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भाजपा जानती है गठबंधन सरकार का धर्म

भाजपा जानती है गठबंधन सरकार का धर्म

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भाजपा जानती है गठबंधन सरकार का धर्म आर.के. सिन्हा नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने रविवार को शपथ ग्रहण समारोह के बाद अपना कामकाज संभाल लिया है। यह पहली बार नहीं है जब भारतीय जनता पार्टी गठबंधन सरकार का नेतृत्व करेगी। वास्तव में, भाजपा की पहली सरकार, जो 1996 में गठित हुई थी, अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एक गठबंधन की सफल प्रयोग वाली सरकार थी। भले ही वह केवल 13 दिनों तक चली। अटल जी 1998 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार के प्रधानमंत्री के रूप में पुनः वापस आए थे। इसलिए यह कहना सरासर गलत होगा कि भाजपा को गठबंधन सरकारों का नेतृत्व करने का अनुभव नहीं है। भाजपा को 2014 में 283 और 2019  में 303 सीटें मिली थीं। उन जीतों में मोदी जी की सबसे अहम भूमिका रही थी...
This is a World Environment Day with a difference,

This is a World Environment Day with a difference,

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Sunita Narain Lays down an action agenda for the new government in India;says India “needs a new imagination in the designof its development schemes” “It is that day of the year, once again. June 5 is here, a day when all of us renew our pledge to protect the environment. But this year, the day has come with more meaning for us in India. A new government is preparing to take charge in the country, and we believe it is time to recommit to an agenda of development -- one which is inclusive and affordable and hence, sustainable for all. And June 5 is the appropriate date to make that commitment once again,” says Sunita Narain, director general, Centre for Science and Environment (CSE) in a new podcast and video released by CSE to mark World Environment Day. Sunita Narain’s Call to A...
दहेज की सूची का पंजीकरण

दहेज की सूची का पंजीकरण

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दहेज की सूची का पंजीकरण**********_-राजेश बैरागी-_क्या शादी ब्याह में दिए और लिए जाने वाले उपहार आदि की सूची को पंजीकृत दस्तावेज बना देने से वैवाहिक विवादों पर अंकुश लगाया जा सकता है?शादी ब्याह में उपहार और नकदी के रूप में दिए और वसूले जाने वाले दहेज को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक आदेश से संस्थागत रूप मिल गया है।अब दुल्हा-दुल्हन दोनों पक्षों को लिखित में यह घोषित करना होगा कि उनके बीच कितने और कैसे उपहार आदि का लेन-देन हुआ है।हालांकि अभी यह केवल उन शादी ब्याहों पर लागू होगा जो हिंदू विवाह पंजीयक के यहां पंजीकृत होंगे।जो शादी पंजीकृत नहीं होंगी,उनका क्या होगा? और शादी पंजीकरण के समय प्रस्तुत की जाने वाली सूची क्या वैवाहिक संबंधों में दिए जाने वाले उपहार और नकदी की अंतिम सूची हो सकती है? मैं वर्षों से शादी ब्याह के समय समाज के समक्ष गर्व के साथ पढ़ी जाने वाली दहेज की सूची को दो प्रतियों में...
बचिए, फ़र्ज़ी समीक्षा बाज़ार से

बचिए, फ़र्ज़ी समीक्षा बाज़ार से

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इन दिनों डिजिटल स्वरूप में सूचनाओं की बाढ़ ने खबरों और सूचनाओं के उपभोग करने के तरीके को भी मौलिक रूप से बदल दिया है और इससे यह पता करना ही मुश्किल हो गया है कि कौन सी जानकारी फर्जी है और कौन सी प्रामाणिक। देश में आम चुनाव अपने अंतिम पायदान पर है और ऐसे क़िस्सों की बाढ़ आई हुई है।आज जब दुनिया फर्जी खबरों से निपटने के लिए जूझ रही है, डिजिटलीकरण का एक और पहलू नियामकों और अन्य हितधारकों को परेशान कर रहा है, वह है ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर फर्जी ऑनलाइन समीक्षाओं की समस्या। अब देश का उपभोक्ता मामलों का विभाग,उपभोक्ता समीक्षाओं के लिए गुणवत्ता मानकों और नियम-कायदों को लागू करने की तैयारी कर रहा है, डीसीए की सभी हितधारकों या साझेदारों के साथ हुई बैठक में शामिल ई-कॉमर्स कंपनियों ने भी सरकार की इस पहल का समर्थन किया है। प्रस्तावित गुणवत्ता नियंत्रण आदेश से संभवत: पूर्वग्रहों और पक्षपात के साथ उ...
यूपी में मिशन 80 का लक्ष्य साधती ‘मोदी-योगी’ की जोड़ी

