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साहित्य संवाद

<strong>गणेश हैं विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता और उन्नत राष्ट्र-निर्माता</strong>

गणेश हैं विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता और उन्नत राष्ट्र-निर्माता

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गणेश चतुर्थी- 19 सितम्बर 2023 पर विशेष-ललित गर्ग-गणेश भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग हैं, वे विघ्नहर्ता एवं मंगलकर्ता सात्विक देवता हैं और उन्नत राष्ट्र-निर्माता हैं। वे न केवल भारतीय संस्कृति एवं जीवनशैली के कण-कण में व्याप्त है बल्कि विदेशों में भी घर-कारों-कार्यालयों एवं उत्पाद केन्द्रों में विद्यमान हैं। हर तरफ गणेश ही गणेश छाए हुए है। मनुष्य के दैनिक कार्यों में सफलता, सुख-समृद्धि की कामना, बुद्धि एवं ज्ञान के विकास एवं किसी भी मंगल कार्य को निर्विघ्न सम्पन्न करने हेतु गणेशजी को ही सर्वप्रथम पूजा जाता है, याद किया जाता है। प्रथम देव होने के साथ-साथ उनका व्यक्तित्व बहुआयामी है, लोकनायक का चरित्र हैं। गणेश शिवजी और पार्वती के पुत्र हैं, ऐसे सार्वभौमिक, सार्वकालिक एवं सार्वदैशिक लोकप्रियता वाले देव का जन्मोत्सव भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को सम्पूर्ण दुनिया में उमंग एवं हर्षोल्ल...
सही संस्कार हैं तनाव से मुक्ति का उपचार

सही संस्कार हैं तनाव से मुक्ति का उपचार

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*रजनीश कपूरअक्सर यह देखा जाता है कि तनाव के कारण छात्र हों, युवा हों या कोई समझदार व्यक्ति, ऐसा क़दम उठा लेते हैंजिसके कारण उन्हें और उनके परिवार को काफ़ी पछताना पड़ता है। तनाव ग्रस्त इंसान ग़लत संगत में पड़ जाता हैऔर ग़लत राह पर चलने लग जाता है, जैसे नशा और जुआ आदि की लत लगना। मानसिक तनाव के कारण कभी-कभी कठोर कदम उठाते हुए वो व्यक्ति आत्महत्या तक कर डालता है। आए दिन हमें ऐसी खबरें मिलती हैं जहांपरीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र प्रतिस्पर्धा की दौड़ में ऐसे कदम उठाते हैं। जिन छात्रों को उनके परिवार से यदिसही संस्कार मिलते हैं वो कभी भी ऐसा कदम नहीं उठाते। वो समस्या का सामना करते हैं और उसके निदान कामार्ग खोज लेते हैं।राजस्थान के शहर कोटा को ‘कोटा फैक्ट्री’ के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ पर देश भर के छात्र ख़ुद कोआईआईटी व मेडिकल में भर्ती कराने की मंशा से विभिन्न कोचिंग केंद्रों में दाख़िला ...
14 सितम्बर : राष्ट्रीय हिन्दी दिवस

14 सितम्बर : राष्ट्रीय हिन्दी दिवस

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14 सितम्बर : राष्ट्रीय हिन्दी दिवसस्वयं की प्रतिभा,अस्तित्व और देशाभिमान का भाव जगाती है हमारी हिन्दी --रमेश शर्मा पराधीनता से मुक्ति केलिये विदेशियों को बाहर कर स्वतंत्र सत्ता स्थापित करना जितना महत्वपूर्ण है उतना ही आवश्यक है स्वयं के विचार और भाव भाषा के आधार पर अपने जीवन, समाज और देश का विकास की ओर बढ़ना । इसी प्राथमिकता, सम्मान और स्वाभिमान का वोध कराता है हमारा यह राष्ट्रीय हिन्दी दिवस ।हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने यह निर्णय लिया था कि हिन्दी भारत सरकार की आधिकारिक भाषा होगी क्योंकि भारत के अधिकांश क्षेत्रों में सर्वाधिक हिन्दी ही बोली जाती है इसलिए हिन्दी को राजभाषा बनाने का निर्णय लिया गया और इस निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को प्रत्येक क्षेत्र में जन जन तक पहुँचाने के लिये वर्ष 1953 से पूरे भारत में...
स्वामी विवेकानन्द की दृष्टि में राष्ट्र की रीढ़..!

स्वामी विवेकानन्द की दृष्टि में राष्ट्र की रीढ़..!

