नरसी मेहता की जन्म जयन्ती- 19 दिसम्बर, 2023 के लिये विशेष
संतकवि नरसी मेहता :परमात्मा नहीं, पर परमात्मा से कम नहीं-ः ललित गर्ग:-
नरसी मेहता न केवल गुजराती भक्ति साहित्य बल्कि समूचे राष्ट्र के भक्ति साहित्य की श्रेष्ठतम विभूति थे। उनके कृतित्व और व्यक्तित्व की महत्ता के अनुरूप साहित्य के इतिहास-ग्रंथों में ‘नरसिंह-मीरा-युग’ नाम से एक स्वतंत्र काव्यकाल का निर्धारण किया गया है जिसकी मुख्य विशेषता भावप्रवण कृष्णभक्ति से अनुप्रेरित पदों का निर्माण है। पद-प्रणेता के रूप में गुजराती साहित्य में नरसी का लगभग वही स्थान है जो हिंदी में सूरदास का। ‘वैष्णव जन तो तैणे कहिए जे पीड पराई जाणे रे’ पंक्ति से आरंभ होनेवाला सुविख्यात पद नरसी मेहता का ही है। उन्होंने इस भजन में एक बात अच्छी प्रकार से कह दी है। ‘पर दुःखे उपकार करे’ कह कर भजन में रुक गए होते, तो वैष्णव जनों की संख्या बहुत बढ़ जाती है। ‘पर दुःखे उपकार करे तोए मन अभिमान न आणे रे“ कह कर हम सब में ...