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स्कूलों में कब आएँगे गुरु जी

स्कूलों में कब आएँगे गुरु जी

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किसी भी देश-समाज की पहचान का पैमाना वहां के शिक्षा के स्तर से ही तय होता है। मोटे तौर पर जहां पर शिक्षा के प्रसार-प्रचार पर ईमानदारी से बल दिया जाता है, वे ही देश प्रगति की दौड में आगे निकल जाते हैं। दुर्भाग्यवश हमारे देश में स्कूली शिक्षा का स्तर तो दर्दनाक स्थितिपर पहुंच गई है। सरकार ने बीते सोमवार को संसद के पटल पर ‘एक स्कूल-एक अध्यापक’ विषय से संबंधित एक रिपोर्ट रखी। इसके अनुसार देश में 1,05,630 स्कूलों में मात्र एक ही शिक्षक है। यानि कक्षाएं 5 या 6 और शिक्षक एक। रिपोर्ट का तटस्थभाव से विश्लेषण करने से समझ आता है कि स्कूली शिक्षा को लेकर लगभग सभी राज्यों का प्रदर्शन निराशाजनक है। अब चूंकि यह आंकड़ा शुद्ध रूप से सरकारी है, इसलिए इस पर विवाद के लिए स्थान भी है। स्पष्ट है कि देश में लाखों शिक्षकों के पद रिक्त हैं। इन्हें क्यों नहीं भरा जा रहा? यह एक अहम सवाल है। अब आप खुद देख लें कि हमा...
FATWAS SHOULD BE MADE A CRIMINAL OFFENSE UNDER SECTION 506 IPC

FATWAS SHOULD BE MADE A CRIMINAL OFFENSE UNDER SECTION 506 IPC

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 STATE AND CENTRAL GOVERNMENTS SHOULD MADE FATWAS A CRIMINAL OFFENCE AND ARREST THE 46 MULLAHS AND MAULANAS AND ANY OTHER  SUCH DECLARATION BY MUSLIM CLERICS UNDER SECTION 506 IPC     IS THERE A FIFTH COLUMNISTS EXISTING PARALLEL TO THE INDIAN CONSTITUTION PREVENTING MUSLIM GIRLS FROM BEING INDIAN UNDER SECULAR FREEDOM?   Where is the ‘intolerance’ secular brigade ? Will people like Amir Khan, Shah Rukh Khan, NDTV , RAJDEEP, SHARIGA GHOSE  protest against such fatwas against Nahid Afrin THE LAW IS THERE AND SHOULD BE ENFORCED TIME FOR HINDUS TO SHOW GUTS AND FILE FIR AGAINST MULLAHS RATHER THAN PONTIFICATE ON NET Nahid Afrin not afraid of ‘fatwa’; will sing till last breath, says 16-year-old Young singer Nahid Afrin, against whom some I...
VICE PRESIDENT WIFE Smt. SALMA ANSARI SLAMS MAULANAS ON TRIPLE TALAQ

VICE PRESIDENT WIFE Smt. SALMA ANSARI SLAMS MAULANAS ON TRIPLE TALAQ

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In a major development in Triple Talaq row, Vice President Hamid Ansari’s wife Salma Ansari has come forward to express what she feels about the issue. Salma Ansari has said that uttering ‘talaq’ thrice does not amount to divorce and asked Muslim women to read the Quran thoroughly instead of relying on clerics. Salma Ansari’s views on triple talaq come at a time when there is a nationwide debate on the practice and the validity of triple talaq, ‘nikah halala’ and polygamy practices among Muslims challenged in the Supreme Court. “Triple talaq is not an issue. There can be no ‘talaq’ (divorce) just because someone utters talaq, talaq, talaq,” she told reporters on the sidelines of a function here yesterday. Salma said women can find an answer to their questions in the Quran itsel...
INDIA n SHEIKH HASINA VISIT

INDIA n SHEIKH HASINA VISIT

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A joint statement said the two countries would start negotiations on sharing waters of the Feni, Manu, Muhuri, Khowai, Gumti, Dharla and Dudhkumar rivers. The two countries signed five defence cooperation agreements, including a $500 million line of credit for defence purchases from India. PM Modi (R) and Bangladesh PM Sheikh Hasina share a light moment during an agreement signing ceremony in New Delhi on April 8.   PM MODI promised an early solution to the vexed Teesta water dispute with Bangladesh. "I firmly believe that it is only my government and excellency Sheikh Hasina, your government that can and will find an early solution to Teesta water sharing," he told the visiting Bangladeshi Prime Minister, who is India's staunch ally against terrorism. ...
तो अब देश निकालेगा राम मंदिर मसले का हल

