“विश्वकर्मा योजना” आखिर सुध ली गई हाशिए पर खड़े समाज की
आर.के. सिन्हा
कभी यह भी सोचा जाना चाहिए कि देश के आजाद होने के इतने दशक गुजरने के बाद भी हमने मोची, धोबी, बढ़ई, लोहार, कुम्हार जैसे निचले स्तर पर काम करने वालें कुशल कामगारों के हितों को लेकर कोई व्यापक नीति क्यों नहीं बनाई? अगर इनके बारे में पहले सोचा जाता तो ये भी देश के विकास का लाभ ले रहे होते। इनकी अनदेखी तो हुई। हां, इतना सुकून किया जा सकता है कि अब इनके बारे में सोचा जा रहा है। अब सरकार इनकी जिंदगी में खुशियां लाने के लिये विश्वकर्मा योजना लेकर आ रही है। इस योजना के ऊपर अगले पांच साल में 13 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आगामी 17 सितंबर को जन्म दिन पर शुरू होने वाली इस योजना के तहत मोची, धोबी, बढ़ई, लोहार कुम्हार आदि को पांच प्रतिशत की दर से एक लाख रुपये और दूसरे चरण में दो लाख रुपये का कर्ज मिल सकेग...