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अर्थव्यवस्था : पटरी पर लौट सकती है, बशर्ते

अर्थव्यवस्था : पटरी पर लौट सकती है, बशर्ते

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अर्थव्यवस्था : पटरी पर लौट सकती है, बशर्ते॰॰॰॰!* भारतीय रिजर्व बैंक ने २०२१-२२ की मुद्रा एवं वित्त संबंधी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना दुष्काल में देश की अर्थव्यवस्था को जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई में १० साल से भी अधिक का वक्त लग सकता है। इस दुष्काल से पहले देश की अर्थव्यवस्था तकरीबन चार प्रतिशत वार्षिक की दर से बढ़ रही थी। इसलिए अनुमान लगाया गया है कि बीते दो वर्षों में यह कम से कम ८ प्रतिशत और बढ़ जाती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, और अब यह समय १३ साल हो सकता है। मुख्य सवाल यह है कि क्या हमारी अर्थव्यवस्था २०१९ के स्तर को पार कर चुकी है? आधिकारिक आंकड़े जो चित्र दिखा रहे है, उसमें कई पेंच हैं। जैसे ये आंकड़े सिर्फ संगठित क्षेत्र के हैं, जबकि हमारी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा असंगठित क्षेत्र के हवाले है। संगठित क्षेत्र में भी पर्यटन, होटल, रेस्तरां जैसे ‘कॉन्टेक्ट सर्विस’ का हाल अब तक बुरा है।...
उन्मादी आंधी में सद्भाव की चिन्ता कौन करेगा?

उन्मादी आंधी में सद्भाव की चिन्ता कौन करेगा?

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उन्मादी आंधी में सद्भाव की चिन्ता कौन करेगा? - ललित गर्ग - धार्मिक व साम्प्रदायिक भावना को धार देकर देश में भय, अशांति एवं अराजकता पैदा कर, वर्ग विशेष की सहिष्णुता को युगों से दबे रहने ही संज्ञा देकर, एक को दूसरे सम्प्रदाय के आमने-सामने कर देने का कुचक्र एक बार फिर फन उठा रहा है। यह साम्प्रदायिकता के आधार पर बंटवारे का प्रयास है और मकसद, वही सत्ता प्राप्त करना या सत्ताधारियों को कमजोर करना है। एक उत्सवी माहौल को खौफ और तनाव की स्थिति में तब्दील कर देने की सीख तो कोई धर्म दे ही नहीं सकता, लेकिन साम्प्रदायिक उन्माद को बढ़ाने में राजनीतिक पोषित असामाजिक तत्वों का तो हाथ रहता ही है, जोधपुर में कुछ सिरफिरे लोगों की खुराफात ने अधिसंख्य को ईद, अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती की खुशियों से वंचित कर दिया। यकीनन, इसमें प्रशासनिक लापरवाही की बड़ी भूमिका है और राजस्थान सरकार इस अपयश से बच नहीं सकती। साम...
‘‘माँ ही पहली शिक्षिका, पहला स्कूल”

‘‘माँ ही पहली शिक्षिका, पहला स्कूल”

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‘‘माँ ही पहली शिक्षिका, पहला स्कूल” यह एक सर्वविदित तथ्य है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चे के लिए ये सबसे अच्छी उम्र होती है, क्योंकि वह इस उम्र में सबसे ज़्यादा सीखता है। एक बच्चा पांच साल से कम उम्र के घर पर ज़्यादातर समय बिताता है और इसलिए वह घर पर जो देखता है, उससे बहुत कुछ सीखता है। छत्रपति शिवाजी को उनकी माँ ने बचपन में नायकों की कई कहानियां सुनाईं और वो बड़े होकर कई लोगों के लिए नायक बने। बच्चों का पहला स्कूल घर घर पर ही एक बच्चा सबसे पहले समाजीकरण सीखता है। एक बच्चा पहले घर पर बहुत कुछ सीखता है। लेकिन आज, चूंकि अधिकांश माता-पिता कमाने वाले हैं, इसलिए वे अपने बच्चों के साथ गुणवत्तापूर्ण समय नहीं बिता पाते हैं। बच्चों को प्ले स्कूलों में भेजा जाता है और अक्सर उनके दादा-दादी द्वारा उनका पालन-पोषण किया जाता है। ये बच्चे उन लोगों की तुलना में नुकसान में हैं जो अपने माता-पिता के साथ ...
पीआरएस ओबराय यानी कोरपोरेट जगत के भीष्म पितामह

