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बचिए, फ़र्ज़ी समीक्षा बाज़ार से

बचिए, फ़र्ज़ी समीक्षा बाज़ार से

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, घोटाला, विश्लेषण, सामाजिक
इन दिनों डिजिटल स्वरूप में सूचनाओं की बाढ़ ने खबरों और सूचनाओं के उपभोग करने के तरीके को भी मौलिक रूप से बदल दिया है और इससे यह पता करना ही मुश्किल हो गया है कि कौन सी जानकारी फर्जी है और कौन सी प्रामाणिक। देश में आम चुनाव अपने अंतिम पायदान पर है और ऐसे क़िस्सों की बाढ़ आई हुई है।आज जब दुनिया फर्जी खबरों से निपटने के लिए जूझ रही है, डिजिटलीकरण का एक और पहलू नियामकों और अन्य हितधारकों को परेशान कर रहा है, वह है ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर फर्जी ऑनलाइन समीक्षाओं की समस्या। अब देश का उपभोक्ता मामलों का विभाग,उपभोक्ता समीक्षाओं के लिए गुणवत्ता मानकों और नियम-कायदों को लागू करने की तैयारी कर रहा है, डीसीए की सभी हितधारकों या साझेदारों के साथ हुई बैठक में शामिल ई-कॉमर्स कंपनियों ने भी सरकार की इस पहल का समर्थन किया है। प्रस्तावित गुणवत्ता नियंत्रण आदेश से संभवत: पूर्वग्रहों और पक्षपात के साथ उ...
यूपी में मिशन 80 का लक्ष्य साधती ‘मोदी-योगी’ की जोड़ी

यूपी में मिशन 80 का लक्ष्य साधती ‘मोदी-योगी’ की जोड़ी

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 आर.के. सिन्हा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विगत मंगलवार को पवित्र वाराणसी में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अपना पर्चा भरने से एक दिन पहले जब काशी में रोड शो निकाला तो उनकी साये की तरह साथ रहनेवाले उत्तर प्रदेश (यूपी) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी थे। रोड शो के सारे मार्ग में काशी की जनता ने मोदी-योगी का जिस उत्साह से अभूतपूर्व स्वागत किया उसने स्वतः कई ठोस संकेत दे दिए। वैसे भी लोकसभा चुनाव के समर में सारे देश की निगाहें उत्तर प्रदेश पर लगी हुई हैं। सब जानने को उत्सुक हैं कि यूपी किस पार्टी की झोली को आगामी 4 जून को भरकर दिल्ली की सत्ता की चाबी सौंपेगा।  सियासी गलियारे में वैसे भी यह कहावत पुरानी है कि दिल्ली के सिंहासन का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है। यानी जिस पार्टी के पास यूपी में सबसे अधिक सीटें होंगी, प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने का उसक...
पंच परिवर्तन बनेगा समाज परिवर्तन का सशक्त माध्यम

पंच परिवर्तन बनेगा समाज परिवर्तन का सशक्त माध्यम

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए पिछले लगभग 99 वर्षों से निरंतर कार्य कर रहा है। भारतीय समाज में सकारात्मक परिवर्तन को गति देने एवं समाज में अनुशासन व देशभक्ति के भाव को बढ़ाने के उद्देश्य से माननीय सर संघचालक श्री मोहन भागवत ने समाज में पंच परिवर्तन का आह्वान किया है ताकि अनुशासन एवं देशभक्ति से ओतप्रोत युवा वर्ग अनुशासित होकर अपने देश को आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य करे। इस पंच परिवर्तन में पांच आयाम शामिल किए गए हैं - (1) स्व का बोध अर्थात स्वदेशी, (2) नागरिक कर्तव्य, (3) पर्यावरण, (4) सामाजिक समरसता एवं (5) कुटुम्ब प्रबोधन। इस पंच परिवर्तन कार्यक्रम को सुचारू रूप से लागू कर समाज में बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। स्व के बोध से नागरिक अपने कर्तव्यों के प्रति सजग होंगे। नागरिक कर्तव्य बोध अर्थात कानून की पालना से राष्ट्र समृद्ध व उन्नत होगा। सामाजिक समरसता ...
हाशिये पर जाती बहुजन समाज पार्टी