तो अब देश निकालेगा राम मंदिर मसले का हल

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तो क्या अब माना जाए कि अब अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद का शीघ्र ही कोई सर्वमान्य हल हो सकता है? राम जन्मभूमि विवाद की अदालत के बाहर हल होने की संभावनाएं जगी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को संवेदनशील और आस्था से जुड़ा बताते हुए पक्षकारों से बातचीत के जरिए आपसी सहमति से मसले का हल निकालने को कहा है। यानी अब सभी पक्षकारों को एक अनुपम अवसर मिल गया है कि वेअयोध्या विवाद पर कोई सहमति बना लें। लंबे समय से चले मसले पर कोई सर्वानुमति सामने आ जाए। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने तो यहां तक सुझाव दिया है कि अगर जरूरत पड़ी तो विवाद के हल निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता को भी तैयार है। यह पहल इसलिए अहम है, क्योंकि, हिन्दुओं और मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग विवादित मसले को संवाद और सामंजस्य से ही सुलझाने की वकालत कर रहा है। हालांकि, कुछ कट्टरपंथी तत्व और तथाकथित धर्मनिरपेक्षता के पक्षधर मामले का हल नही होने...
यह तूफानी कार्यवाही का समय है योगी जी

यह तूफानी कार्यवाही का समय है योगी जी

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आयकर विभाग भी जनता और सरकार की आँखों में धूल ही झोंकता रहता है। कल विभाग ने मायावती के भाई आनंद की कंपनियो का सर्वे किया। कारण विभाग को शक है कि आनंद ने बड़ी मात्रा में कालाधन बनाया है। कितना हास्यास्पद है कि जब हम काफी समय पूर्व ही मौलिक भारत के माध्यम से आनंद और यादव सिंह की जुगलबंदी और सैकड़ो फर्जी कंपनियो के सबूत काले घन पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनी एस आई टी, सी बी आई, अन्य जांच एजेंसियो केंद्र और यू पी सरकार सहित मीडिया को भी दे चुके हैं उसके बाद भी उथली और दिखाबे की कार्यवाही करना जनता की आँखों में धूल झोंकने के समान है। सच तो सबको ही पता है कि मायावती ने अपने शासनकाल में बेतरह लूट मचाई और अपने भाई और यादव सिंह जैसी सेकड़ो कठपुतलियों के माध्यम से लाखों करोड़ का माल बनाया और सेकड़ो फर्जी कम्पनियों के माध्यम से सफ़ेद कर देश विदेश में निवेश किया। सन् 2009 में स्वयं भाजपा ने मायावती के 2...
नए रक्षा मंत्री के समक्ष रक्षा प्रबंधन की चुनौतियां

नए रक्षा मंत्री के समक्ष रक्षा प्रबंधन की चुनौतियां

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नोहर पर्रिकर साहब पुन: गोवा के मुख्यमंत्री बन गए। कुछ लोगों का मानना है कि प्रधानमंत्री ने यह निर्णय लेकर गलत किया है। प्रबल मोदी समर्थकों का कहना है कि भाजपा में योग्यता की कमी नहीं है, पर्रिकर के बाद जो भी रक्षा मंत्री बनेगा वह सही काम करेगा। वस्तुत: समस्या यह नहीं है कि कोई रक्षा मंत्री बन कर कैसा कार्य करेगा। यहां किसी की योग्यता का प्रश्न नहीं है, प्रश्न यह है कि हमारे देश में रक्षा प्रबंधन की दिशा और दशा क्या है। भारत सरकार के पांच महत्वपूर्ण मंत्रालय माने जाते हैं- वित्त, गृह, विदेश, रक्षा और रेल। इन मंत्रालयों में से चार मंत्रालय ऐसे हैं जिनमें कार्य करने वाले अधिकारी उस विषय के विशेषज्ञ होते हैं जिस मंत्रालय में उनकी नियुक्ति होती है। वित्त मंत्रालय में आईईएस, आईआरएस और आईएसएस अधिकारी कार्य करते हैं। गृह मंत्रालय में आईएएस होते हैं जो आईपीएस अधिकारियों पर नियंत्रण रखते हैं। विद...
शौहर, बेगम और दूसरी पत्नी