पीआरएस ओबराय यानी कोरपोरेट जगत के भीष्म पितामह

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पीआरएस ओबराय यानी कोरपोरेट जगत के भीष्म पितामह अथवा टाटा, नारायणमूर्ति, प्रेमजी जैसे आदरणीय ओबराय भी आर.के. सिन्हा एक अजीब सी मानसिकता हमारे देश में बन गई कि हम किसी भी क्षेत्र के कुछेक लोगों की प्रशंसा करके ही इतिश्री कर लेते हैं। यही स्थिति बिजनेस की दुनिया के लिए भी कही जाएगी। कुछ ज्ञानकार और गुणी लोग रतन टाटा, एन. नारायण मूर्ति, अजीम प्रेमजी, मुकेश अंबानी वगैरह की बात करके सोचने लगते हैं कि इससे आगे की चर्चा करना व्यर्थ है। ये ही हमारे कोरपोरेट संसार की सबसे श्रेष्ठ हस्तियां हैं। इसी सोच के कारण वे पृथ्वीराज सिंह ओबराय (पीआरएस) का नाम लेना या उनकी चर्चा करना भूल जाते हैं। उन्हें ‘बिक्की ओबेरॉय’ के नाम से भी जाना जाता है। भारत के होटल सेक्टर में लक्जरी को लाने का श्रेय उन्हें ही जाता है। उन्होंने लगभग 93 साल की उम्र में ओबराय होटल ग्रुप के चेयरमेन पद को छोड़ दिया। कहना होगा कि भार...
बैडरूम में सौतन और संतानोत्पति में बाधक बनते मोबाइल और लैपटॉप

बैडरूम में सौतन और संतानोत्पति में बाधक बनते मोबाइल और लैपटॉप

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बैडरूम में सौतन और संतानोत्पति में बाधक बनते मोबाइल और लैपटॉप -प्रियंका 'सौरभ' बैडरूम में देर रात तक मोबाइल फ़ोन और लैपटॉप पर कार्य करने से पति-पत्नी के बीच विवाद बढ़ रहें है. आधुनिक युग के दम्पति साइको सेक्स डिसऑर्डर के शिकार हो रहें है. शरीर में डाई हाइड्रोक्सी इथाइल अमाइन नामक रसायन का स्तर तेजी से घट रहा है. जिसकी वजह से पुरुष व महिला का हॉर्मोन साइकिल प्रभावित हो रहा है. जो अब बच्चे पैदा करने में मुश्किल खड़ी कर रहा है, संतानोत्पति में बाधक बन रहा है. इंडियन मेडिकल एजुकेशन के रिसर्च के अनुसार कुदरत ने लड़कियों को एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन एवं लड़को को टेस्टोस्ट्रोन हॉर्मोन तोहफे में दिया है ताकि वो अपनी वंश बेल को आगे बढ़ा सके. मगर बदलती दिनचर्या और आधुनिक उपकरणों की लत के कारण इन होर्मोनेस का स्तर गड़बड़ा रहा है. जिस स...
दिल्ली में यूरोपीय तर्ज पर सड़कों का सौंदर्यीकरण?

दिल्ली में यूरोपीय तर्ज पर सड़कों का सौंदर्यीकरण?

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दिल्ली में यूरोपीय तर्ज पर सड़कों का सौंदर्यीकरण? *रजनीश कपूर दिल्ली जैसे महानगरों में ट्रेफ़िक की समस्या आम बात है। सभी सम्बंधित एजेंसियां, वो चाहे ट्रेफ़िक पुलिस हो या लोक निर्माण विभाग, समय-समय पर इस समस्या का हल निकालने के लिए नए-नए तरीक़े ईजाद करती रहती हैं। परंतु इस बार दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने दिल्ली की कुछ चुनिंदा सड़कों का यूरोपीय तर्ज़ पर सौंदर्यीकरण करने का निर्णय लेकर ये कार्य पर्यटन विभाग को दे दिया है। कहा जा रहा है कि यह एक ‘पाइलट प्रोजेक्ट’ है और फ़िलहाल दिल्ली की लगभग 32 किलोमीटर सड़कों का सौंदर्यीकरण किया जाएगा। जिस तेज़ी से दिल्ली में वाहनों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, उसके चलते इन सड़कों के सौंदर्यीकरण के नाम पर खड़ी होने वाली कुछ समस्याओं का अभी से आँकलन किया जाना अनिवार्य है। केजरीवाल सरकार ने यह दावा किया है इन सड़कों के सौंदर्यीकरण का कार्य अगस्त 2022...
सांप्रदायिकता एक राजनीतिक हथियार बनी हुई है।

