Shadow

सामाजिक

And Nirbhaya

And Nirbhaya

राज्य, सामाजिक
It has been a long, long wait. But finally a verdict has been delivered by the Supreme Court. Yesterday’s verdict has been welcomed by all those waiting for justice, including Nirbhaya’s parents. Everyone appears pleased and relieved that finally justice has been done to Nirbhaya. The Apex Court decided that this was a rarest of rarest criminal acts and thus endorsed the death sentence handed down by the High Court, to four accused. Two other accused escaped the verdict of death by hanging. One had earlier committed suicide while in custody, by hanging himself, possibly due to shame and remorse. Another was protected by his age, being a little short of 18 when committing the crime. The juvenile got away with the only sentence that juveniles can be handed down under India’s Juvenil...
देश को राहुल बजाज से जैसे उद्योगपतियों की जरूरत

देश को राहुल बजाज से जैसे उद्योगपतियों की जरूरत

सामाजिक
विनीत नारायण पिछले हफ्ते भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने ‘सीआईआई’ के एक भव्य समारोह में प्रसिद्ध उद्योगपति राहुल बजाज को ‘लाईफ टाइम एचीवमेंट अवाॅर्ड’ दिया। यह एक सुखद अनुभव था। क्योंकि राहुल उस पीढी के उद्योगपति हैं, जिन्होंने मूल्यों पर आधारित व्यापार किया और निज लाभ के लिए सरकारी तंत्र को भ्रष्ट बनाने की कोशिश नहीं की। जिसके बिना बहुत से औद्यौगिक घराने आज वहां न होते, जहाँं वे पहुंच गये हैं। अपने इसी नैतिक बल के आधार पर राहुल की शख्सियत में वो खुद्दारी है, कि वे सरकार की कमियों पर खुलकर बोलते हैं। अवाॅर्ड स्वीकार करते वक्त भी उन्होंने देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं में तेजी से आ रही गिरावट पर दुख प्रकट किया। दरअसल वतनपरस्ती और बेबाकी उन्हें खून में मिली है। उनके दादा जमुनालाल बजाज जी महात्मा गांधी के सहयोगी और बड़े राष्ट्रभक्त थे। उनकी दादी ने भरी जवानी में गांधीजी के कहने से ...
ग्लोबलगिविंग की भारत में संभावनाभरी दस्तक

ग्लोबलगिविंग की भारत में संभावनाभरी दस्तक

सामाजिक
ललित गर्गः- दुनियाभर के दानदाताओं को भारत में दान के लिये प्रोत्साहित किये जाने की दृष्टि से क्राउडफंडिंग एक सशक्त माध्यम है। भारत के लिए क्राउडफंडिंग भले ही नया हो पर इसकी अपार संभावनाएं हैं। आने वाले समय में क्राउडफंडिंग भारत की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं, सेवा उपक्रमों एवं धार्मिक कार्यों के लिये दान की उपलब्धता का बेजोड़ माध्यम होगा। भारत के सुनहरे भविष्य के लिए क्राउडफंडिंग अहम भूमिका निभा सकती है और क्राउडफंडिंग भारत में काफी सफल भी हो सकता है क्योंकि यहां अमीर-गरीब के बीच गहरी खाई है। तकनीक एवं सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दुनिया में भारत की अलग पहचान है। यह उसे पाटने में अहम भूमिका निभा सकता है। इसके जरिए अमीर एवं सुविधा संपन्न वर्ग मिलकर गरीबों की मदद कर सकते हैं। इससे उन लोगों की जिंदगी में बदलाव आएगा, जो पैसों की कमी की वजह से बुनियादी जरूरतों से वंचित रह जाते हैं। हम अ...
बच्चों की बालसुलभ भावनाओं को समझने के लिए माता-पिता अपने अंदर धैर्य का गुण विकसित करें

बच्चों की बालसुलभ भावनाओं को समझने के लिए माता-पिता अपने अंदर धैर्य का गुण विकसित करें

