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लखनऊ के बाद चंडीगढ़ में  डायलॉग इंडिया एकेडमिया एवं अवार्ड फंक्शन  का धमाकेदार आयोजन

लखनऊ के बाद चंडीगढ़ में डायलॉग इंडिया एकेडमिया एवं अवार्ड फंक्शन का धमाकेदार आयोजन

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चंडीगढ़ के जे डब्ल्यू मैरिएट होटल में दिनांक 3 जून 2017 को डायलॉग इंडिया एकेडमिया कॉन्क्लेव का शानदार आयोजन हुआ। इस समारोह में भारत के कोने कोने से निजी शैक्षणिक संस्थानों को विभिन्न पैरामीटर के आधार पर आधारित रेटिंग के अनुसार सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथियों के द्वारा द्वीप प्रज्जलवन के साथ हुआ। कार्यक्रम में शिक्षा एवं उद्योग की विशिष्ट हस्तियों के साथ अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित थे। द्वीप प्रज्जलवन के उपरांत डायलॉग इंडिया की आल इंडिया रैंकिंग के विशेष अंक का लोकार्पण सम्माननीय अतिथियों द्वारा हुआ। रैंकिंग के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए डायलॉग इंडिया पत्रिका के संपादक श्री अनुज अग्रवाल ने कहा कि भारत मे शिक्षा के क्षेत्र में बहुत असमानताएं हैं। जहां प्राथमिक स्तर पर निजी क्षेत्र के शिक्षण संस्थान अभिभावक चाहते हैं तो वहीं उच्च शिक्षा में सरकारी शिक्षण संस्थान बाज...
Prime Minister should intervene to ensure TDP Parliamentarian JC Divakar Reddy gets sacked for hooliganism: No hope from Lok Sabha Speaker or Union Civil Aviation Minister

Prime Minister should intervene to ensure TDP Parliamentarian JC Divakar Reddy gets sacked for hooliganism: No hope from Lok Sabha Speaker or Union Civil Aviation Minister

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It refers to repeat-offender TDP Parliamentarian JC Divakar Reddy creating a ruckus at Vishakhapatnam Airport on 15.06.2017 when TV-visuals confirm that he pushed staffers of Indigo Airlines and unauthorisedly entered working-area of the airport in his bid to damage airport-property including a computer-printer, for which he was put in no-fly list by Indigo and some other airlines. Unruly law-maker in his media-statement has also boasted that his party-colleague Union Civil Aviation Minister Ashok Ganpati Raju who incidentally was present at the airport at that time, managed his entry into the flight even though he was late for getting the boarding-pass. It could not happen if Lok Sabha speaker would have taken strict-most action including suspension of Ravindra Gaekwad from m...
भीड़तंत्र की हिंसा से जख्मी होता समाज

भीड़तंत्र की हिंसा से जख्मी होता समाज

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-ललित गर्ग- उत्तर प्रदेश के आगरा में भाजपा नेता की हत्या के बाद भीड़ ने ही दो हमलावरों में से एक को पीट-पीटकर मार डाला। दिल्ली में खुलेआम दो लड़कों को पेशाब करने से रोकने पर गतदिनों एक ई-रिक्शा चालक की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। कुछ दिनों पहले आनंद विहार इलाके में कवि देवीप्रसाद मिश्र को सड़क पर खुलेआम पेशाब कर रहे डीटीसी बस के चालक और परिचालक ने टोकने पर बुरी तरह मारा-पीटा था। इधर किसान आन्दोलन हो या गौरक्षा का मसला-हिंसा एवं अशांति की ऐसी घटनाएं देशभर में लगातार हो रही हैं। महावीर, बुद्ध, गांधी के अहिंसक देश में हिंसा का बढ़ना न केवल चिन्ता का विषय है बल्कि गंभीर सोचनीय स्थिति को दर्शाता है। सभ्य समाज में किसी की भी हत्या किया जाना असहनीय है लेकिन जिस तरह से भीड़तंत्र के द्वारा कानून को हाथ में लेकर किसी को भी पीट-पीटकर मार डालना अमानवीयता एवं क्रूरता की चरम पराकाष्ठा है। दिल्ली के जीटीब...
After Lucknow, now it was the turn of Dialogue India Academy Chandigarh Mega Event

