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साहित्य संवाद

काट काट के जंगल, प्रकृति में घोला है जहर।

काट काट के जंगल, प्रकृति में घोला है जहर।

राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
कुदरत के कोहराम घनघोर बारिश, भूस्खलन से देश के उत्तरी राज्य हिमाचल प्रदेश में जान-माल को काफी नुकसान पहुंचा है। हिमाचल प्रदेश तो हिमाचल प्रदेश इस बार देश के पंजाब,असम, उत्तराखंड, दिल्ली समेत देश के उत्तरी राज्यों में इस वर्ष भारी बारिश ने काफी कहर मचाया है और बारिश के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हुआ है। हिमाचल प्रदेश के हालात तो बहुत ही बुरे हैं। हाल ही में हिमाचल प्रदेश के शिमला में लैंडस्लाइड की चपेट में एक शिव मंदिर आ गया। राज्य मेें बारिश से पिछले कुछ समय में ही कम से कम 60 लोगों की मौत हुई है। कभी लैंडस्लाइड तो कभी बादल फट रहे हैं, नदियां उफान पर बह रही हैं। आज पहाड़ी क्षेत्रों में ढलान वाले क्षेत्र भारी वर्षा से पूरी तरह संतृप्त हैं और इसके कारण बहुत बार भूस्खलन होता है, जो परेशानी का कारण बनता है। वर्तमान में बारिश को लेकर रेड अलर्ट जारी किया गया है। जानकारी मिलती है कि हिमाचल प्रदेश म...
17 अगस्त 1909 : सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी मदन लाल ढींगरा का बलिदान

17 अगस्त 1909 : सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी मदन लाल ढींगरा का बलिदान

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लंदन में अंग्रेज अधिकारी वायली को गोली मारी थी --रमेश शर्मा स्वत्व और स्वाभिमान रक्षा के लिये क्राँतिकारियों ने केवल भारत की धरती पर ही अंग्रेज अधिकारियों को गोली मारकर मौत की नींद नहीं सुलाया अपितु लंदन में भी क्रूर अंग्रेजों के सीने में गोली उतारी है । क्राँतिकारी मदन लाल ढींगरा ऐसे ही क्राँतिकारी थे जिन्होंने लंदन में भारतीयों का अपमान करने वाले अधिकारी वायली के चेहरे पर पाँच गोलियाँ मारकर ढेर कर दिया था ।सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी मदनलाल धींगरा का जन्म 18 सितंबर 1883 को पंजाब प्राँत के अमृतसर नगर में हुआ था । परिवार की पृष्ठभूमि सम्पन्न और उच्च शिक्षित थी । पिता दित्तामल जी सिविल सर्जन थे और आर्यसमाज से जुड़े थे । पर स्थानीय अंग्रेज अधिकारियों के भी विश्वस्त माने जाते थे । जबकि माताजी अत्यन्त धार्मिक एवं भारतीय संस्कारों में रची बसी थीं । वे आर्यसमाज के प्रवचन आयोजनों में नियमित श्र...
सीमा और अंजू का प्रेम

सीमा और अंजू का प्रेम

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आचार्य भरत मुनि के नाट्यशास्त्र में आठ स्थायी भावों और उन पर आधारित आठ रसों को बताया गया है। सर्वप्रथम रस श्रृंगार रस को दो भागों विभक्त किया गया है, संयोग श्रृंगार व वियोग श्रृंगार। संयोग श्रृंगार के अन्तर्गत रति का भाव होता है, जिसमें नायक, नायिका विभिन्न प्रकार के हाव-भाव से एक दूसरे को आकर्षित करने का प्रयास करते हैं। इसी भाव से सम्बन्धित दो प्रकरणों ने समस्त जनता को प्रेम की नवीन परिभाषा पर चिन्तन करने के लिए विवश कर दिया है।प्रेम और जल का प्रवाह एक समान होता है। जब जल नदियों में उफनता है तब उसके प्रवाह को रोकना किसी के लिए भी सरल नहीं होता। उसी प्रकार जब प्रेम परवान चढ़ता है तो वह देश-विदेश के सामाजिक, पारिवारिक बंधनों की परवाह नहीं करता। समाज में ऐसे अनेक उदाहरण हैं जिनमें अन्तोत्गत्वा प्रेम के असीम प्रवाह के समक्ष परिवार व समाज को नतमस्तक होना ही पड़ा है अन्यथा निर्दयी समाज कभी-...
मध्यम वर्ग का संघर्ष कभी खत्म क्यों नहीं होता?

मध्यम वर्ग का संघर्ष कभी खत्म क्यों नहीं होता?