सामाजिक
शान्ति पाल, लखनऊ कुछ बच्चे अपनी जिज्ञासु प्रवृत्ति के कारण कुछ न कुछ पूछते हीं रहते हैं- यह क्या है, ऐसा क्यों होता है, आदि-आदि। अगर इन प्रश्नों का सही उत्तर उन्हें मिल जाये तो उन्हें अधिक सोचने का मौका मिलता है। माता-पिता को ऐसे बच्चों को प्रोत्साहित करना चाहिए। इसके विपरीत माता-पिता झिड़की देकर अथवा डांट-डपट कर बच्चों के मनोभावों का दमन करते हैं और बाल चिकित्सकों के अनुसार बच्चे के मन को कुंठित करने का एक तरीका यह भी है कि उसकी स्वाभाविक जिज्ञासा को दबाने के लिए उसे झिड़किया दी जाएं और उसे डराया धमकाया जाए। यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि बच्चा स्वयं एक निर्देशक होता है। उसकी बुद्धि इतनी विकसित हो चुकी होती है कि वह अपने प्रश्नों को बखूबी समझता है। अतः बच्चों के प्रश्नों का उत्तर उनकी आयु समझ और ग्रहणशक्ति को ध्यान में रखकर दिया जाना चाहिए। पर कई बार माता-पिता बच्चों की जिम्मेदारियों से विम...
आईने में अक्स देखने का वक्त

आईने में अक्स देखने का वक्त

राष्ट्रीय, सामाजिक
      लेखक : अरुण तिवारी  अपने नये पंचायती राज की उम्र 24 साल हो गई है। आगे की दिशा निश्चित करने के लिए जरूरी है कि पंचायती राज के अभिभावक, आकलन करें। बतौर मानक, तीन कहानियां हमारे सामने हैं: केरल के सरपंच इलिंगों की कहानी, अलगू चैधरी व जुम्मन मियां की कहानी तथा राजस्थान के जिला अलवर में बनी अरवरी नदी के 70 गांवों की संसद की कहानी। ये तीन कहानियां, हमारे सामने क्रमशः तीन आईने रखती हैं: पहला, 73वां संविधान संशोधन का आईना और दूसरा, भारत की पारम्परिक पंच-परमेश्वरी अवधारणा का आइना और तीसरा, महात्मा गांधी से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी तक दिए बयानों का आईना। श्रेष्ठ केरल: श्रेष्ठ बंगाल यदि 73वें संशोधन द्वारा प्रदत पंचायती राज प्रावधानों को सामने रखें, तो केरल और पश्चिम बंगाल के पंचायतीराज अधिनियमों को क्रमशः एक व दो स्थान पर रखा जा सकता है। इन्होने, 1996 में सेन समिति द्वारा...
R.O. का लगातार सेवन बनेगा मौत का कारण W.H.O.

R.O. का लगातार सेवन बनेगा मौत का कारण W.H.O.

सामाजिक
चिलचिलाती गर्मी में कुछ मिले या ना मिले पर शरीर को पानी ज़रूर मिलना चाहिए। अगर पानी RO का हो तो, क्या बात है ! परंतु *क्या वास्तव में हम आर. ओ. के पानी को शुद्ध पानी मान सकते हैं* ?*जवाब आता है बिल्कुल नहीं। और यह जवाब विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) की तरफ से दिया गया है।*विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि इसके लगातार सेवन से हृदय संबंधी विकार, थकान, कमजोरी, मांसपेशियों में ऐंठन, सर दर्द आदि दुष्प्रभाव पाए गए हैं। यह कई शोधों के बाद पता चला है कि इसकी वजह से *कैल्शियम और मैग्नीशियम पानी से पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं* जो कि शारीरिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है।RO के पानी के लगातार इस्तेमाल से शरीर मे विटामिन *B-12* की कमी भी होने लगती है।वैज्ञानिकों के अनुसार मानव शरीर 400 टीडीएस तक सहन करने की क्षमता रखता है परंतु RO में 18 से 25 टीडीएस तक पानी की शुद्धता होती है जो कि नुकसानदायक है। इसके...
वेल्थ के हवाले हेल्थ

वेल्थ के हवाले हेल्थ

addtop, सामाजिक
भारतीय संविधान अपने नागरिकों को “जीवन की रक्षा का अधिकार” देता है, राज्य के नीति निर्देशक तत्वों में भी “पोषाहार स्तर, जीवन स्तर को ऊंचा करने तथा लोक स्वास्‍थ्‍य में सुधार करने को लेकर राज्‍य का कर्तव्य” की बात की गयी है. लेकिन जमीनी हकीकत ठीक इसके विपरीत है. हमारे देश में स्वास्थ्य सेवाएं भयावह रूप से लचर हैं. सरकारों ने लगातार लोक स्वास्थ्य की जिम्मेदारी से लगातार अपने आप को दूर किया है. नवउदारवादी नीतियों के लागू होने के बाद तो सरकारें जनस्वास्थ्य के क्षेत्र को पूरी तरह से निजी हाथों में सौपने के रोडमैप  पर चल पड़ी हैं. आज हमारे देश की स्वास्थ्य सेवाएं काफी खर्चीली और आम आदमी की पहुँच से काफी दूर हो गयी हैं. प्राइवेट अस्पतालों को अंतिम विकल्प बना दिया गया है, जहाँ इलाज के नाम पर इतनी उगाही होती है कि आम भारतीय उसको वहन नहीं कर पाता है. भारत सरकार की पूर्व स्वास्थ्य सचिव सुजाता राव का कहन...
CMS Founders Dr Jagdish Gandhi and  Dr Bharti Gandhi declare their personal Assets