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~कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटलस्वामी विवेकानन्द ने भारत के उस मर्म को छुआ जो कालखण्ड के प्रहार से पथभ्रष्ट होकर एक असाध्य रोग का रुप ले चुका था। वह था— 'छुआछूत वाद',गरीबी, भुखमरी और निम्न से निम्नतर समझी जाने वाली श्रेणियों के प्रति घ्रणा,वैमनस्य और अत्याचार की अन्तहीन प्रताड़ना। उनका ह्रदय इस मानवीय पाशविकता से डोल गया। उनके अन्दर उसी समानुभूतिपूर्ण करुणा का ज्वार मथने लगा — जो उन असंख्य निर्दोष लोगों के जीवन को हीनतर बना रहा था।उन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त इस व्याधि के उपचार के लिए केवल आह्वान ही नहीं किया,बल्कि उस कार्य में अपने जीवन के अन्तिम क्षणों! तक रत रहे आए। ऐसा नहीं था कि उस समय समाज सुधार नहीं चल रहे थे, किन्तु उन सामाजिक सुधारों में सिध्दान्त और व्यवहार में पूर्णतः अन्तर पाया जाता था। साथ ही तथाकथित समाज सुधारकगण — वे समाज की इस दुर्दशा का ठीकरा हिन्दू धर्म पर फोड़कर अपनी अ...
चन्दामामा ने बुला ही लिया

चन्दामामा ने बुला ही लिया

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चन्द्रमा के विभिन्न पर्याय समस्त विश्व में प्रसिद्ध रहे हैं। उनमें चन्द्रमा के सदृश सौन्दर्य की उपमा, भारत देश में सभी धर्मों के अनुयायिओं के लिए देवतुल्य एवं बच्चों को बहलानें लिए मामा का पर्याय आदि अधिक प्रसिद्ध हैं। मामा के घर भांजे का जाना सदैव ही आकर्षण का केन्द्र रहा है। इसका प्रमुख कारण यह है कि भांजा सदैव से ही मामा का प्रिय रहा है, वे कभी भी अपने भांजो को खाली हाथ नहीं भेजते।चन्द्रयान -3 का चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सहजता से अवतरण को भी इसी दृष्टि से यदि देखा तो यह अवतरण सम्पूर्ण विश्व को अचम्भित करने वाला है। परन्तु विश्व इस तथ्य से अनभिज्ञ है कि चंद्रमा पर अन्य देशों के अनेको प्रयासों के पश्चात सफल होना और भारत के तीसरे प्रयास के सफल होने का एकमात्र कारण यही है कि चन्द्रमा, मामा तो केवल भारत के ही है और मामा अपने भांजे को प्रेम व वात्सल्य से अंगीकार करता है और इस ऐतिहासिक क्...
लोकतंत्र के चुनावों में हिंसा एवं बेईमानी

लोकतंत्र के चुनावों में हिंसा एवं बेईमानी

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लोकतंत्र दो शब्दों से मिलकर बना है जिसके अन्तर्गत लोक का अर्थ जनता और तंत्र का अर्थ है शासन। अब्राहम लिंकन के अनुसार लोकतंत्र की परिभाषा अत्यंत उपयुक्त ढंग से दी गई है जिसमें - ‘‘जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन‘‘ इसके विपरीत राजशाही तंत्र के अन्तर्गत एक ही व्यक्ति का शासन प्रमुख होता है। समाज के उत्थान के लिए ही लोकतंत्र का जन्म हुआ। इसका उद्देश्य है जनता का हित, जनता के द्वारा एवं जनता की आशाओं को पूर्णतया ईमानदारी एवं देशसेवा के भाव से क्रियान्वित किया जाए। उपरोक्त दोनों ही व्यवस्था अर्थात् लोकतंत्र एवं राजतंत्र के उद्देश्य भारतीय लोकतंत्र में समायोजित नहीं हो पा रहे हैं। वर्तमान लोकतंत्र, राजतंत्र से भी निम्न स्तर पर पहुँच चुका है। इस सन्दर्भ में वर्तमान में, जनता का यह दृष्टिकोण हो गया है कि भारत लोकतांत्रिक व्यवस्था को स्थापित करने में कदापि सफल नहीं हो सकता। इसके विपरीत...
प्रधानमंत्री ने विश्व संस्कृत दिवस पर शुभकामनाएं दीं

प्रधानमंत्री ने विश्व संस्कृत दिवस पर शुभकामनाएं दीं

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व संस्कृत दिवस के अवसर पर शुभकामनाएं दी हैं। श्री मोदी ने उन सभी लोगों की भी प्रशंसा की जो संस्कृत के प्रति बहुत भावुक हैं। प्रधानमंत्री ने इस दिवस को मनाने के लिए सभी से संस्कृत में एक वाक्य साझा करने का भी अनुरोध किया है। एक्स पोस्ट की एक श्रृंखला में  प्रधानमंत्री ने कहा; “विश्वसंस्कृतदिवसे मम शुभकामनाः। अहं सर्वान् अभिनन्दामि ये एतदर्थं भावुकाः सन्ति। संस्कृतेन सह भारतस्य संबन्धः विशिष्टः। “विश्व संस्कृत दिवस पर मेरी शुभकामनाएं। मैं उन सभी की प्रशंसा करता हूं, जो संस्‍कृत के प्रति बहुत भावुक हैं। भारत का संस्कृत के साथ बहुत विशिष्‍ट संबंध है। इस महान भाषा का उत्सव मनाने के लिए, मैं आप सभी से संस्कृत में एक वाक्य साझा करने का अनुरोध करता हूं। नीचे पोस्ट में मैं भी एक वाक्य साझा करूंगा। ##CelebratingSanskrit”  का उपयोग करना न...
नेहरू चाचा