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मध्यम वर्ग के लोगों की चिंताओं का कोई अंत नहीं होता। क्योंकि ये बच्चों को लायक बनाने में अपना पूरा जीवन निकाल देते हैं। फिर उस अनुरूप बच्चों का विवाह या नौकरी न हो तो भी चिंतित रहते हैं। अपनी इज्जत बनाए रखने के लिए यह अपना दुख दर्द किसी से नहीं कहते हैं। दूसरों से बातचीत करने पर कभी-कभी समाधान मिल जाया करता है। पर क्योंकि यह लोग कहते नहीं इसलिए इन्हें समाधान नहीं मिल पाता और यह चिंताओं से घिरे रहते हैं।  -प्रियंका सौरभभारतीय मध्यम वर्ग का संघर्ष कभी खत्म क्यों नहीं होता? भारतीय मध्यम वर्ग वह वर्ग है जिसे समाज में अपनी मान मर्यादा को भी बनाए रखना होता है। बच्चों की शिक्षा पर भी पर्याप्त ध्यान देना होता है तथा समाज में क्या चल रहा है? इसका भी ध्यान रखना जरूरी होता है। बच्चों के विवाह पर भी इन्हें काफी धन खर्च करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त दूसरे के यहां भी कोई फंक्शन होने प...
मुंशी प्रेमचन्द की 144वीं जयन्ती – 31 जुलाई 2023

मुंशी प्रेमचन्द की 144वीं जयन्ती – 31 जुलाई 2023

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कलम को औजार बना लेने वाले प्रेमचन्द- ललित गर्ग- मुंशी प्रेमचंद की साहित्यकार, कहानीकार और उपन्यासकार के रूप में चर्चा इसलिये होती है कि उनकी कहानियां-उपन्यास जीवंत, अद्भुत एवं रोमांचकारी हैं, लेकिन एक बड़ा सच यह भी है कि उनके वास्तविक जीवन की घटनाएं उससे भी अधिक विलक्षण, प्रेरक एवं अविस्मरणीय हैं। वे अपनी जिन्दगी की किताब के किरदारों में कहीं अधिक सशक्त, साहसी, आन्दोलनकारी एवं प्रेरणादायी रहे हैं। बनारस के लमही में 31 जुलाई 1880 को पैदा हुए इस महान् लेखक-कहानीकार-पत्रकार ने अपनी रचनाओं के लिए ब्रिटिश हुकूमत की सजा भी भोगी, लेकिन पीछे नहीं हटे, अपना नाम भी बदला। उनकी पत्रकारिता भी क्रांतिकारी थी, लेकिन उनके पत्रकारीय योगदान को लगभग भूला ही दिया गया है। जंगे-आजादी के दौर में उनकी पत्रकारिता ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध ललकार की पत्रकारिता थी। वे समाज की कुरीतियों एवं आडम्बरों पर प्रहार करते...
वर्षा ऋतु – वरदान या अभिशाप

वर्षा ऋतु – वरदान या अभिशाप

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भारत विभिन्न संस्कृतियों की भांति विभिन्न ऋतुओं से सम्पन्न देश है। यहाँ पर - वर्षा, ग्रीष्म, शरद, हेमंत, शिशिर तथा वसंत (6) प्रमुख ऋतुएं हैं। प्रत्येक ऋतु के आगमन पर जनमानस के हृदय में एक अलग ही आनंद व उत्साह का भाव देखने को मिलता है। ग्रीष्म ऋतु के पश्चात, वर्षा ऋतु के आगमन पर मनुष्य, पेड़-पौधे, पशु -पक्षी, जानवर आदि सभी अत्यधिक उत्साह तथा व्यग्रता से इंतजार करते हैं। वर्षा की जब प्रथम फुहार धरती पर पड़ती है तो, सम्पूर्ण भूमण्डल आनन्द विभोर हो उठता है। नई कोपलों का प्रस्फुटन होता है, खेतों में फसले लहलहाती है, मोर आनन्द के वशीभूत होकर नृत्य करने लगते हैं, प्रेमिका अपने प्रवासी प्रेमी के इंतजार में व्यग्र हो जाती है, वातावरण सुगन्धित हो जाता है। अर्थात् वर्षा ऋतु समस्त प्राणियों के लिए ईश्वर प्रदत्त अनुपम भेंट है।अतीत में ईश्वर द्वारा प्रदत्त प्रकृति, एक अनुपम वरदान स्वरूप थी, परन्तु ...
सर्वसेवा संघ: सत्य और झूठ

सर्वसेवा संघ: सत्य और झूठ

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- प्रो. रामेश्वर मिश्र पंकज महात्मा गांधी की मृत्यु के तत्काल बाद गांधी जी के प्रति श्रद्धाभाव रखने वाले और उनके आंदोलन से जुड़े सभी लोगों की एक बैठक हुई जिसमें स्वयं जवाहरलाल नेहरू, यू.एन. ढेबर, आचार्य विनोबा भावे आदि शामिल थे। इसमें गांधीजी की स्मृति में रचनात्मक कार्य जारी रखने के लिये एक गांधी स्मारक निधि के संग्रह का निर्णय लिया गया। वह निधि शासन में विराजमान श्ीार्ष लोगों की प्रेरणा से समाज से संचित हुई और वह एक बड़ी रकम हो गई। उससे गांधी स्मारक निधि एवं गांधी शांति प्रतिष्ठान नामक शोध केन्द्र का संचालन प्रारंभ हुआ। बाद में निधि की देशभर में लगभग 12 प्रमुख शाखायें हो गईं। जो दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई सहित अनेक महत्वपूर्ण नगरांे में हैं। शासन ने सब जगह उनके लिये भूमि एवं भवन सुलभ कराये। जो आज भी चल रहे हैं।इन्हीं लोगों ने निर्णय लिया कि रचनात्मक कार्यकर्ताओं का एक अलग संग...
<strong>नैतिकता एवं मर्यादा के मामलें में हम कब अव्वल होंगे?</strong>