शौहर, बेगम और दूसरी पत्नी

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  रांची राजमार्ग से तीन किलोमीटर अंदर की तरफ जाने पर इटकी प्रखंड आता है। मुख्य सड़क से अंदर जाने का रास्ता कच्चा-पक्का है। जब आप इटकी में दाखिल होते हैं, बायीं तरफ लड़कियों का एक मदरसा है। इस मदरसे को देखकर आप अनुमान करते हैं कि यह प्रखंड स्त्रियों के अधिकार को लेकर जागरूक प्रखंड होगा। इसी प्रखंड में एक घर है परवेज आलम (काल्पनिक नाम) का। परवेज शादी शुदा पुरुष हैं लेकिन शादी इन्होंने एक बार नहीं तीन बार की है। इनके घर में पत्नी के तौर पर तीन औरतें रहती हैं। पहली शकीना खातून (काल्पनिक नाम) और बाकि दो औरतें आदिवासी हैं। दूसरी रंजना टोप्पो (काल्पनिक नाम) और तीसरी मीनाक्षी लाकड़ा (काल्पनिक नाम)। इटकी के आस-पास के लोगों से बातचीत करते हुए यह अनुमान लगाना आसान था कि परवेज का मामला अकेला नहीं है, इटकी प्रखंड में। इस तरह के कई दर्जन मामले हैं, जिसमें एक से अधिक शादी हुई है और गैर आदिवासी सम...
वृन्दावन की विधवाएं

वृन्दावन की विधवाएं

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हर शहर की अपनी एक कहानी होती है, जिसमें वह जीता है, जिसके कारण वह पूरे जगत में विख्यात या कुख्यात होता है। ये बहुत मामूली नहीं होती, यह पर्यटकों और नागरिकों के दृष्टिपटल पर छा जाने वाली एक कहानी होती है। कभी कभी यह गुलाबी होती है तो कभी यह इस गुलाबीपन में अंधेरे को बसाए हुए। और कभी कभी इस अंधेरे से किसी आशा की किरण का फूटना। ऐसी ही कहानी है वृन्दावन की। जो पिछले दिनों या कहें पिछले कई वर्षों से कुछ अलग कारणों से चर्चा में है। होली के आते ही कई पत्रकारों और टीवी के समाचार चैनलों का रुख वृन्दावन की तरफ होने लगता है। विदेशी पत्रकार अपनी स्टोरी करने के लिए वृन्दावन पहुंचने लगते हैं। ऐसा लगता है कुछ अनोखा और अनूठा घट रहा है। दरअसल वे सब जाते हैं, सुलभ इंटरनेश्नल द्वारा आयोजित विधवाओं के लिए होली कार्यक्रम देखने। इसके दो कारण हो सकते हैं कि एक तो वे विधवाओं की जि़न्दगी को दिखाना चाहते हैं या फिर...
सरकारी स्कूल, शिक्षा और गुणवत्ता

सरकारी स्कूल, शिक्षा और गुणवत्ता

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ऐसा प्रतीत होता है कि आजादी के सात दशक बीतने के बाद भी सरकारें यह नहीं समझ सकी हैं कि देश के नौनिहालों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करने के लिए बच्चों को केवल स्कूल तक पहुंचा देने भर से ही काम नहीं बनेगा। तमाम सरकारी एवं गैरसरकारी आंकड़ें यह सिद्ध करने के लिए काफी हैं कि शिक्षा का अधिकार कानून, मिड डे मिल योजना, निशुल्क पुस्तकें, यूनिफॉर्म आदि योजनाओं के परिणामस्वरूप स्कूलों में दाखिला लेने वालों की संख्या तो बढ़ी हैं लेकिन छात्रों के सीखने का स्तर बेहद ही खराब रहा है। देश में भारी तादात में छात्र गणित, अंग्रेजी जैसे विषय ही नहीं, बल्कि सामान्य पाठ पढऩे में भी समर्थ नहीं हैं। यहां तक कि 5वीं कक्षा के छात्र पहली कक्षा की किताब भी नहीं पढ़ पाते। यूं तो यह ट्रेंड पूरे देश का है लेकिन लैपटॉप और स्मार्ट फोन बांटने वाला उत्तर प्रदेश शिक्षा की गुणवत्ता की गिरावट के मामले में नए प्रतिमान स्थापि...