नेहरू चाचा

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नेहरू चाचा ने इतना सशक्त भारत बनाया था कि 1984 में जब इंदिरा जी मरीं और राजीव जी प्रधानमंत्री बने तो देश मे आम नागरिक को दो बोरी सिमेन्ट लेने के लिये तहसीलदार से परमिट लेना पड़ता था। एक किलो चीनी खरीदने के लिये भी परमिट लगता था। शादी विवाह में एक क्विंटल चीनी लेने के लिये तो लोग महीनों पहले से जुगाड़ सोर्स सिफारिश खोजने लगते थे। 1978 में हम लोग गैंगटॉक सिक्किम में रहते थे। 1975 में ही ताजा ताजा सिक्किम का भारत मे विलय हुआ था। सो भारत सरकार ने सिक्किम राज्य को कुछ सहूलियत सुविधा दे रखी थी। शेष भारत में जहां कि LPG के कनेक्शन के लिये 10 से 15 साल की प्रतीक्षा थी, सिक्किम में तुरंत मिल जाता था। सो हमारे पिता जी ने भी एक LPG कनेक्सन ले लिया… दो साल बाद हम ट्रांसफर हो कर कोटा राजस्थान चले आये… यकीन मानिए कि पूरी कालोनी में हमारा एकमात्र घर था जहाँ LPG थी, पर हमारी माँ फिर भी स्टोव ही जलाती थीं...
रोशन रिश्तों को करते हैं ! (रक्षाबंधन विशेष आलेख)

रोशन रिश्तों को करते हैं ! (रक्षाबंधन विशेष आलेख)

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30 अगस्त को राखी(रक्षाबंधन) का पवित्र त्यौहार है। वैसे तो राखी भाई बहन के असीम बंधन, अपनत्व, प्यार और असीम स्नेह का त्योहार है लेकिन आज राखी का यह त्यौहार भाई बहन तक ही सीमित नहीं रह गया है।आज पर्यावरण की रक्षा के लिए पेड़-पौधों को राखी बांधी जाने लगी है, देश की रक्षा, हितों की रक्षा के लिए राखी बांधी जाने लगी है। विशेष रूप से हिंदुओं में प्रचलित यह त्योहार हमारे देश संस्कृति, हमारी परंपराओं का प्रतीक है और यह हमारे संपूर्ण देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बहुत ही उत्साह, उल्लास, खुशी के साथ मनाया जाता है। पाठकों को यह विदित ही है कि राखी हर साल श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। वास्तव में, रक्षा बंधन का यह पर्व परस्पर एक-दूसरे(भाई-बहन) की रक्षा, अपनत्व और सहयोग की भावना निहित है। वास्तव में रक्षाबंधन त्योहार की यदि हम संधि करें और इसके अर्थ को समझें तो इसमें  रक्षा का अर्थ ...
भक्तिधारा के महान कवि – गोस्वामी तुलसीदास

भक्तिधारा के महान कवि – गोस्वामी तुलसीदास

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23 अगस्त पर विशेष :-मृत्युंजय दीक्षितहिंदी साहित्य के महान कवि संत तुलसीदास का जन्म संवत् 1956 की श्रावण शुक्ल सप्तमी के दिन अभुक्तमूल नक्षत्र में हुआ था। इनके पिता का नाम आत्मा रामदुबे व माता का नाम हुलसी था। जन्म के समय तुलसीदास रोए नहीं थे अपितु उनके मुंह से राम शब्द निकला था, जन्म के समय ही उनके मुख में 32 दांत थे। ऐसे अदभुत बालक को देखकर माता- पिता बहुत चिंतित हो गये । माता अपने बालक को अनिष्ट की आशंका से दासी के साथ ससुराल भेज आयीं और स्वयं चल बसीं। फिर पांच वर्ष की अवस्था तक दासी ने ही उनका पालन पोषण किया तथा उसी पांचवें वर्ष वह भी चल बसीं। अब यह बालक पूरी तरह से अनाथ हो गया। इस अनाथ बालक पर संतश्री नरहरिनन्द जी की दृष्टिपड़ी उन्होने बालक का नाम रामबोला रखा और अयोध्या आकर उसकी शिक्षा दीक्षा की व्यवस्था की। बालक बचपन से ही प्रखर बुद्धि का था। गुरुकुल में उसको हर पाठ बड़ी शीघ्रता से या...