After Lucknow, now it was the turn of Dialogue India Academy Chandigarh Mega Event

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The Dialogue India academy Conclave has been a great event at the JW Marriott Hotel in Chandigarh. In this event,Private educational institutions across India were awarded as per the rating based on various parameters. The program was started by the chief guests with the lamp lighting. Other dignitaries were also present in the program along with the celebrities of education and industry. After the lamp lighting, the special issue of All India ranking of Dialogue India was launched by the honorable guests. Highlighting the ranking objectives, Mr. Anuj Agrawal, Editor of Dialogue India magazine, said that India has very inequalities in the field of education. Where parents want the private sector educational institutions at primary level, at the same time the government educational institut...
Higher Education: Towards big Changes amid challenges

Higher Education: Towards big Changes amid challenges

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'Dialogue India Survey' for the year 2016-17 shows that the education sector of the country is passing through rapid transformation. Extensive changes have been introduced not only in higher education, but also at the intermediate and primary level. The institutions, which grabbed big headlines in the media till a few years back have now vanished from the scene, while those institutions which silently and honestly continued to work focussing on quality are now shining on top. Fact is that, barring a few top players among the private institutions, the position of all the institutions has substantially changed. For the first time the impact of government control over the institutions, colleges and schools is visible. Mushrooming of institutions, uncontrolled admission of students there lik...

Dialogue India “Design • Innovate • Transform” Conference with IIT Delhi

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Design has become an important catalyst for innovation, economic competitiveness and better living, in a world where ideas matter more than ever. Leaders in the public and private sectors are recognizing that design is more than aesthetics. Good design is good strategy. Companies, communities and economies are using design thinking to raise productivity, unlock new opportunities for growth, and improve the quality of everyday life. The Design and Innovation Conference, Themed “Design • Innovate • Transform”. Design, business and public sector leaders will convene to share their experiences and insights on how design is a key driver of innovation, and how it has a transformative impact on individuals and corporations, creating game-changing possibilities for a better world. The Confer...
मुस्लिम लॉ बोर्ड ही है सभी मुस्लिम समस्याओं की जड़

मुस्लिम लॉ बोर्ड ही है सभी मुस्लिम समस्याओं की जड़

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अप्रेल 15, 2017 आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की घोषणा में कोई नया पन न होकर, नई बोतल में पुरानी शराब की तरह, केवल पुरानी बातों को ही दोहराया गया है। उसने तीन तलाक को नाजायज ठहराने की बजाए, केवल बे-बजह तलाक लिया जाता है, तो, समाज उसका बहिस्कार करेगा, यह कहा है। वह बे-बजह है कि नहीं, यह तय करने का अधिकार भी फिर उन्हीं मुल्ला-मौलवियों का ही होगा। विश्व हिन्दू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डा सुरेन्द्र जैन ने आज कहा कि मध्य युगीन परंपराओं में जीने वाले ये वही लोग हैं जो आज भी उस युग की बर्बर परंपराओं को ही अपना धर्म तथा महिलाओं को भोग की वस्तु समझते हैं। अपनी आधी आवादी को ये सामान्य मानव अधिकार भी देने को तैयार नहीं हैं। तलाक देने का अधिकार महिलाओं को भी उतना ही मिले जितना पुरुषों को है, किन्तु, ये उसके लिए तैयार ही नहीं हैं। ऊपर से, हलाला जैसी बर्बर अमानवीय परंपरा को भी उचित...
निर्भया और बिल्किस बानो