यूपी में मिशन 80 का लक्ष्य साधती ‘मोदी-योगी’ की जोड़ी

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 आर.के. सिन्हा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विगत मंगलवार को पवित्र वाराणसी में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अपना पर्चा भरने से एक दिन पहले जब काशी में रोड शो निकाला तो उनकी साये की तरह साथ रहनेवाले उत्तर प्रदेश (यूपी) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी थे। रोड शो के सारे मार्ग में काशी की जनता ने मोदी-योगी का जिस उत्साह से अभूतपूर्व स्वागत किया उसने स्वतः कई ठोस संकेत दे दिए। वैसे भी लोकसभा चुनाव के समर में सारे देश की निगाहें उत्तर प्रदेश पर लगी हुई हैं। सब जानने को उत्सुक हैं कि यूपी किस पार्टी की झोली को आगामी 4 जून को भरकर दिल्ली की सत्ता की चाबी सौंपेगा।  सियासी गलियारे में वैसे भी यह कहावत पुरानी है कि दिल्ली के सिंहासन का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है। यानी जिस पार्टी के पास यूपी में सबसे अधिक सीटें होंगी, प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने का उसक...
पंच परिवर्तन बनेगा समाज परिवर्तन का सशक्त माध्यम

पंच परिवर्तन बनेगा समाज परिवर्तन का सशक्त माध्यम

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए पिछले लगभग 99 वर्षों से निरंतर कार्य कर रहा है। भारतीय समाज में सकारात्मक परिवर्तन को गति देने एवं समाज में अनुशासन व देशभक्ति के भाव को बढ़ाने के उद्देश्य से माननीय सर संघचालक श्री मोहन भागवत ने समाज में पंच परिवर्तन का आह्वान किया है ताकि अनुशासन एवं देशभक्ति से ओतप्रोत युवा वर्ग अनुशासित होकर अपने देश को आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य करे। इस पंच परिवर्तन में पांच आयाम शामिल किए गए हैं - (1) स्व का बोध अर्थात स्वदेशी, (2) नागरिक कर्तव्य, (3) पर्यावरण, (4) सामाजिक समरसता एवं (5) कुटुम्ब प्रबोधन। इस पंच परिवर्तन कार्यक्रम को सुचारू रूप से लागू कर समाज में बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। स्व के बोध से नागरिक अपने कर्तव्यों के प्रति सजग होंगे। नागरिक कर्तव्य बोध अर्थात कानून की पालना से राष्ट्र समृद्ध व उन्नत होगा। सामाजिक समरसता ...
हाशिये पर जाती बहुजन समाज पार्टी

हाशिये पर जाती बहुजन समाज पार्टी

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आर.के. सिन्हा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपनी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक के पद से हटा दिया है। छह महीने पहले ही उन्होंने आकाश को धूमधाम से अपना उत्तराधिकारी  भी घोषित किया था।  उन्होंने कहा कि आकाश तब तक उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी नहीं बन सकते ,  जब तक वे "पूरी तरह परिपक्व" नहीं हो जाते। आकाश आनंद बीते उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के शुरुआती दो चरणों में बसपा के प्रचार अभियान का मुख्य चेहरा थे। उनके भाषणों में भाजपा और समाजवादी पार्टी (सपा) पर तीखे हमले किए गए थे। अप्रैल में सीतापुर में एक चुनावी रैली के दौरान कथित रूप से आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने के लिए उनके खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया था। मायावती को लगता है कि ये भाषण पार्टी द्वारा निर्धारित नियमों और नीतियों से भटक गए थे। मायावती के इस तरह के अचानक फैसले पहले...
विवाह की गरिमा का अर्थ

