एक अजीब सी दौड़ है ये ज़िन्दगी, जीत जाओ तो कई अपने पीछे छूट जाते हैं और हार जाओ तो अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं। रिश्तों के प्रति इंसान को जागरूक होना चाहिए तथा रिश्तों की अहमियत को पहचाना चाहिए। जो रिश्तों के अर्थ को समझ सकता है। वहीं रिश्तों को निभा सकता है। जीवन दो-ढाई दशक पहले तक कई मायनों में बहुत ही सादगी भरा और दिखावे से कोसों दूर और वास्तविकता के बहुत पास होता था। तब मनुष्यता के जितने गुण सोचे और तय किए गए हैं,  वे सब आसपास के परिवेश के दिख जाते थे। लेकिन आज सरलता और सहजता से दूर दिखावे और स्वार्थ से भरा हुआ जीवन ही ज्यादातर लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है। इसमें वयस्क या बुजुर्गों की तो दूर, हमने बच्चों तक को नहीं छोड़ा है। आजकल लोग अपने ख़ुशी में कम खुश और दुसरों की दुख में ज़्यादा खुश होने लगें हैं। -प्रियंका सौरभ  आजकल की भागदौड की जिंदगी...
अजन्मे बच्चे के अधिकारों की रक्षा का बड़ा मानवीय फैसला

अजन्मे बच्चे के अधिकारों की रक्षा का बड़ा मानवीय फैसला

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- ललित गर्ग-सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर कभी-कभी नैतिक एवं मानवीय मूल्यों से जुड़े मुद्दे भी विचाराधीन आते हैं, भारतीय न्यायालय की विशेषता रही है कि वह ऐसे मामलों को गंभीरता से लेते हुए अनूठे फैसले लेकर मानवीय एवं नैतिक मूल्यों को मजबूती दी है। ऐसे ही एक मामले में अजन्मे बच्चे की नैतिकता के आधार पर पैरवी खुद सुप्रीम कोर्ट ने करते हुए एक मिसाल कायम की है। सुप्रीम कोर्ट ने छब्बीस सप्ताह का गर्भ गिराने की मांग करने वाली याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी है कि चूंकि भ्रूण का विकास सामान्य है इसलिए उसे जन्म लेना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि बच्चे की स्थिति एक दम सही है और उसे जन्म मिलना ही चाहिए। अदालत कह चुकी है कि महिला यदि चाहे तो पैदा होने वाले बच्चे को जन्म के बाद सरकार को सौंप सकती है। इसी मामले की सुनवाई के दौरान कुछ दिन पहले सीजेआइ डीवाई चंद्रचूड ने कहा था कि बेशक मां की स्वायत्तता बड़ी है, प...
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा’ पर घूस लेकर संसद में सवाल पूछने का आरोप

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा’ पर घूस लेकर संसद में सवाल पूछने का आरोप

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
रामस्वरूप रावतसरेलोकसभा में अपने बयानों के कारण अक्सर विवादों में रहने वाली महुआ मोइत्रा पर बड़ा आरोप लगा हैं कि वो भले ही टीएमसी की सांसद हैं और कृष्णानगर लोकसभा सीट से जनता द्वारा चुनकर लोकसभा भेजी गई हैं, लेकिन वो पैसों के लिए जनता और राष्ट्र के हित की नहीं बल्कि व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के लिए काम करती हैं। ये आरोप एक मशहूर वकील ने आँकड़ों के साथ लगाए है, जिसपर एक्शन लेने की माँग करते हुए भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है। इस मामले में महुआ मोइत्रा ने पलटवार भी किया है और कहा है कि पहले जिन लोगों पर मैंने आरोप लगाए हैं, उन पर कार्रवाई की जाए, फिर मेरे दरवाजे पर आया जाए।भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को लिखे पत्र में सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई का हवाला दिया है। अपने पत्र में भाजपा सांसद ने टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा पर लोक...
भारत के चांद तक के सफर की पूरी कहानी

भारत के चांद तक के सफर की पूरी कहानी

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भारत ने 90 के दशक में जब पहला ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन (पीएसएलवी) लाॅन्च किया तभी से चांद की रहस्यमयी सतह छूने के वैज्ञानिक प्रयास तेज हो गए। लगभग तीन दशक बाद आखिरकार भारत ने इतिहास दर्ज करते हुए चंद्रमा के उस अंधेरे भू-भाग को छू लिया जिसे दुनिया के बड़े और विकसित देश भी दर्जनों मून मिशन के जरिए नहीं कर पाए। भारत अब चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव यानी अंधेरे पक्ष का उजाला दुनिया के सामने रख रहा है। चंद्रयान-3 लगातार मानव कल्याण के लिए हर वो जानकारी साझा कर रहा है जिससे दुनिया का दूसरे उपग्रह या ग्रहों का सफर आसान हो जाएगा By Rohini K Murthy  यह चंद्रमा की पहली फार साइड फोटो है। अक्टूबर 1959 में लूना 3 स्पेसक्राफ्ट को कजाकिस्तान के बैकोनूर कॉस्मोड्रोम से लॉन्च किया गया था। यह तीसरा स्पेसक्राफ्ट था जो चंद्रमा पर पहुंचा और इसने पहली बार मून फार साइड की फोटो भेजी। फोटो : ना...