CMS Founders Dr Jagdish Gandhi and Dr Bharti Gandhi declare their personal Assets

प्रेस विज्ञप्ति, सामाजिक
Lucknow, April 11 : Ex-MLA and Founder of City Montessori School Dr Jagdish Gandhi and his wife Dr Bharti Gandhi, Founder, CMS, have declared their personal assets totaling Rs. 14,00,238.04 on their website www.jagdishgandhiforworldhappiness.org/assets.html . They have also declared that they do not have any personal land, property or own house and are living in a rented house for the past 58 years. They have further declared that they do not possess any foreign currency, gold, silver, jewellery or ornaments and neither do they operate any current bank account or bank locker.  They do not have any fixed deposit.  Both these renowned educationists declared that besides the above mentioned properties, they do not possess any other personal property of their own. The break-up of the assets...
सही मायने में आज डॉ. भीमराव आम्बेडकर की जरुरत है

सही मायने में आज डॉ. भीमराव आम्बेडकर की जरुरत है

विश्लेषण, सामाजिक
  बोधिसत्त्व बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने महाराष्ट्र के नागपुर शहर में अशोक विजयदशमी के दिन 14 अक्टूबर, 1956 को अपने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धम्म की दीक्षा ली थी. यह दुनिया के इतिहास में एक प्रकार की शानदार रक्तहीन क्रान्ति ही थी, क्योंकि दुनिया में आज तक कभी कोई ऐसा उदाहरण नहीं मिलता है कि जहां आठ लाख लोग बिना किसी लोभ-लालच या भय के अपने नारकीय धर्म को त्यागकर किसी दूसरे धर्म में चले जाएँ. यह बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर के जुझारू एवं करिश्माई व्यक्तित्व का ही आकर्षण था कि उनकी एक अपील पर, उनके लाखों अनुयायी बौद्ध हो गए थे. जबकि वे लाखों लोग बौद्ध धम्म और उसके दर्शन को दूर-दूर तक जानते भी नहीं थे, गौतम बुद्ध कौन हैं, उनके माता-पिता कौन थे, वे कहाँ के रहने वाले थे? बौद्ध धम्म के धार्मिक ग्रन्थ कौन से हैं? बौद्ध धम्म में कौन-कौन से अनुष्ठान और पर्व मनाये जाते हैं? बौद्ध धम्म क...
2025 तक टीबी मुक्त भारत के लिए जरुरी है स्वास्थ्य एवं गैर-स्वास्थ्य वर्गों में साझेदारी

2025 तक टीबी मुक्त भारत के लिए जरुरी है स्वास्थ्य एवं गैर-स्वास्थ्य वर्गों में साझेदारी

जीवन शैली / फिल्में / टीवी, सामाजिक
अब इसमें कोई संदेह नहीं कि टीबी मुक्त भारत का सपना सिर्फ स्वास्थ्य कार्यक्रम के ज़रिए नहीं पूरा किया जा सकता है. टीबी होने का खतरा अनेक कारणों से बढ़ता है जिनमें से कुछ स्वास्थ्य विभाग की परिधि से बाहर हैं. उसी तरह टीबी के इलाज पूरा करने में जो बाधाएं हैं वे अक्सर सिर्फ स्वास्थ्य कार्यक्रमों से पूरी तरह दूर हो ही नहीं सकतीं - उदहारण के तौर पर - गरीबी, कुपोषण, आदि. इसीलिए टीबी मुक्त भारत का सपना, सभी स्वास्थ्य और ग़ैर-स्वास्थ्य वर्गों के एकजुट होने पर ही पूरा हो सकता है. इसी केंद्रीय विचार से प्रेरित हो कर, विश्व स्वास्थ्य दिवस 2017 के उपलक्ष्य में, हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला स्थित, हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एचपीसीए) के परिसर में, टीबी मुक्त भारत सम्मेलन का आयोजन हुआ. इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट टीबी एंड लंग डिजीज (द यूनियन) की पहल पर अनेक विशिष्ठ सह-आयोजकों के साथ संपन्न हुए इस सम्मे...