हाशिये पर जाती बहुजन समाज पार्टी

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आर.के. सिन्हा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपनी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक के पद से हटा दिया है। छह महीने पहले ही उन्होंने आकाश को धूमधाम से अपना उत्तराधिकारी  भी घोषित किया था।  उन्होंने कहा कि आकाश तब तक उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी नहीं बन सकते ,  जब तक वे "पूरी तरह परिपक्व" नहीं हो जाते। आकाश आनंद बीते उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के शुरुआती दो चरणों में बसपा के प्रचार अभियान का मुख्य चेहरा थे। उनके भाषणों में भाजपा और समाजवादी पार्टी (सपा) पर तीखे हमले किए गए थे। अप्रैल में सीतापुर में एक चुनावी रैली के दौरान कथित रूप से आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने के लिए उनके खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया था। मायावती को लगता है कि ये भाषण पार्टी द्वारा निर्धारित नियमों और नीतियों से भटक गए थे। मायावती के इस तरह के अचानक फैसले पहले...
विवाह की गरिमा का अर्थ

विवाह की गरिमा का अर्थ

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विवाह की गरिमा का अर्थ आधुनिक और प्रगतिशील होने का दम्भ भरने वाले भारतीय समाज के एक बड़े धड़े को देश की शीर्ष अदालत ने आईना दिखाया है। देश की शीर्ष अदालत को विवाह जैसे बेहद व्यक्तिगत मामले में परामर्श देना पड़ा है, तो इसका अभिप्राय यही है कि इसके मूल स्वरूप से तेजी से खिलवाड़ हो रहा है। अदालत को सख्त लहजे में यहां तक कहना पड़ा कि विवाह यदि सप्तपदी यानी फेरे जैसे उचित संस्कार और जरूरी समारोह के बिना होता है तो वह अमान्य ही होगा। निश्चित रूप से अदालत ने यह बताने का प्रयास किया कि इन जरूरी परंपराओं के निर्वहन से ही विवाह की पवित्रता और कानूनी जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। हाल के वर्षों में विवाह समारोहों के आयोजन में पैसे के फूहड़ प्रदर्शन व तमाम तरह के आडंबरों को तो प्राथमिकता दी जा रही है, लेकिन परंपरागत हिंदू विवाह के तौर-तरीकों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। आज से कुछ दशक...
सिर्फ हिन्दुओं की जातियों की  चर्चा करने वाले कौन?

सिर्फ हिन्दुओं की जातियों की  चर्चा करने वाले कौन?

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सिर्फ हिन्दुओं की जातियों की  चर्चा करने वाले कौन? आर.के. सिन्हा हर बार की तरह इस लोकसभा चुनाव में भी अपने को राजनीति का विद्वान बताने वाले ज्ञानियों ने किस संसदीय क्षेत्र में किसके हक में बयार बह रही है , इस विषय पर लिखना-बताना शुरू कर दिया है। वे अपना विश्लेषण रखते हुए बताते हैं कि वहां ( उस संसदीय क्षेत्र में ) इतने फीसद क्षत्रिय, ब्राह्मण, दलित, पिछड़े, अति पिछड़े, यादव वगैरह हैं। यहां तक तो सब ठीक है। पर जातियों का गणित बताने वाले मुसलमानों, सिखों, ईसाइयों की जातियों पर मौन ही रहते हैं। उन्हें जातियों के कोढ़ के बारे में सिर्फ हिन्दुओं की ही चर्चा करनी होती है। उन्हें लगता है कि मानों जातियां सिर्फ हिन्दू धर्म में ही हैं। जैसे कि बाकी धर्मावलंबी  किसी जात-पात में यकीन नहीं करते। इससे एक बात बहुत साफ हो जानी चाहिए हमारे &nbs...
हिन्दू विवाह पर सर्वोच्च अदालत का स्वागतयोग्य फैसला

हिन्दू विवाह पर सर्वोच्च अदालत का स्वागतयोग्य फैसला

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- ललित गर्ग - देश की सर्वोच्च अदालत ने हिन्दू विवाह को लेकर बड़ा फैसला देकर न केवल हिन्दू विवाह के संस्कारों एवं पारंपरिक रिवाजों को पुष्ट किया है बल्कि उन्हें कानूनी दृष्टि से आवश्यक स्वीकार किया है। आज जबकि हिन्दू विवाह की पवित्रता एवं परम्परा तथाकथित आधुनिक जीवन एवं प्रभाव के कारण धुंधली होती जा रही है, पाश्चात्य संस्कृति की आंधी में हिन्दू विवाह की पवित्रता समाज में समय के साथ घटी है और उसमें सुधार एवं सुदृढ़ता की जरूरत है। जो लोग विवाह को मात्र एक पंजीकरण मानते हैं, उन्हें चेत जाना चाहिए। उन्हें सात फेरों का अर्थ समझना होगा। बिना सात फेरों, हिन्दू रीति-रिवाजों एवं वैवाहिक आयोजनों के कोर्ट की दृष्टि में भी विवाह मान्य नहीं होगा। हिंदू विवाह पर कोर्ट का ताजा फैसला न केवल स्वागतयोग्य है बल्कि इसके दूरगामी परिणाम सुखद होंगे। इससे हिन्दू संस्कृति एवं संस्कारों को बल मिलेगा। पारिवारिक-स...
ईवीएम की बची इज़्ज़त