सांप्रदायिकता एक राजनीतिक हथियार बनी हुई है।

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जोधपुर दंगा विशेष) सांप्रदायिकता एक राजनीतिक हथियार बनी हुई है। -सत्यवान 'सौरभ' रोजमर्रा की भाषा में, 'सांप्रदायिकता' शब्द धार्मिक पहचान की रूढ़िवादिता को दर्शाता है। ये अपने आप में एक ऐसा रवैया है जो अपने ही समूह को एकमात्र वैध या योग्य समूह के रूप में देखता है, अन्य समूहों को निम्न, नाजायज और विरोध के रूप में देखता है। इस प्रकार सांप्रदायिकता धर्म से जुड़ी एक आक्रामक राजनीतिक विचारधारा है। सांप्रदायिकता भारत में एक विशेष रूप से महत्वपूर्ण मुद्दा है क्योंकि यह तनाव और हिंसा का एक  स्रोत रहा है। सांप्रदायिकता एक ऐसी राजनीति को संदर्भित करती है जो एक समुदाय को दूसरे समुदाय के शत्रुतापूर्ण विरोध में एक धार्मिक पहचान के इर्द-गिर्द एकजुट करने का प्रयास करती है। भारत में स्वतंत्रता पूर्व के समय से सांप्रदायिक दंगों का इतिहास रहा है, अक्सर औपनिवेशिक शासकों द्वारा अपनाई गई फूट डालो और राज ...
डीयू के 100 साल-  रहेगी अपने गुरुओं की ऋणि

डीयू के 100 साल- रहेगी अपने गुरुओं की ऋणि

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डीयू के 100 साल-  रहेगी अपने गुरुओं की ऋणि   आर.के. सिन्हा किसी भी स्कूल,कॉलेज या यूनिवर्सिटी की पहचान होती है उसमें शिक्षित हुए विद्यार्थियों तथा शिक्षकों से। इस मोर्चे पर अपने 100 साल का सफर पूरा कर रही दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) जितना भी चाहे गर्व कर सकती है। डीयू की स्थापना 1922 में हुई थी और इसका पहला दीक्षांत समारोह 26 मार्च, 1923 को हुआ था।  उस समय तक डीयू में सिर्फ सेंट स्टीफंस कॉलेज, हिन्दू कॉलेज, रामजस कॉलेज और दिल्ली कॉलेज ( अब जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज) ही थे। ये उन दिनों की बातें हैं जब डीयू में सिर्फ साइंस और आर्ट्स की ही फैक्ल्टी हुआ करती थीं। और अब जब डीयू  में  70 से अधिक कॉलेजें हैं। एक महत्वपूर्ण बिन्दु यह भी है कि डीयू में राजधानी की दो अन्य विश्वविद्लायों क्रमश: जामिया मिल्लिया इस्लामिया तथा जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी के विपरीत शांति तथा सौहार्द बना रहता है। यहां प...
*राष्ट्रभाषा और सुगम न्याय, एक साथ मिल सकते हैं*

*राष्ट्रभाषा और सुगम न्याय, एक साथ मिल सकते हैं*

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*राष्ट्रभाषा और सुगम न्याय, एक साथ मिल सकते हैं* देश के न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में यह बात उभर कर आई कि आम आदमी को सहज, सरल व त्वरित न्याय कैसे मिले? देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने कहा कि “वक्त की दरकार है कि अदालतों में स्थानीय भाषाओं को लागू किया जाये, जिसके लिये एक कानूनी व्यवस्था की जरूरत है।“ यहीं से तो देश को एक राष्ट्रभाषा की आवश्यकता है, स्वर मिकलता है। यह भाषा क्या हो कौन से हो हम आज तक तय नहीं कर सकें हैं। यह काम जिनको करना था या है वे राजनीति में उलझे थे और हैं। देश के मुख्य न्यायाधीश के इस तर्क के साथ कि अदालती फैसले सालों-साल तक सरकारों द्वारा लागू न करना देश हित में नहीं है,के साथ ही देश की एक राष्ट्र भाषा पर भी विचार किया जाना ज़रूरी है । देश के संविधान में विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका की जवाबदेही का निर्धारण किया गया है, इस लक्ष्मण रेखा का हमें उल्लंघन ...
विदेशी दौरे राहुल गांधी का निजी विषय नहीं है!

विदेशी दौरे राहुल गांधी का निजी विषय नहीं है!

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प्रिय कांग्रेस, विदेशी दौरे राहुल गांधी का निजी विषय नहीं है! नीरज बधवार अपने विदेशी दौरों के लेकर राहुल गांधी फिर से विवादों में हैं। हाल ही में उनका एक वीडियो सामने आया जिसमें उन्हें नेपाल के एक क्लब में पार्टी करते देखा गया। कुछ ही देर में ख़बर आई है कि राहुल गांधी अपनी महिला मित्र सुमनिसा उदास की शादी में शरीक होने 5 दिन के लिए नेपाल गए हैं। वीडियो सामने आते ही बीजेपी-कांग्रेस में वार पलटवार शुरू हो गया। https://twitter.com/KirenRijiju/status/1521371294524055553 बीजेपी ने जहां राहुल के दौरे को ऐश परस्ती कहा तो वहीं कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इसे राहुल गांधी का निजी मामला बताया। पर सवाल ये है कि देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के सबसे बड़े चेहरे का बार-बार विदेश जाना क्या उनका निजी मामला हो सकता है? नहीं, बिल्कुल नही। और सच तो ये ह कि जब भी रणदीप सुरजेवाला जैसे नेता राहु...