निर्भया और बिल्किस बानो

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निर्भया के बलात्कार और हत्या करनेवाले चार अपराधियों को आज सर्वोच्च न्यायालय मृत्यु-दंड नहीं देता तो भारत में न्याय की मृत्यु हो जाती। निर्भया कांड ने दिसंबर 2012 में देश का दिल जैसे दहलाया था, उसे देखते हुए ही 2013 में मृत्युदंड का कानून (धारा 376ए) पास हुआ था। छह अपराधियों में से एक ने जेल में आत्महत्या कर ली थी और एक अवयस्क होने के कारण बच निकला लेकिन जो चार लटकाए जानेवाले हैं, उन्होंने अपने बचाव में क्या-क्या तर्क नहीं दिए हैं। उनके वकीलों ने अपनी सारी प्रतिभा लगा दी। मैं कई बार सोचता हूं कि इन वकीलों को क्या बिल्कुल भी शर्म नहीं आती? सिर्फ पैसों के लिए वे इन पापियों पर पर्दा डालने की कोशिश करते रहे। अदालतें यदि इन वकीलों को कोई भी सजा नहीं दे सकती तो कम से कम इनकी भर्त्सना तो करे। मृत्युदंड देनेवाले और उसे पक्का करनेवाले सभी जजों को मैं बधाई देता हूं लेकिन मुझे एक शिकायत है। वह यह कि न...
मौलिक भारत की मुहिम हुई कामयाब

मौलिक भारत की मुहिम हुई कामयाब

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ंचुनाव आयोग ने चुनावो के समय उम्मीदवारों के द्वारा भरे जाने वाले शपथ पत्रों की जांच की प्रक्रिया तय की। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को दिए हाल ही में सम्पन्न पांच राज़्यों के विधानसभा चुनावों में उतरे उम्मीदवारों के शपथपत्र जांचने के आदेश। 30 जून तक पूरी करनी होगी प्रकिया। नप सकते हैं कई माननीय। मौलिक भारत सदस्यों द्वारा दिनांक 17जनवरी 2017 को भारत के मुक्चय निर्वाचन आयुक्त श्री नसीम ज़ैदी को चुनाव सुधार के लिए पत्र लिखकर आवश्यक कार्यवाही हेतु निवेदन किया गया था कि - चुनाव लडऩे वाले सभी प्रत्याशियों द्वारा (Conduct of Elections Rules- 1961 के नियम 4 ए के अंतर्गत नामांकन के साथ (फॉर्म 26) में भरे जाने वाले शपथ पत्र में बयान किये गए तथ्यों की सत्यता की जांच निर्वाचन आयोग द्वारा की जानी चाहिए। पांच राज्यों के चुनाव प्रक्रिया के चलते प्रार्थीगण के पत्र उपरोक्त का भारत निर्वाचन आयोग नई दिल्...
अब निर्वाचन आयोग में सुधार की बारी

अब निर्वाचन आयोग में सुधार की बारी

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अरुण तिवारी ज़ाद भारत का पहला चुनाव 1952 में हुआ था। किंतु भारत के निर्वाचन आयोग की शक्तियों का एहसास जनता को पहली बार तब हुआ, जब 1990 में टी. एन. शेषन मुक्चय चुनाव आयुक्त हुए। इसके बाद से निर्वाचन आयोग ने हर चुनाव में अपने को बेहतर करने की कोशिश की; बावजूद इसके हर चुनाव ने साबित किया कि निर्वाचन आयोग में सुधार की गुजांइश अभी काफी है। बीते चुनाव के बाद उपजी अपेक्षाओं में से एक अपेक्षा यह भी है। एक चरण में मतदान करा पाने में अक्षम बीते चुनाव ने बताया कि कई चरण में चुनाव होने से न सिर्फ मतदान प्रभावित होता है, बल्कि दलों, उक्वमीदवारों और खुद निर्वाचन आयोग का चुनाव खर्च बढ़ जाता है। चुनाव प्रक्रिया की लंबी अवधि के लंबे समय के लिए शासन में सब कुछ ठप्प पड़ जाना, तीसरा नुकसान है। इस दौरान मीडिया में भी बस चुनाव का ही शोर रहता है। तात्कालिक महत्व के कई मुद्दे चर्चा से गायब हो जाते हैं। ज...