विवाह की गरिमा का अर्थ

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विवाह की गरिमा का अर्थ आधुनिक और प्रगतिशील होने का दम्भ भरने वाले भारतीय समाज के एक बड़े धड़े को देश की शीर्ष अदालत ने आईना दिखाया है। देश की शीर्ष अदालत को विवाह जैसे बेहद व्यक्तिगत मामले में परामर्श देना पड़ा है, तो इसका अभिप्राय यही है कि इसके मूल स्वरूप से तेजी से खिलवाड़ हो रहा है। अदालत को सख्त लहजे में यहां तक कहना पड़ा कि विवाह यदि सप्तपदी यानी फेरे जैसे उचित संस्कार और जरूरी समारोह के बिना होता है तो वह अमान्य ही होगा। निश्चित रूप से अदालत ने यह बताने का प्रयास किया कि इन जरूरी परंपराओं के निर्वहन से ही विवाह की पवित्रता और कानूनी जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। हाल के वर्षों में विवाह समारोहों के आयोजन में पैसे के फूहड़ प्रदर्शन व तमाम तरह के आडंबरों को तो प्राथमिकता दी जा रही है, लेकिन परंपरागत हिंदू विवाह के तौर-तरीकों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। आज से कुछ दशक...
सिर्फ हिन्दुओं की जातियों की  चर्चा करने वाले कौन?

सिर्फ हिन्दुओं की जातियों की  चर्चा करने वाले कौन?

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सिर्फ हिन्दुओं की जातियों की  चर्चा करने वाले कौन? आर.के. सिन्हा हर बार की तरह इस लोकसभा चुनाव में भी अपने को राजनीति का विद्वान बताने वाले ज्ञानियों ने किस संसदीय क्षेत्र में किसके हक में बयार बह रही है , इस विषय पर लिखना-बताना शुरू कर दिया है। वे अपना विश्लेषण रखते हुए बताते हैं कि वहां ( उस संसदीय क्षेत्र में ) इतने फीसद क्षत्रिय, ब्राह्मण, दलित, पिछड़े, अति पिछड़े, यादव वगैरह हैं। यहां तक तो सब ठीक है। पर जातियों का गणित बताने वाले मुसलमानों, सिखों, ईसाइयों की जातियों पर मौन ही रहते हैं। उन्हें जातियों के कोढ़ के बारे में सिर्फ हिन्दुओं की ही चर्चा करनी होती है। उन्हें लगता है कि मानों जातियां सिर्फ हिन्दू धर्म में ही हैं। जैसे कि बाकी धर्मावलंबी  किसी जात-पात में यकीन नहीं करते। इससे एक बात बहुत साफ हो जानी चाहिए हमारे &nbs...
हिन्दू विवाह पर सर्वोच्च अदालत का स्वागतयोग्य फैसला

हिन्दू विवाह पर सर्वोच्च अदालत का स्वागतयोग्य फैसला

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- ललित गर्ग - देश की सर्वोच्च अदालत ने हिन्दू विवाह को लेकर बड़ा फैसला देकर न केवल हिन्दू विवाह के संस्कारों एवं पारंपरिक रिवाजों को पुष्ट किया है बल्कि उन्हें कानूनी दृष्टि से आवश्यक स्वीकार किया है। आज जबकि हिन्दू विवाह की पवित्रता एवं परम्परा तथाकथित आधुनिक जीवन एवं प्रभाव के कारण धुंधली होती जा रही है, पाश्चात्य संस्कृति की आंधी में हिन्दू विवाह की पवित्रता समाज में समय के साथ घटी है और उसमें सुधार एवं सुदृढ़ता की जरूरत है। जो लोग विवाह को मात्र एक पंजीकरण मानते हैं, उन्हें चेत जाना चाहिए। उन्हें सात फेरों का अर्थ समझना होगा। बिना सात फेरों, हिन्दू रीति-रिवाजों एवं वैवाहिक आयोजनों के कोर्ट की दृष्टि में भी विवाह मान्य नहीं होगा। हिंदू विवाह पर कोर्ट का ताजा फैसला न केवल स्वागतयोग्य है बल्कि इसके दूरगामी परिणाम सुखद होंगे। इससे हिन्दू संस्कृति एवं संस्कारों को बल मिलेगा। पारिवारिक-स...