ईवीएम की बची इज़्ज़त

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हर चुनाव में नेताओं से ज्यादा EVM की इज्जत दांव पर लगी होती है. हर जीत EVM की कारीगरी बताई जाती है. लोकतंत्र की जीत को EVM की जीत बताया जाता है. EVM को बदनाम किया जाता है. चुनाव दर चुनाव EVM पर परिपक्वता बढ़ने की बजाय शंका और अविश्वास बढ़ाया जाता है. लोकसभा चुनाव में तो लगभग सभी विपक्षी दलों ने बैलेट पेपर की पद्धति से चुनाव कराने की मंशा जाहिर की. कई बड़े नेताओं ने तो इतनी संख्या में निर्दलीय प्रत्याशी उतारने तक की जुगाड़ लगाई, ताकि EVM मशीन की तकनीकी क्षमता समाप्त हो जाए और चुनाव बैलेट पेपर पर हो जाए. देश में शंका का ऐसा वातावरण बनाया गया, कि जैसे EVM के जरिए चुनाव परिणामों को मैनेज किया जाता है. सर्वोच्च न्यायालय में बैलेट पेपर से मतदान के मांग की याचिका डाली गई. EVM और VVPAT पर्चियां का शत प्रतिशत मिलान करने की याचिकाएं पेश की गईं. सर्वोच्च न्यायालय ने बारीकी से EVM की शुद्धता और न...
aastha

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आस्था का सैलाब मनुष्य एक धार्मिक प्राणी है, इसीलिए वह अपनी धर्मांधता के वशीभूत होकर निर्णय लेता है। जब धर्मभीरू भक्तों की आस्था अतिश्यता में परिवर्तित हो जाती है, तो उसके दुष्परिणाम भी प्रकट होने प्रारम्भ हो जाते हैं। ऐसी परिस्थिति उत्पन्न होने के लिए कौन उत्तरदायी है? यह एक यक्ष प्रश्न है क्योंकि हम किसी को भी इस परिस्थिति का एकमात्र उत्तरदायी नहीं कह सकते। परन्तु इससे साधारण जनता ही सबसे अधिक प्रभावित होती है, क्योंकि उस भोलीभाली जनता को कुछ स्वार्थी तत्वों के द्वारा स्वयं के आर्थिक लाभ हेतु गुमराह कर दिया जाता है, धर्मांधता की अतिशयता एक प्रकार के पागलपन कारण बन जाती है। ऐसी धर्मांधता मुख्यतः हिन्दु और मुस्लिम धर्म के अनुयायियों में देखने मिलती है। फलस्वरूप मन्दिर व मस्जिदों में त्योहारों के अवसर पर जनता का सैलाब इस विश्वास के साथ एकत्रित हो जाता है कि इन धार्मिक स्थलों पर अल्हाह अथ...
हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया

हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया

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हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया रजनीश कपूर1961 की बहुचर्चित फ़िल्म ‘हम दोनों’ का ये गाना सबने सुना होगा। धूम्रपान करने वाले सभी व्यक्तियों ने भी इसअवश्य सुना होगा। फ़िल्म में गाने के बोल इस तरह दर्शाये गये कि फ़िल्म का हीरो अपने सभी फ़िक्र और चिंताओंको धुएँ के कश में उड़ा देता है और चिंता मुक्त हो जाता है। परंतु क्या ये सही है कि मात्र सिग्रेट के कश भरने औरधुआँ उड़ाने से आपकी चिंताएँ ख़त्म हो जाएँगी? इसका उत्तर है नहीं। बल्कि यदि आपको धूम्रपान की लत लग जाएतो आपकी स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ बढ़ ज़रूर जाएँगी।आज जानते हैं कि ऐसा क्या है इस चंद लम्हे की मामूली सी ख़ुशी में, जो लाखों करोड़ों को इसकी लत लगा देती है।दरअसल सिग्रेट में मौजूद तंबाकू में निकोटीन पाया जाता है जो कश लेते ही बड़ी तेज़ी से यह धुआँ आपके फेंफड़े मेंसमा जाता है और कुछ ही क्षण में दिमाग़ तक पहुँच जाता है। दिमाग़ में प...