नैतिकता एवं मर्यादा के मामलें में हम कब अव्वल होंगे?

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-ः ललित गर्ग:- नैतिकता, मर्यादा एवं आदर्श मूल्यों के लिये दुनिया में पहचान बनाने वाले भारत की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं ने लगातार नैतिकता को तार-तार किया है। नए राजनीतिक मौसम में सत्ता और दाग दोनों साथ-साथ चलते हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है एवं नये बनते भारत की सबसे बड़ी बाधा है। इन हालातों में छोटे से देश न्यूजीलैंड से आई एक खबर भारतीय राजनेताओं के लिए नसीहत भरी है। वहां की न्याय मंत्री किरी एलन को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ गया। इस्तीफे की वजह यह रही कि हद से ज्यादा नशे की हालत में वाहन चलाते हुए किरी ने एक खड़ी हुई कार को टक्कर मार दी थी। जो हादसा हुआ वह यों तो सामान्य लगता है लेकिन प्रतिक्रिया के रूप में नैतिक आधार पर मंत्री ने पद छोड़ दिया, यह भारत के आधुनिक राजनेताओं के लिये एक प्रेरणा है।भारत के सन्दर्भ में न्यूजीलैंड में मंत्री के इस्तीफे का यह उदाहरण इतना ही बताने के लिए काफी है क...
<strong>मानव जीवन को बचाने के लिये प्रकृति संरक्षण जरूरी</strong>

मानव जीवन को बचाने के लिये प्रकृति संरक्षण जरूरी

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- ललित गर्ग-विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस प्रत्येक वर्ष 28 जुलाई को मनाया जाता है। प्रकृति एवं पर्यावरण पर मंडरा रहे खतरे को देखते हुए एवं वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कई प्रजाति के जीव-जंतु, प्राकृतिक स्रोत एवं वनस्पति विलुप्त होने के कारण इस दिवस की प्रासंगिकता बढ़ गयी है। आज चिन्तन का विषय न तो युद्ध है और न मानव अधिकार, न कोई विश्व की राजनैतिक घटना और न ही किसी देश की रक्षा का मामला है। चिन्तन एवं चिन्ता का एक ही मामला है लगातार विकराल एवं भीषण आकार ले रही गर्मी, सिकुड़ रहे जलस्रोत, विनाश की ओर धकेली जा रही पृथ्वी एवं प्रकृति के विनाश के प्रयास। बढ़ती जनसंख्या, बढ़ता प्रदूषण, नष्ट होता पर्यावरण, दूषित गैसों से छिद्रित होती ओजोन की ढाल, प्रकृति एवं पर्यावरण का अत्यधिक दोहन- ये सब पृथ्वी एवं पृथ्वीवासियों के लिए सबसे बडे़ खतरे हैं और इन खतरों का अहसास करना ही विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस का ध्ये...
मणिपुर चीरहरण विशेष

मणिपुर चीरहरण विशेष

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चीरहरण को देख कर, दरबारी सब मौनप्रश्न करे अँधराज पर, विदुर बने वो कौन यहां बात सिर्फ आरोप-प्रत्‍यारोपों की नहीं है। सवाल सिस्‍टम के बड़े फेलियर का है। क्‍या सिर्फ वीडियो वायरल होने के बाद सरकार के संज्ञान में कोई घटना आएगी? उसका तंत्र क्‍या कर रहा है? क्‍यों दो महीने तक कोई कार्रवाई नहीं हुई? क्‍या लोगों की निशानदेही नहीं की जा सकती थी? ऐसे कई बड़े सवाल हैं। घटना का वीडियो बहुत परेशान करने वाला है। समाज में रहने वाला व्यक्ति इस वीडियो को देखते ही गुस्से से लाल हो रहा हैं,  इतिहास साक्षी है जब भी किसी आतातायी ने स्त्री का हरण किया है या चीरहरण किया है उसकी क़ीमत संपूर्ण मनुष्य ज़ाति को चुकानी पड़ी है। हमें स्मरण रखना चाहिए- स्त्री का शोषण, उसके ऊपर किया गया अत्याचार, उसका दमन, उसका अपमान.. आधी मानवता पर नहीं बल्कि पूरी मानवता पर एक कलंक ...